इंटरनेट की लत क्या है ? – What is Internet Addiction नेट एडिक्ट से कैसे बचें ?
आज कल क्लास से लेकर, बिजनेश हो या कोई अन्य कार्य हो सब कुछ ऑन लाईन हो गया है। जो चीज ऑन लाइन नहीं भी है तो हम चाहते हैं कि वो भी जल्द से जल्द ऑन लाइन हो जाये । ऐसे में हम अधिक से अधिक समय कम्प्यूटर, लैपटॉप या मोबाईल के सामने बैठकर इंटरनेट में खोये रहते हैं, ऐसे में पता ही नहीं लग पाता कि हम कब नेट के आदी हो जाते हैं। इस सिथति में जब भी हम नेट से थोड़ा दूर हों तो वक्त काट पाना मुश्किल हो जाता है। चलिए आज हम जानते हैं कि इंटरनेट की लत क्या है ? – What is Internet Addiction ? नेट एडिक्ट से कैसे बचें ?
इंटरनेट की लत (Internet Addiction) –
आज कल नेट हमारी जिंदगी का एक ख़ास हिस्सा बन चुका है, मगर इंटरनेट की लत किसी नशे से कम नहीं है। यह आपको बीमार भी कर सकती है । अगर आप घंटों ऑन लाइन की दुनिया में समय बिताते हैं,तो सावधान हो जाएँ, ऐसे में आप इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर के आसान शिकार हो सकते हैं । इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर का असर दिमाग पर ठीक उसी तरह से ही पड़ता है, जैसे ड्रग्स के सेवन से । इंटरनेट की बुरी लत हमारे दिमाग को कमजोर तो करती ही है साथ ही साथ कई हमारे शरीर को अन्य तरह से नुकसान भी पहुंचाती है । घंटों तक इंटरनेट से चिपके रहने की हमारी आदत एक मानसिक बीमारी ′इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर′ (आईएडी) का कारण बनती जा रही है ?
इंटरनेट की लत (Internet Addiction) के दुष्परिणाम –
पिछले कुछ सालों में चीन में इंटरनेट की लत यानी नेट एडिक्शन से ग्रसित किशोरों की संख्या में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है। चीन में लगभग 2.5 मिलियन लोग इस रोग से ग्रस्त हैं, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में ऐसे परिवारों की संख्या करोड़ों में हैं, जिनके परिवार इंटरनेट के कारण टूट रहे हैं । पर्सपेक्टिव ऑफ साइकिएट्रिक केयर के अनुसार कुछ लोगों में इंटरनेट ने लत और सूडो-इंटीमेट इंटरपर्सनल रिलेशनशिप की आदत डाली है। साइबर स्पेस से संपर्क के परिणाम स्वरूप पैदा होने वाला यह साइबर डिसॉर्डर आभासी संबंधों को जन्म देता है, जो ऑन लाइन मेरिटल इंफिडेलिटी (साइबर सेक्स) या ऑनलाइन सेक्सुअली कम्पल्सिव बिहेवियर के रूप में विकसित होते हैं ।
स्विट्जरलैंड के डिपार्टमेंट फॉर प्रिवेंशन ऑफ लाइन प्रिवेंशन ऑफ एडिक्शन के अनुसार ऑफ लाइन (इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते समय) रहते समय ऐसे लोग ‘साइबर सेक्स’ का भी अनुभव करते हैं। कई इंटरनेट एडिक्ट अपनी इस आदत के कारण अवसाद, शराब या नशीली दवाइयों का सेवन करने लगते हैं या घबराहट से पीड़ित रहते हैं। अमेरिका और यूरोप में साइबर पोर्न, ऑनलाइन गैम्बलिंग और गेमिंग कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारण हैं जो लोगों में इसकी लत को विकसित करते हैं ।
इंटरनेट की लत (Internet Addiction) के लक्षण –
ऑनलाइन गेमिंग, पोर्नोग्राफी और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अधिक से अधिक समय बिताना ज्यादातर लोगों की आदत सी बन चुकी है। ये इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर (आईएडी ) के शुरुआती लक्षण होते हैं। मगर समय बीतने के साथ साथ धीरे-धीरे व्यक्ति को इसकी कब लत लग जाती है, हमें इसका पता ही नहीं चल पाता, हालात ऐसे हो जाते हैं कि नेट का प्रयोग न कर पाने से हमें गुस्सा, बेचैनी और चिड़चिड़ापन सा होने लगता है । इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर (आईएडी ) के ये लक्षणों में मुख्य हैं, इंटरनेट की लत से ग्रसित लोग ऑनलाइन दुनियां के इस्तेमाल को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं । दर असल कम्प्यूटर गेम से लेकर, ऑन लाईन वर्क से लेकर भावनात्मक संबंधों तक, इंटरनेट की सनक, लोगों से उनकी जिंदगी छीनती जा रही है। नेट एडिक्शन के लक्षणों के कारण इन दिनों अधिकतर लोगों को विशेष तरह के उपचार की आवश्यकता पड़ने लगी है ।
एडिक्शन डिस्ऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति हर रोज पांच से दस घंटे का समय इंटरनेट पर बिताने लगता है । उसके लिए घर से बाहर निकलना, दोस्तों और परिवार को कम समय देना, खाना-पीना कम कर देना, जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं । इसमें हाथ एवं कलाई में दर्द होना, सूखी आंखें होना, वजन बढ़ना या घट जाना, हर काम को कंप्यूटर के सामने बैठकर करना और कमरे में अकेला रहते हुए राहत महसूस करना, इस बीमारी के मुख्य लक्षण होते हैं ।
कुछ शोधों में यह भी पाया गया है कि ‘इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर’ से ग्रस्त लोग शराब और ड्रग्स जैसी चीजों का भी सेवन करने लगते हैं । ‘इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर’ से ग्रस्त मरीज खुद को भावनात्मक रूप से कमजोर महसूस करने लगता है और उसका खुद पर से नियंत्रण कम होने लगता है । वह हमेशा बेचैनी महसूस करने लगता है, उसे तनाव, भूख न लगना, नींद न आना जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं । एक शोध के अनुसार इस बीमारी में मरीज हमेशा व्याकुल सा रहने लगता है । यही नहीं, उसका किसी काम में मन न लगने के कारण वह किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता है ।
इंटरनेट की लत (Internet Addiction) का इलाज –
हाल में ही चीन में इंटरनेट की लत से ग्रस्त लोगों के लिए पहला क्लिनिक इंटरनेट एडिक्सन खोला गया है जहां इस बीमारी से पीड़ित के लक्षण किशोरों का काउंसिलिंग, किताबों और कम्प्यूटर की मदद से इलाज किया जाता है। हाल में स्कॉटलैंड में इंटरनेट एडिक्शन का एक मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने ऑनलाइन गेमिंग की अनियंत्रित आदत के चलते अपने खाते से लाखों पाउंड निकाल लिए। वहीं चीन में एक 13 वर्षीय लड़के की लगातार 36 घंटे तक कम्प्यूटर गेम खेलते रहने के कारण मृत्यु हो गई। हालांकि कॉग्निटिव थैरेपी की मदद से इस तरह के मरीजों का इलाज संभव है। इस थैरेपी में अक्सर साइकोथैरेपी और मेडिकेशन जैसे एंटीडिप्रेसेंट को मिला जुलाकर काम लिया जाता है। नेट एडिक्शन के मरीजों के लिए शंघाई में खुले पहले क्लिनिक के निदेशक डॉ. ताओ रैन के अनुसार एडिक्शन-किलिंग थैरेपी में काउंसिलिंग, खेल, किताबों, एक्यूपंक्चर, मशीन और कम्प्यूटर की मदद से लत छुड़ाने की कोशिश की जाती है। ऐसे मरीजों के इलाज में परिवार और दोस्त भी काफी मददगार साबित हो सकते हैं ।
इंटरनेट ‘एडिक्शन डिस्ऑर्डर′ का इलाज दवाइयों के साथ-साथ बिहेवियर थेरेपी से भी किया जा रहा है । इस इलाज का आभास रोगी को नहीं हो पाता है । मरीज को ग्रुप के साथ या अकेले में भी यह थेरेपी दी जाती है, इसमें मरीज को धीरे-धीरे इंटरनेट की लत छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है । अगर वह दस घंटे इंटरनेट प्रयोग करता रहा है, तो पहले उसे आठ घंटे फिर छह घंटे और फिर इससे भी कम समय के लिए इंटरनेट प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाता है । इसकी जगह दूसरी गति विधियों में मरीज को लगाया जाता है ।
इंटरनेट की लत (Internet Addiction) को कैसे छोड़ें –
स्मार्टफोन, नेटवर्किंग साइट्स, सोशल साईट ,और पोर्नोग्राफी जैसी चीजें, व्यक्ति को धीरे-धीरे इंटरनेट का एडिक्ट/आदी बना देती हैं । यूनिवर्सिटी ऑफ कैर्लिफोर्निया के शोध के अनुसार इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों को इंटरनेट का प्रयोग कम से काम करना चाहिए इसकी बजाय उनको किताबों और संगीत को अपना दोस्त बनाना चाहिए । परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने से यह आदत धीरे-धीरे कम हो जाती है । ‘इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर’ से बचने के लिए पीढ़ित व्यक्ति को ऑफ़ लाइन गेमिंग में समय बिताना चाहिए । पिछले कुछ समय में देश के साथ-साथ ‘इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर’ के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे गए हैं ।।
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इंटरनेट की लत क्या है ?