आज के दौर की भागमभाग दिन चर्या में पीठ दर्द उतना ही सामान्य है जितना सर्दी-जुकाम 10 में से 8 लोग उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर इस तकलीफ का सामना करते हैं। पीठ दर्द से बचने के लिए एक ही फार्मूला कारगर है सावधानी रखिए और काम पर चलिए, आज हम बात करते हैं कि Slip disc treatment in Hindi और पीठ दर्द के प्रमुख कारण और उपाय कौन कौन से होते हैं :-
डिस्क स्लिप प्रमुख कारण
पीठ दर्द अक्सर डिस्क स्लिप के कारण होती है, डिस्क के खिसकने से कई बार ज्यादा झुकने या भारी चीज उठाने के कारण डिस्क अपनी जगह से खिसक जाती है। यह कारण आम नहीं है, लेकिन ज्यादातर केसों में डिस्क के टूटने के कारण ऐसा होता है। जब डिस्क रीढ़ की हड्डी से नसों पर दबाव डालती है तो पीठ में दर्द होता है। यह कई प्रकार की हो सकती है :-
साइटिका
इसमें दर्द पैरों की तरफ बढ़ता है। पीठ में किसी चोट के कारण, जब साइटिका नस अपनी जगह से हिल जाती है या उसे चोट पहुंचती है तो इस तरह का दर्द होता है।
जोड़ों की परेशानी
पीठ को मोड़ने और झुकाने में रीढ़ की हड्डी के जोड़ सहायक होते हैं। जब यह जोड़ नष्ट हो-दूसरे से रगड़ खाने लगते हैं तो असहनीय दर्द होने लगता है।
रीढ़ की हड्डी का बढ़ना
कभी-कभी रीढ़ की हड्डी के बढ़ जाने से जोड़ों में सूजन आ जाती है, जिससे हड्डियों का लचीलापन कम हो जाता है और पीठ दर्द बढ़ जाता है।
डिस्क स्लिप के प्रमुख लक्षण
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आए तो अपने डॉक्टर से मिलें और रोग की स्थिति को जानें Slip disc treatment in Hindi
■ पीठ में कहीं-कहीं सुन्नता या खिंचाव महसूस करना।
■ पैरों का कांपना और कमजोर होकर सुन्न हो जाना।
■ एक या फिर दोनों पैरों में बहुत तेज दर्द होना।
■ ठीक से बैठ नहीं पाना और उठने में दर्द होना।
डिस्क स्लिप के उपचार
अगर हमको डिस्क स्लिप की समस्या आ गयी है तो हम निम्न प्रकार से घरेलू उपचार कर सकते हैं :-
- इसे सामान्य लेने की कोशिश करें। आराम करें मगर बिस्तर पकड़ने की जरूरत नहीं।
- जितना हो सके उतना चलें-फिरें और थोड़ा व्यायाम भी करें।
- डाक्टर द्वारा बताई गई दर्द निवारक दवा नियमित रूप से लेते रहें । Slip disc treatment in Hindi
- गर्म और ठण्डे पैक से पीठ को 15 मिनट के अंतराल में बारी-बारी से सेंकें।
- रोजमर्रा के कामों को नियमित रूप से करने की कोशिश करें । दर्द को हावी न होने दें ।
डिस्क स्लिप होने से बचाव कैसे करें
आपकी जीवन शैली में थोड़ा-सा बदलाव इस दर्द से काफी राहत दिला सकता है। आप अपनी जीवन शैली में निम्न प्रकार से बदलाव करके स्लिप डिस्क की समस्या होने से बच सकते हैं :-
- अपने बिस्तर या मैट्रेस को आरामदायक बनाने की कोशिश कीजिए । वह कुर्सी चुनिए जो पीठ को ज्यादा सहारा दे।
- बैठने का तरीका सुधारें, सीधे चलने की कोशिश करें ।
- ऊंची हील की सैंडिल और जूते न पहनें।
- योग और नियमित ध्यान की मदद से तनाव कम करें।
- एक्यूपंक्चर भी इसमें काफी लाभदायक होता है।
- किसी भी काम के बाद पूरे शरीर को सीधे स्ट्रैच करें
- अपने वजन को नियंत्रित रखने की कोशिश करें।
- ज्यादा देर तक एक ही जगह पर न बैठें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- रोजाना चलने का प्रयास करें
- साइकिलिंग और स्विमिंग भी कर सकते हैं Slip disc treatment in Hindi
- आवश्यकता से अधिक कार्य करने से बचें
- भारी सामान उठाने से बचें
- वजन को नियंत्रण में रखें
- रोजाना पोषण युक्त खाद्य पदार्थ खाएं ।
सही दिनचर्या
शरीर वही सीखता है जो हम सिखाते हैं। फिर चाहे वो गलत मुद्रा ही क्यों न हो। गलत मुद्रा के कारण शारीरिक और मानसिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं। अपनी उठने-बैठने, चलने आदि सभी मुद्राओं पर ध्यान दें। लापरवाही करने से आर्थराइटिस, तनाव, मानसिक संताप, गुस्सा, सिरदर्द आदि तकलीफें हो सकती हैं। गलत मुद्रा के कुछ उदाहरण हैं जैसे लगातार एक जगह बैठकर काम करना, गलत तरीके से सामान या वजन उठाना, मोटापा, तनाव, संकोच, मांसपेशियों का सही प्रयोग नहीं करना। स्वस्थ्य रहने के लिए हमें अपनी दिनचर्या निम्न प्रकार से सुधारनी होगी :-
खड़े होने की मुद्रा
खड़े होने की सही मुद्रा वह है जब आपके कान, कंधे, हिप्स, घुटने और टखना एक सीध में हों।
बैठना
लंबे समय तक बैठने के लिए सीधी कुर्सी का इस्तेमाल करें। बैठते समय आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। आपके दोनों पैरों पर वजन वरावर रखें। पैर जमीन पर सीधे होने चाहिए। कुर्सी मेज के अनुसार सुविधाजनक होनी चाहिए।
सोना
अगर आप सुबह उठने पर पीठ दर्द या अन्य कोई दर्द महसूस करते हैं तो इसका मतलब साफ है कि सोने का तरीका ठीक नहीं है। जिस पर भी आप सोते हैं वो आपके लिए सुविधाजनक नहीं है । Slip disc treatment in Hindi
वजन
वजन को काबू में रखकर शरीर को संतुलित कीजिए, क्योंकि वजन बढ़ने से मुद्रा बिगड़ सकती है। इसलिए उठने-बैठने और खानपान पर ध्यान दें।
व्यायाम
थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ-पैर, गर्दन, कंधों और जोड़ों को घुमाने की आदत डालें। इससे रक्त संचार सुचारु रूप से होगा और शरीर की जकड़न भी खुलेगी। अगर आप थोड़ी देर के लिए भी कहीं खड़े हैं तो लगातार हिलते या घूमते रहें।।
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