Brain surgery – ब्रेन सर्जरी अब बिना सर्जरी के –
दुनियां में हार्ट अटैक और कैंसर के बाद सबसे जायदा लोग ब्रेन स्ट्रोक से ही मरते हैं। लेकिन समय बीतने के साथ – साथ अन्य चिक्तिसक बदलावों की तरह Brain surgery में भी क्रान्ति कारी बदलाव आएं हैं । अब बिना सर्जरी के ब्रेन स्ट्रोक का इलाज सम्भव हो गया है। आईये विस्तार से इस बारे में जानते हैं :-
नए तरीके से इलाज –
चिकत्सीय छेत्र में पिछले कुछ वर्षों से एक अच्छी खबर आयी है। चिकित्सक अब दिमाग की ओपन सर्जरी किए बगैर पहले की तुलना में ब्रेन स्ट्रोक के कारणों को कहीं ज्यादा अच्छी तरह से खोजकर उसका इलाज कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में इन नई तकनीकों को धमनियों के माध्यम से दिमाग में पहुंचाया जाता है और शक्तिशाली ब्रेन स्केन के मार्ग दर्शन में दिमाग की बाधित रक्त वाहिकाओं को पहचानना या कमजोर वाहिकाओं को मजबूती देना आसान होता है। बिना सर्जरी की इस प्रक्रिया को मिनिमल इंवेसिव या एंडोवेस्कूलर ट्रीटमेंट भी कहा जाता है । Brain surgery – ब्रेन सर्जरी अब बिना सर्जरी के
इस पद्धति को एक साल में 100 से अधिक मरीजों पर आज़माने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन हेल्थ सिस्टम के चिकित्सकों ने पाया कि इससे कई मरीजों में स्ट्रोक का खतरा कम हुआ है। नए विकल्पों में दिमाग की बाधित रक्त वाहिकाओं को खोलने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया पहला विकल्प विंगस्पेन इंट्राक्रेनीअल स्टेंट कहलाता है। यह एक छोटी वॉयर मेस ट्यूब होती है। इसे पैर में चीरा लगाकर डाला जाता है, जो रक्त वाहिकाओं से गले में होता हुआ दिमाग में प्रवेश करता है। इस यंत्र के माध्यम से यू-एम टीम ने उन लोगों का इलाज किया जो अभी तक स्टोक से पीड़ित नहीं हुए या जिन्हें मिनी स्ट्रोक पड़ चुके हैं। जिसे टीआईए भी कहा जाता है। यह यंत्र उन लोगों के लिए बनाया गया है जो इंट्राक्रेनीअल स्टेनॉसिस या केरेब्रल एथ्रोस्क्लेरोसिस की स्थिति से ग्रसित होते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक का कारण –
अतिरिक्त स्ट्रोक का दूसरा सबसे बड़ा कारण है रक्त वाहिनियों का फटना, जिसके कारण दिमाग के अंदर बहुत ज्यादा रक्तस्राव (ब्रेन हैमरेज) होता है और दिमाग को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। अक्सर वाहिनियां कमजोर दीवार की जगह से फटती है। आमतौर पर रक्त वाहिनियों की आंतरिक दीवार की सबसे कमजोर जगह बल्जिंग स्पॉट कहलाती है, जिसे एन्यूरिज्म या अनियमित वाहिनियों का उलझा हुआ जाल यानी आर्टरियोवेनरस मेलफॉर्मेशन या एवीएम भी कहते हैं। एन्यूरिज्म को हटाने की क्रिया में लगभग आधे मरीज ही बच नहीं पाते। लेकिन नई पद्धतियों से इसका सुरक्षित इलाज संभव है। इसका उदाहरण है स्टेंट या ट्यूब जो एन्यूरिज्म को सील करने के लिए उसमें डाले गए कॉइल को मजबूती देता है। एवीएम के मरीजों के लिए एक अन्य तकनीक भी उपलब्ध है, लिक्विड मैटेरियल या ऑनिक्सा इसे एवीएम के मरीजों में रक्त वाहिनियों के माध्यम से सीधे दिमाग में पहुंचाया जाता है। यह बहुत तेजी से रक्त प्रवाह को रोकता है और इस प्रक्रिया के बाद अगर आवश्यक हो तो एवीएम को बहुत सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला जा सकता है।
फैक्ट संख्या एक –
एक अध्ययन के अनुसार 1,00,000 की जनसंख्या में लगभग 100 से 268 लोग ब्रेन स्ट्रोक से ग्रसित होते हैं। इनमें से लगभग 20 प्रतिशत हृदय रोग से ग्रसित लोगों में इसकी संभावना ज्यादा होती है।
फैक्ट संख्या दो –
ब्रेन स्ट्रोक के इलाज से ठीक हुए मरीजों में 70 प्रतिशत में विकलांगता के लक्षण आ जाते हैं और बाकी 30 प्रतिशत लोगों को दैनिक दिनचर्या के लिए किसी सहयोगी की सहायता लेनी पड़ती है ।।
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