बरसातों के मौसम में हमें अपनी बगिया या बगीचे की देखभाल करने की बहुत जरूरत होती है । क्यूंकि बरसातों में अधिक बरसात होने से पौधों के सड़ने गलने की संभावना अधिक रहती है ।सावन के महीने में अपनी बगिया की देखभाल कुछ इस तरह करें कि चारों ओर फूल ही फूल मुस्कुरा उठें। आये आगे जानें कि बरसातों में बगिया की देखभाल कैसे करें ? अथवा सावन के महीने में फूलों वाले की देखभाल कैसे कर सकते हैं ।
चांदनी –
ग्रीष्म और वर्षा ऋतु में खूब खिलने वाली चांदनी, छोटी झाड़ी होने के कारण बड़े गमलों में भी लगाई जा सकती है। दोमट किस्म की अच्छी निकासी वाली भूमि इसके लिए अच्छी रहती है। नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए अच्छे किम के रोज-मिक्स या डीएपी का प्रयोग करें। चांदनी को महीने में एक बार डीएपी की एक खुराक अवश्य देनी चाहिए। प्रति गमला दो से तीन बड़े चम्मच और जमीन पर लगे पौधे को उसके आकार के अनुसार दो से चार चम्मच तक यह खुराक दें। उर्वरकों का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि उन्हें तने से कुछ इंच की दूरी पर पेड़ के चारों ओर बुरककर तुरंत बाद सिंचाई करना जरूरी होता है। पौधा कैसा भी हो उर्वरक देते समय इस नियम का प्रयोग करना चाहिए। चांदनी को धूप वाले स्थान पर उगाएं।
गुड़हल –
गुड़हल या जवां कुसुम को अच्छी निकासी वाली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। आज कल बाज़ार में इसकी अनेक हवाइयन हाईब्रिड किस्में उपलब्ध हैं जो विशेष रूप से गमलों के लिए ही विकसित की गई हैं। गमलों में एक भाग मिट्टी, एक भाग पत्ती की खाद, दो भाग रेत व दो भाग गोबर की सड़ी हुई खाद का मिश्रण गुड़हल लगाने के लिए उपयुक्त रहता है। इस मिश्रण में प्रति गमला दो चम्मच हड्डी कीखाद(स्टेरेलाइज़्ड बोनमील) और दो चम्मच नीम की खली मिला लें। गुड़हल को काफी मात्रा में पानी चाहिए होता है, पत्तियों पर भी पानी का छिड़काव (स्प्रे) करें। प्रति पखवाड़े दो से तीन बड़े चम्मच रोज़-मिक्स व जमीन पर लगी झाड़ियों को चार से छह चम्मच मिक्स देने से फूल खूब आते हैं और पौधे भी स्वस्थ रहते हैं। इसे धूप वाले स्थान पर लगाएं। (बरसातों में बगिया की देखभाल कैसे करें ?)
एक्ज़ोरा –
यों तो यह लाल, गुलाबी, नारंगी, पीले और सफेद सहित कई रंगों में मिलता है लेकिन प्रायः इसके लाल व गुलाबी फूल ही अधिक देखने को मिलते हैं। इन्हें अक्सर ममलों में ही लगाया जाता है। एक भाग मिट्टी में दो भाग रेत, दो भाग गोबर की सड़ी हुई खाद और एक भाग पत्ती की खाद का मिश्रण ठीक रहता है। एक्ज़ोरा को सीधी धूप से दूर हल्की छाया में रखना चाहिए। इसके लिए मिट्टी में अधिक मात्रा में गोबर की सड़ी हुई और पत्तियों की खाद का प्रयोग करें। इसके अलावा पौधों पर माह में कम से कम एक बार सूक्ष्म तत्वों का छिड़काव किया जा सकता है। मल्टीप्लेक्स या एग्रोमिन का लेबल लगे सूक्ष्म तत्व बाजार में उपलब्ध हैं। प्रति लीटर पानी में तीन मिलीलीटर की दर से इनका छिड़काव किया जाना चाहिए। नियमित सिंचाई करें और जनवरी में हल्की छंटाई कर दें।
चमेली –
भीनी खुशबू से चमन को महकाने वाली चमेली की कई किस्में हैं जिनमें एकल फूलों की मदनवन, वन मल्लिका, मल्लिका और दोहरे फूलों वाली मोतिया, मोगरा व बेला अधिक लोकप्रिय हैं। चमेली को सीधी धूप या हल्की छाया दोनों में उगाया जा सकता है। बेला व मोतिया को प्रायः क्यारियों में ही उगाया जाता है लेकिन मोगरे को गमले में भी उगाया जा सकता है। एक्ज़ोरा के लिए वर्णित मिश्रण चमेली के लिए भी उपयुक्त है। कभी कभी पेड़ों की पत्तियों पर छिड़काव भी करें। (बरसातों में बगिया की देखभाल कैसे करें ?)
सावनी –
वर्षा ऋतु में फूलों की झड़ी लगाने वाली सावनी एक बड़ी झाड़ी होती है जो धीरे-धीरे वृक्ष का आकार ले लेती है। गुलाबी, गहरे गुलाबी, सफेद और बैंगनी फूल गुच्छों में आते हैं। सावनी को धूप में ही उगाया जाता है। इसे ज़मीन पर उगाना बेहतर रहता है। नम मिट्टी पसंद सावनी की फरवरी में छंटाई कर देनी चाहिए।
रात की रानी –
खुशबूदार और ट्यूबनुमा फूलों वाली रात की रानी बरसात के दिनों में खूब खिलती है। कुछ कमज़ोर तने वाली रात की रानी को किसी सहारे की जरूरत होती है। इसे धूप या हल्की छाया में उगाया जा सकता है। जनवरी में इसकी छंटाई नहीं की हो तो बरसातों में भी कर सकते हैं ।।
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