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संतुलित आहार क्या है ?

संतुलित आहार क्या है ? – डायटिंग की गलत धारणाएं 

क्सर लोग सवाल करते हैं कि एक आदर्श संतुलित आहार क्या है ? विशेष कर जबकि पिछले वर्षों में आदर्श भोजन की अव धारणा लगातार बदली है। दर असल वर्तमान में जब हम संतुलित आहार के बारे में बात करते हैं तो न सिर्फ आहार के अवयवों की बहुत सूक्ष्म स्तर पर चर्चा करते हैं, बल्कि भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया और समय की भी उतने ही सूक्ष्म स्तर पर बात करते हैं। एक संतुलित आहार में वे सारे तत्व शामिल होने चाहिए जो शरीर को स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। आईये जानते हैं संतुलित आहार क्या है ? और डायटिंग की गलत धारणाएं ।

संतुलित आहार (Balanced diet)

भोजन में सभी अवयव होने चाहिए जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा । इनका अनुपात व्यक्ति की प्रकृति पर निर्भर करता है और उम्र पर भी। उदाहरण के लिए पित नर्मा प्रकृति के व्यक्ति, बॉडी बिल्डर, गर्भवती स्त्रियां और बढ़ते हुए बच्चों को अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसी तरह से वात प्रकृति के लोग कफ या पित्त प्रकृति के लोगों की तुलना में अधिक तेल जज्ब कर सकते हैं।

संतुलित आहार में सभी रस या स्वाद भी होने चाहिए जिससे कि भोजन करने के बाद भावनात्मक संतुष्टि मिले। पांच रस होते हैं, नमकीन, मीठा, खट्टा, स्वादहीन, कड़वा । इन्हें पाया जा सकता है पालक, पत्ते वाली सब्जियों (नमकीन), सारे फल (मीठा), सलाद ( स्वादहीन), सिट्रस फल (खट्टा ), मेथी के बीज, करेला इत्यादि (कड़वा)में । ये रस केवल भोजन की संतुष्टि ही नहीं देते, बल्कि संगठक संतुलन को भी बनाए रखते हैं। भोजन व्यावहारिक तौर पर जितना हो सके उतना प्राकृतिक होना चाहिए । ज्यादा प्रक्रियाएं भोजन की गुणवत्ता को नष्ट करने के साथ फाइबर के भाग को कम करती है

संतुलित भोझन करने के तरीके

भोजन को  छोटे अंतरालों में लिया जाना चाहिए जिससे कि ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह बना रहे । सारी कैलोरी एक ही बार में खाना उतना ही घातक हो सकता है जितना कि सही आहार न लेना। भोजन को पकाया भी इस तरह जाना चाहिए कि वह स्वास्थ्य वर्धक हो । ज्यादा पकाई गई सब्जियां और तला भोजन स्वास्थ्य के लिए हानि कारक होता है। वर्षों के बढ़ने के साथ भोजन की मात्रा कम होती जानी चाहिए जिससे कि घटते हुए मेटाबॉलिज्म के साथ एक संतुलित ऊर्जा स्थिति बनी रहे और वजन न बढ़े। भोजन में एंजाइमयुक्त और एंजाइमविहीन अवयवों का सही संतुलन होना चाहिए। पका हुआ भोजन एंजाइम विहीन है। जबकि फल,सलाद, अंकुरित अवयव सब्जियों का रस आदि एंजाइमयुक्त भोजन होते हैं।

मोटापे की वजह

 वजन घटाने की आवश्यकता इन दिनों वैश्विक स्तर पर एक जरूरत बन गई है। समस्या सिर्फ अच्छा दिखने तक सीमित नहीं है। यदि अकेले भारतीयों के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रत्येक चार वयस्क शहरी भारतीयों में से एक मोटापे का शिकार है। इसकी वजह में खान पान की गलत आदतें, वर्जिश की कमी और अनुवांशिकी शामिल हैं। मीठे से परिपूर्ण, स्टार्चयुक्त व रिफाइंड खाद्य पदार्थ इन दिनों शहरी भोजन का प्रमुख हिस्सा हैं। ये सब मिलकर शरीर में खतरनाक लिपिड की मात्रा बढ़ा रहे हैं। साथ ही टेबल-कुर्सी तक सीमित नौकरियों के साथ मशीन और यंत्रों पर निर्भर आधुनिक जीवनशैली ने रोजाना के व्यायाम को सीमित कर दिया है।

यदि अनुवांशिकी की ओर देखें तो भारतीयों में उदर या आंतों पर वसा के एकत्रित होने की प्रवृत्ति अधिक होती है जो कि खतरे के कारकों को बढ़ाते हैं। दूसरी प्रजाति के लोगों की तुलना में भारतीय उनसे कम वजन में मोटापे के हानि कारक प्रभावों का सामाना करते हैं। मोटापा न सिर्फ अधिकतर बीमारियों का जन्मदाता है। चौका देने वाला तथ्य यह है कि धूम्रपान के बाद मोटापा सबसे लाइलाज बीमारियों  की सूची में दूसरा स्थान प्राप्त कर चुका है। संबधित बीमारियों और खतरों पर नजर डालें तो इनके प्रमुख कारण जो निकल कर सामने आते हैं उन पर एक – एक करके नजर डालते हैं –

1- पुरानी बीमारियां

भारत अब संक्रमित बीमारियों की अपेक्षा पुरानी बीमारियों की ओर ज्यादा बढ़ता नजर आ रहा है। इनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग शामिल हैं, मोटापा इनका प्रमुख कारक बन रहा है।

2- रक्तचाप

विशेषज्ञ कहते हैं कि शहरी आबादी भारत में 80 प्रतिशत भोज्य तेल का सेवन कर रही है। यह उच्च रक्तचाप और आघातों का विशेष कारण बन रहा है।

3- हृदय रोग

दूसरी मनुष्य प्रजातियों के मुकाबले भारतीय कम शारीरिक वजन होने पर भी हृदय रोग का शिकार होते हैं।

4- मेटाबॉलिक सिंड्रोम

1/4 वयस्क शहरी भारतीय मेटाबॉलिक सिंड्रोम का शिकार हो रहे हैं जो कि डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग को जन्म देता है।

5- मधुमेह

भारत में 70 प्रतिशत मधुमेह की समस्या मोटापे से जुड़ी हुई है। आपके पूरे जीवनकाल में केवल मधुमेह अकेला  6 विशेषज्ञों की अपेक्षा करता है ।

6- ऑर्थराइटिस (जोड़ों का दर्द) व यकृत की बीमारी

ज्यादा वजन जोड़ों को तकलीफ  देता है साथ ही यकृत (लिवर) को भी नुकसान पहुंचाता है।                                                            (संतुलित आहार क्या है ?)

वजन बढ़ने के प्रमुख कारण

वजन घटाने को लेकर पूरी दुनिया भर में शोध हो रहा है। जिनमें सबसे आधुनिक निष्कर्ष न्यूटी जेनेटिक्स है। हर व्यक्ति आनुवांशिक तौर पर भिन्न है और भोजन का हर व्यक्ति पर उसके आनुवांशिक ढांचे के आधार पर असर पड़ता है, न्यूट्री जेनेटिक्स इसी तथ्य पर आधारित है। सरल तरीके से कहा जाए तो एक ही ब्रेड का टुकड़ा आपको ऊर्जा दे सकता है। वही टुकड़ा किसी व्यक्ति के लिए हाइपर इंसुलिन प्रतिक्रिया बन कर वसा के रूप में जमा हो सकता है।

जैसा हम बहुत से लोगों ने पाया है कि कुछ लोग दूध पीते है तो हल्का और ऊर्जावान महसूस करते हैं वहीं दूसरे कुछ लोग उसी दूध से अपना पाचन खराब और उनींदा पाते हैं। प्रतिक्रियाओं में यह अंतर इसी आधार पर है कि हर व्यक्ति का शरीर भोजन पर अलग-अलग प्रतिक्रिया देता है।                                            (संतुलित आहार क्या है ?)

वजन घटाने के लिए न्यूट्री जेनेटिक्स का प्रयोग पोषण के क्षेत्र में अब तक का सबसे विकसित विचार है। इसके अंतर्गत विशेषज्ञ /डॉक्टर और पोषणविद आपकी बायोएनर्जी यानी आयुर्वेद के अनुसार प्रकृति जो कि आपका आनुवांशिक स्तर जांचती है और आपके भोजन लेने के तरीके को भांपते हैं। फिर आपकी जरूरतों को जांचा जाता है।

डायटिंग की गलत धारणाएं

यह आश्चर्यजनक है कि जिस तेजी से डाइटिंग करने वालों की संख्या बढ़ रही है, पर वजन नियंत्रित करने में उनकी सफलता का दर उससे कहीं धीमी गति पर है। डाइटिंग कर रहे लोगों के बीच ऐसी बहुत सी गलत धारणाएं बनी हुई हैं, जिनसे अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते। एक मनोवैज्ञानिक बीमारी एनोरेक्सिया नवोंसा डाइटिंग के प्रति इतना ज्यादा मोड़ देती है कि बीमार हर चीज से बचना चाहता है। उसे लगता है जैसे कुछ भी खाया तो मोटापा बढ़ जाएगा। युवतियों में आदर्श फिगर के फैशन के चलते इसके बीमार बढ़ रहे हैं। डाइटिंग को लेकर कई गलत धारणाएं हैं  उसके चलते आहार में गलत बदलाव कर लिए जाते हैं जैसे –                                                                (संतुलित आहार क्या है ?)

  • दिनभर उपवास रखकर रात में एक बार भोजन खाना।
  • अंकुरित अनाज उस दिन खाना जब आप पका हुआ खाना भी खा रहे हैं। दोनों का संयोग वजन बढ़ाता है।
  • जूस और नारियल पानी अधिक पीना। जूस शक्तिवर्द्धक होता है जबकि नारियल पानी गुर्दे के लिए ठीक है, वजन घटाने के लिए नहीं।
  • अलग-अलग तरह के डाइट फूड का उपयोग krna  जैसे डाइट चॉकलेट, डाइट फिजी ड्रिंक्स, डाइट कुकीज का सेवन करना
  • बहुत ज्यादा दूध पीना और डेयरी उत्पाद जैसे दही, पनीर पर ही निर्भरता। डेयरी के उत्पाद सभी खून के वर्गों को सुविधाजनक नहीं रहते। इससे उत्सर्जन तंत्र भी प्रभावित होता है। महिलाओं के लिए रात में सूप पीना सही नहीं है, क्योंकि इससे पानी का जमाव होता है और वजन कम होने से रुकता है।
  • दालें अगर रात में खाई जाएं तो पाचन के लिए भारी हो जाती हैं और कैलोरी के तौर पर जमा हो जाती हैं।
  • अधिकतर लोग दालों को प्रोटीन समझते हैं, जबकि उनका 60-70 प्रतिशत का वजन कार्बोहाइड्रेट ही होता है।
  • प्रायोगिक डाइटिंग जैसे लगातार सात दिनों तक सिर्फ फल सब्जियों का आहार लेना और फिर सामान्य आहार पर आना वजन को फिर से तेजी से बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।
  • हमेशा वजन के प्रति चिंतित होने का कोई अर्थ नहीं। जितना आप चिंता करेंगे उतना ही वजन घटाओ कार्यक्रम कमजोर होगा।

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