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Piggy Bank

Piggy Bank – गुल्लक

नोवैज्ञानिक अवधारणा के मुताबिक मुसीबतों में जमा की गई छोटी से छोटी चीज भी जबरदस्त  समृद्धि के दौरान हासिल की गई अकूत दौलत से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, इसलिए हमेशा उन क्षणों को याद रखना चाहिए, जब आपने कठिनतम परिस्थितियों में एक सिक्का बचाया था। बचत के पारंपरिक साधनों में से एक बेहद लोकप्रिय साधन  है हमारी प्यारी  गुल्लक जिसे हम Piggy Bank भी कहते हैं । आज हम इसी Piggy Bank – गुल्लक के बारे में बात करते हैं :-

गुल्लक का महत्व

मुझे वह दिन याद है जब हम दोनों साथ बैठे हुए थे और समस्या एक ही थी- रुपयों की। पिताजी का एक गंभीर ऑपरेशन होना था। खबर तो घर भर में एक उदासी की तरह तैर रही थी, लेकिन मैं और मेरे पति एक ही बात पर परेशान थे- पैसों का इंतजाम पिता जी कहते नहीं थे और मां में एक खास किस्म का स्वाभाविक स्वाभिमान था। जाहिर है, चाहते सभी थे कि अपनी तमाम जरूरतों पर लगाम लगा लें, खाते खंगाल लें और जरूरत हो तो गांव की जमीन को बेच भी दें। छोटे भैया, इसके लिए अप्रत्यक्ष रूप से नाराजगी जता चुके थे। वे नहीं चाहते थे कि जमीन बिके, हालांकि उनके पास खुद कोई ऐसा संसाधन या नौकरी नहीं थी कि वे पूरे काम में मदद भी कर पाते। हालांकि जाने-अनजाने एक बात हम यह भी महसूस कर रहे थे कि छोटे भैया की पत्नी और बाकी रिश्तेदार मेरे पति के सबसे बड़े बेटे होने के फर्ज के बहाने अधिकाधिक दबाव डाल रहे थे। हालांकि हम सब जानते हैं कि यह सहज है। हम सभी अपने माता। पिता से एक सा प्यार करते हैं और किसी भी वक्त किसी भी राशि का इंतजाम जैसे माता-पिता अपने बच्चों के लिए करना चाहते हैं, वैसे ही बच्चे भी माता पिता के लिए अपनी संवेदनाओं के साथ तैयार रहते हैं।

हमारा घर उन दिनों तनाव में ही था। फैसला जल्दी करना था और हम दोनों इस विचार-विमर्श में लगे रहते थे कि सबकी इच्छाओं का सम्मान भी रह जाए और धन भी जुट जाए। पता नहीं कैसे मेरी छोटी बच्ची ने इस ताप को महसूस किया  होगा। एक दिन अचानक, जब हम दोनों गुमसुम बैठे थे, कि वह आई और उसने अपना छोटा सा गुल्लक फोड़ दिया, ‘क्या यह काम नहीं आ सकता मम्मी?’ उसने बेहद सरल अंदाज में पूछा। न कोई नमी, न कोई आग्रह, न कोई बोझ-बस एक हल, सीधा-सा! हम हैरान रह गए! हमने वे पैसे जमा किए और कहा, ‘जरूर इतने ही तो कम पड़ रहे थे। अब काम पूरा हो जाएगा।’ बेटी खुश हुई और घर पूरा खुशियों से नहा उठा। इस बात ने हमें ऊर्जा दे दी और बाद की कहानी तो अब हमारा मन ही महसूस कर सकता है। दरअसल, व्यवहार और भावनाएं जब टकराती हैं तो गुल्लक ही हमें बचाता है।

गुल्लक का इतिहास

मैंने एक लेख पढ़ा था लोरेदाना वक्कारी का। वह किसी अमेरिकी पत्रिका में छपे लेख का रूपांतर था। उसके प्रति मेरे मन में आकर्षण सिर्फ इसलिए है कि ‘गुल्लक’ नामक चीज ने हमें वास्तविक मनुष्य बनने की घटना का साक्षी बनाया था। लेख बताता है कि आदिकाल से मनुष्य असल का सामना करने के लिए अपने उपयोग की वस्तुओं का संग्रह करने की सोचता रहा है। वस्तुओं के भंडारण और इस दृष्टि से अपने तात्कालिक उपभोग में कटौती कर के भविष्य के लिए बचाने की प्रवृत्ति ने ही मनुष्य को बचत करना सिखाया है। अंततः इस संग्रह का स्थान मुद्रा ने ले लिया और मनुष्य धातु के बने विशेष पात्रों में अपनी बचाई हुई मुद्राओं को रखने लगा। बचत को सुरक्षित रखने की इस आवश्यकता से ही गुल्लकों और तिजोरियों का जन्म हुआ और इसका इतिहास भी 2,000 वर्ष से अधिक पुराना है।

गुल्लक/ Piggy Bank का सबसे पुराना नमूना एशिया के पश्चिमी छोर वाले प्रायद्वीप के ऐतिहासिक यूनान नगर प्राथीनी में पाया गया। इसका काल ईसा पूर्व पहली या दूसरी शताब्दी आंका गया है। दक्षिण इटली की छोटी-छोटी जगहों तथा राइन नदी के पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों में रोमन युग (ईसा उपरांत पहली, दूसरी और तीसरी शताब्दी) के गुल्लक भी मिले हैं। इनमें से लगभग सभी गोलाकार हैं और मिट्टी को ) पकाकर बनाए गए हैं। इनके गोल आकार का संबंध माता के स्तनों से हैं जो उर्वरता के प्रतीक हैं।

यों मध्य युग से लेकर 17वीं शताब्दी के आरंभिक काल तक गुल्लकों का स्वरूप प्रतीकात्मक न होकर न्यूनाधिक रूप से उपयोगिता पर ही आधारित था। जैसे छोटी या बड़ी मंजूषाएं, धानियां, छोटी तिजोरियां, संदूकची आदि। 15वीं 16वीं शताब्दी में ये पिटवां लोहे या लोहे की चादरों के बनाए जाते थे और अक्सर उन पर रंग कर दिया जाता था अथवा चमड़े या लकड़ी का अस्तर लगा दिया जाता था। धन की सुरक्षा के लिए इनमें बड़े कौशल पूर्ण ढंग से बने अलंकृत ताले लगा दिए जाते थे। अधिकांश मामलों में ढक्कन तथा मंजूषा के बीच की दरार से पैसा न गिरने देने की दृष्टि से पतली जंजीर या फिर चमड़े का फीता लगा दिया जाता था। ये मंजूषाएं न केवल बचत को रखने के लिए प्रयुक्त होती थीं, बल्कि चोरी चकारी से धन को बचाने का साधन भी थीं।

अतीत में एक लंबे समय तक इनकी एक ‘सामूहिक’ भूमिका भी थी। शिल्पियों या व्यापारियों के निगमों के निजी कोषों को इनमें शरण’ मिलती थी अथवा इनका उपयोग समुदाय के गरीबों, रोगियों, विधवाओं और अनाथों की सहायता के लिए तिजोरी के तौर पर भी होता था। या फिर ये गिरजा घरों या ईसाई मठों में आने वाले चढ़ावों के लिए दान पेटी के रूप में प्रयुक्त होते थे। 17वीं शताब्दी में हॉलैंड जब आधुनिक युग का महानतम वाणिज्य केन्द्र बन गया तो उस नवागत संपदा ने अपना प्रभाव इन गुल्लकों पर भी दिखाया। इस युग में चांदी के मूल्यवान गुल्लकों का प्रचलन हो गया और शीघ्र ही इनका प्रसार समस्त यूरोप में हो गया।

गुल्ल्क के विभिन्न रूप

19वीं सदी में Piggy Bank  /गुल्लकों की तादाद में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई। वस्तुतः यह एक औद्योगिक युग था और इसमें निर्धन वर्गों में धन के अभाव के कारण बचत कर उसे जमा करने की प्रवृत्ति का विकास हुआ था। इस काल में समृद्धि, खुशहाली और संपत्ति के प्रतीक स्वरूप मुर्गी, गिलहरी, मधुमक्खी या खरगोश की आकृति के गुल्लक पुनः दिखाई पड़ने लगे। इस प्रकार जीव-जंतु की आकृतियों की बाढ़ मूलतः फ्रांस में ही सबसे ज्यादा आई जहां इस प्रकार के गुल्लकों का निर्माण औद्योगिक स्तर पर होने लगा। सौभाग्य और मितव्ययिता के प्रतीक रूप में सभी यूरोपीय देशों में एक अन्य जंतु की आकृति को विशेष सफलता मिली और वह भी शूकर की। इस आकार के गुल्लक विभिन्न रूपों और सामग्री के साथ बहुत व्यापक स्तर पर उत्पादित होने लगे। पर इस व्यापक उत्पादन के साथ-साथ हम बड़े ही कल्पनाशील ढंग से रचित अत्यंत परिष्कृत गुल्लक भी देखते हैं, जो उस युग के ऑस्ट्रिया के वियना तथा जार युगीन रूस के सुनारों ने गढ़े थे। संयुक्त राज्य अमेरिका में भी गुल्लक बनते थे, लेकिन अपने मौलिक रूपाकार के कारण वे यूरोप के गुल्लकों से भिन्न होते थे। इनमें बहुधा जटिल यांत्रिक व्यवस्था भी सुलभ होती थी।

गुल्ल्क का आधुनिक रूप

अमूमन देखा गया है कि बच्चे गुल्लक/Piggy Bank को इसलिए पसंद करते हैं कि उनमें वे अपनी प्राप्ति को सुरक्षित रखने का मनोवैज्ञानिक संतोष पाते हैं। पहले जन्मदिन पर गुल्लक देने की एक परम्परा भी थी। कई परिवारों में पारम्परिक गुल्लक पाए जाते हैं। आजकल भिन्न-भिन्न किस्म के जानवरों और गुड़ियाओं से बने गुल्लक बनाए जाते हैं। कुछ तो ऐसे होते हैं, जो सिक्का डालते ही मुस्कराते हैं, लेकिन अब पहले जैसा बचत का महत्व नहीं रहा। अक्सर जेब खर्च विलासिता या प्रदर्शन का हिस्सा बना दिया जाता है। महानगरीय परिवारों में बचत को मानवीय या भावनात्मक गुण कहने की बजाय तिरस्कृत करने का चलन बन गया है। जैसे-जैसे जीवनशैली बदली है बचत हमें सिर्फ बैंकों की याद दिलाती है। मजेदार बात यह है कि बैंक भी उधार के क्रेडिट कार्ड की वजह से याद आते हैं। आज की बेटी गुल्लक फोड़कर आपको कुछ भी दे तो कैसे, आपने उसे कौनसा गुल्लक / Piggy Bank  दे दिया है?

गुल्ल्क के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • कई सर्वेक्षण बताते हैं कि एशियाई स्त्रियों में बचत की अनिवार्य आदत होती है। वे घर के स्वाभिमान की रक्षा के प्रति अधिक सजग होती हैं। इसके लिए कई बार वे जरूरी खर्चों को काटकर भी भविष्य के लिए एक प्रेम भरा गुल्लक हमेशा बचाए रखती हैं।
  • यूनानी युग के प्रस्तर गुल्लक मंदिरों में रखे रहते थे। रोमन युग के मिटटी के गुल्लक ईसा के बाद प्रथम से तीसरी सदी के बीच के पाए गए है। जर्मनी में कांस्य है गुल्लक होते थे जिनके ढक्कन पर मालिक का नाम खुदा होता था।
  • 17वीं सदी में हॉलैंड के डेल्फ्ट के चीनी मिट्टी के इतालवी कारीगरों ने जो गुल्लक बनाया उसके ऊपरी भाग में छोटे और मध्य में बड़े सिक्के डाले जाते थे।
  • एक प्राचीन अमेरिकी गुल्लक मिला है जिसमें यह व्यवस्था थी कि डेंटिस्ट के जेब में पैसा पड़ते ही वह पीछे पलट जाता था और रोगी इलाज के लिए लेटी हुई अवस्था में आ जाता था।
  • विदेशों में सूअर के आकार के बच्चों सहित बने हुए गुल्लक परम्परा से लोकप्रिय हैं, क्योंकि इन्हें उर्वरता का प्रतीक माना जाता है।

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