हमने रासायनिक उर्वरक जैसी तरकीबें निकाल कर एक किलो उत्पादन को दस किलो में बदला। उसका स्वाद गया, उसकी जैविक शक्ति गई, उसकी प्रकृति ही खो गई। उसे हम दुबारा खोजने निकले हैं। इस फैशन का नाम है , ऑर्गेनिक फूड आगे विस्तार से बात करते हैं कि आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के फायदे और आर्गेनिक फ़ूड (Organic food products) किसे कहते हैं ?
ऑर्गेनिक का मतलब क्या होता है
समोसे में ऑर्गेनिक आलू है क्या ? यह फीस्ट विज्ञापन बहुत से लोगों को याद होगा, लेकिन आप सोच रहे होंगे कि आलू तो ठीक है, लेकिन ये ऑर्गेनिक क्या चीज है भला। ऑर्गेनिक आहार वह है जिसके अंतर्गत वे सभी सब्जियां, फल, अनाज और अन्य कृषि गत खाद्य पदार्थ और डेयरी उत्पाद आते हैं जिनका उत्पादन बिना किसी हानिकारक पेस्टीसाइड और रासायनिक खाद के किया जाता है। ग्लोबल मार्केट के प्रभाव के कारण लोग अब इसके फायदों से अनभिज्ञ नहीं हैं।
आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स (Organic food products)
धीरे-धीरे ही सही, लेकिन भारत में भी ऑर्गेनिक फूड ने लोगों तक अपनी पहुंच बना ली है। यानी अगर आपको लगता है कि आपके समोसे में ऑर्गेनिक आलू होना चाहिए तो चल दीजिए बाज़ार की ओर। सुपर मार्केट में आपको किसी न किसी शेल्फ में ऑर्गेनिक फूड जरूर मिल जाएगा। हालांकि इसके लिए आपको 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा कीमत देनी होगी। इतना ही नहीं वर्तमान में 70 प्रतिशत ऑर्गेनिक फूड का उत्पादन खुद भारत कर रहा है। जिसे विदेशों में निर्यात किया जाता है। बाजारविज्ञों की मानें तो आने वाले कुछ साल में हमारा देश ऑर्गेनिक फूड के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक होगा और साथ ही सबसे बड़ा ग्राहक भी। सामान्य उत्पादों में से 20 से 30 प्रतिशत महंगे ऑर्गेनिक उत्पाद अब तक एक आम भारतीय की पहुंच में नहीं रहे, लेकिन वह तबका लगातार बढ़ता जा रहा है जो अपनी हर दैनिक चर्या में प्राकृतिक’ और ‘स्वास्थ्यकर’ ढूंढ़ता है। (आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के फायदे)
रिलायंस और वालमार्ट जैसे बड़े रिटेल ज्वाइंट्स की नजर भी इन हेल्थ कांशियस भारतीयों पर है, जल्द ही ऑर्गेनिक फूड इन रिटेलर्स का प्रीमियम प्रोडक्ट होगा। भविष्य की इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए ऑर्गेनिक उत्पाद क्षेत्र से जुड़े लोगों ने योजना आयोग से ऑर्गेनिक उत्पाद के क्षेत्र के लिए 2,500 करोड़ रुपए अलग से रखने की मांग की है। आईसीसीओए के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और द सब कमेटी ऑन ऑर्गेनिक फार्मिंग के चेयरमैन तेज प्रताप के अनुसार जहां सन् 2001 में लगभग 5 हजार हैक्टेयर भूमि पर ऑर्गेनिक खेती की जाती थी वहीं आज 2,75,000 हैक्टेयर भूमि पर ऑर्गेनिक उत्पादन किया जा रहा है। इसी के साथ भारतीय ऑर्गेनिक फूड का बाज़ार तेइस सौ करोड़ रुपए हो गया है।
जैविक खेती और रासायनिक खेती में अंतर
लेकिन अब प्रसन्न यह उठता है कि क्या ऑर्गेनिक आहार परंपरागत आहार से वाकई बेहतर है? ऑर्गेनिक आहार के संदर्भ में इस सवाल की पुष्टि विभिन्न शोध करते हैं। जिनके अनुसार ऑर्गेनिक आहार परंपरागत आहार की अपेक्षा कहीं ज्यादा पौष्टिक और सुरक्षित होते हैं। कुछ समय पहले प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दर्शाया गया कि ऑर्गेनिक आहार में परंपरागत आहार की तुलना में पेस्टीसाइड कम होते हैं। नेशनल रिसर्च काउंसिल के अनुसार परंपरागत आहार में पेस्टीसाइड के थोड़े से भी अंश कैंसर जैसी बीमारी उत्पन्न करने का कारण हो सकते हैं। एक वैज्ञानिक प्रमाण यह दर्शाता है कि ऑर्गेनिक आहार उन उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित और अच्छा है जो नॉन ऑर्गेनिक आहार का इस्तेमाल करते हैं। शोध में पाया गया कि ऑर्गेनिक पैदावार न केवल विटामिन सी और तात्विक खनिजों में ज्यादा होती है, बल्कि साइटोन्यूट्रिशिएंट्स मिश्रण में भी ज्यादा मात्रा में होती है जो कि बीमारियों से सुरक्षा करने के साथ-साथ कैंसर के इलाज के लिए भी लाभदायक है। (आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के फायदे)
बहुत से माता-पिता ऐसे भी हैं जो अपने बच्चों को सिर्फ ऑर्गेनिक आहार खिलाते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि यह ज्यादा पौष्टिक है। सभी अध्ययन इस मान्यता को आगे बढ़ाते हैं और यह दावा करते हैं कि ऑर्गेनिक आहार स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, और एक शाकाहारी आहार बच्चों के लिए हमेशा से स्वास्थ्यप्रद होता है। फलों और सब्जियों का सेवन लाभप्रद होता है, लेकिन इनमें पेस्टीसाइड की वजह से शरीर को जो फायदा मिलना चाहिए वह कम होने लगता है, जिससे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। 6 साल की उम्र के बच्चों की शारीरिक रचना पर इस चीज का ज्यादा प्रभाव पड़ता है। ऑर्गेनिक फूड दरअसल वह खाद्य सामग्री है जो बिना किसी रासायनिक खाद, कीटनाशकों के प्रयोग, प्राकृतिक खाद आदि के प्रयोग से पैदा की जाती है। (आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के फायदे)
ऑर्गेनिक फ़ूड का इतिहास
प्राकृतिक आहार से जुड़ी चर्चा हजारों साल पहले हमारे पौराणिक धार्मिक ग्रंथों में भी मौजूद है अतः यह कोई नई चीज नहीं है। मेसोपोटामिया की सभ्यता से ही इससे लोग परिचित हैं और भारत में तो दस हजार साल पहले से ‘वर्मिकल्चर’ का प्रयोग होता आया है। महाभारत में जिस कामधेनु की चर्चा की गई है, उससे मिलने वाले खाद्य पदार्थ व संबंधित अन्य सामग्री ‘आधुनिक ऑर्गेनिक’ के ही प्रतीक माने जा सकते हैं। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में प्राकृतिक आहार के बारे में वर्णन मिलते हैं।
ऑर्गेनिक फ़ूड के लाभ
वराहमिहिर की वृहद संहिता में विशेष आहार के लिए भिन्न भिन्न प्रकार की फसलों और उसकी पैदावार के तरीकों के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया है। कुरान में लिखा है कि पृथ्वी की उर्वरा से जितना हम लेते हैं, उसमें से कम से कम एक तिहाई हिस्सा उसे लौटा देना चाहिए, जिससे पृथ्वी में पुनः प्रक्रिया का सिलसिला बदस्तूर जारी रहे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हम लोगों के खाने का तौर-तरीका बदलता गया। हम जितना जमीन से लेते हैं, उतना उसे लौटाना बंद कर दिया गया। जीवन शैली बदल गई। स्वास्थ्य पर भी उल्टा असर पड़ा। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के अनुसार –
- अपने वजन से ज्यादा 6 से 11 साल तक के बच्चों की संख्या में पिछले 20 साल में दुगुने से भी ज्यादा की वृद्धि हुई है। यह बढ़ोतरी 1980 में 7 प्रतिशत थी जो बढ़कर 2004 में 18.8 प्रतिशत हो गई है।
- अपने वजन से ज्यादा 12 से 19 साल तक के किशोरों की संख्या तिगुनी से भी ज्यादा होकर 5 प्रतिशत से 17.1 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
- अपने वजन से ज्यादा लगभग 61 प्रतिशत युवाओं में एक अतिरिक्त खतरा हृदय रोग, उच्च कॉलेस्ट्रोल और उच्च रक्तचाप का देखने में आया है।
प्राकृतिक और ऑर्गेनिक आहार आपके बच्चे को इन सब बीमारियों से बचा सकते हैं। इसके लिए बाजार के भारी खाने को छोड़कर ऑर्गेनिक फूड को रोजमर्रा के जीवन में अपनाना बच्चे के स्वास्थ्य और लंबी जिंदगी के लिए लाभप्रद होता है। बाहर का खाना बच्चों में मोटापा बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉक्टर रैली मैकएलिस्टर ने हाल में एक हजार माताओं पर एक राष्ट्रीय स्तर का सर्वे किया जिसमें यह सामने आया कि अगर माता-पिता खाना बनाने में सहयोग करें तो बच्चों में बढ़ रहे मोटापे को 25 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
अस्वस्थ रहने की काफी स्थितियां हमने बुन ली है। हम व्यायाम और खान-पान को जीवन संतुलित करने के लिए उपयोग करना चाहते हैं तो ऑर्गेनिक फूड मददगार दिखाई देता है। डॉ. एम.एल. लोहिया कहते हैं, आधुनिक भोजन सामग्री में पौष्टिक तत्वों के अभाव की पूर्ति के लिए विटामिन और खनिज पदार्थों (मिनरल), (जो न केवल शरीर को बहुत से रोगों से बचाते हैं बल्कि वे रोगों को बढ़ने से रोकने में भी मदद करते हैं) की शरीर की कई क्रियाओं के लिए आवश्यकता पड़ती है। शरीर के लिए पर्याप्त कैलोरी होना आवश्यक है, लेकिन उसकी भी मात्रा संतुलित होना चाहिए। इसकी मात्रा में बढ़ोतरी शरीर के अंदर मेटाबॉलिज्म प्रोटीन की निर्माण प्रक्रिया में अवरोध पैदा करती है। यही नहीं यह शरीर के वजन और उसे कम करने की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप में प्रभावित करती है। ऐसे में आहार की गुणवत्ता के लिहाज से बरती गई सावधानी ही आपकी मदद कर सकती है। इस विचार का फायदा ही ऑर्गेनिक फूड बाज़ार को मिला है।
ऑर्गेनिक फूड का ट्रेंड
आजकल ऑर्गेनिक फूड का ट्रेंड बहुत ज्यादा बढ़ गया है। कारण यह है कि सामान्यतया व्यक्ति प्रतिदिन जिस आहार को लेता है या ले रहा है, उसकी तुलना में ऑर्गेनिक फूड ज्यादा पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए लाभ दायी होता है। भारत में इसका दिन-प्रतिदिन प्रयोग बढ़ने और खासकर नाम चीन हस्तियों द्वारा इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने से इसकी मांग में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। मुंबई व दिल्ली जैसे महानगरों में पिछले दिनों कई ऑर्गेनिक स्टोर खुलने से इसका प्रचार भी बढ़ा है। अब तो अन्य महानगरों में भी ऑर्गेनिक स्टोरों की बाढ़ आ गई है। इसका प्रयोग केवल खाने में ही नहीं होता, बल्कि जूते चप्पल बनाने, कपड़े बनाने व अन्य जीवनोपयोगी वस्तुओं के निर्माण में भी व्यापक स्तर पर किया जाता है। इसके उत्पादों के कुछ निर्धारित मापदंड हैं, जिन पर इन्हें खरा उतरना होता है। साथ ही पैदावार, संग्रह, पैकिंग आदि के नियमों का पालन भी जरूरी होता है।
ऑर्गेनिक फूड और बेवरेज के बाजार में हो रही वृद्धि और आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे है कि आने वाले समय तक इसकी बिक्री कई बिलियन डॉलर हो जाएगी जो कि परंपरागत आहार उद्योग की उपज और बिक्री से कई गुना ज्यादा होगी। ‘पैकेज्ड फैक्ट्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार परंपरागत आहार उद्योग की 2 से 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के सामने ऑर्गेनिक आहार उद्योग की वार्षिक बढ़ोतरी 17 से 22 प्रतिशत के बीच हो रही है। बाज़ार विशेषज्ञों की राय में इस वृद्धि का मुख्य कारण लोगों की स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता है। साथ ही बाज़ार पर पड़े ग्लोबल प्रभाव, मार्केटिंग और खुदरा क्षेत्र ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। (आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के फायदे)
ऑर्गेनिक फूड का भविष्य
वर्ल्ड ऑर्गेनिक फूड्स एंड बेवरेजेज बाजार के शोध के अनुसार ऑर्गेनिक आहार उद्योग की सफलता का श्रेय स्वास्थ्य और पर्यावरण संबंधी विषयों के प्रति बढती जागरूकता को जाता है। जागरूक उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या में, खासतौर पर विकसित देश जैसे पश्चिमी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। आरएनसीओएस के एक अध्ययन में पाया गया कि ऑर्गेनिक आहार उद्योग में सबसे ज्यादा वृद्धि हाल में उत्तरी अमेरिका में देखी गई है। ऑर्गेनिक आहार और पेय पदार्थों का बाजार 2005 में खुदरा स्तर पर 10.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। इसके अंतर्गत सब्जियों और फलों में बढ़ोतरी हुई है, जबकि डेयरी और बेकरी उत्पाद स्थायी बने हुए हैं।
ऑर्गेनिक उत्पादों में हर साल 20 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है। ऑर्गेनिक ट्रेड एसोसिएशन द्वारा उद्योगपतियों पर किए गए एक अध्ययन में सभी से यह पूछा गया कि अगले 20 सालों में वे ऑर्गेनिक उत्पादों को कहां देखते हैं ? उन्होंने माना कि 2025 तक लोग अपनी दिनचर्या में इसे ही उपयोग में लेने लगेंगे। नेचुरल फूड मर्चेडाइजर के अनुसार, अमेरिका के लोगों ने प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों पर 2005 में 51 बिलियन डॉलर खर्च किए। ऑर्गेनिक आहार की बिक्री में अब तक 15.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ऑर्गेनिक ताजा मीट और सीफूड ऑर्गेनिक आहार की बिक्री में सबसे ज्यादा वृद्धि वाले उत्पाद हैं जिनमें 2005 में 67.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। (आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के फायदे)
यूरोपियन यूनियन के, 143,000 फार्म (लगभग 4.4 मिलियन हैक्टेयर) ऑर्गेनिक उत्पादों के उत्पादन के लिए हैं, जबकि यूनाइटेड स्टेट्स के पास सिर्फ 6,949 ऑर्गेनिक फार्म (लगभग एक मिलियन हैक्टेयर) हैं। ऑर्गेनिक बाजार यूरोपियन यूनियन में औसत विकास दर 7.8 प्रतिशत प्रतिवर्ष के साथ ज्यादा विकसित है। बीएम यूचिल, उद्योगपति और ऑर्गेनिक किसान के अनुसार विदेशी लोग ऑर्गेनिक आहार का इस्तेमाल अपने रोजमर्रा के भोजन में करते हैं। यहां तक कि उन्होंने रासायनिक खाद से बने फल और सब्जियों का सेवन बंद कर दिया है। भारत में भी लोग इसके स्वाद और विशेषता के कारण इसे पसंद कर रहे हैं। कई होटल और सुपरमार्केट में भी ऑर्गेनिक उत्पादों की बिक्री होने लगी है। लोग अब ऑर्गेनिक उत्पादों के फायदों से सचेत हो रहे हैं।
ऑर्गेनिक फूड के महंगे होने के कारण
प्राकृतिक रूप से खाना उगाने के लिए हमें उलटा चलना पड़ रहा है। यूनाइटेड नेशंस की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने यह प्रमाणित किया है कि ऑर्गेनिक उत्पाद सामान्य तौर पर प्रचलित उत्पादों की अपेक्षा ज्यादा महंगे हैं क्योंकि ऑर्गेनिक फूड की आपूर्ति मांग के अनुसार सीमित है। ऑर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग और वितरण शृंखला पूर्ण रूप से समर्थ नहीं है और उसकी मात्रा तुलनात्मक रूप से कम होने के कारण उसकी कीमत भी ज्यादा है। कई देशों में किसानों को सर्टिफिकेशन के कड़े नियमों के अनुरूप चलना पड़ता है जिसमें ज्यादा समय और श्रम लग जाता है। फसल उत्पादन भी कम होता है, इसलिए ऑर्गेनिक उत्पादों के दाम परंपरागत आहार की तुलना में काफी ज्यादा होते हैं।
ऑर्गेनिक दूध
यूके में अधिकांश लोग ऑर्गेनिक दूध खरीदना पसंद करते हैं। ऑर्गनिक मिल्क सप्लायर्स कोऑपरेटिव (ओएमएसीओ) के अनुसार ऑर्गेनिक दूध की बिक्री में हर वर्ष 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो रही है। कई बड़े वैज्ञानिक मानते हैं कि ऑर्गेनिक मिल्क साधारण दूध की तुलना में ज्यादा पौष्टिक है। सामान्य दूध की अधिक मात्रा में प्राप्ति के लिए हार्मोन ट्रीटमेंट दिया जाता है। इसके लिए दुधारू पशुओं के आहार में कई परिवर्तन किए जाते हैं। कुछ अध्ययनों में सामने आया है कि प्राकृतिक ऑर्गेनिक मिल्क में काफी मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन-ई और एंटीऑक्सीडेंट बीटाकैरोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। (आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के फायदे)
ऑर्गेनिक फूड की प्रमाणिकता
ऑर्गेनिक आहार स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होता है और उसका स्वाद भी परंपरागत आहार से अलग होता है। ऑर्गेनिक क्या वाकई ऑर्गेनिक है, यह सवाल लगातार पूछा जाता रहा है। इसी कारण अब ऑर्गेनिक उत्पादन की सर्टिफिकेशन प्रक्रिया काफी कडी कर दी गई है। सर्टिफिकेशन सिर्फ एक उत्पाद का नहीं पूरी प्रक्रिया का किया जाता है। दुनियाभर में ऑर्गेनिक खेती को प्रमाणित करने वाली कुछ मानक कंपनियां हैं जो फसल की बुआई से लेकर खाद, कीटनाशक, पानी और प्रिजरवेटिव रहित सभी चीजों के प्राकृतिक होने की जांच करती हैं। किसी भी खेत की पहली फसल को ऑर्गेनिक फसल होने का प्रमाण नहीं मिलता, फसल दर फसल कोशिश की जाती है कि उत्पादन पूरी तरह रसायन मुक्त व प्राकृतिक हो। यह एक महंगी प्रक्रिया भारत में कुछ राज्य सरकारें इसके लिए सब्सिडी भी दे रही हैं ।।
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