चिकित्सा जगत के सिद्धांत का पहला सूत्र है कि जिन कारणों व कारकों से रोग की उत्पत्ति होती है उन्हें ही दूर कर दिया जाए। इसके लिए जहां तक संभव हो हमें अपने जीवन और दिन चर्या को सरल, सहज और प्राकृतिक नियमों के अनुकूल बनाना चाहिए। हम आज कुछ नियमों पर चर्चा कर रहे हैं, जिनसे आधुनिक जीवन शैली में उत्पन्न व्याधियों के निदान, उपचार तथा निवारण पर ध्यान दिया जा सकता है। आज कल बिगड़ी हुई जीवन शैली में हम में से कोई न कोई किसी न किसी प्रकार से स्वस्थ संबधित समस्या से परेशान रहता है। आज हम इस आर्टिकल में जानते हैं कि स्वस्थ रहने के सरल उपाय कौन से हैं और स्वस्थ कैसे रहें ? नीचे वर्णित उपाय आजमाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं :-
- अक्सर अधिक देर तक एक ही आसन या स्थिति में बैठे रहने से , निवार के पलंग या ढीली चारपाई पर सोने से अथवा फोम के गहरे गद्दे पर एक ही स्थिति में लेटे रहने पर हमारी रीढ़ की हड्डी के कशेरुओं पर दबाव पड़ता है और कमर या पीठ में दर्द रहने लगता है। इसके लिए आप लकड़ी के तख्ते या हार्ड बैड पर सोएं।
- प्रातःकाल बिस्तर से उठते समय दो-तीन बार शरीर को तान कर दाएं-बाएं जम्हाई लें। (आपने देखा होगा कुत्ता, गाय, घोड़ा आदि जानवर उठते समय जम्हाई लेकर दिनभर के लिए ऊर्जा प्राप्त कर लेते हैं।)
- स्नान आदि से निवृत्त होकर सुखासन (पालथी मारकर) या पद्मासन में बैठकर दो मिनट तक दोनों हथे लियों को मिलाकर ऊपर की ओर तानें (इसे पर्वतासन भी कहते हैं।)
- दोनों पांवों को सीधा फैलाकर सामने झुकते हुए हाथों से पांवों का स्पर्श करने का प्रयत्न करें।
- आयुर्वेद में स्पॉन्डिलाइटिस को मन्यास्तम्भ कहते हैं। इसके लिए मोटा तकिया या मसनद लगाकर न सोएं। गर्दन का हल्का व्यायाम करें।
- स्पॉन्डिलाइटिस के लिए एक और सूत्र है , यदि संभव हो तो प्रातः एवं सायं काल सुखासन में बैठकर तीन बार प्राणायाम करें। दशमूल से बने काढ़े को मुंह में भरकर दो-तीन बार कुल्ला करने की तरह मुंह चलाएं और फिर इसे निगल जाएं। जकड़न अधिक हो तो ईंट का टुकड़ा गरम करके उससे गर्दन पर सेंक करें। कल्याण लेह का प्रात: – सायं एक-एक माशा का मात्रा में सेवन करें।
- तांबे के पात्र में रात भर रखा गया लगभग एक लीटर जल प्रातः काल उठते ही शौच जाने से पहले पिएं।
- नाश्ते में आंवले के मुरब्बे के साथ एक गिलास ठंडा दूध तथा रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण या हरडे एसिडिटी में फायदेमंद होता है।
- भोजन के बाद अविपत्तिकर चूर्ण ठंडे जल से लेना अल्सर में भी फायदा होता है।
- इनके निवारण के लिए शारीरिक श्रम की आदत डालें।
- कार्यालय में किसी न किसी बहाने कुर्सी से उठकर इधर-उधर जाएं।
- मोटापा कम करने के लिए प्रातः काल एक गिलास पानी में एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर लें ।
- भोजन के अंत में पानी पीने के बजाय भोजन के आरंभ में थोड़ा-थोड़ा पानी पिएं।
- मधुमेह में बिल्वपत्र, जामुन या करेले के पत्तों का रस निकालकर दो चम्मच नियमित रूप से सेवन करें। चक्रदन्त के अनुसार कच्चे आंवले के रस में हल्दी का चूर्ण व शहद मिलाकर पीने से मधुमेह में लाभ होता है।
- ब्लडप्रेशर अपने आप में कोई रोग नहीं है। रक्त का दबाव मनुष्य की धमनियों में कमोबेश सदा रहता ही है, किंतु जब धमनियों के सिकुड़ जाने अथवा अन्य किसी कारण से रक्त के प्रवाह में कहीं रुकावट का एहसास होता है तब हृदय को रक्त प्रवाह बनाए रखने के लिए अपेक्षाकृत अधिक दबाव बढ़ाना पड़ता है। यही दबाव धमनियों में नाप लिया जाता है और यह देख लिया जाता है कि हृदय को कितना परिश्रम करना पड़ रहा है। इस अधिक दबाव को ही उच्च रक्तचाप कहते हैं। ऐसे में आप वसा या चिकनाई युक्त पदार्थ तथा नमक का सेवन कम कर दें और यदि नमक बंद न कर सकें तो ‘पिंक साल्ट‘ का प्रयोग करें ।
- सबसे बड़ी बात, मानसिक तनाव से दूर रहें, चिंता और भयमुक्त जीवन जीने की आदत डालें, गप्पे लड़ाना न भूलें और याद रखें पुरानी पालथी मारकर भोजन करने की मुद्रा मेज से कहीं ज्यादा काम की है।
- आर्थराइटिस में प्रातःकालीन भ्रमण, जोगिंग व हल्का व्यायाम इसके लिए मुफीद है। नारायण तेल से मालिश, गरम जल में नमक डालकर सेंक या भाप से सेंक और कैशोर गुग्गुलु या योगराज गुग्गुलु की दो-दो गोली सुबहशाम काम की होती है ।। (स्वस्थ रहने के सरल उपाय)
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