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वित्तीय सेहत सुधारने के 10 आसान उपाय

वित्तीय सेहत सुधारने के 10 आसान उपाय – How to improve financial health in Hindi

ब भी बात वित्तीय सेहत की होती है, तो हमारे में से बहुत से लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं। लेकिन हम बेहतर फाईनेंस  प्लानिंग कर के, एवं अपने खर्चों को बेहतर प्लानिंग करके हम अपनी वित्तीय सेहत को इम्प्रूव कर सकते हैं। इस आर्टिकल में आज जानते हैं कि वित्तीय सेहत सुधारने के 10 आसान उपाय और How to improve financial health in Hindi .

अगर आपको यह ज्ञात ही नहीं है कि आप किस विषय से अनजान हैं तो आप कैसे पता लगाएंगे कि जो रास्ता आपने चुना है वह सही है या गलत। यही कारण है कि अधिकांश निवेशकों की वित्तीय सेहत अनुकूलतम स्थिति में नहीं रहती  है। संयुक्त राष्ट्र के प्रथम रक्षा सचिव डोनाल्ड रम्सफेल्ड ने आतंक पर युद्ध के संदर्भ में कहा था  कि संयुक्त राष्ट्र सेना इराक में मुख्यतः तीन मुद्दों से मुकाबला कर रही थी। पहला था ‘ज्ञात-ज्ञात’ यानि कि  वे विषय जिनके बारे में सेना को यह ज्ञात था कि वह कितना जानती है और उस पर कैसे नियंत्रण कर सकती है। दूसरा था ‘ज्ञात-अज्ञात’ यानि वे विषय जिनके बारे में सेना को यह ज्ञात था कि वह क्या नहीं जानती, लेकिन जानने के प्रयास किए जा सकते थे। आखिरी और सबसे गंभीर थाअज्ञात-अज्ञात’ इसका मतलब यह था कि वो विषय जिनके बारे में सेना को ज्ञान नहीं था कि वह इनसे अज्ञात है। यहीं वह मात खा गई और संसाधनों, समय और जान के रूप में युद्ध की कीमत अधिक हो गई।

पाठक सोच रहे होंगे कि इन सब बातों का इस स्तंभ से क्या लेना-देना है? एक निवेश सलाहकार और आयोजक के रूप में कार्य करने के दौरान रम्सफेल्ड के ये शब्द मेरे कानों में गूंजते रहते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर ऐसा महसूस होता है कि ‘अज्ञात-अज्ञात’ के कारण कई निवेशकों की वित्तीय सेहत अच्छी स्थिति में  नहीं होती है। दूसरे शब्दों में यदि आपको यह ज्ञात ही नहीं है कि आप किस विषय से अनजान हैं, तो आप कैसे पता लगाएंगे कि जो रास्ता आपने चुना है वह सही है या गलत। चलिए,  शब्दों का खेल बहुत हुआ अब हम लोगों को असल मुद्दे पर आ जाना चाहिए । जून का महीना समाप्त होते होते अग्रिम कर की पहली तारीख नजदीक ही होती है।  साल के इस बिन्दु पर आपका नियोक्ता टीडीएस की गणना के उद्देश्य से भविष्य में आपके द्वारा किये जाने वाले निवेश का ब्यौरा मांगता है।

अगर आप स्वतंत्र व्यवसायी हैं तो भी यह समय आपके घर को सुव्यवस्थित करने और वित्तीय मामलों को सही आकार देने के लिए उतना ही अच्छा समय है जितना कोई और समय। यहाँ पर कुछ मौलिक वित्तीय उसूलों की एक सूची तैयार की गयी है जिसकी पालना सभी को करनी चाहिए। आम तौर पर नौकरी पेशा हो या व्यवसायी, काम इनका इतना समय और ऊर्जा ले लेता है कि अपनी वित्तीय सेहत का ध्यान रखने का काम एक सुविधा जनक समय के इंतजार में हमेशा स्थगित ही रहता है। यह टाल मटोल अत्यन्त हानि कारक साबित हो सकती है। अनुभव कहता है कि निम्न दस पहलू ऐसे हैं जिन्हें अधिकांश निवेशकों द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है। कृपया जांचें कि इनमें से कितने ‘ज्ञात-ज्ञात’ हैं, कितने ‘ज्ञात-अज्ञात और कितने ‘अज्ञात-अज्ञात हैं।’

                                                                                                                        (वित्तीय सेहत सुधारने के 10 आसान उपाय – How to improve financial health in Hindi)

1- पीपीएफ खाता जरूर खुलवाएं –

 प्रत्येक भारतीय को चाहे वह स्त्री हो या पुरुष नौकरी पेशा हो या व्यापारी, शादी शुदा हो  या कुंवारा, बिना किसी आपत्ति के अपने नाम एक पीपीएफ खाता  (सार्वजनिक भविष्य निधि खाता ) खुलवा लेना चाहिए। कर में राहत और 8 प्रतिशत कर मुक्त ब्याज को एक तरफ रखें तो यह आपकी सामाजिक सुरक्षा भी है। आपके परिवार के प्रत्येक वयस्क सदस्य के नाम एक खाता जरूर होना चाहिए, चाहे वह कर दाता हो या न हो। आप 50 रूपये के गुणकों में एक लाख पच्चास हजार  रुपए प्रतिवर्ष की अधिकतम सीमा तक जितना चाहे निवेश करें। याद रखें कि प्रत्येक खाते में 1,50,000 रुपए तक का निवेश किया जा सकता है। वर्ष की शुरुआत में निवेश करें। पीपीएफ में राशि 15 वर्षों के लिए लॉक हो जाएगी यह एक गलत फहमी है, इस कारण आपको पीपीएफ से बचने की जरूरत नहीं है। हां यह सच है कि एक पीपीएफ खाते की अवधि 15 वर्ष होती है, लेकिन जमा राशि के लॉक होने की औसत अवधि 5 वर्ष की होती है। बहर हाल, समय पूर्व निकासी की सुविधा का उपयोग तब तक न करें जब तक अति आवश्यक न हो।

2- राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (एनएससी) लेने से बचें

बहुत से निवेशक हैं जो निम्न गलत फहमियों के कारण एनएससी खरीदना पसंद करते हैं –

  • पीपीएफ की 15 वर्ष की अवधि की तुलना में इसकी अवधि 5 वर्ष ही है।
  • एनएससी के लिए 6 वर्षों की अवधि में पहले पांच वर्षों के ब्याज पर कर में राहत दी जाती है, जबकि पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज पर कर में राहत नहीं दी जाती।
  • एनएससी पर बैंक ऋण उपलब्ध हो ।

ऐसे में पीपीएफ को छोड़कर एनएससी को चुनना गलत है। पहला कारण तो यह है कि पीपीएफ पर मिलने वाला ब्याज बिना किसी सीमा के कर मुक्त होता है, जबकि एनएससी पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह कर योग्य होता  है। दूसरा कारण यह है कि एनएससी के आधार पर लिए ऋण पर देय ब्याज का किसी भी आय के प्रति दावा पेश (सेटऑफ) नहीं किया जा सकता। आज कल तो ppf

पीपीएफ छोड़कर पति-पत्नी के भी लोन मिलने गए है।

3- पति पत्नी के बीच सामंजस्य

पति-पत्नी तन और मन से एक होते हैं, लेकिन आय कर के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता। एक पति-पत्नी के नाम से दूसरा पत्नी-पति के नाम से दो अलग-अलग संयुक्त खाते होने जरूरी हैं, दोनों में से एक आयकर दाता नहीं हो तब भी। ईएमआई, क्रेडिट कार्ड बिल और निवेश का भुगतान उस खाते से किया जाना चाहिए जिसमें भुगतानों के उत्तरदायी व्यक्ति का नाम पहले आता हो। ठीक ऐसा ही आय की प्राप्ति के लिए भी होना चाहिए। इससे आपको नए आईटीआर फॉर्म में कर रिटर्न फाइल करने में बहुत सहायता मिलेगी, क्योंकि इसमें उच्च मूल्य के लेन-देन का खुलासा करना होता है।

4- घर खरीदना

अक्सर देखा गया है कि पति अपनी पत्नी के नाम से प्रॉपर्टी खरीदते हैं और भुगतान अपने फंड्स से करते हैं। अपने फंड्स से अपनी पत्नी/पति के नाम से रिहायशी या अन्य प्रॉपर्टी न खरीदें। अगर आपके नाम पहले ही एक घर है तो भी ऐसा न करें। इसमें बाद में बड़ी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं, खासकर तब जब आपकी वह घर बेचना हो।

5- हाउसिंग फाइनेस

अपना घर खरीदने के साधन होने पर भी हाउसिंग फाइनेंस का विकल्प चुनना बेहतर है। कर में राहत केवल उधार ली गई राशि पर ही उपलब्ध होती है अपने ही फंड्स के उपयोग पर नहीं। और तो और अधिकांश मामलों में आप देखें कि ऋण लेने की लागत बचाए गए कर से काफी कम होती है। रियल एस्टेट संयुक्त रूप से अधिकृत हो सकती है। पति और पत्नी दोनों के नाम परिभाषित हिस्से की प्रॉपर्टी खरीदें। दोनों की अलग-अलग ऋण लेना चाहिए और ब्याज एवं मूल राशि का भुगतान अपने-अपने बैंक खातों से किया जाना चाहिए। ऐसा करने से आप दोनों में से प्रत्येक सेक्शन 24 के अन्तर्गत 1.5 लाख रुपए तक कर में राहत और सेक्शन 80 सी के अन्तर्गत 1 लाख तक की मूल राशि में छूट का हकदार होगा। तो आप दोनों को कुल मिलाकर 5 लाख रुपए की आय तक कर में राहत मिलेगी।                              (वित्तीय सेहत सुधारने के 10 आसान उपाय – How to improve financial health in Hindi)

6- जीवन बीमा आवश्यक नहीं

जीवन बीमा सिर्फ और सिर्फ तभी आवश्यक है जब परिवार के किसी कमाऊ व्यक्ति की मृत्यु से सदस्यों के लिए भारी वित्तीय संकट खड़ा हो जाए। अगर ऐसा नहीं है तो बीमा को एक तरफ कर दीजिए प्रत्येक वस्तु की कुछ कीमत होती है और बीमा की भी है। जिस वस्तु की जरूरत न हो उसे न खरीदें या अधिक मात्रा में बीमा न कराएं, जिससे आपकी वित्तीय सेहत पर बुरा असर पड़े। अपने परिवार के भविष्य को संवारने के प्रयास में उसका आज न चुराएं। बीमा एक जीवन रक्षक दवा की तरह है जिसका उपयोग जरूरी होने पर ही किया जाना चाहिए। नहीं तो इस दवा के दुष्प्रभाव आपकी काल्पनिक बीमारी से कहीं बड़े होंगे।

चाहे जो भी हो, बीमा सिर्फ इसलिए नहीं करवाना चाहिए कि वह बचत की अनिवार्यता पर जोर देता है या कर में छूट दिलवाता है। अपने बच्चे के लिए बीमा न कराएं। बच्चे की मृत्यु आपकी भावनात्मक सेहत के लिए विध्वंसकारी हो सकती है, लेकिन उससे आपके वित्तीय स्तर पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। अगर आप कुछ ज्यादा ही इच्छुक हैं तो अपने बच्चे के नाम ऐसे निवेश करें कि जब वह बड़ा हो इस राशि का उपयोग आप उसकी उच्च शिक्षा, शादी, उद्योग स्थापित करने आदि के लिए कर सकें। यदि जीवन बीमा बहुत जरूरी हो तो कम प्रीमियम और उच्च जोखिम कवर करने वाली पॉलिसी को चुनें जैसे कि सावधि बीमा (टर्म इंश्योरेंस)। सामान्य तौर पर उच्च लागत वाली अक्षयनिधि और यूलिप से बचें।

7- मेडीक्लेम इंश्योरेंस जरूर लें

अस्पताल के बड़े खर्चों के संदर्भ में मेडीक्लेम सबके लिए आवश्यक होता है। चाहे वह कर दाता हो या नहीं, अमीर हो या गरीब, बूढ़ा हो या नौजवान। अगर आपने अब तक मेडीक्लेम पॉलिसी नहीं ली है तो अविलम्ब ले लें। मेडीक्लेम पॉलिसी में 15,000 रुपए तक कर में राहत का प्रावधान लेकिन बात यह नहीं है। बात यह है कि मेडीक्लेम आपके और आपके परिवार के सदस्यों के लिए अच्छा है – कर में छूट एक अतिरिक्त लाभ है।

8- एनएफओ की बजाय ऐसे इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश करें जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा हो

इक्विटी में निवेश किए बिना सम्पत्ति बनाना लगभग असंभव है। ध्यान दें कि अहन पर पूंजी की नहीं बल्कि सम्पत्ति की बात हो रही है। सम्पत्ति वह है जब आपकी पूंजी आपके चेहरे पर मुस्कान ले आए। अपनी आय का एक हिस्सा बॉण्ड्स या एफडी में लगाने से ऐसा नहीं हो सकेगा। इक्विटी योजनाओं में निम्न फायदेhote हैं –

  •  निवेशक के हाथ में आने वाला लाभांश कर ।
  • एमएफ द्वारा लाभांश वितरण कर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती।
  • लम्बी अवधि में पूंजी में वृद्धि पर लगने वाले कर से स्वतंत्रता।
  • लघु अवधि में पूंजी में वृद्धि पर 10 प्रतिशत की रियायती दर से कर देय।
  • श्रेष्ठ तरलता।                                                                                       (वित्तीय सेहत सुधारने के 10 आसान उपाय – How to improve financial health in Hindi)

9- इक्विटी में सीधे निवेश न करें

यह कथन ऊपर कही गई बातों का निष्कर्ष है। म्यूचुअल फंड्स का अस्तित्व स्टॉक मार्केट के जोखिम को कम करने के लिए लोग एक और सेलफोन लेने के लिए जितनी रिसर्च और गृहकार्य करते हैं उतनी एक और स्टॉक खरीदने के लिए नहीं करते। मेहनत की कमाई को एक ‘गर्म स्टॉक’ में किसी मित्र, जानकार या स्टॉक मार्केट गुरु की सलाह पर निवेश कर दिया जाता है। पैसे को दोगुना करने का एक ही तरीका है। उसे दो भागों में विभाजित कर देना। नहीं तो एक बढ़िया म्यूचुअल फंड में नियमित रूप से जितना हो सके और जब भी संभव हो निवेश करें।

10- बजट के अनुरूप ही  खर्च  करें

आप अपने महीने के खर्च का बजट बनाएं और महीने के आरंभ में हर महीने, महीना दर महीना निवेश करें। इस तरह आप अत्यधिक खर्च और अगले महीने की बचत में कमी करने से बचे रहेंगे। मेरी एक परिचित ऐसा ही करती थीं, लेकिन फिर अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करके अधिक खर्च कर बैठती थीं। मैंने उन्हें उस क्रेडिट कार्ड के कैंची से दो टुकड़े कर देने की सलाह दी। उनकी वित्त की गाड़ी को पटरी पर आने में छह महीने लगे, लेकिन आज वह कर्ज मुक्त हैं और एक वर्ष पूर्व की तुलना में वित्तीय रूप से काफी मजबूत स्थिति में हैं।

आप इस बात की तो प्रशंसा करेंगे कि ऊपर दिए गए सुझावों को अमल में लाने के लिए अधिक समय या प्रयासों की आवश्यकता नहीं है। बात सिर्फ इतनी है कि आपको इनके प्रति जागरूक रहना होगा और जरूरी होने पर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे ।।

मुझे पूरी उम्मीद है कि आपको ये लेख पसंद आया होगा, कृपया कमेंट करके बताएं , आपके सुझाव मेरे लिए बहू मूल्य हैं ।

(वित्तीय सेहत सुधारने के 10 आसान उपाय – How to improve financial health in Hindi)

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