https://zindagiblog.com/zindagiblog.com
जिंदगी जीने के लिए ...
अधिक मीठा खाने के नुक्सान

अधिक मीठा खाने के नुक्सान – Side Effects of sweets in Hindi

मीठा खाना हम मे से किसी न किसी को बहुत पसंद होता है। मीठी चीज  खाने पर हमारा मन जल्दी भरता नहीं है बल्कि और मीठा खाने की इच्छा बढ़ती जाती है। लेकिन हम में से सभी के लिए मीठा खाना फायदेमंद नहीं होता है। जिन लोगो को शूगर की बीमारी होती है उन लोगों को मीठा खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मीठा खाने का प्रभाव विभिन्न लोगो पर भिन्न भिन्न होता  है। जो लोग कसरत  नहीं कर पाते है और वजन कम भी कम करना चाहते हैं तो उनको मीठा कम खाना चाहिए। अधिक  मीठा खाने से बीमारीयाँ  होने का जोखिम अधिक बना रहता है। मीठा खाने को लेकर हम में से बहुत से लोगो में कई तरह के सवाल होते होंगे होंगे। उनके मन में ये सवाल दौड़ते होंगे कि मीठा के फायदे क्या हैं ? और नुकसान क्या हैं ? चलिए आपके इन्ही सवालों का जवाब देने के लिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से  आपको मीठा खाने के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं और जानते हैं कि अधिक मीठा खाने के नुक्सान – Side Effects of sweets in Hindi.

चीनी के नुकसान

चीनी और गुड़ दोनों ही खाद्य एवं पेय पदार्थों को मीठा बनाने में मुख्य भूमिका निभाते  हैं। इन दोनों का प्रयोग किसी भोजन के स्वाद और सुगंध में वृद्धि के लिए किया जाता है, लेकिन साथ ही इनके उपयोग से कैलोरी में भी वृद्धि हो जाती है। चीनी की एक छोटी चम्मच हमें 20 कैलोरी शून्य ग्राम प्रोटीन और शून्य ग्राम वसा प्रदान करती है और 10 ग्राम गुड़ से हम 35 कैलोरी प्राप्त करते हैं। प्राकृतिक चीनी को रिफाइंड करने से उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

रिफाइंड चीनी का उपभोग हमारे पाचन तंत्र और पोषक तत्वों के अवशोषण को कमजोर बनाता है। इससे हमारा शरीर अधिक मिनरल्स का उपयोग करता है और तो और कैल्शियम का भी उपयोग कर लिया जाता है, जिससे हमें बढ़ती उम्र में हड्डियों से जुड़ी समस्या हो सकती है। चाय या कॉफी में थोड़ी मात्रा में चीनी का उपयोग नुकसान दायक नहीं है, लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा से मोटापा, डायबिटीज, दिल से जुड़ी बीमारी, दांतों की सड़न, मुहांसे, कैंसर, कमजोर याद्दाश्त, हिंसक प्रवृत्ति, नकारात्मक सोच, मनःस्थिति में बदलाव, झुंझलाहट आदि इन जैसी तमाम समस्याएं आपके पीछे पड़ सकती हैं।

मीठे की आदत को कैसे छोड़ें

चीनी में सिर्फ और सिर्फ कैलोरी होती है और कुछ नहीं यानी कोई मिनरल या विटामिन मौजूद नहीं होते। गुड़ में जरूर कुछ मात्रा में लौह तत्व पाया जाता है। बढ़ती उम्र के साथ हम में से कई लोग मीठे के शौकीन हो जाते हैं। कई बार कुछ मीठा खाने की तलब होने लगती है खासकर खाना खाने के बाद। वैसे तो चीनी की लत लगना सामान्य बात है, लेकिन धूम्रपान और मद्यपान की तुलना में इसे छोड़ना आसान है।

कई वर्षों से अपर्याप्त आहार, फास्टफूड, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स जैसे कि पिज्जा, चॉकलेट, केक, सॉफ्ट ड्रिंक्स, आइसक्रीम, मिष्ठान के उपभोग, आवश्यक पोषण (विटामिन और मिनरल्स) का अपर्याप्त मात्रा में सेवन और स्ट्रेस के कमजोर प्रबंधन से शरीर में चीनी का असंतुलन पैदा हो जाता है। तलब को शांत करने के लिए थोड़ी सी चीनी खा लेने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन इससे चीनी की तलब और बढ़ जाएगी। साबुत अनाज और जटिल कार्बोहाइड्रेट्स जैसे भूरे चावल, बाजरा, ज्वार या गेहूं की रोटी को आहार में शामिल करके चीनी की इच्छा को कम किया जा सकता है।

कृत्रिम स्वीटनर के नुकसान

ये कृत्रिम मीठे पदार्थ चीनी से कहीं अधिक मीठे  होते हैं। सामान्य रूप से ये शरीर द्वारा पचाए य अवशोषित नहीं हो पाते हैं। इनमें शून्य या बहुत कम कैलोरी पाई जाती है और पोषक तत्व भी नहीं पाए जाते। सैकरीन और एस्परटेम गैर-कैलोरिक मीठा बनाने वाले पदार्थ हैं, जिन्हें हाल ही एफडीए द्वारा उपयोग के लिए स्वीकृत किया गया है। एफडीए द्वारा स्वीकृत सभी पोषण रहित स्वीटनर डायबिटीज से ग्रस्त लोगों द्वारा उपयोग में लिए जा सकते हैं।

शहद के नुकसान

लोकप्रिय मान्यता के ठीक उलट शहद में पोषण से जुड़े कोई फायदे नहीं मिलते। 10 ग्राम शहद हमें 32 कैलोरी देता है। हालांकि शहद में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जो रिफाइंड चीनी में नदारद होते हैं, लेकिन इतनी कम मात्रा में  हमारी रोज की जरूरत को देखते हुए ये बेमानी होते हैं। डायबिटीज के रोगियों के लिए शहद के सेवन पर रोक आवश्यक है। अतः संतुलित आहार में रिफाइंड चीनी को अत्यधिक मात्रा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। जैम, जैली, मिठाई, आइसक्रीम, सॉफ्ट ड्रिंक आदि जैसे चीनी से भरपूर खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।                                      (अधिक मीठा खाने के नुक्सान)

मीठे से परहेज

मोटापे, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले व्यक्तियों को चीनीयुक्त खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। याद रखें खजूर, किशमिश, शहद और फलों के रस से मिलने वाली प्राकृतिक चीनी मोटापे और डायबिटीज से ग्रस्त लोगों के लिए उतनी ही नुकसान देह है जितनी सफेद चीनी। अगर किसी खाद्य पदार्थ पर ‘शुगर फ्री’ का लेबल लगा हुआ है तो इसका मतलब है कि उसमें प्रति सर्विंग 5 ग्राम से कम चीनी है और अगर ‘नो एडेड शुगर’ का लेबल है तो इसका अर्थ है कि उस खाद्य वस्तु के प्रसंस्करण या पैकेजिंग के दौरान चीनी और चीनीयुक्त पदार्थ ( जैसे फलों का रस या सूखे मेवे) नहीं मिलाए गए हैं।

शून्य कैलोरी वाला नमक

नमक हमारे आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमारे देश में अधिकांश समुद्री नमक इस्तेमाल किया जाता है जो और कुछ नहीं, बल्कि सोडियम क्लोराइड होता है। हमारे यहां पसीने के माध्यम से शरीर में से अधिक मात्रा में नमक बाहर निकल जाता है, इसलिए हमें तुलनात्मक रूप से अधिक नमक के सेवन की आवश्यकता होती है, लेकिन इसकी कितनी मात्रा जरूरी है इसका कोई ठीक पता नहीं चल पाया है। प्रतिदिन प्रति व्यक्ति औसतन इसका 10-12 ग्राम (4 ग्राम सोडियम) का उपभोग करता है।

खाद्य पदार्थों में लगभग 3 प्रतिशत नमक प्राकृतिक तौर पर मौजूद होता है, 3 प्रतिशत प्रसंस्करण के दौरान मिलाया जाता है, जबकि 4 प्रतिशत नमक हमारे द्वारा मिलाया जाता है। प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों (दूध, अंडा) में सब्जियों और अनाजों की तुलना में अधिक सोडियम पाया जाता है, जबकि फलों में यह बहुत थोड़ा या न के बराबर होता है। शरीर में पाए जाने वाले मिनरल्स में 2 प्रतिशत हिस्सा सोडियम का होता है। इसमें से भी 30-45 प्रतिशत हिस्सा हड्डियों में होता है। सोडियम का अवशोषण आंतों द्वारा बहुत जल्दी कर लिया जाता है और यह मूत्र (90-95 प्रतिशत), मल और पसीने के माध्यम से बाहर निकल जाता है। चूंकि सोडियम प्राकृतिक रूप से और साधारण आहार में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है, इसलिए किसी स्वस्थ व्यक्ति में इसकी कमी होने की संभावना कम ही होती है, हां अधिकता जरूर पाई जाती है।                           (अधिक मीठा खाने के नुक्सान)

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए नमक के सेवन पर नियंत्रण की सलाह दी जाती है। हल्के हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) को सामान्य करने के लिए नमक पर नियंत्रण पर्याप्त होता है। जब तक रक्ताधिक्य से हृदय आघात की संभावना न हो, नमक पर सख्त नियंत्रण की जरूरत नहीं होती। रोजाना के लिए 1 छोटा चम्मच या इससे कम मात्रा में नमक का सेवन पर्याप्त है। खाने में ऊपर से नमक न मिलाएं। पकाते समय ही थोड़ा सा इस्तेमाल करें।

ये भी पढ़ें –

सेन डिएगो कैसे जाएँ – How to get San Diego

बेस्ट यूलिप प्लान – यूलिप क्या है ? Ulip in Hindi

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *