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जुए का इतिहास और आधुनिक रूप में जुआ

 जुए का इतिहास और आधुनिक रूप में जुआ – History of gambling and gambling in modern form

   जुए का इतिहास और आधुनिक रूप में जुआ –

History of gambling and gambling in modern form –  

                                                                                        जु  प्राचीन काल से ही लोकप्रिय रहा है और किसी न  किसी रूप में आज भी लोकप्रिय है । दीवाली हो या कोई ख़ुशी का  अन्य मौका या किसी मनोरंजन करने का मौका हो हमारे जीवन में जूआ किसी  न किसी रूप में हमारे बीच आज भी मौजूद है  आज  हम जूए के इतिहास और जूए के आधुनिक रूपों के साथ साथ जूए के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं । क्या है जुए का इतिहास और आधुनिक रूप में जुआ History of gambling and gambling in modern form .

 

 

जूए का भारत में इतिहास :-

                              जुआ (gambling) एक अति प्राचीन खेल है। भारत में जुए का खेल अक्षक्रीड़ा या अक्षद्यूत के नाम से विख्यात रहा है। जूआ वेद  काल से लेकर आज तक यह भारतीयों का अत्यंत लोकप्रिय खेल रहा है। ऋग्वेद के एक प्रख्यात सूक्त 10/34 में कितव (जुआड़ी) अपनी दुर्दशा का रोचक चित्र खींचता है कि जुए में हार जाने के कारण उसकी भार्या तक उसे नहीं पूछती, दूसरों की बात ही क्या है ?

                                   महाभारत जैसा प्रलय कारी युद्ध भी अक्ष क्रीड़ा (जूए ) के कारण ही  हुआ था। पाणिनि की अष्टाध्यायी तथा काशिका के अनुशीलन से अक्षक्रीड़ा के स्वरूप का पूरा परिचय मिलता है। पाणिनि उसे आक्षिक कहते हैं। पतंजलि ने सिद्धहस्त द्यूतकर के लिए अक्षकितव या अक्षधूर्त शब्दों का प्रयोग किया है  इसके आलावा प्राचीन ग्रंथों में जूआ सबसे पुराने दुर्गणों के रूप में वर्णित है । मनु , याज्ञवल्क्य आदि नें राजाओं के लिए दिशा निर्देश लिखे हैं जिनके मुताबिक़ जूआ राज्य के  लिए वर्जित होना चाहिए। उन्होंने इसे खुलेआम चोरी कहा है। ऋग्वेद में एक जुआरी के रुदन का उल्लेख है। अथर्ववेद में भी इस खेल आ के प्रकार, दांव लगाने और पासों एवं ग्लह का उल्लेख है। शास्त्रों में तो राजाओं के लिए जुआ पूरी  तरह वर्जित कहा गया है क्योंकि इससे वे पथभ्रष्ट हो सकते हैं।

 

जूए का अंतर्राष्ट्रीय इतिहास :-

                                                         दुनिया भर में जुए के कई रूप प्रचलित हैं।  और इनमें भी कानूनी और गैर-कानूनी दोनों ही रूप प्रचलित हैं। सबसे ज्यादा लोकप्रिय है इसका सबसे पुराना रूप पासे या गोटी से दांव लगाना। नृतत्व शास्त्रियों को मिस के पिरामिडों में हुए उत्खनन से करीब चार हजार साल पहले इस खेल के अस्तित्व के महत्वपूर्ण प्रमाण मिले हैं । इसके अलावा पासे और गोटियां भी मिली हैं। मकबरे में एक भित्तिचित्र भी मिला है, जिसमें मिस्र  की विख्यात महारानी नेफरतिति को यह खेल खेलते हुए दर्शाया गया है। बाइबल में भी कुछ संदर्भो में जुआ खेलने के बारे में उल्लेख मिलते हैं। रोम में भी प्राचीन काल से ही जूआ खेलने के सबूत मिलते हैं ।

दीपावली से जूए का संबंध :-

                                                    शदियों से दिवाली और जूए का घनिष्ठ संबंध रहा है । महाभारत के उद्योग पर्व में कहा गया है-‘ अक्षद्यूतं महाप्राज्ञ सतां मति विनाशम् । असतां तत्र जायन्ते भेदाश्च व्यसनानि च।’ द्यूत समान च् पाप कोई नहीं। यह समझदार की बुद्धि फेर सकता है। अच्छा व्यक्ति बुरा बन सकता है। दीवाली के साथ जुए का उल्लेख महज परम्परा या रस्मो-रिवाज नहीं है, बल्कि इन दोनों में बहन-भाई का रिश्ता है। दरअसल ये दोनों शब्द एक ही कोख से जन्मे हैं, इसलिए सहोदर सम्बन्ध तो स्थापित हुआ न । दीपावली या दीवाली शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत धातु दिव् से हुई है। द्यूतक्रीड़ा, जिसे हिन्दी में जुआ कहा जाता है, जुए का जन्म भी इसी दिव्स से  हुआ है। दिव् से द्यूत और फिर जुआ यह रहा इसका विकास क्रम । दिव् का मतलब होता है दांव पर लगाना, चमकना, फेंकना, पासे चलना, हंसी-मजाक, परिहास करना, प्रकाश, उजाला आदि। दीया, प्रदीप, दीपक और दिव्य जैसे शब्द भी इसी श्रृंखला से बंधे हैं। दीपावली अपने पारम्परिक रूप में देशभर में पांच दिनों तक मनाई जिसमे से एक दिन जूए का होता है ।

 

 

जूए के आधुनिक रूप :-

                                                 समय के साथ साथ जूए के रूप भी बदल गए हैं आज हम जूए के आधुनिक रूपों के बारे में भी बात करते हैं :-

  1. घुड़ दौड़ 
  2. लाटरी 
  3. आन लाइन गेमिंग 
  4. कैसिनो

 

 

घुड़दौड़ :-

              यह भी जुए के अति प्राचीन प्रकारों में से एक है। इसका अस्तित्व करीब दो हजार सालों से है। घोड़ों को एक तयशुदा मार्ग पर दौड़ाने और उनके प्रदर्शन के आधार पर बोली लगाने की परम्परा दुनियाभर में मशहूर है और इसमें अरबों रुपयों का कारोबार होता है। अकेले अमेरिका में ही करीब दो सौ घुड़दौड़ ट्रैक है। मुंबई के महालक्ष्मी रेसकोर्स में घुड़दौड़ों के नियमित सत्र चलते हैं। अंग्रेजों के जमाने से लेकर आजादी के दो दशक बाद तक भारत में घुड़दौड़ लोकप्रिय थी, मगर बाद में दूसरे मनोरंजन के साधनों के आगे यह पिछड़ गई। अब फिर धीरे-धीरे इसकी तरफ लोगों का ध्यान जा रहा है। इसके अलावा बैलों की लड़ाई, मुर्गों की लड़ाई और बुलफाइटिंग जैसे खेल भी जुए की श्रेणी में ही आते हैं।

 

लॉटरी :-

              द्यूतक्रीड़ा  की ही तरह लॉटरी भी शासन के लिए राजस्व की कमाई का बड़ा जरिया रही है। दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि ज्यादातर लोकप्रिय सरकारें द्यूतक्रीड़ा का आयोजन अर्थात् कैसिनो खुद नहीं खोलती हैं बल्कि लाइसेंस के जरिए यह कारोबार निजी क्षेत्र को सौंप देती हैं और फिर टैक्स के जरिए कमाई करती हैं। दूसरी तरफ लॉटरी को अधिकांश देशों की और राज्यों की सरकारें साफ सुथरा मानती हैं और शौंक से इनका संचालन कर अरबों रुपए का राजस्व कमाती रही हैं। यूरोप में लॉटरी का सिलसिला करीब पांच सदी पहले शुरू हो चुका था। भारत में भी कई राज्य सरकारें लॉटरी चलाती रही हैं। पहले लॉटरी के मॉसिक ड्रॉ खुलते थे, फिर साप्ताहिक हुए, उसके बाद दैनिक ड्रॉ ने जोर पकड़ा। भारत में लॉटरी का दुखद पक्ष दैनिक ड्रॉ के बाद ही सामने आया। कई राज्य सरकारों ने इसे अपनाया और रातों-रात लखपति बनने की चाह में लाखों लोग इसके पीछे पागल हो गए। हजारों घर बर्बाद हो गए। लॉटरी के दुश्चक्र में फंसकर खुदकुशी करने वालों की तादाद भी हजारों में होगी। इसी कारण भारत में लाटरी बैन कर दी गयी है।

 

ऑनलाइन गेमिंग :-

                                   बीते कुछ सालों में जुए के इस प्रकार ने बहुत जोर पकड़ा है। ऑनलाइन खेल के लोकप्रिय होने का प्रमुख कारण है, उसका गोपनीय रहना। जुए से सामाजिक प्रतिष्ठा प्रभावित होने का खतरा बना रहता है, क्योंकि शौकीन व्यक्ति को सार्वजनिक तौर पर ऐसा करते देखे जाने का खतरा बना रहता है, मगर ऑनलाइन गेमिंग में ऐसा नहीं है। यहां न सिर्फ गोपनीयता की गारंटी दी जाती है, बल्कि इसमें सामूहिक हिस्सेदारी की भी जरूरत नहीं होती। इंटरनेट के माध्यम से भी लॉटरीअथवा जानवरों की दौड़ या फिर ताश के पत्तों के खेल में हिस्सा लेकर दांव लगाया जा सकता है। इस खेल के लती लोग जल्दी ही कई तरह की मनोवैज्ञानिक समस्याओं के शिकार हो जाते हैं। शुरू से ही  किसी न किसी रूप में जुआ हर देश में खेला चला जा रहा है ।

 

कैसिनो :-

                 आज से दो हजार साल पहले कैसिनो का भी अस्तित्व था। अकसर रोमन फौजी प्राकृतिक झरनों के किनारे अपनी थकान मिटाने के लिए डेरा डालते थे। ऐसे सुरम्य स्थानों पर ही उनके मनोरंजन के लिए चौपड़नुमा किसी खेल की व्यवस्थाएं रखी जाने लगीं। चारों ओर से घिरे, ढंके ये स्थान बाद में कैसिनो कहलाने लगे। बाद में सड़कों के किनारे बनने वाली आरामगाहों में भी ये खुलने लगे और न सिर्फ फौजियों बल्कि आम आदमी को भी ये आकर्षित करने लगे। कैसिनो में भी जुए के कई रूप प्रचलित हैं। मगर कैसिनो नाम से पहले जहन में रोलेट ही कौंधता है। कई तरह के खेल हैं, जो मशीनों से खेले जाते हैं। ताश के पत्तों से भी कई खेल हैं। जुए का इतिहास और आधुनिक रूप में जुआ

जुए और गैंबलिंग में रिश्तेदारी :- 

                                                                         अंग्रेजी में जुए को गैंबलिंग (gambling) कहते हैं, जिसका मतलब है समूह के  रूप में खेलना । यह बना है योरोपीय भाषा परिवार की गोथिक जबान के gamen से, जिसका मतलब है खेलना । मूलत: gambling जर्मनिक भाषा का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है ga और  meni ge  यानी सामूहिक और मैन यानी व्यक्ति । दिलचस्प बात यह है कि इसी शब्द समूह का एक अन्य शब्द है ग्ली (glee) है , जिसका मतलब भी आमोद-प्रमोद और खेल ही है। इस शब्द की द्यूतक्रीड़ा में प्रयोग होने वाले संस्कृत शब्द ग्लह से समानता देखिए। द्यूत में इसका अर्थ होता है, दांव पर लगाई जाने वाली राशि, जो जीतने वाले को ही मिलती है ।।

 

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