हौसला- कीमती सपना, बीमारी चूहे की, पहली बार (लघु कथाएं) :-
आज हम आपको चार लघु कहानियां सुनाते हैं जिन्हे पढ़कर आप हँसे बिना नहीं रह पाएंगे, चलिए शुरू करते हैं :- हौसला
हौसला :-
मेंढकों का एक झुण्ड जंगल घूमने निकला । सैर करते-करते दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर गए। बाहर खड़े उनके दोस्तों ने गड्ढे में झांका। उन्हें लगा कि कितनी भी कोशिश क्यों न की जाए, उनका बाहर निकल पाना नामुमकिन है । वे गड्ढे में फंसे मेंढ़कों से कहने लगे कि हाथ-पैर मारने का कोई फायदा नहीं, वे किसी भी कीमत पर नहीं बच पाएंगे। वह गड्ढा उनके लिए मौत का गड्ढा साबित होगा । दोनों मेंढकों ने उन्हें अन सुना कर दिया और बाहर निकलने की भरसक कोशिश करते रहे। बाहर से झांकते मेंढ़क उनके न बच पाने की बात दोहराए जा रहे थे। आखिर कार एक मेंढ़क निराश हो गया । उसने बाहर निकल पाने की आस छोड़ दी और वहीं मर गया । दूसरा मेंदक अब भी बाहर निकलने की कोशिश में बराबर जुटा था । कुछ देर बाद वह गड्ढे के बाहर था। बाहर निकलते ही उसने अपने मित्रों को धन्यवाद दिया । मेंढक कुछ समझ नहीं पाए । उसने उन्हें बताया कि वह बहरा है और जब वह बाहर आने के लिए लड़ रहा था , तब उन्हें सुन तो नहीं पा रहा था लेकिन यह भली भांति समझ रहा था कि वे सब उसे बाहर आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे । हौसला
सबक :- आपके मुंह से निकले शब्द किसी का हौसला बुलंद या पस्त कर सकते हैं इसलिए हमेशा सकारात्मक बोलें।
कीमती सपना :-
कृषि विज्ञान के एक छात्र का इंटरव्यू चल रहा था । परीक्षक ने उससे प्रश्न किया, तुमने इसी क्षेत्र को कैरियर के रूप में क्यों चुना ? छात्र ने जवाब दिया, मैं बचपन से ही अपने पिता की तरह खेती में लाखों रुपए कमाने का सपना देखा करता था। परीक्षक बड़ा प्रभावित हुआ । उसने पूछा, अच्छा तुम्हारे पिता ने खेतों से लाखों कमाए हैं। नहीं, लेकिन वे सपना जरूर देखते थे, छात्र ने मासूमियत से कहा।
सीख – अच्छे भविष्य के लिए सोच भी अच्छी रखें !
नियुक्ति :-
एक देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उनकी पार्टी का लीडर सपनों पर चर्चा कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा- कल रात मैंने सपना देखा कि मुझे विश्व का प्रधानमंत्री बना दिया गया है । इस पर राष्ट्रपति ने भी तुरंत कहा- हां, मुझे भी कुछ इसी तरह का सपना आया था कि मैं विश्व के राष्ट्रपति पद पर था । इस पर पार्टी लीडर ने कहा- “लेकिन, मुझे तो कल रात मेरे द्वारा की गई ऐसी कोई नियुक्ति याद नहीं है।”
बीमारी चूहे की :-
एक हाथी और एक चूहा विपरीत दिशाओं से आकर एक चौक पर मिले । इससे पहले उन्होंने कभी एक दूसरे को नहीं देखा था। इसलिए वे दोनों एक दूसरे के बारे में अधिकाधिक जानने को बहुत उत्सुक थे ! चूहा हाथी को देखता ही रह गया । उसे कुछ अंदाज ही नहीं हुआ कि वह कितना ऊंचा है । आखिर में उसने साहस करके हाथी से पूछा, हुजूर आपका शुभ नाम ? सभी इस नाचीज़ को हाथी कहते हैं, हाथी ने बड़ी नम्रता से कहा। कितनी उम्र है जनाब की ? चूहे ने फिर पूछा ।यों समझिए कि अभी कुछ दिनों में तीन साल का हो जाऊंगा, हाथी बोला। अब हाथी भी अपनी जिज्ञासा को दबा नहीं पा रहा था। उसने इतना छोटा प्राणी अपने जीवन में कभी नहीं देखा था। इसलिए इस बार हाथी ने पूछा, श्रीमान आपका परिचय ? मेरा नाम चूहा है कहते हुए चूहा कुछ अजीब महसूस कर रहा था ! भला उम्र क्या होगी आपकी ? हाथी ने फिर से सवाल किया ! अब चूहे की बुरी हालत थी उसे भगवान पर गुस्सा आ रहा था ! फिर भी उसे कहना ही पढ़ा, “उम्र तो मेरी इन सर्दियों में तीन साल की होने वाली है, लेकिन मैं अक्सर बीमार रहता हूँ !”
पहली बार :-
टैक्सी की पिछली सीट पर बैठे एक व्यक्ति ने कुछ पूछने के लिए उंगली से ड्राइवर की पीठ पर दस्तक दी। ड्राइवर जोर से चिल्लाया, उसने कार का नियंत्रण खो दिया। कार की टक्कर बस से हुई और वह बाहर फुटपाथ पर गिर पड़ा। एक सैकंड के लिए शांति छाई रही फिर उसने उस व्यक्ति से कहा- देखो आज के बाद फिर कभी ऐसा मत करना, तुमने तो दिन के उजाले में ही मेरी जान निकाल दी थी । व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा- मुझे नहीं पता था मेरी एक उंगली के छू जाने से तुम इस कदर डर जाओगे। ड्राइवर ने कहा- हां, भाईसाहब पर गलती आपकी नहीं है, “पैसेंजर ड्राइवर के रूप में आज मेरा पहला दिन है।” पिछले पच्चीस सालों से मैं डेड बॉडीज़ ढोता रहा हूं !!
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