जब कभी बाज़ार में निवेश करने का मुद्दा उठता है तो सवाल यहीं से शुरू होता है कि हम सब रिस्क या खतरा उठाने के लिए कितने तैयार रहते हैं? एक आसान-सा प्रयोग करक देखिए और आपको अपने इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। किन्हीं जुड़वां बच्चों से एक ही सवाल पूछिए ‘देखो बच्चों तुम्हारे सामने तीन विकल्प हैं। पहले में तुम्हें 30 रुपए का इनाम निश्चित ही मिलेगा, दूसरे में इनाम में 500 रुपए मिल सकते हैं, लेकिन में मिलने की संभावना 20 फीसदी ही है और तीसरे में 50 रुपए मिलने की 50 प्रतिशत संभावना है। अब बताओ, तुम क्या चुनोगे?’ आपके इस एक ही सवाल के जवाब आपको अलग-अलग मिलेंगे। खतरा उठाने की वृत्ति दो लोगों में, भले वे दोनों एक ही परिवार के हों, बेहद अलग होती है। अलग-अलग व्यक्तियों में, अलग-अलग समय पर खतरा उठाने की अलग-अलग वृत्ति होती है। आज इस लेख में हम जानते हैं कि शेयर मार्केट का फंडा क्या है – शेयर बाजार को कैसे समझें ? आइए विस्तार से जानें :–
शेयर बाजार का खतरा और आपकी प्रकृति
आप खतरा उठाने के लिए जितने तैयार होंगे, उसी अनुसार, आप निवेश के लिए कंपनियों का चुनाव भी करेंगे। निवेश की आपकी पूरी योजना ही रिस्क ले सकने की आपकी वृत्ति पर आधारित होती है। जहां तक निवेश का सवाल है, तो अपने आप से पूछिए कि क्या उसे लेकर आप बहुत संकोची हैं, या बहुत सोच-समझ कर चलने वाले हैं, या आप खुलकर निवेश करते हैं? आपकी इस वृत्ति के आधार पर यह निर्धारित होगा कि आप किस तरह के निवेशक हैं।
1- कम जोखिम वाले शेयर
सबसे पहले बात करते हैं, उन लोगों की जो जरा से जोखिम से घबराकर दुखी हो जाते हैं। वे ऐसा निवेश चाहते हैं, जहां से उन्हें एक निश्चित रकम मिलती रहे। ऐसे निवेशक हमेशा उन उपायों की तलाश में रहते हैं जिनसे इनके निवेश पर कोई खतरा नहीं आए। ये लोग ऐसी कंपनियों को पसंद करते हैं, जहां से ज्यादा से ज्यादा डिविडेंड मिलता है या फिर ऐसी कंपनियां इन्हें आकर्षित करती हैं, जो आनुपातिक रूप से ज्यादा रकम देती हैं। ये लोग ऐसी कंपनियों में निवेश करते हैं, जिनका लाभ कमाने का रिकॉर्ड बहुत अच्छा हो ताकि उनके पास पैसा आने का क्रम वैसा ही बना रहे जैसा तयशुदा बॉण्ड्स से आता है। अपने निवेश की सुरक्षा के प्रति ये इतने सावधान रहते हैं कि ये ऐसी कंपनियों को प्राथमिकता देते हैं, जिनके शेयरों की कीमत से ज्यादा उनकी बुकवैल्यू होती है। ऐसे शेयरों को ये लोग सस्ता मानते हैं, क्योंकि उन्होंने जितनी कीमत दी है उससे ज्यादा उन्हें मिल रहा होता है। जिन शेयरों की कीमत कम है उन्हें ये ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि उनमें बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
2- जोखिम के साथ अधिक कमाई
दूसरी ओर हैं, समझ-बूझ के साथ चलने वाले निवेशक। वे ऐसी अच्छी कंपनियों की तलाश में रहते हैं जिनकी बिक्री, कमाई और संपत्ति की वृद्धि का प्रमाण लगातार अच्छा रहा हो। ऐसी कंपनियां अच्छी तरह चलाई जाती हैं और उनका प्रबंधन भी व्यवस्थित होता है। जरूरी नहीं कि ऐसे निवेशक सिर्फ डिविडेंड पर ही ध्यान दें। वे यह भी देखते हैं कि कंपनी सारे आर्थिक पैमानों पर विकसित हो रही है या नहीं। कंपनी कितना देगी, इसकी तुलना में वे यह देखते हैं कि शेयर मार्केट में बढ़ती कीमत के कारण होने वाला फायदा क्या है।
यह तबका अच्छी कंपनियों के शेयरों पर नज़र रखता है और अगर बाज़ार में उनके मनपसंद शेयरों की कीमत अचानक ही ज्यादा गिर जाती है तो वे उन शेयरों को खरीदने का अच्छा मौका मानते हैं। उनके पोर्टफोलियो में शेयर हों तो भी वे कम कीमत के ज्यादा शेयर खरीद कर अपने पास मौजूद शेयरों की औसत कीमत को संतुलित करने का प्रयत्न करते हैं। इन लोगों की दिलचस्पी स्मॉल और मिडकैप में भी होती है, क्योंकि इनकी नज़र बाज़ार में उभरने वाली रिलायंस जैसी कंपनियों पर होती है। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
3- आक्रामक शेयर धारक
कुछ निवेशक होते हैं जो हमेशा तेज रफ्तार में रहते हैं। वे हमेशा तेज शेयरों को पकड़ते हैं, ये लोग अपना बहुत सारा समय इस अध्ययन में लगाते हैं कि बाज़ार के बड़े शेयरों में उठने-गिरने का सिलसिला कैसा व किस तरह रहा है, और फिर वे सबसे ऊंची लहर पर सवार हो जाते हैं। ये लोग कम कीमत वाले ऐसे शेयरों की खोज में रहते हैं जिनमें कम निवेश से ज्यादा कमाई की संभावना होती है। इस तरह के निवेशक बाज़ार की खबरों पर पैनी नज़र रखते हैं, कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं और इनके मामले मेंअफवाहों का भी शेयरों की कीमत पर असर होता है। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
4- ठंडे दिमाग वाले शेयर धारक
इन तीन तरह के निवेशकों के बीच कहीं वे निवेशक भी आते हैं जो बड़े ठंडे मन से निवेश की योजना बनाते हैं। वे यह तो मानते हैं कि उनके पोर्टफोलियो में शेयर जरूर होने चाहिए और जिसे वे अच्छी कंपनी मानते हैं उनके शेयर खरीदते भी हैं, लेकिन एक बार खरीदने के बाद वे उनका खास कुछ करते नहीं हैं।
शेयर मार्किट के फायदे और नुक्सान को समझें
इन सभी तरह के निवेशों के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। कोई कंपनी किसी निवेशक को किसी मामले में अच्छी लगती है, तो दूसरे को नहीं लगती। जो कंपनी अच्छा डिविडेंड देती है, उसे सावधानी से निवेश करने वाला निवेशक पसंद करेगा, लेकिन वह निवेशक पसंद नहीं करेगा जो यह मानता है कि कंपनी का काम शेयर धारकों को नकद पैसे बांटना नहीं है बल्कि कमाई को व्यवसाय में लगाकर, कंपनी का विकास करना है। वह शेयर बाज़ार की तरफ देखता है तो यह देखता है कि कौन से शेयर की कीमत बढ़कर, उसके निवेश पर ज्यादा लाभ देगी। इसी तरह जिन शेयरों में उतार-चढ़ाव ज्यादा तेज होता है, सावधान निवेशक उसे खतरनाक मानता है।
शेयरों की सूची बनाएं और अध्ययन करें
बहरहाल निवेश में खतरे को लेकर आपका रवैया चाहे जो भी हो, जब आप खरीदने के लिए शेयर चुनते हैं तो कुछ सरल, सामान्य नियमों का ध्यान रखें। आप शेयरों की एक सूची बनाइए-‘सबसे तेज चढ़ने वाले’, ‘सबसे अधिक डिविडेंड देने वाले’ या ‘तेज शेयर’। शेयर मार्केट का फंडा क्या है
इंटरनेट पर आपको यह जानकारी बिना किसी खर्च के मिल जाएगी। एक बार आपकी यह सूची बन जाती है तो शेयरों के चयन के सामान्य नियमों का पालन करें। कुछ आधारभूत विशेषताओं को देखिए, जैसे उस कंपनी की बिक्री, लाभ और संपत्ति में वृद्धि कितनी हुई। उसका अच्छा व्यावसायिक ढांचा और अच्छी प्रशासकीय व्यवस्था पहली जरूरत है। उसके पिछले 3 से 5 साल का विवरण देखें तो इसका पूरा अंदाज मिल जाता है कि यह कंपनी वैसे ही पैसा लगाने वाले किसी पूंजीपति का शौक भर है या कि इसके पांव मजबूत हैं।
शेयर मार्किट के उतार चढ़ाव को समझें
शुरू के थोड़े वक्त में ऐसा होता है कि निवेशकों की सामूहिक मनोस्थिति शेयरों की कीमतों में फर्क लाती है। ज्यादातर ऐसा होता है कि अच्छा नतीजा आने से शेयर की कीमत गिर जाती है, क्योंकि बाज़ार में वैसी ही अपेक्षा बनी हुई थी, इसलिए जब ऐसा होता है तो बाज़ार उसे कम करके आंकता है। कोई भी एक नई खबर कीमत को ऊपर या नीचे लाने का कारण बन जाती है। जब किसी प्रतिकूल खबर की आशंका हो तो उससे भी कीमत बढ़ जाती है, क्योंकि माना जाता है कि इस कंपनी का बुरा वक्त बीत रहा है और अब कुछ अच्छा घटित होगा। भले आपको लगे कि इस बात पर कैसे भरोसा किया जाए पर यह सच है कि बाज़ार में हर निवेशक के नजरिये का संयुक्त असर पड़ता है।
शेयर बाजार की सावधानी
हर सामान्य आदमी इस बाज़ार के बारे में परेशान रहता है, क्योंकि यहां की कोई बात उसे समझ में नहीं आती है। उन सब को मेरी सलाह है कि आप अपने मन की सुनिए। निवेश के बारे में सबसे सही फैसला आपकी अपनी समझ ही कर सकती है। वैसे शेयर न खरीदें, जिन्हें आपकी बुद्धि और समझ पसंद नहीं कर रही हो और इस बात का ध्यान रखें कि आपका सारा पैसा एक ही कंपनी में निवेश न किया गया हो। बाज़ार में उड़ती अफवाहों पर ध्यान मत दीजिए। अफवाहें बना-बनाया खेल बिगाड़ देती हैं ।।
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