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Yogic Glow

योगिक ग्लो (Yogic Glow) – सुन्दर त्वचा के लिए योगासन

योग शरीर के मुख्य तंत्रों को खुश रखकर त्वचा को भी खुश रखता है। आंतरिक नियंत्रण का एहसास उपहार स्वरूप देने वाला योग, प्रसिद्ध शब्दावली योगिक ग्लो (Yogic Glow) या तेजस् की व्याख्या करता है। इसी तेज को पाने के लिए मशहूर लोग योग अपनाते हैं। आज हम बात करते हैं कि कैसे सुन्दर त्वचा के लिए योगासन जरूरी होता है।

त्वचा कि समस्या और प्रमुख योग

किशोरों और पीएमएस (प्री मेन्स्ट्रोंल सिन्ड्रोम) की शिकार महिलाओं में अति सक्रिय हॉर्मोन तेल ग्रंथियों को भी अति सक्रिय कर देते हैं, जिससे त्वचा की संरचना में अंतर आता है और वह रोमछिद्र रुकने के कारण खराब हो जाती है। जब त्वचा पर बैक्टीरिया की संख्या अत्यधिक हो जाती है तो ब्लैकहैड्स और व्हाइटहैड्स की समस्या होती है। परिणाम स्वरूप त्वचा के संक्रमण होते हैं। यह जानना भी आवश्यक है कि हम सभी में और हमारी त्वचा पर हमेशा बैक्टीरिया रहते हैं, लेकिन कुछ कारकों के कारण वे बहुत तेज़ी से पनपते हैं जो कि नुकसान दायक होते हैं । इन कारकों की पहचान कर उन्हें नियंत्रित करना आवश्यक है। त्वचा-रोगों से जूझ रहे अधिकतर लोग अपने हाथों और साबुन को प्रभावित जगह से दूर नहीं रख पाते, इससे संक्रमण होने के साथ ही समस्या और भी गंभीर हो जाती है।

हालांकि मुंहासों को लड़के या लड़कियों दोनों में ही किशोरावस्था की समस्या के रूप में देखा जाता है, जो उपद्रव मचाते हॉर्मोन्स खासतौर पर एंड्रोजन और भावनात्मक उठा-पटक के कारण होते हैं, लेकिन ये अधिक आयु-वर्ग के लोगों पर भी योगाचार्य हमला करते हैं। इस दृष्टि से चेहरे पर टी जोन (माथे और नाक के आस-पास का हिस्सा), कान का अंदरूनी हिस्सा, गर्दन से नीचे का भाग, कमर और कूल्हे अति संवेदनशील होते हैं। योग फोड़े-फुसियों को आंतरिक समस्याओं के प्रत्यक्षी करण के रूप में देखता है और त्वचा संबंधी समस्याओं (इसमें एक्जिमा और डॅमॅटाइटिस भी शामिल हैं) के लिए सूर्य नमस्कार श्रृंखला सुझाता है। सूर्य नमस्कार अत्यंत महत्वपूर्ण एंडोक्राइन ग्रंथियों को सक्रिय कर देता है। इसके अतिरिक्त योग त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए सर्वांगासन, हलासन और मयूरासन सुझाता है। सर्वांगासन और हलासन में थाइराइड ग्रंथि पर दबाव बनाया जाता है, जबकि मयूरासन में संपूर्ण यूरो जेनिटल सिस्टम (मूत्र-जनन तंत्र) पर यह दबाव बहुत शक्तिशाली तरह से रहता है।

योगिक ग्लो (Yogic Glow)

इसी तरह, योग के दौरान शरीर को मोड़ने की क्रिया त्वचा रक्षक का काम भी करती है, क्योंकि ये योग मुद्राएं शरीर से विष बाहर निकालती हैं। ये लिवर (यकृत) को प्रभावित करती हैं, जो शरीर से विष बाहर निकालने वाला सबसे महत्वपूर्ण अंग है। ये मुद्राएं गुर्दो की मालिश करती हैं, जिनका कुशल रहना शरीर से अपशिष्ट बाहर निकालने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा ये संपूर्ण पाचन-तंत्र पर दबाव बनाती हैं। इससे पाचन-तंत्र लय में रहता है, जो भोजन को पाचन मार्ग पर आगे धकेलने और अपशिष्ट को शरीर से बाहर निकालने के लिए आवश्यक पेरिस्टेलसिस के लिए अत्यंत आवश्यक है।

कब्ज़ खराब त्वचा का एक बड़ा कारण है, क्योंकि यह संपूर्ण तंत्र में सड़न की ओर इशारा करता है। खराब त्वचा इसी आंतरिक सड़न का प्रकट स्वरूप है। योग में आगे और नीचे की ओर झुकना, मुड़ना आदि मुद्राओं में पेट पर दबाव पड़ता है, इसलिए योग करने वाले को कब्ज़ कभी नहीं हो सकता। मज़े की बात तो यह है कि योग शरीर के मुख्य तंत्रों को खुश रखकर त्वचा को भी खुश रखता है। योग करने पर खुशी से संबंधित हॉर्मोन एंडोर्फिन और फील-गुड न्यूरो केमिकल सेरोटोनिन में उछाल आता है। शरीर और मस्तिष्क के ये दोनों संयोग, संपूर्ण मानव-तंत्र को स्वस्थ और प्रसन्न रखने में योगदान देते हैं। योग जो कि आंतरिक नियंत्रण का एहसास उपहारस्वरूप देता है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध शब्दावली योगिक ग्लो (Yogic Glow) या तेजस् की व्याख्या करता है। इसी तेज को पाने के लिए मशहूर लोग योग अपनाते हैं। त्वचा की रंगत पाने व् स्वस्थ त्वचा के लिए भद्रासन योग श्रेष्ठ रहता है।

भद्रासन

इस आसन को आलथी पालथी की मुद्रा वाले पद्मासन, सुखासन या जोड़ों के दर्द से जूझ रहे लोग कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं। इसे घुटनों के बल एड़ियों के सहारे बैठकर वज्रासन की मुद्रा में भी किया जा सकता है। सीधे बैठकर बायां हाथ दाएं कूल्हे या घुटने पर रखें। सांस खींचें। अब सांस छोड़ते हुए दाईं ओर झुकें । ऐसा करते समय रीढ़ की हड्डी और पेट में खिंचाव महसूस करें। कुछ सैकंड ऐसे ही रहते हुए साधारण तरीके से सांस लें। अब दूसरी ओर भी यही मुद्रा अपनाएं। शुरू-शुरू में इसे तीन बार तक किया जा सकता है । अभ्यास हो जाने पर एक बार करना ही काफी होगा, लेकिन तब साधारण तरीके से सांस लेते हुए इस आसन में 15 सैकंड तक रहें।

योगिक ग्लो (Yogic Glow)

भद्रासन से लाभ

  • इस आसन से  शरीर से विष निकलता है और इससे  लिवर को पुष्ट होता है।
  • यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायता करता है, जो स्वस्थ त्वचा के लिए आवश्यक होता है।
  • त्वचा की समस्याओं को बदतर बनाने वाले तनाव को कम करता है।
  • यह आसन श्वसन प्रक्रिया को तेज कर त्वचा को ऑक्सीजन पहुंचाता है।

योगिक सलाह

  • आप बार-बार चेहरा धोकर आप अपनी त्वचा-समस्या को उत्तेजित कर देते हैं। हर घंटे में मुंह धोने की बजाय प्रतिदिन तीन-चार बार ही त्वचा की कोम लता से सफाई करना ही पर्याप्त होता है। औसधी युक्त साबुन का इस्तेमाल बेहतर रहता है।
  • क्लासिक योग के नियमों के अंतर्गत गहन योग करने के तुरंत बाद नहाने की सलाह ही नहीं दी जाती। विशेषकर अगर आपने प्राणायाम किया हो तो । इसके कई वैज्ञानिक कारण हैं। योग के तुरंत बाद नहाने की आदत के कारण रक्त संचार अनावश्यक रूप से त्वचा की ओर बहने की दुविधा में पड़ जाता है, बहुत सी योग शाखाएं इस बात पर अधिक ज़ोर नहीं देतीं, लेकिन हथ योग में इसका उल्लेख है।
  • अच्छे योग शिक्षक आपको आसन करते समय ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनने की सलाह देंगे। छिद्रदार कपड़े स्वेद ग्रंथियों को उनका काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे पसीने का वाष्पीकरण हो पाता है और आपकी त्वचा ‘सांस’ ले पाती है।
  • कृत्रिम रेशे पॉजिटिव आयन देते हैं जो किसी भी सजीव के लिए हानि कारक होते हैं। ये श्वसन तंत्र को प्रभावित कर उसे अकुशल बनाते हैं। बुरे या खराब श्वसन तंत्र का मतलब भी खराब त्वचा होता है।
  • ऑयल बेस्ड मेकअप भी त्वचा को पसीना छोड़ने से रोकता है। योग में पसीने को शरीर से विष बाहर निकालने का प्राकृतिक माध्यम और शरीर की आवश्यकताओं द्वारा अपने अनुरूप सक्रिय किए गए वातानुकूलन के रूप में लिया जाता है।
  • योग स्किन थैरेपी कोमल धूप (सुबह 10 बजे से पूर्व और दिन में 4 बजे बाद) के समय में  संपर्क में रहने के लिए भी प्रेरित करता है। इससे शरीर को आवश्यक विटामिन डी मिल जाता है।

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