कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा – Kaudiyala Ghat gurdwara ਗੁਰੁਦ੍ਵਾਰਾ ਕੌੜੀਯਾਲਾ ਘਾਟ ਸਾਹਿਬ :-
गुरुद्वारा कौडियाला घाट सिखों का एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है यहां पर सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी आये थे और उन्होंने यहाँ पर एक रात्रि विश्राम किया था ! यह गुरुद्वारा उत्तर प्रदेश के प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है ! आइये हम कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा – Kaudiyala Ghat gurdwara , ਗੁਰੁਦ੍ਵਾਰਾ ਕੌੜੀਯਾਲਾ ਘਾਟ ਸਾਹਿਬ के बारे में विस्तार से जानते हैं !
- इतिहास
- भौगोलिक स्थिति
- पहुंचने का मार्ग
- ठहरने की सुविधा
- प्रमुख पर्व
- आस पास के रमणीक स्थल
- जाने का सही समय
इतिहास :-
कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा सिखों के पहले गुरु, श्री गुरु नानक देव जी से जुड़ा हुआ स्थान है ! यह सिखों का प्रमुख धार्मिक स्थल है व उत्तरप्रदेश राज्य में मौजूद प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है ! सिख धर्म में इस गुरूद्वारे का बहुत महत्व है ! सिखों के पहले गुरु, श्री गुरु नानक देव जी अपनी तीसरी उदासी की यात्रा के दौरान काठमांडू जाते वक्त सन्न 1514 ईस्वी में यहां आए थे और उन्होंने यहां रात्रि विश्राम किया था ।
जब गुरु जी अपने शिष्यों भाई बाला जी और मर्दाना जी के साथ इस स्थान पर पहुंचे तो अँधेरा हो चुका था ! और गुरु जी ने इस स्थान पर मौजूद एक गाँव में रात्रि विश्राम करना चाहा लेकिन कोई भी ग्रामीण गुरु जी और उनके साथियों का आतिथ्य सत्कार करने को तैयार नहीं हुए और ग्रामीणों ने गुरु जी को गाँव से दूर एक कोढ़ी की कुटिया में जाने को कहा ! पूर्व में ग्रामीणों ने उस कोढ़ी के शरीर से अत्यधिक दुर्गंद आने के कारण उसे गाँव से दूर खदेड़ दिया था तब से वो कोढ़ी गाँव से दूर नदी के किनारे एक झोपडी बना कर रहता था ! गाँव का कोई भी व्यक्ति दुर्गंद व कोढ़ की छूआ-छूत के डर के कारण उसके पास नहीं जाता था वे जैसे-तैसे अपना जीवन काट रहा था ! गुरु जी ने रात्रि विश्राम का कोई साधन न देख और आस-पास में कोई अन्य गाँव न होने के कारण व जंगली जानवरों का भय होने के कारण व रात्रि होते देख गुरु जी ने अपने दोनों शिष्यों के साथ उसी कोढ़ी की कुटिया में रात बिताई जहाँ पर उन्होंने कीर्तन और ध्यान किया ! गुरु जी ने उक्त स्थान पर नीचे वर्णित श्लोक उच्चारित कर गायन किया ! उक्त शब्द श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पन्ना 661 पर अंकित है !
“धनासरी महला १ ॥ जीउ तपतु है बारो बार ॥ तपि तपि खपै बहुतु बेकार ॥ जै तनि बाणी विसरि जाइ ॥
जिउ पका रोगी विललाइ ॥१॥ बहुता बोलणु झखणु होइ ॥ विणु बोले जाणै सभु सोइ ॥१॥ रहाउ ॥”
“ਧਨਾਸਰੀ ਮਹਲਾ ੧ ॥ ਜੀਉ ਤਪਤੁ ਹੈ ਬਾਰੋ ਬਾਰ ॥ ਤਪਿ ਤਪਿ ਖਪੈ ਬਹੁਤੁ ਬੇਕਾਰ ॥ ਜੈ ਤਨਿ ਬਾਣੀ ਵਿਸਰਿ ਜਾਇ ॥
ਜਿਉ ਪਕਾ ਰੋਗੀ ਵਿਲਲਾਇ ॥੧॥ ਬਹੁਤਾ ਬੋਲਣੁ ਝਖਣੁ ਹੋਇ ॥ ਵਿਣੁ ਬੋਲੇ ਜਾਣੈ ਸਭੁ ਸੋਇ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥”
गुरु जी द्वारा गायन किये गए रूहानी कीर्तन से उस कोढ़ी को बहुत सुकून मिला, जो शायद कई रातों के बाद चैन की नींद सोया था । सुबह उस कोढ़ी ने गुरु जी को कोई ईश्वरीय शक्ति समझ कर गुरु जी से उनकी बीमारी को ठीक करने और मदद करने के लिए प्रार्थना की ! गुरु जी ने उस कोड़ी को प्यार से पास बुलाया और पास में बह रही नदी (जिसे आज घाघरा और नेपाल में कर्णाली कहा जाता है ) में स्नान करने को कहा ! गुरु जी के आशीर्वाद से कोढ़ी ने उस नदी में स्नान किया और उसका रोग ठीक हो गया ! यह सुनते ही वो ग्रामीण जिन्होंने कल रात गुरु जी को आश्रय देने से मना कर दिया था गुरु जी के पास आ गए और गुरु जी से क्षमा याचना करने लगे ! गुरु जी ने ग्रामीणों को आश्रीवाद देते हुए यह समझया कि आये अतिथियों व जरूरत मंदों को आश्रय व भोजन देना चाहिए न कि उन्हें दुक्कार कर घर से भगा देना चाहिए ! गुरु जी ने ग्रामीणों को यात्रियों के रुकने के लिए एक विश्राम गृह बनाने के लिए कहा और कहा कि विश्राम ग्रह में आए मेहमान व् जरूरत मंद का सेवा सत्कार कर उन्हें भोजन करवाया करो ! आज इसी स्थान पर गुरुद्वारा साहिब मौजूद हैं ! उसके बाद गुरु जी नदी पार कर नेपाल राज्य की तरफ चले गए !
इसी ऐतिहासिक घटना के कारण ही इस जगह का नाम कोढ़ी + वाला शब्दों से मिलकर कोढ़ीवाला पड़ गया धीरे-धीरे लोग इसे कौडियाला कहने लगे क्यूंकि प्राचीन समय से ही यहाँ पर नौकाएं चलती थी जिस कारण से इस गाँव का नाम कौडियाला घाट पड़ गया !
सन्न 1970 के दशक तक यहां कोई धार्मिक स्थान नहीं था बल्कि लोकल लोग एक विशेष पर्व पर घाघरा नदी में स्नान करते थे ! उनका मानना था कि लगभग 500 साल पूर्व कोई नानक नामक संत यहाँ पर आये थे और उन्होंने इस जगह को आश्रीवाद दिया था तबसे इस जगह में नहाने से कोढ़ जैसी गंभीर बीमारी व अन्य प्रकार के त्वचा के रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं !
भारत में हरित क्रान्ति के समय जब उत्तरप्रदेश की तराई में सिख समुदाय की संख्या बड़ी और छेत्र के कुछ जागरूक लोगों ने इस जगह के बारे में खोज बीन की तो पाया कि यह ग्रंथों में वर्णित वही पवित्र स्थान है जहां पर श्री गुरु नानक देव जी ने कोढ़ी का उद्धार किया था ! उसके बाद उन लोगों ने चंदा इकट्ठा कर के व इलाके के लोगों के सहयोग से कुछ भूमि खरीद कर उसमे छोटे से गुरूद्वारे का निर्माण कराया ! कुछ समय बाद इलाका वासीयो के निवेदन पर इस गुरूद्वारे का प्रबंध कारसेवा संस्था के अगवा जत्थेदार फौजा सिंह जी ने अपने हाथ में ले लिया और इस जगह पर बहुत बड़े गुरूद्वारे का निर्माण करवाया तथा गुरद्वारे में दरबार साहिब, दीवान हाल, लंगर हाल, रसोई व सराय के साथ साथ एक सरोवर का भी निर्माण करवाया गया ! इसी सरोवर में आज कल लोग नदी की जगह स्नान करते हैं ! वर्तमान में इस गुरूद्वारे का प्रबंध जत्थेदार फौजा सिंह के उत्तराधिकारी जत्थेदार काला सिंह के पास है ! इस वक्त उक्त स्थान पर बहुत बड़ा गुरुद्वारा सुशोभित है ! जो बाढ़ या अन्य कोई दैविक आपदा आने पर इलाके के गरीब वा मजबूर लोगों की बिना किसी भेदभाव के सेवा करता है व उनको आश्रय देता है ! तिकुनिया कस्बे में गुरूद्वारे द्वारा संचालित एक इंटर कालेज भी है जो इस पिछड़े इलाके में शिक्षा के छेत्र में अपना अहम योगदान दे रहा है !
भौगोलिक स्थिति :–
गुरुद्वारा कोढ़ियाला घाट भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर-खीरी जिले की तहसील निघासन के कौडियाला घाट नामक गाँव में स्थित है ! उक्त गाँव भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली घाघरा ( कर्णाली ) नदी के किनारे पर बरेली-गोंडा वाया मैलानी छोटी रेल लाइन पर स्थित है ! गुरद्वारे से नजदीकी कस्बा तिकुनिया 3 किलोमीटर की दूरी पर है ! कौडियाला घाट से जिला मुख्यालय लखीमपुर 80 किलोमीटर, लखनऊ 215 किलोमीटर, दिल्ली 550 किलोमीटर, बरेली 250 किलोमीटर, बहराइच 80 किलोमीटर व काठमांडू 500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं !
पहुंचने का मार्ग :–
कौडियाला घाट गुरुद्वारा पहुंचने के लिए रेल, सड़क व हवाई मार्ग उपलब्ध है !
1- रेल मार्ग :–
नजदीकी रेलवे स्टेशन तिकुनिया जो कि छोटी लाइन का रेलवे स्टेशन है, गुरूद्वारे से दूरी 3 किलोमीटर दूरी पर है ! उक्त स्टेशन की ट्रेन मैनाली से चेंज करनी पड़ती है ! अगर आप दिल्ली, बरेली या लखनऊ की तरफ से आते है तो बड़ी लाइन की ट्रेन आपको मैलानी रेलवे स्टेशन तक पहुंचाती है जहां से आप ट्रेन बदल कर तिकुनिया कस्बे तक जा सकते हैं उसके बाद आप तांगे या टैक्सी से गुरूद्वारे तक जा सकते हैं ! इसी प्रकार आप अगर गोंडा की तरफ से आते हैं तो बड़ी लाइन का नजदीकी रेलवे स्टेशन नानपारा है, जहां से आपको तिकुनिया कस्बे के लिए छोटी लाइन की ट्रेन मिल जाएगी ! नानपारा गुरद्वारे से 40 किलोमीटर व मैलानी 100 किलोमीटर की दूरी पर है चाहें तो मैलानी या नानपारा या लखीमपुर से टैक्सी लेकर आप गुरूद्वारे तक जा सकते हैं ! कौड़ियाला घाट के नजदीकी कस्बे तिकुनिया में भी गुरद्वारे द्वारा संचालित एक सराय बनी हुई है जिसमें यात्री रात्रि में देर हो जाने पर रूक सकते हैं ! सराय में रुकने की, खाने की व गाड़ी पार्क करने की मुफ्त व उत्तम व्यवस्था है !
2- सड़क मार्ग :–
कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा जाने के लिए आप सड़क मार्ग से भी जा सकते हैं ! कौडियाला के लिए दिल्ली से आपको दिल्ली-लखनऊ राज्य मार्ग से दिल्ली से बरेली, बरेली से पीलीभीत, पीलीभीत से पलिया, पलिया से तिकोनिया कसबे तक आसानी से जा सकते हैं ! लखनऊ से जाने के लिए लखनऊ से वाया सीतापुर लखीमपुर होते हुए तिकुनिया कस्बे तक पहुंच सकते हैं ! गोंडा की तरफ से जाने के लिए गोंडा से बहराइच, बहराइच से कौडियाला घाट तक पहुंच सकते हैं मगर इस मार्ग पर बस सुविधा नहीं है और सड़क भी ठीक नहीं हैं ! अच्छा होगा अगर आप लखनऊ या दिल्ली वाला रुट चुने उक्त रुट पर सरकारी व प्राइवेट बसों की सुविधा बहुत अच्छी है ! तिकुनिया कस्बे तक आपको दिल्ली, आगरा , लखनऊ , कानपुर व अमृतसर से सीधी प्राइवेट व सरकारी बसें बड़ी आसानी से मिल जाएँगी ! आप अपने निजी वाहन से भी यहाँ तक बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं ! सड़के बहुत अच्छी व चौड़ी हैं इलाका बड़ा ही शान्ति प्रिय है !
3- हवाई मार्ग :–
नजदीकी हवाई अड्डा लखनऊ व दिल्ली हैं व नेपाल के नजदीकी हवाई अड्डा धनगड़ी व नेपालगंज (दूरी 50 किलोमीटर ) व काठमांडू हैं, जहां से भी आप आसानी से नेपाल के रास्ते गुरद्वारे तक पहुंच सकते हैं ! नेपाल भारत की सीमा खुली हुई है !
ठहरने की सुविधा :-
गुरद्वारे में महिला व पुरूष यात्रियों के रुकने के लिए व भोजन के लिए अलग से प्रयाप्त व्यवस्था है ! कमरे, हाल व यात्री निवास प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध हैं ! फिर भी अगर आप किसी होटल में रुकना चाहते हैं तो आपको गुरद्वारा से 50 किलोमीटर की दूरी में पलिया कस्बे में लग्जरीयस सुविधा वाली बहुत सी होटल मिल जाएँगी ! पलिया कस्बा से गुरद्वारे तक निजी वाहन से दो घंटे का रास्ता है ! दो घंटे का सफर तय करके लखीमपुर पहुंच सकते हैं जहां भी अच्छी होटल मिल जाएँगी !
प्रमुख पर्व :–
कौड़ियाला घाट गुरूद्वारे में प्रमुख रूप से वैसाखी, गुरु नानक जयंती व हर महीने की अमावस के पर्व बड़ी धूम-धाम व श्रध्दा से मनाये जाते हैं ! इसके अलावा हर इतवार को भी छुट्टी होने के कारण संगत दर्शन करने, श्रध्दा व सेवा भाव के लिए गुरद्वारे जाती है ! शेष दिनों में गुरूद्वारे में सुबह शाम का कीर्तन होता है व पूरे दिन बड़ी शान्ति मय माहौल होता है !
आस पास के रमणीक स्थल :–
कभी भी पंजाब के बाहर के गुरद्वारों का दर्शन करने का मन हो तो आप कौड़ियाला घाट आ सकते हैं, खासकर पटना साहिब जाने के लिए आप सबसे पहले नैनीताल घूमकर उत्तरांचल स्थित धार्मिक गुरूद्वारे, नानकपुरी टांडा साहिब, नानकमत्ता साहिब, रीठा साहिब व पीलीभीत स्थित छेवीं पातशाही के गुरुद्वारों के दर्शन करते हुए कौडियाला घाट तक आ सकते हैं और कुछ दिन यहाँ रुक कर पटना साहिब जा सकते हैं ! वैसे तो आप कौडियाला घाट एक दिन में ही घूम सकते हैं अगर आप प्रकृति का नजदीक से आनंद लेना चाहते हैं तो आपको कम से काम 4 या 5 दिन का टूर बना कर आना होगा क्यूंकि कोढ़ीयाला घाट के आस पास का छेत्र हरे भरे जंगलो से भरा पड़ा है व इसके पास ही तीन प्रमुख नेशनल पार्क हैं ! नेपाल की खुली सीमा होने के कारण आप नेपाल में भी घूम सकते हैं ! कोढ़ियाला के पास बहुत से रमणीक स्थल हैं जिनका वर्णन नीचे दिया जा रहा है !
1- दुधवा नेशनल पार्क
2- चूका बीच ( नेशनल पार्क )
3- कतर्निया घाट ( नेशनल पार्क )
ये तीनों पार्क कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा के नजदीक ही स्थित हैं आप इन नेशनल पार्कों में घूम कर शेर, चीता, गेंडा, हाथी, हिरण, भालू, शूअर व अन्य दुर्लभ जंगली जानवरों व डॉल्फिन, मगर मछ व घड़ियाल को देखकर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं !
4- धनगड़ी
5- चीशा पानी
3- नेपाल गंज
4 – टीकापुर
5- बरदहिया नेशनल पार्क
यह सभी स्थल नेपाल राष्ट्र में गुरूद्वारे से दो से चार घंटे की दूरी पर स्थित हैं जहाँ पर भी आप अपने वाहन से बिना बीजा व पासपोर्ट के घूम कर आ सकते हैं और खरीददारी भी कर सकते हैं ! नेपाल जाने के लिए आपको गुरद्वारे के नजदीक नेपाल राज्य के खकरोला से गाडी का नेपाली टैक्स जमा करना होगा जो नामिनल होता है यहीं से आप करंसी भी बदल सकते हैं वैसे 25 हजार तक की भारतीय करंसी ले जाने की छूट होती है !
जाने का सही समय :–
यूं तो आप कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा में साल में कभी भी जा सकते हैं वैसे बेस्ट समय 1 अक्टूबर से 15 जून तक का रहता है क्यूंकि 15 जून से 30 सितंबर तक अत्यधिक बरसात होने और बाढ़ ग्रस्त इलाका होने के कारण आपकी यात्रा में विघन पड़ सकता है !!
–HARJEET SINGH ADVOCATE
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कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा