आपके पास किसी न किसी बैंक का कोई न कोई क्रेडिट कार्ड तो होगा ही, अगर आपके पास कोई क्रेडिट कार्ड नहीं होगा तो आपने क्रेडिट कार्ड का नाम तो जरूर ही सुना होगा । आईये आज ये जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है? (What is The Credit Card in Hindi) और क्रेडिट कार्ड कैसे काम करता है ? Credit Card Kya Hota Hai?
क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड फाइनेंशियल संस्थानों जैसे बैंक, कोई फाइनेंश्यिल कम्पनी अदि द्वारा जारी किया जाने वाला एक पतला प्लास्टिक या मेंटल का कार्ड होता है, जो क्रेडिट कार्ड के धारक को खरीद के लिए भुगतान, किसी सेवा शुल्क या किसी बकाया का भुगतान करने के लिए प्री-अप्रूव्ड लिमिट से एक निश्चित धनराशि उधार लेने की सुविधा देता है। कार्ड जारी करने वाली बैंक या कंपनी द्वारा अपने ग्राहक के क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर क्रेडिट कार्ड की लिमिट प्रदान दी जाती है। आमतौर पर, अच्छे क्रेडिट स्कोर, और अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री से अधिक क्रेडिट कार्ड की लिमिट मिलती है और कम क्रेडिट स्कोर और खराब क्रेडिट हिस्ट्री में क्रेडिट कार्ड की लिमिट कम मिलती है ।
क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड/ATM card में अंतर
वैसे तो क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड देखने में और आकार में एक जैसे ही गति हैं। लेकिन दोनों में बहुत अंतर् होता है। क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड/ATM card के बीच मुख्य रूप से यह अंतर होता है कि जब आप किसी भुगतान के लिए डेबिट कार्ड को स्वाइप करते हैं, या ऑन लाइन भुगतान करते हैं तो रुपया डेबिट कार्ड धारक के बैंक अकाउंट से काट लिया जाता है और क्रेडिट कार्ड के मामले में, क्रेडिट कार्ड की प्री-अप्रूव्ड लिमिट से रूपये लिए जाते हैं, जो एक प्रकार से क्रेडिट कार्ड के धारक द्वारा बैंक या कम्पनी से लिया हुआ ऋण होता है। इस ऋण को चुकाने के लिए क्रेडिट कार्ड धारक को अधिकतम 50 दिन का समय मिलता है। इन 50 दिन की अवधि में कार्ड धारक को कोई ब्याज नहीं देना पड़ता है।
क्रेडिट कार्ड में रखने वाली सावधानियां
क्रेडिट कार्ड के धारक किसी धनराशि का भुगतान करने या ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने के लिए क्रेडिट कार्ड को स्वाइप कर सकते हैं । क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने के बाद इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि दंड शुल्क से बचने के लिए, कार्ड की लिमिट से उपयोग की गई धनराशि का भुगतान तय समय अवधि में ही कर देना चाहिए नहीं तो आपो बेहद अधिक धनराशि ब्याज के रूप में चुकानी पड़ सकती है जो 35 से 40 प्रतिशत वार्षिक तक हो सकती है । इसके आलावा आपको लेट फीस के नाम पर मोटी रकम अदा करनी पड़ सकती है।
क्रेडिट कार्ड के विवरण हमेशा क्रेडिट कार्ड जारी कर्ता बैंक के पास होते हैं। धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको अपने क्रेडिट कार्ड के नंबर, तिथि, cvv नंबर , OTP या अन्य विवरण किसी अन्य व्यक्ति के साथ शेयर नहीं करने चाहिए। कार्ड के खो जाने पर या इसके आलावा आपके साथ किसी प्रकार की धोखा धड़ी क्रेडिट कार्ड के संबंध में हो जाती है तो आपको इसकी सूचना तुरंत कार्ड जारी करता बैंक को देनी चाहिए और अपने कार्ड को ब्लाक करवा देना चाहिए । सूचना आप कस्टमर केयर में फोन करके, ऑन लाइन तरीके से या फिजिकल तरीके से बैंक ब्रांच में जाकर दे सकते हैं। इसमें किसी प्रकार की देरी नहीं करनी चाहिए ।
क्रेडिट कार्ड के काम करने का तरीका
ये तो हम जान चुके हैं कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है । अब हम आगे जानते हैं कि जब हम खरीददारी करते समय हम रुपयों का भुगतान क्रेडिट कार्ड के कुछ नंबर डालकर या कार्ड को स्वाइप करके कर देते हैं। क्या आप जानते हैं चुटकियों में भुगतान की इस आसान प्रक्रिया को कितने चरणों से गुजरना पड़ता है । आईये जानते हैं :-
- विक्रेता पहले खरीद की रकम का हिसाब लगा लेता है उसके बाद ख़रीदार को भुगतान करने के लिए कहा जाता है।
- विक्रेता द्वारा, क्रेता को क्रेडिट कार्ड से रकम चुकाने का विकल्प दिया जाता है।
- यदि खरीदार क्रेडिट कार्ड का विकल्प चुनता है तो विक्रेता उससे क्रेडिट कार्ड लेकर उसे पीओएस यूनिट (प्वाइंट ऑफ सेल यूनिट) से जोड़ देता है और बिक्री की कुल राशि की पैड पर बटन दबाकर लिखता है या कैश रजिस्टर द्वारा हस्तांतरित कर देता है।
- बिक्री के अधिकार के साथ-साथ अक्वाइऑरिंग बैंक (जिस बैंक में विक्रेता का खाता है ) रुपयों के हस्तांतरण के अधिकार के लिए इश्यूइंग बैंक ( क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाले बैंक) से अनुरोध करता है।
- अक्वाइॲरिंग बैंक द्वारा अधिकार प्रार्थना भेजी जाती है। जो इश्यूइंग बैंक से लेन-देन की प्रक्रिया जारी रखता है। इस स्तर पर क्रेडिट कार्ड नंबर से कार्ड के प्रकार, क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाले बैंक और कार्ड धारक के अकाउंट या खाते की पहचान की जाती है।
- कार्ड होल्डर का बिल स्वीकृत क्रेडिट सीमा के अंदर होना चाहिए। इसके बाद ही इश्यूइंग बैंक अक्वाइॲरिंग बैंक को हस्तांतरण के लिए अधिकृत मानता है और आगे की प्रक्रिया के लिए अनुमोदन कोड देता है। उसके बाद यह कोड अक्वाइॲरिंग बैंक को भेजा जाता है।
- अक्वाइॲरिंग बैंक हस्तांतरण की प्रक्रिया के दौरान विक्रेता के पीओएस यूनिट पर स्वीकृति या अस्वीकृति कोड भेजता है। प्रत्येक पीओएस यूनिट को एक अलग टर्मिनल आईडी दिया जाता है ताकि यह प्रक्रिया स्पष्ट बनी रहे।
- इसके बाद क्रेता के फोन नंबर पर OTP भेझी जाती है जिसको विक्रेता पीओएस यूनिट में डाल कर भुगतान को कॉन्फ़र्म करता है।
- पीओएस यूनिट द्वारा प्रिंट स्लिप या कैश रजिस्टर द्वारा सेल्स ड्राफ्ट दिया जाता है। उसके बाद विक्रेता ख़रीदार को सेल ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए कहता है। ताकि यह सुनिश्चित हो जाए कि खरीदार क्रय के लिए इश्यूइंग बैंक के प्रति जिम्मेदार होगा।
- दुकान बंद होने के बाद दुकानदार ( विक्रेता ) पीओएस यूनिट में जमा किए सभी अधिकृत लेन-देन की जांच करता है। उसे हस्ताक्षरित सेल ड्राफ्ट से मिलाता है ।
- जांच कर लेने के बाद विक्रेता हस्तांतरण के लिए प्रत्येक अधिकृत क्रेडिट कार्ड के डेटा अक्वाइॲरिंग बैंक को भेजता है। ताकि उसके खाते में रुपए जमा हो सकें।
- अक्वाइॲरिंग बैंक प्रत्येक सेल्स ड्राफ्ट और इश्यूइंग बैंकों के बीच इंटरचेंज का काम करता है। इश्यूइंग बैंक इंटरचेंज फीस काटकर पूरी राशि का हस्तांतरण विक्रेता के बैंक में कर देता है।
- अक्वाइॲरिंग बैंक विक्रेता द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी सेल्स ड्राफ्ट की कुल राशि डिस्काउंट फीस काटने के बाद विक्रेता के बैंक अकाउंट में जमा कर दी जाती है।
इस प्रकार से क्रेता द्वारा विक्रेता को क्रेडिट कार्ड से किया हुआ भुगतान पूर्ण हो पाता है । आशा है कि इस लेख से आप जान गए होंगे कि क्रेडिट कार्ड क्या होता है और क्रेडिट कार्ड कैसे काम करता है ? अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो कृपया कमेंट करें और शेयर करें ।।
ये भी पढ़ें –
ऐसे खेलें होली के रंग – होली के रंग खेलते समय रखी जाने वाली सावधानियां
इच्छा मृत्यु और भारतीय कानून – Euthanasia in Hindi