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गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें – शेयर बाजार में सोना कैसे खरीदें

शेयर बाज़ार में विभिन्न शेयरों की ले-बेच करने या इसका सट्टा करने की बात तो जग जाहिर है परंतु स्टॉक मार्केट में सोना खरीदना, उसे डीमेट खाते में संजो कर रखना चाहिए और बूंद-बूंद कर सोने का संग्रह करके समृद्ध बनने का मार्ग भी समझना चाहिए। स लेख में हम जानते हैं कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें – शेयर बाजार में सोना कैसे खरीदें

स्टॉक एक्सचेंज पर गोल्ड खरीदना –

शेयर बाजार में जाकर सोना खरीदें, ऐसा शीर्षक पढ़कर सर्व प्रथम तो आपको आश्चर्य होगा और शायद आपको ऐसा भी लगे कि यह मित्र सोने जैसी स्क्रिप खरीदने की बात कहना चाहता होगा। ऐसे भी बाज़ार में ब्लू चिप कंपनियों के शेयरों को ‘लगड़ी’ कहा जाता है और ‘लगड़ी’ शब्द का पहला संबंध सोने से है, परंतु हमें आपको यहां पर वास्तव में शेयर बाज़ार में सोने की खरीद करने की बात ही कहनी है। स्टॉक एक्सचेंज पर गोल्ड खरीदना और बेचना काफी अरसे से शुरू हो गया है, परंतु अभी इस विषय में पूरी जानकारी प्रसारित नहीं हुई है, सोने जैसी इस बात को समझना चाहिए।

डीमेट स्वरूप में सोने के फायदे

हम अब मूल विषय पर आकर बात शुरू करते हैं। शेयर बाज़ार में सोने की खरीदी या बिक्री करने का अर्थ वास्तविक या फिजिकल सोना नहीं, बल्कि डीमेट स्वरूप में सोने की खरीद बिक्री करना है, जिसका मार्केट स्वरूप गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (गोल्ड ईटीएफ) है। जिस प्रकार म्युच्युअल फंड में यूनिट्स होती हैं और उसकी ‘एनएवी’ (नेट असेट वैल्यू) होती है, उसी प्रकार ईटीएफ में गोल्ड की यूनिट्स होती हैं और उनकी खरीद-बिक्री होती है। । हाल में गोल्ड ईटीएफ की शेयर बाजार पर लिस्टिंग होती है बैंच मार्क असेट मैनेजमेंट, यूटीआई और कोटक नामक तीन कंपनियों में गोल्ड ईटीएफ उपलब्ध है, जिसके यूनिट्स की खरीद बिक्री हो सकती है। जब आप निवेश के उद्देश्य से सोना खरीदने की इच्छा रखते हैं, तब आप क्या करते हैं? सामान्यतया आप जवेलरी की दुकान पर जाकर गिन्नी या बिस्किट के स्वरूप में सोना खरीदते हैं और घर की तिजोरी में या बैंक के लॉकर में सुरक्षित रख देते हैं।

ऐसा करने के लिए आपके पास भारी रकम होना जरूरी है, किंतु यदि आपको छोटी रकम के निवेश से सोना खरीदना हो अथवा अपनी यथाशक्ति थोड़ा-थोड़ा सोना खरीदना हो तो? सामान्य परिवार कन्या विवाह के लिए सोना एकत्रित कर सकता है।  आइए, इस विषय पर थोड़ा भावनात्मक रूप से विचार किया जाए। एक गरीब निम्न मध्यम वर्ग के या मध्यम वर्ग के पिता को अपनी 12 वर्ष की कन्या के विवाह के लिए अभी से चिंता है और वह कन्या के लिए सोना खरीदना चाहता है तो वह क्या करे ? शायद समय-समय पर अपनी सुविधानुसार एक या दो ग्राम सोना खरीदता जाए और उसे बचाकर रखे या फिर जब विवाह प्रसंग आए तब कर्ज लेकर सोना खरीदे, परंतु यही व्यक्ति शेयर बाजार के ब्रोकर की मार्फत अपनी सुविधानुसार समय-समय पर गोल्ड ईटीएफ की यूनिट्स खरीद-खरीद कर जमा करता जाए तो कैसा हो?                                 गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें

12 वर्ष बाद जब कन्या विवाह योग्य हो, उस समय सोने के विद्यमान भाव पर यूनिट्स बेचकर फिजिकल रूप में सोना खरीद ले, ऐसा हो सकता है। 1-2 ग्राम सोना दुकान में खरीदते समय उसको संकोच हो सकता है, घर में इस प्रकार जमा किया गया सोना चोरी होने का भय भी बना रहता है और इस सोने की घिसावट के नाम पर सुनार पैसे काटेगा, यह बात भी निश्चित है। इसके बदले गोल्ड यूनिट्स में 1-2 यूनिट्स की बार-बार खरीदी करके भी बूंद-बूंद सरोवर भरने की तरह आप सोने का भंडार जमा कर सकते हैं। इस प्रकार यूनिट्स के रूप में जमा किया गया सोना चोरी होने या उसमें घिसावट के नाम पर कटौती होने का भय भी नहीं रहता, कारण कि यह सोना फिजिकल स्वरूप में नहीं बल्कि डीमेट के स्वरूप में होता है, जो शेयरों की तरह आपके डीमेट खाते में जमा रह सकता है।

भारत में सोने का आकर्षण

भारतीय प्रजा का सोने के प्रति अत्यधिक आकर्षण जग जाहिर है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी सोना खरीदने, पहनने की इच्छा रखता है, इसी वजह से सोना भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में आधी रात को काम आने वाली संपत्ति समझा जाता है। विश्व में सोने के आयात में और उपयोग में भी भारत अग्रणी है। किसी समय यहां सोने की तस्करी भी बड़ी मात्रा में होती थी। अपनी पुरानी फिल्मों में भी विलेन को सोने की तस्करी करने वाला बताया जाता था, परंतु सरकार की उदार आयात नीति से सोने के आयात में छूट दी, उससे वह यहां सुलभ हो गया और सेबी की मंजूरी के बाद सोने की खरीद-बिक्री के लिए ईटीएफ भी कार्यरत हो गया, जहां आप न्यूनतम 1000 रु. से 1200 रु. की यूनिट्स भी खरीद सकते हैं।

फिजिकल शेयरों की तरह फिजिकल गोल्ड

फिजिकल शेयरों की तरह फिजिकल गोल्ड का मोह घटाने की आवश्यकता  गोल्ड ईटीएफ एक प्रकार का म्युच्युअल फंड ही है, जिसमें अंडरलाइंग एसेट सोना है, अर्थात इस फंड से सिर्फ सोना खरीदा जाता है और सोने की फिजिकल मार्केट में भाव की घट-बढ़ का इस पर असर देखने को मिलता है। सामान्य रूप में डीमेट सोना अर्थात ईटीएफ की यूनिट्स का भाव और सोने का फिजिकल मार्केट भाव समान रहता है। हाल ही देश में  करोड़ों रुपए का सोना ज्वैलरी, क्वॉइस, बिस्किट और बार्स के रूप में है, जिसके मुकाबले गोल्ड ईटीएफ में अभी मात्र कुछ करोड़ रुपए का ही सोना ही आया है। परिणामस्वरूप अभी इस मार्केट में बहुत व्यापक संभावनाएं हैं।                              गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें

भारतीय जनता की मानसिकता ऐसी है कि सोना तो फिजिकल रूप में ही उसके पास रहना चाहिए। इसे सोने के प्रति मोह और लगाव की मानसिकता कही जा सकती है। जिस प्रकार किसी समय लोगों में फिजिकल शेयरों के प्रति लगाव था और डीमेट के लिए उनमें अरुचि और विरोध था, परंतु बदलते समय के साथ डीमेट के लाभ समझने पर अब ऐसा समय आया है कि लोग फिजिकल शेयर को हाथ लगाने को तैयार नहीं और मात्र डीमेट शेयर में ही कामकाज होता है। सोने के मामले में भी जैसे-जैसे लोगों में उसके फिजिकल के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप के महत्व की समझ बढ़ेगी वैसे-वैसे लोग इस तरफ आकर्षित होंगे। फिजिकल रूप में सोने की चोरी अथवा लूट के भय से भी लोगों में सोने को इस नए रूप में संग्रह करने के प्रति आकर्षण बढ़ेगा।

भारत में गोल्ड ईटीएफ का शुभारंभ

सन 2004 में भारत में गोल्ड ईटीएफ का शुभारंभ हुआ था, जिसकी शुरुआत बेंच मार्क एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने की थी। इस गोल्ड ईटीएफ में निवेशक गोल्ड यूनिट्स खरीद करते हैं, जिसका भाव सोने के वास्तविक बाजार भाव के आधार पर निर्धारित होता है। इस योजना के तहत गोल्ड ईटीएफ कंपनी अपने अधिकृत ब्रोकरों की नियुक्ति करती है, जो उसके अनुसार सोना जमा करके यूनिट्स खरीदते हैं। बाद में इन यूनिट्स की सैकंडरी अर्थात शेयर बाजार में खरीद-बिक्री होती है। यहां निवेशक शेयरों की तरह गोल्ड यूनिट्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं, अर्थात निवेशक एक यूनिट्स भी खरीद सकते हैं।

 

गोल्ड ईटीएफ के  प्रचार एवं प्रसार की आवश्यकता

भारत में अभी गोल्ड ईटीएफ का व्यवस्थित रूप से प्रचार एवं प्रसार नहीं हुआ, परंतु जान कार लोगों का कहना है कि एक समय आएगा, जब अभिभावक अपने पुत्र-पुत्रियों या नाती-नातिनियों के विवाह में भी गोल्ड ईटीएफ देंगे और जिस प्रकार अंग्रेजी में धनवान के घर में जन्म लेने वाले बालक के लिए ‘बोर्न विद द सिल्वर स्पून’ जैसी कहावत है, वैसे ही ‘बोर्न विद ए गोल्ड ईटीएफ’ जैसी कहावत शुरू होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

गोल्ड ईटीएफ और शेयर में अंतर

धनवानों की बात अलग है, परन्तु सामान्य माता-पिता भी अपनी संतानों के नाम पर गोल्ड इंटीएफ के जरिए सोना जमा कर सकते हैं। सोना ऐसा साधन है, जो शेयर-सिक्यूरिटीज, करेंसी, बांड्स इत्यादि से भिन्न है और भले ही दूसरी अन्य संपत्तियों के भाव में उथल-पुथल हो जाए, सोना दीर्घावधि के लिए श्रेष्ठ निवेश साधन माना जाता है। शेयरों के मामलों में ऐसा हो सकता है कि किसी उठाऊगीर कंपनी के शेयर खरीदे जाएं और वे शेयर बाजार के टुकड़े बनकर रह जाएं अथवा उसका भाव फिर से ऊंचा न आए और अंततः उन्हें घाटे पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़े, परंतु सोने में किया गया निवेश कागज बनकर नहीं रह जाता बल्कि दीर्घावधि में यह अच्छा प्रतिफल देता है।                                  गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें

गोल्ड ईटीएफ से जोखिम से सुरक्षा

निवेशकों को अपना निवेश विभिन्न एसेट में सुरक्षित रखने के लिए भी निवेश का कुछ हिस्सा सोने में करना चाहिए, जिससे उसके जोखिम में कमी हो सके। ऐसा करने से रिस्क मैनेजमेंट भी अपने आप हो जाता है। सोने में किया गया निवेश विविधता के साथ श्रेष्ठ प्रवाहिता भी प्रदान करता है। सोने को गिरवी रखकर कर्ज लेना आसान है। आपको याद होगा कि एक समय (जब चंद्रशेखर प्रधानमंत्री थे) भारत ने अपनी आर्थिक मंदी और तंगी को ध्यान में रखकर विश्व बैंक के पास देश का सोना गिरवी रखा था और यह वही देश है, जहां सदियों पूर्व ‘जहां डाल-डाल पे सोने की चिड़िया करती है बसेरा’ का गीत गाया जाता था।                                       गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें

आज भारतीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ स्थिति में है। रिजर्व बैंक के पास सोने का भरपूर भंडार है। इतना ही नहीं, भारतीय प्रजा के पास भी भरपूर सोना है, परंतु दुख का विषय यह है कि यह सोना डेड एसेट अथवा निष्क्रिय संपत्ति की तरह पड़ा है। इसका कोई रचनात्मक या उत्पादकीय उपयोग नहीं होता। इसके बदले यदि भारतीय प्रजा यूनिट्स के रूप में डीमेट गोल्ड में निवेश बढ़ाती जाए तो यह निवेश उनके लिए आय कमाने का साधन बन सकता है। फिजिकल सोना ऐसे ही घर की तिजोरी या बैंक लॉकर में पड़ा रहता है तथा इसे संजोकर रखने में जोखिम भी है। इतना ही नहीं, बैंक के लॉकर का किराया भी भरना पड़ता है। ऐसी स्थिति में अब परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। यदि लोग फिजिकल सोने में निवेश करने के बदले ईटीएफ के जरिए निवेश करें तो इसके अनेक लाभ होंगे। अभी इस स्वरूप में निवेश करने वाले निवेशकों की संख्या काफी कम है, परंतु भविष्य में जागरूकता के साथ-साथ निवेशक आगे बढ़ेंगे तो गोल्ड ईटीएफ मार्केट अधिक व्यापक बनेगा ।

गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें

म्युच्युअल फंड के एनएफओ (न्यू फंड ऑफर) की तरह निवेश का एक रास्ता गोल्ड ईटीएफ का ऑफर खुलते समय होता है और दूसरा रास्ता शेयर बाज़ार पर लिस्टेड होने के बाद ईटीएफ की यूनिट्स अधिकृत डीलरों या ब्रोकरों के मार्फत खरीदने-बेचने का है। विशेषज्ञों के अनुसार गोल्ड ईटीएफ का नया ऑफर वाला मार्ग महंगा होता है, जबकि लिस्टिंग होने के बाद बाज़ार से इसकी खरीदी काफी सरल होती है। इसका कारण यह है कि न्यू फंड ऑफर के समय इंट्री लोड लागू होता है, जबकि बाज़ार से यूनिट्स खरीदते समय ऐसा लोड नहीं होता, परंतु ब्रोकरेज जरूर लागू होती है। इंट्री लोड की तुलना में ब्रोकेज की दर कम होती है। हालांकि सेबी ने अब म्युच्युअल फंड की योजनाओं में सीधा निवेश करने पर इंट्री लोड से मुक्ति दिला दी है। यह बात गोल्ड ईटीएफ पर भी लागू होनी चाहिए। इस विषय पर स्पष्टता आवश्यक है।                                   गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें

आईपीओ के बाद जिस प्रकार शेयरों की लिस्टिंग होती है और म्युच्युअल फंड के एनएफओ के बाद यूनिट्स की भी खरीद बिक्री होती है, वैसे ही गोल्ड ईटीएफ की ऑफर के बाद लिस्टिंग और बाद में उसकी खरीद-बिक्री होती है। गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स की गिनती एक ग्राम अर्थात एक यूनिट के रूप में होती है अर्थात यदि एक ग्राम सोने का भाव 6000 रुपए हो तो एक यूनिट भी 6000 रुपए की मानी जाती है। कोई व्यक्ति फिजिकल रूप में कितना सोना खरीदे? इसे संजोकर कहां रखे? कितना जोखिम है? इसके विपरीत डीमेट गोल्ड कोई भी व्यक्ति कितनी भी मात्रा में खरीद कर अपने डीमेट अकाउंट में रख सकता है। दूसरे यूनिट्स के रूप में सोने की शुद्धता या गुणवत्ता की समस्या भी नहीं रहती, जो कि सामान्य रूप से सुनार के पास से सोना खरीदते समय होती है और इसका वास्तविक मूल्य कम हो जाता है।

हाल में विश्व एवं भारत के शेयर बाज़ार में मंदी का दौर चला तब सोने का भाव नए शिखर पर पहुंच गया था। याद रहे कि जब भी क्रूड का भाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तब सोना भी नई ऊंचाई पर पहुंचता है। युद्ध छिड़ जाए या प्राकृतिक आपदा आ पड़े तो ऐसे में कोई अन्य साधन काम आए या न आए, सोना हमेशा काम आता है। इस सोने की अधिक शुद्धता के साथ सुरक्षा के लिए इसके डीमेट स्वरूप को समझने में ही समझदारी है। गोल्ड ईटीएफ इसका स्वर्णिम मार्ग है। इसका उपयोग जवेरी, बुलियन ट्रेडर आदि वर्ग भी सोने की घट-बढ़ के सामने गोल्ड ईटीएफ को ढाल के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

फिजिकल गोल्ड के बदले पेपर गोल्ड (Gold etf) के फायदे

  • अधिक फायदे – सोने में जितना प्रतिफल मिलता है, उतना ही प्रतिफल गोल्ड ईटीएफ में सहजता से प्राप्त होता है, कारण कि इसमें घिसावट या अन्य किसी नाम पर रकम नहीं काटी जाती। मात्र दलाली या इंट्री लोड इत्यादि ही भरना पड़ता है। इस प्रकार फिजिकल सोने के मुकाबले अधिक नहीं तो कम से कम उतना लाभ तो मिलता ही है।
  • मिलावट की चिंता नहीं – फिजिकल सोना खरीदने पर सोने की गुणवत्ता, मिलावट इत्यादि की चिंता रहती है, जबकि गोल्ड ईटीएफ में ऐसी कोई चिंता नहीं।
  • कम रकम का निवेश – गोल्ड ईटीएफ में आप 1 ग्राम की एक यूनिट भी खरीद सकते हैं (सैकंडरी मार्केट से), जबकि 1 ग्राम वास्तविक सोना खरीदना महंगा पड़ता है।
  • संग्रह कि फ़िक्र नहीं –  गोल्ड ईटीएफ डीमेट हो सकता है, जबकि आपको सोने को सुरक्षित रखने के लिए ध्यान रखना पड़ता है। इस पर किसी का नाम नहीं लिखा होता, जबकि गोल्ड ईटीएफ आपके नाम पर मिलता है।
  • विनिवेश करना – फिजिकल सोना बेचने के लिए आपको सोने की दुकान पर जाना पड़ता है और बेचते समय आपको लगता है कि आप कोई गलत कार्य या अपराध कर रहे हैं, जबकि गोल्ड ईटीएफ आप आराम से शेयर बाजार में ले बेच सकते हैं।
  • वर्तमान योजनाएं – बेंचमार्क एसेट मैनेजमेंट कंपनी, कोटक गोल्ड, रिलायंस म्युच्युअल फंड और यूटीआई द्वारा गोल्ड ईटीएफ जैसी कई योजना जारी हैं, जिसमें सोने का भाव ऊंचा जाने के कारण निवेशकों को अच्छा प्रतिफल मिलता है।
  • खुदरा निवेशक न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) में आवेदन कर सकता है अथवा वह सैकंडरी मार्केट से ईटीएफ के यूनिट्स प्राप्त कर सकता है। एनएफओ में इंट्री लोड होता है, जबकि सैकंडरी मार्केट से यूनिट्स खरीदने पर दलाली चुकानी पड़ती है।                                        गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें
  • एनएफओ में यूनिट्स खरीदने के लिए निर्धारित न्यूनतम संख्या में यूनिटों के लिए आवेदन करना पड़ता है, जबकि सैकंडरी मार्केट से आप एक यूनिट (1 ग्राम सोना) भी खरीद सकते हैं। छोटे निवेशकों के लिए ईटीएफ का महत्व यह है कि निवेशक यूनिट रख सकते हैं और जब उनकी इच्छा हो तब बेच सकते हैं। यूनिट का भाव इसे बेचते समय सोने के विद्यमान भाव के लगभग ही होता है ।
  • यह योजना फिजिकल रूप में सोना रखने की मुश्किलों अड़चनों जैसे कि उसे संभाल कर रखने (स्टोरेज), प्रवाहिता और शुद्धता की आशंका जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाती है। गोल्ड ईटीएफ संपत्ति ‘कर’ से मुक्त है परंतु इस पर कैपिटल गेन ‘कर’ भरना पड़ता है।

सोने में भी ‘एसआईपी कर सकते हैं

जिस प्रकार म्युच्युअल फंड में एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) है, वैसे ही सोने में भी हो सकता है। बैंक के रिकरिंग खाते की तरह हर महीने आप अपने आप एक या दो यूनिट (1 यूनिट 1 ग्राम) अपने डीमेट एकाउंट में जमा करते जाएं। इस प्रकार प्रतिवर्ष आपके खाते में यूनिट्स बढ़ते जाएंगे और भाव के अनुसार इन यूनिटों की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) बदलती रहेगी। सामान्य मध्यम वर्ग के लिए इस प्रकार यह सोना जमा करने का श्रेष्ठ मार्ग बन सकता है। कार्ल मार्क्स ने कहा है कि “सोना और चांदी वास्तव में पैसे का स्वरूप नहीं, परंतु पैसा सोने और चांदी का स्वरूप जरूर है और इसीलिए ही ‘बिलियन’ के मुकाबले ‘बुलियन’ ज्यादा महत्वपूर्ण है।”

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