भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सन्न 2007 में बाल शोषण पर में कराये गये एक सर्वेक्षण से पता चला था कि भारत में विभिन्न प्रकार के बच्चों के शोषण में पांच से बारह वर्ष तक की उम्र के छोटे बच्चे शोषण और दुर्व्यवहार के सबसे अधिक शिकार होते हैं तथा इन बच्चों पर खतरा भी सबसे अधिक होता है। बच्चों के इन शोषणों में मुकझी रूप से शारीरिक शोषण , यौन शोषण और भावनात्मक शोषण शामिल होते हैं । आगे हम जानते हैं कि बाल शोषण के प्रकार स्थिति और आंकड़े और दुनिया भर में बच्चों के विरुद्ध अपराध की स्थिति क्या है ?
बाल शोषण के प्रकार
बाल शोषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –
- शारीरिक शोषण
- यौन शोषण
- भावनात्मक शोषण और बालिका उपेक्षा
शारीरिक शोषण के आंकड़े
- भारत में हर तीन बच्चों में से दो बच्चे शारीरिक शोषण के शिकार बने।
- शारीरिक रूप से शोषित होने वाले 69 प्रतिशत बच्चों में 54.68 प्रतिशत लड़के थे।
- 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे किसी न किसी प्रकार के शारीरिक शोषण के शिकार हुए थे।
- पारिवारिक स्थिति में शारीरिक रूप से शोषित बच्चों में 88.6 प्रतिशत का शारीरिक शोषण माता-पिता ने किया था ।
- आंध्र प्रदेश, असम, बिहार और दिल्ली से अन्य राज्यों की तुलना में सभी प्रकार के शोषणों के अधिक मामले सामने आये थे ।
- भारत में 50.2 प्रतिशत बच्चे सप्ताह के सात दिन काम करते हैं। (बाल शोषण के प्रकार स्थिति और आंकड़े)
यौन शोषण के आंकड़े
यौन शोषण में के आंकड़े निम्न प्रकार से हैं –
- सर्वेक्षण में 53.22 प्रतिशत बच्चों ने एक या एक से अधिक प्रकार के यौन शोषण का सामना करने की बात कही थी ।
- सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार और दिल्ली से लड़कों और लड़कियों के गंभीर यौन शोषण के सर्वाधिक मामले सामने आये थे ।
- इस सर्वेक्षण में 20.90 प्रतिशत बच्चों ने गंभीर यौन शोषण का सामना करने की बात कही थी , जबकि 50.76 प्रतिशत बच्चों ने अन्य प्रकार के यौन शोषण की बात स्वीकारी थी
- असम, आंध्र प्रदेश, बिहार और दिल्ली के बच्चों ने यौन प्रताड़ना का सबसे अधिक सामना किया था ।
- पच्चास प्रतिशत शोषक बच्चों के जान-पहचान वाले या विश्वसनीय लोग ही योन शोषण करने के लिए जिम्मेवार थे।
भावनात्मक शोषण और बालिका उपेक्षा
इस के आंकड़े निम्न प्रकार से हैं –
- भारत में हर दूसरा उत्तरदाता बच्चा भावनात्मक शोषण का शिकार है।
- सर्वेक्षण के अनुसार बालक और बालिका के समान प्रतिशत ने भावनात्मक शोषण का सामना करने की बात स्वीकार की थी ।
- 83 प्रतिशत मामलों में बच्चों के माता-पिता ही शोषक बने थे।
- 48.4 प्रतिशत लड़कियों ने कहा कि वे लड़के होते तो अच्छा होता ।
दुनिया भर में बच्चों के शोषण के मामलों पर एक नजर
अब हम दुनिया भर में और इसके साथ साथ भारत में बच्चों के शोषण पर एक नजर डालते हैं –
बाल शोषण की भारत में स्थिति
नोएडा के निठारी कांड की पृष्ठभूमि में यूनीसेफ, स्वयंसेवी संगठन प्रयास और सेव द चिल्ड्रन द्वारा भारत के 13 राज्यों में 5 से 12 साल की उम्र के करीब 12,447 बच्चों पर किए गए सर्वे के नतीजे इस प्रकार से हैं –
- भारत में कुल बच्चों में से करीब 53 फीसदी से ज्यादा बच्चे शोषण का शिकार हैं।
- बच्चों का शारीरिक, यौन और भावनात्मक तीनों तरह से शोषण हो रहा है।
- ज्यादातर बच्चे अपने साथ हो रहे शोषण को छुपा लेते हैं या डर के मारे किसी को बताते नहीं हैं।
- देश के हर तीन में से 2 बच्चों को शारीरिक प्रताड़ना मिलती है। इनमें लड़कियों की तुलना में लड़के ज्यादा होते हैं।
- सबसे ज्यादा बाल शोषण आंध्रप्रदेश, बिहार, असम और दिल्ली में हो रहा है।
- प्रताड़ना और शोषण के करीब 50 फीसदी मामलों में शोषण करने वाला बच्चे का करीबी होता है। इनमें माता-पिता, अन्य रिश्तेदार, पड़ोसी, शिक्षक और साथी होते हैं।
- करीब 65 फीसदी स्कूली बच्चे शिक्षकों की प्रताड़ना का शिकार होते हैं। इनमें पिटाई के ज्यादातर मामले सरकारी स्कूलों में होते हैं।
- पारिवारिक प्रताड़ना के करीब 88 फीसदी मामलों में खुद मां-बाप सीधे तौर पर जिम्मेदार होते हैं।
- यौन शोषण के मामलों में 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे दुष्कृत्य से लेकर जबर्दस्त चुंबन का शिकार बनते हैं।
- सर्वे में 18 से 24 साल के 2,324 युवाओं को भी शामिल किया गया। इनमें से लगभग आधों ने बताया कि उनका बचपन में शारीरिक, यौन या भावनात्मक शोषण हुआ था।
दुनियां भर में बाल शोषण की स्थिति
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के बाल सुरक्षा मामलों के सहयोगी पाउलो सर्गियो पिन्हेरिओ ने दुनिया भर के 133 देशों में बच्चों की स्थिति पर अध्ययन कर चौंकाने वाले निष्कर्ष निकाले हैं जो इस प्रकार से हैं – (बाल शोषण के प्रकार स्थिति और आंकड़े)
- दुनिया भर में 20 से 65 फीसदी स्कूली बच्चे शारीरिक प्रताड़ना के शिकार हैं।
- स्कूल छोड़ने वाले ज्यादातर बच्चों में भी यही प्रताड़ित बच्चे होते हैं।
- दुनिया में करीब 12 करोड़ 60 लाख से ज्यादा बाल श्रमिक, शारीरिक, मानसिक और यौन प्रताड़ना का शिकार हैं।
- अनाथ आश्रमों, सुधार गृहों और ऐसी ही संस्थाओं में पलने वाले ज्यादातर बच्चे हर तरह के शोषण का शिकार होते हैं।
- ज्यादातर मामलों में उनकी देखभाल करने वाले ही उनके शोषक बनते हैं।
- दुनिया भर में हर साल करीब 15 करोड़ लड़कियां और 7 करोड़ 30 लाख बच्चे बलात्कार से लेकर यौन हिंसा की हर तरह की पीड़ा के शिकार बनते हैं।
- ज्यादातर मामले परिवार या पास-पड़ोस के ही होते हैं।
- शोषणकर्ता परिवार के सदस्य, पड़ोसी, परिचित, रिश्तेदार, शिक्षक, स्कूली साथी और नियोक्ता होते हैं।
- आज के हालात में करीब 27 करोड़ 50 लाख से ज्यादा बच्चे घरेलू हिंसा के शिकार हैं।
- हर साल दुनिया में 50 हजार बच्चे आतंकी घटनाओं व नरसंहारों में मारे जाते हैं और 20 लाख से ज्यादा घायल होते हैं।
- दुनिया के मात्र 16 देशों में मासूमों के प्रति होने वाली हर तरह की हिंसा पर प्रतिबंध है। दुनिया के बाकी देशों में कोई विशेष कानून नहीं हैं ।।
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