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तांबे और पीतल के बर्तनों के 10 गुण

तांबे और पीतल के बर्तनों के 10 गुण – तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे

मारे देश भारत में, प्राचीन समय में लोग धातु विद्या के जानकार थे। तब हमारे पुरखों के दैनिक जीवन में सोने, चांदी, तांबा, पीतल  जैसी धातुओं का प्रयोग होता था। तांबे और जस्ते को निर्धारित मात्रा में मिलाकर पीतल जैसी मिश्रित धातु तैयार की गई। इसके बाद खाना पकाने के लिये तांबा पीतल के बर्तन प्रयोग होने लगे। आगे हम बात करते हैं तांबे और पीतल के बर्तनों के 10 गुण  और  तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे क्या क्या हैं ?

तांबे और पीतल के बर्तनों का प्रयोग

प्राचीन समय में केवल मौज़ ( शौक) के लिए ही  इन धातुओं का प्रयोग नहीं होता था। उस समय शास्त्र रचयिताओं ने जीवन की प्रयोग शाला का बार-बार अध्ययन किया, उसे गहनता से समझा-परखा और कई महत्वपूर्ण निष्कर्ष ( परिणाम) निकाले। उनोने जाना कि पूरी सृष्टि पंच-तत्त्वों से बनी हुई है। इसी तरह सृष्टि का एक अंश मानव शरीर भी पंच-तत्वों से बना है। धातु का अर्थ है पार्थिव ( नश्वर) तत्त्व ।

जिस तरह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स, खनिज तत्त्व, विटामिन की कमी होने पर बाहर से इन सभी घटकों ( तत्वों ) को गोलिया, इंजेक्शन, सलाइन के रूप में पूरा किया जाता है, ठीक वैसे ही पहले ज़माने में सभी भोजन तांबा पीतल इन धातुओं के बर्तनों में बनाए जाते थे. और आसानी से हमारे शरीर को इनका फायदा मिल जाता था. अभी सब पोषक तत्त्व पाने के लिये हज़ारों रुपये खर्च होते हैं। अर्थात प्राचीन मगर शाश्वत तरीकों  को फिर से अपनाने का वक्त आ गया है। ताम्बे और पीतल इ बर्तनों के 10 फायदे निम्न हैं :-

१. तांबा व पीतल कीटाणु व जीवाणु नाशक होता है। तांबा और पीतल के बर्तनों में रखा पानी ३ घंटे के अंदर ही पूर्ण जंतु विहीन हो जाता  है।

२. ताम्रजल लीवर का कार्य बेहतर बनाते हैं। और लीवर को स्वस्थ रखता है।

३. इन बर्तनों के प्रयोग से अतिरिक्त वसा, कालेस्टेरोल का जमाव कम होता है। इसलिए हृदय रोग मे यह काफी उपयोगी होते है।

४. (पीतल = जस्ता + तांबा)  जस्ता हमारे सर्वांगिण विकास के लिए काफी उपयोगी होता है।

५. जस्ते से  अतिसार (Amoebic Disentry) की रोकथाम होती है।

६. जस्ते से रस, रक्त आदि धातुओ की अच्छी वृध्दी होती है।

७.जस्ते से गर्भ विकास स्वस्थ और अच्छा होता है।

८. तांबे के बर्तन में रखा पानी कई दिनों तक साफ़, जीवाणु रहित रहता है । आघारकर इंस्टिट्यूट, पुणे में किए परीक्षणों में यह साबित हुआ है कि रसरत्न समुचय नामक आयुर्वेद ग्रंथ में भी संदर्भ मिलता है।

९. तांबा, कफ , खांसी नाशक होने से इसलिए प्रवाहीक में और मधुमेह में यह उपयोगी होता है ।

10- तांबा और पीतल( तांबा + जस्ता) के उपरोक्त गुणों का लाभ पाने के लिए नियमित रूप से  तांबा और पीतल के बर्तनो मे खाना परोसना चाहिए। साथ ही पीने का पानी तांबा और पीतल के बर्तनों मे कम से कम ३ घंटे रखने के बाद उसका उपयोग करना चाहिए ।

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