अधिकतर लोग गुस्से या क्रोध को कोई रोग नहीं मानते, लेकिन हाल में पनप रही चिकित्सा विज्ञान की इम्युनो न्यूरोलॉजी शाखा इसे बहुत सी बीमारियों में मुख्य अपराधी के रूप में देखती है। योग ने बहुत पहले ही इस बात को पहचान लिया था कि गुस्सा दिल से जुड़ी विभिन्न समस्याओं, ब्लड प्रेशर, हाई कॉलेस्ट्रॉल, डायबिटीज़, मोटापे और लिवर या यकृत-क्षय जैसी कई बीमारियों का लक्षण है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि क्रोध पर विजय कैसे पाएं – योग से गुस्से का उपचार कैसे करें ?
क्रोध ,रोग और योग
योग के अनुसार, गुस्सा अभिव्यक्त हो या दबा हुआ, इनमें से किसी एक या इन सभी बीमारियों की वजह बन सकता है। इन बीमारियों के शिकार महसूस करते हैं कि अक्सर एक बीमारी दूसरी का कारण बनती है, इसलिए योग में, ईश्वर प्राणिधान या ईश्वर की इच्छा के आगे समर्पण भाव (योग का दूसरा अंग, उसके विभिन्न नियमों में से एक) को प्रेरित करने वाली मुद्राएं और अभ्यास गुस्से की इस बीमारी का इलाज करने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं।
आधुनिक मनोविज्ञान की तरह ही योग भी मानता है कि क्रोध दरअसल उन घटनाओं को नियंत्रण में करने का अनुपयुक्त प्रयास है, जिन पर हमारा वश नहीं चलता, इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि योग में क्रोध नियंत्रण की सभी मुद्राएं समर्पण भाव युक्त हैं। ये मुद्राएं स्पष्ट रूप से किसी न किसी रूप में आगे की ओर झुकने से संबंधित हैं। एक योगाचार्य होने के नाते मेरे लिए यह जानना आश्चर्यजनक बात नहीं है कि भीतर से क्रोधी लोगों की पीठ अधिकतर कठोर होती है! (यहां तक कि अपने क्रोध को दबाने और फिर उससे अवसाद के रूप में पीड़ित रहने वालों की भी) इसलिए योग शरीर के भीतर अवरुद्ध हुई इन भावनाओं को सुलझाने के लिए आगे की ओर झुकने की मुद्राएं काम में लेता है और इस तरह मस्तिष्क को आराम पहुंचाता है। आगे की ओर झुकना हमें समर्पण के लिए भी प्रेरित करता है। इससे स्पष्ट होता है कि आखिर दुनिया के हर धर्म में प्रार्थना या समर्पण के लिए किसी न किसी रूप में आगे की ओर झुकने की व्यवस्था क्यों है। प्रार्थना भी इसी तरह हमारी आंतरिक चोट को भरती है। क्रोध पर विजय कैसे पाएं – योग से गुस्से का उपचार कैसे करें
इन आध्यात्मिक व्याख्याओं को परे रख दें, तो भी हम क्रोध – नियंत्रण में समर्पण की वैज्ञानिक वैधता को स्थापित कर सकते हैं। शोधों में पाया गया है कि गुस्सा वस्तुतः किसी परिस्थिति पर काबू पाने के प्रयास के प्रति हमारी प्रतिक्रिया का प्रत्यक्ष परिणाम होता है। दुर्भाग्य वश, जल्दी उत्तेजित हो जाने वाले लोगों की न केवल पीठ कठोर होती है, बल्कि उनके लिए लंबे समय तक झुके रहना भी काफी मुश्किल होता है।
ऐसे लोगों के लिए शुरू-शुरू में समर्पण की मुद्रा में सिर नीचे टिकाना बहुत मुश्किल होगा। इससे उनको श्वसन प्रक्रिया प्रभावित होगी (अधिकतर डरे हुए या क्रोधित लोग गहरी सांस लेते हैं)। इसके अलावा ऐसा करने से पेट, छाती और पीठ में महसूस होने वाला संकुचन वास्तव में दम घोंटू हो सकता है। उस पर से पीठ में होने वाला तेज़ दर्द, इसलिए समस्या से राहत मिलने में अपेक्षाकृत अधिक शारीरिक बाधा आती है, लेकिन आगे की ओर झुकने वाली इन मुद्राओं को चरण बद्ध तरीके से सीखना इस आंतरिक बाधा पर विजय पाने में सहायक सिद्ध होगा।
क्रोध से शरीर को होने वाले नुकसान
क्रोध के कुछ ऐसे शारीरिक लक्षण, जो दीर्घकालिक क्रोध की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के लिए काफी पीड़ादायक हो सकते हैं आपका दिल अपेक्षाकृत ज़ोरों से धड़कता है। रक्त वाहिनियां सिकुड़ने के कारण रक्तचाप बढ़ जाता है। पुतलियां फैलने के कारण आंख में अधिक रोशनी जाती है। इस प्रकार उन्हें क्षमता से अधिक कार्य करना पड़ता है। फेफड़ों को अपेक्षाकृत अधिक कार्य करना पड़ता है। ग्लूकोज़ जैसे ऊर्जा स्त्रोत अधिक शीघ्रता से उपलब्ध होते हैं। पाचन तंत्र अवरुद्ध हो जाता है। विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने वाला तंत्र अवरुद्ध हो जाता है। रक्त का बहाव मस्तिष्क और हृदय की ओर हो जाने के कारण प्रतिरोधी तंत्र कमज़ोर पड़ जाता है। क्रोध पर विजय कैसे पाएं – योग से गुस्से का उपचार कैसे करें
यहां तक कि रक्त की रासायनिक संरचना में भी परिवर्तन आ जाता है, जिससे उसका थक्का जमना आसान हो जाता है। एक बार मुक्त होने के बाद एड्रिनल या स्ट्रेस हॉर्मोन रक्त में वितरित होकर सोपानी प्रपात का प्रभाव उत्पन्न करते हैं। एड्रिनल ग्रंथि थक जाती है, जिससे नई बीमारी, हाइपोएड्रीनिया हो जाती है। यह बीमारी दीर्घकालिक थकान, कमज़ोर प्रतिरोधी तंत्र, वजन घटाने में असमर्थता और एकाग्रता की कमी के साथ-साथ व्यक्ति को जल्दी उत्तेजित हो जाने वाला और अनिद्रा रोग ग्रस्त बनाती है।
क्रोध के शिकार लोगों का खान पान
- भोजन में उपस्थित कीट नाशक बच्चों में आक्रामकता, एकाग्रता की कमी और अत्यधिक सक्रियता का कारण बनते हैं। इसके अलावा वे थाइरॉइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाते हैं और किसी भी तरह के उकसावे के प्रति सहनशीलता घटाते हैं।
- अन्य खतरनाक खाद्य पदार्थ हैं, भोजन में ऊपर से डाले जाने वाले रंग, प्रिज़र्वेटिव, फास्ट फूड में इस्तेमाल किया जाने वाला मोनोसोडियम ग्लूटेमेट, शीतल पेय और अधिकतर कृत्रिम फ्लेवर, जिसमें फ्लेवर्ड चाय भी शामिल है।
- हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड (ऐसे खाद्य पदार्थ जिनसे मुक्त होने वाली ऊर्जा बहुत तेज़ी से रक्त में जा मिलती हैं, गुस्से को बढ़ावा देते हैं ।
- अतः योग कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य जैसे चैरी, बेर, अंगूर, सोयाबीन, जौ, जई का आटा, सेब, नाशपाती, आड़ू, सेम, मसूर की दाल, छोटी फली, टमाटर का सूप, दूध और योगर्ट आदि खाने की सलाह देता है। योग विभिन्न भोज्य सामग्री को आपस में मिलाकर खाने की सलाह देता है।
योग मुद्रा आसन
आलयी- पालथी लगाकर किसी ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं, पद्मासन सबसे आदर्श स्थिति होगी। आंखें बंद कर लें। हाथों को पीछे की ओर ले जाकर आपस में थाम लें। गहरी सांस लें। फिर सांस बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें, इस तरह कि आपका माथा फर्श तक पहुंच जाए। सांस लेना जारी रखें और जब तक कोई कष्ट न हो, इसी मुद्रा में रहें। फिर अंदर सांस खींचते हुए प्रारंभिक मुद्रा में आएं। शुरू-शुरू में यह कठिन लग सकता है, लेकिन नियमित अभ्यास से आप आसानी से ऐसा कर सकेंगे। आप माथे को एक-एक करके दोनों घुटनों तक भी ले जा सकते हैं। अगर पीठ बहुत कठोर हो तो सामने एक ऊंचा मसनद या छोटा स्टूल रखकर सिर को केवल वहां तक भी ले जा सकते हैं। ऐसा तब तक कर सकते हैं, जब तक कि पीठ लचीली न हो जाए। फिर भी, अगर पीठ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द हो तो यह आसन न करें।
योग मुद्रा आसन के लाभ
यह महज़ एक शारीरिक आसन से कहीं अधिक है। यह आसन योग में ऊर्जा भण्डारण श्रृंखला का एक हिस्सा है। यह ईश्वर प्राणिधान या ईश्वर के प्रति समर्पण भाव को प्रेरित करके हमें कर्म पर ज़्यादा से ज़्यादा निर्भर होना सिखाता है, बजाय दिन-प्रतिदिन के कार्यों के प्रति अनावश्यक प्रतिक्रिया जताने के। अगर इसे मुट्ठियों को पेट के सहारे टिकाकर किया जाए तो यह डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में सहायता करता है। इसके अलावा यह हल्का खिंचाव पैदा कर गर्दन संबंधी तकलीफों में आरोग्य कर रहता है। चरण बद्ध तरीके से सीखा जाए तो यह रक्तचाप में भी आराम पहुंचाता है। क्रोध पर विजय कैसे पाएं – योग से गुस्से का उपचार कैसे करें
अन्य आसन
योग में गुस्से का उपचार करने वाली सामान्य क्रियाएं सरल है जैसे कि पवनमुक्तासन जो ऊर्जा को निर्मुक्त करने या जोड़ों को मुक्त करने वाली श्रृंखला के रूप में जाना जाता है। योग मुद्रा जैसी आगे की ओर झुकने की क्रियाएं साधारण सुखासन या पद्मासन में की जाती हैं। चूंकि पीठ दर्द से पीड़ित लोग ये मुद्राएं नहीं कर सकते, इसलिए वे उनमनी मुद्रा जैसे विकल्प आजमा सकते हैं। अन्य मुद्राएं शशंकासन और पश्चिमोत्तानासन हैं। घुटने और कमर के निचले हिस्से के दर्द से पीड़ित लोग भी उनमनी मुद्रा आजमाकर देख सकते हैं। एगर-थैरेपी में काम में लिए जाने वाले प्राणायाम उज्जयी, नाड़ी शोधन, शीतलीया शीतकरी और भ्रामरी है।
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