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मुद्रास्फीति क्या होती है ? इससे कैसे बचें ? 

मुद्रास्फीति क्या होती है ? इससे कैसे बचें ? – What is inflation? How to avoid this?

मुद्रास्फीति क्या होती है ? इससे कैसे बचें ? 

What is inflation? How to avoid this?

                                                                                                                                                                         मतौर पर और लगातार होने वाली मूल्यवृद्धि को ही  र्थशास्त्र  की दृष्टि से मुद्रास्फीति कहते हैं ।  हालांकि मुद्रास्फीति का अधिक उपयुक्त अर्थ है, वह प्रक्रिया जो व्यवस्था में हमेशा पाई जाती है और अर्थव्यवस्था के सभी मापदंडों को धीरे- धीरे प्रभावित करती है। हम इसे धीमा जहर भी कह सकते हैं। चूकि यह व्यवस्था का अंग है, इससे बचने का कोई तरीका नहीं है। यह जानने के लिए मुद्रास्फीति क्या होती है ? इससे कैसे बचें ? – What is inflation? How to avoid this? और हम  इसे समझने के लिए इसके हर हिस्से को अलग-अलग देखेंगे और इसके परिणामों को समझने की कोशिश करेंगे।

मुद्रास्फीति के प्रमुख तत्व –

                                                                      मुद्रास्फीति में  तीन प्रमुख तत्व  पाए जाते हैं, जिनका वर्णन निम्न प्रकार है  :-

  1. अर्थव्यवस्था का अनिवार्य तत्व ।
  2. अर्थव्यवस्था में  हमेशा बने रहना ।
  3. अर्थव्यवस्था के सभी मापदंडों को प्रभावित करना ।

1- अर्थव्यवस्था का अनिवार्य तत्व

                                                                       मुद्रास्फीति  का पहला गुण यह है कि यह यह अर्थव्यवस्था का अनिवार्य तत्व  होती है । हम यहां आपको एक उद्दाहरण देकर समझना चाहेंगे, मान लीजिये  कोई विशेष क्षेत्र सूखे से प्रभावित है, तो उस क्षेत्र के सभी व्यक्ति किसी न किसी तरह से सूखे से पीड़ित होंगे। कोई भी चाहे वो पुरुष हो या स्त्री, अमीर हो या गरीब, बच्चा हो या बूढा, इससे बच नहीं पाया। व्यवस्था में पाए जाने वाले खतरों के कुछ और उदाहरण भी हैं, जैसे राजनीतिक संकट, युद्ध की स्थिति आदि। ठीक इसी तरह चूंकि व्यवस्था में मुद्रास्फीति का अस्तित्व अनिवार्य है और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है।

2- अर्थव्यवस्था में  हमेशा बने रहना –

                                                                             मुद्रास्फीति की दूसरी खाश बात यह है कि, मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था में हमेशा बनी रहती है, इसलिए यह लगातार हमें प्रभावित करती है। कई बार मुद्रास्फीति के प्रभाव बहुत ज्यादा होते हैं और कभी काफी कम। परिणामस्वरूप केवल अर्थव्यवस्था सिकुड़ने की स्थिति में ही मुद्रास्फीति गायब होती है और किसी भी स्थिति में नहीं। इसे हम एक और उद्धारण से समझते हैं , मान लीजिये  1987 में एक मसाला डोसा की कीमत 3.50 रुपए थी। उसी मसाला डोसा की कीमत 2021 में 100 रुपए हो गई और अगर कीमतें इसी रफ्तार से बढ़ती रहीं तो 2031 में यही मसाला डोसा  300 रुपए में मिलेगा। इसी तरह जो कोलगेट टूथपेस्ट अब जबकि हम 1987 में 8.05 रुपए में  मिलता था , 2021 में उसकी कीमत बढ़कर 85 रुपए हो गई। इसी रफ्तार से बढ़ती कीमतों को देखते हुए 2031  में इसके लिए हमें 200 रुपए चुकाने होंगे। हम सभी मसाला डोसा और कोलगेट की टूथपेस्ट की मूल्यवृद्धि के गवाह हैं। चूंकि यह धीमी मूल्यवृद्धि थी, हमें इसके दूरगामी बड़े प्रभावों का एहसास नहीं हुआ।

 

 

3- अर्थव्यवस्था के सभी मापदंडों को प्रभावित करना –

                                                                                                              मुद्रास्फीति की तीसरी ख़ास  बात या गुण यह है कि, मुद्रास्फीति हमारी अर्थव्यवस्था के सभी मापदंडों को प्रभावित करती है। किसी भी व्यक्ति के लिए अर्थव्यवस्था के 4 स्तंभ होते हैं ।

  1. संपत्ति (निवेश)
  2.  देनदारी (ऋण)
  3.  आय
  4.  खर्च

चूंकि मुद्रास्फीति व्यवस्था का हिस्सा होती  है इसलिए यह हमारे सभी प्रकार के निवेशों को प्रभावित करती है। कल्पना कीजिए हमें कर्ज, इक्विटी, सोना और भू-संपत्ति से क्रमशः 6 प्रतिशत, 20 प्रतिशत, 12 प्रतिशत और 25 प्रतिशत प्राप्तियां हो रही हैं। यदि मुद्रास्फीति की दर 7 प्रतिशत हो तो हमारी प्राप्तियों की वास्तविक दर 6-7=1 प्रतिशत, इक्विटी से 20-7-13 प्रतिशत, सोने से 12-7-5 प्रतिशत और भू-संपत्ति से 25-7-18 प्रतिशत रह जाएगी। इस तरीके से मुद्रास्फीति हमारे सभी निवेशों पर असर डालती है।

मुद्रास्फीति के दौरान अर्थव्यवस्था में ब्याज की दरें बढ़ती हैं, इसलिए ऋण में हमारी ब्याज की दरें अनिवार्य रूप से बढ़ेगी। इसका अर्थ यह है कि हमें अपने लिए ऋण पर अधिक दर से ब्याज का भुगतान करना होगा। मुद्रास्फीति के कारण रुपए की कीमत का अवमूल्यन होता है। अतः हम अपनी आय से कम वस्तुएं और सेवाएं प्राप्त कर पाते हैं। इसी वजह से मुद्रास्फीति परोक्ष रूप से हमारी आय को घटा देती है।

अंत में मुद्रास्फीति हमारे खर्चों पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालती है। मुद्रास्फीति आमतौर पर कीमतों में वृद्धि कर देती है। परिणामस्वरूप सभी वस्तुएं और सेवाएं महंगी हो जाती हैं। जिससे हमे अधिक ख़र्च करना पड़ता है ।

मुद्रास्फीति से कैसे बचा जा सकता है

                                                                                              आगे हम जानते हैं कि मुद्रास्फीति से बचना संभव भी है या नहीं ? अगर मान भी लिया जाय कि मुद्रास्फीति से बचना संभव नहीं है  तो हम प्रयास कर  सकते है कि हम  इसके अपने ऊपर पड़ने वाले प्रभाव कम करें । निवेश की दृष्टि से हमें परिसंपत्तियों में निवेश करना चाहिए, जिसमें मुद्रास्फीति की दर से अधिक लाभ उत्पन्न होता है। यह इक्विटी, सोना और भू-संपत्ति हो सकती है, हालांकि परिसंपत्तियों के यह वर्ग बहुत तेजी से बदलते हैं, इसलिए हमें अपने आर्थिक लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। ऐसे आर्थिक लक्ष्य जो 2/3 वर्ष में हासिल करने हों, ऋण आधारित वस्तुओं में निवेश करना चाहिए। लंबे समय के लिए इक्विटी/सोना और भू-संपत्ति में निवेश लाभप्रद होता है । इसके अलावा आपको जहां तक संभव हो सके ऋण को टालना चाहिए । अगर आपने कोई ऋण ले लिया हो तो उसे  जल्दी से जल्दी उसे चुका देना ही उचित होगा ।

                                         मुद्रास्फीति  को पराजित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी आय के स्तर को बढ़ाएं। हालांकि हर किसी के लिए अपनी आय का स्तर तुरंत बढ़ाना संभव नहीं होता, इसलिए अधिक मुद्रास्फीति के समय में आय बढ़ाने के अवसरों को खोजना चाहिए। हालांकि यह कहना, करने से कहीं ज्यादा आसान है। खर्च एक ऐसी चीज है, जिसे हम नियंत्रित कर सकते हैं। खर्च को कम करने की रणनीति बनाने से पहले हम खर्च की अलग-अलग श्रेणियों को समझने का प्रयास करेंगे। मोटे तौर पर हम खर्चों को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं-

  •  आवश्यक खर्चे –
  • मनमाफिक खर्चे –

आवश्यक खर्चे –

                             दोनों ही श्रेणियों में निश्चित और परिवर्तनशील तरीके के खर्च होते हैं, जैसे निश्चित आवश्यक खर्च के उदाहरण हैं, स्कूल फीस, मकान किराया, राशन आदि आदि। अगली श्रेणी है आवश्यक परिवर्तनशील खर्चों की जैसे-किराने का सामान, दवाइयां, स्वास्थ्य पर खर्च आदि। अमूमन आवश्यक खर्चों को कम करने का कोई रास्ता नहीं होता है।

मनमाफिक खर्चे

                                    मनमाफिक या ऐच्छिक खर्चों की भी दो श्रेणियां होती हैं, जैसे ऐच्छिक निश्चित खर्चे इन खर्चों के उदाहरण हैं, जिम की फीस, क्लब का सदस्यता शुल्क आदि आदि । ऐच्छिक परिवर्तनशील खर्चों के प्रमुख उद्दाहरण है, बाहर खाना, छुट्टियां मनाना, पार्टी करना आदि शामिल हैं। जब मुद्रास्फीति बढ़ रही हो, ऐच्छिक परिवर्तनशील खर्चों में कटौती करनी चाहिए। जब भी ऐच्छिक निश्चित खर्चों के नवीनीकरण का समय आए तो उन्हें कम या समाप्त भी किया जा सकता है।

                                              ऐच्छिक खर्चों को नियंत्रित करने के बाद भी अगर हमें आय और खर्च के सिरों को मिलाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, तो हमें सीढ़ी दर सीढ़ी उतरने कि प्रक्रिया अपनानी चाहिए । हम इसे एक उद्दाहरण से समझते है ।  काम पर जाने के लिए साधन एक आवश्यक परिवर्तनशील खर्च है। इसके लिए ड्राइवर वाली कार एक चरम बिंदु है, तो पैदल काम पर जाना दूसरा चरम बिंदु। इन दोनों चरम बिंदुओं को निर्धारित करने के बाद हमें एक सीढ़ी नीचे के विकल्पों पर गौर करना चाहिए।  ड्राइवर वाली कार से एक सीढ़ी नीचे है, खुद कार चलाकर काम पर जाना। इससे एक सीढ़ी नीचे है, कार पूल  बनाना और कार पूल से एक सीढ़ी नीचे है बाइक से जाना इससे  भी एक सीढी नीचे है सार्वजनिक साधनों  का इस्तेमाल करना। एक बार यह सीढ़ी बनाने के बाद हम सबसे उपयुक्त विकल्प का चुनाव कर सकते हैं। मुद्रास्फीति क्या होती है ? इससे कैसे बचें ?

अंत में –

                    हम लोग अनिवार्य रूप से उन्हीं खतरों पर मुद्रास्फीति के प्रभाव हम अपनी आर्थिक स्थिति पर प्रत्यक्षत: देख नहीं  पाते हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि यह व्यवस्था में शामिल नहीं है। मुद्रास्फीति एक धीमा जहर है और अगर हमने इस पर नजर नहीं रखी तो यह  एक दिन यह हमें मार देगी  ।।

 

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