त्वचा का रूखापन दूर करने के लिए त्वचा की सफाई करना अत्यंत आवश्यक है। त्वचा की सफाई का मतलब है संपूर्ण बाहरी शरीर की सफाई, जिसके लिए नियम पूर्वक प्रति दिन स्नान करना सबसे अच्छा उपाय है। त्वचा ही वह अवयव है, जो मनुष्य के शरीर के हड्डी मय ढांचे को ढंक कर सुंदरता प्रदान करता है। अतएव इसकी स्वच्छता का भरपूर ध्यान रखना चाहिए। मौसम के अनुसार दिन में एक-दो बार अवश्य स्नान करना चाहिए। स्नान के समय गीले खुरदरे कपड़े या रोएंदार तौलिए से रगड़ने से अच्छी तरह त्वचा की सफाई होती है। स्नान का उद्देश्य मुख्यतया त्वचा की सफाई करना ही है। आज हम बात करते हैं, ड्राई स्किन (Dry Skin) के लिए घरेलू उपाय – त्वचा के रूखेपन के कारण और त्वचा का रूखापन कैसे दूर करें ।
त्वचा के रूखेपन (Dry Skin) के कारण
त्वचा में करोड़ों की संख्या में रोम छिद्र हैं, जो पसीने के कारण हमेशा तरल रहते हैं। बाहर से धूल के कण पसीने में मिलकर मैल के रूप में रोम छिद्रों पर जम जाते हैं, जिससे रोम छिद्र बंद हो जाने के कारण भीतर से पसीना बाहर निकलना रुक जाता है, जिसका स्वास्थ्य पर हानि कारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए स्नान के द्वारा इन रोम छिद्रों को साफ एवं खुला रखना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
रोम छिद्र खोलने के लिए स्नान कैसे करें
स्नान के लिए साफ और ठंडा पानी सबसे अच्छा होता है। ठंडे जल से नहाने से त्वचा एवं रोम छिद्रों की सफाई के अतिरिक्त शरीर में एक दम नई ताजगी, चुस्ती तथा फुर्ती आती है और मन प्रसन्न हो जाता है। ठंडे पानी से डरना ठीक नहीं है। वह शरीर को बल प्रदान करता है। ठंड के मौमस में अत्यावश्यक होने पर गुनगुने जल से नहा सकते हैं, किंतु सिर पर गर्म पानी नहीं डालना चाहिए। इससे मस्तिष्क के स्नायुओं पर हानि कारक प्रभाव पड़ता है।
स्वस्थ व्यक्तियों के लिए प्रति दिन स्नान करना आवश्यक है। रोगी व्यक्तियों के लिए भी स्थिति के अनुसार स्नान करने से रोग से मुक्ति में सहायता मिलती है। यदि रोगी स्नान करने लायक स्थिति में न हो, तो गीले कपड़े से उसके बदन को रगड़ कर त्वचा की सफाई अवश्य कर देनी चाहिए। नहाने से पहले शरीर पर अच्छी तरह तेल की मालिश करनी चाहिए। तेल की मालिश से त्वचा का रूखापन दूर होता है। त्वचा की स्निग्धता सुरक्षित रहती है और तौलिए से अंगों को पोंछने पर त्वचा का मैल भी शीघ्र साफ हो जाता है।
नहाने में साबुन का उपयोग नहीं करना चाहिए। साबुन से त्वचा की स्निग्धता नष्ट होती है। साबुन के बदले हल्दी का चूर्ण, बेसन तथा सरसों का तेल मिलाकर उबटन बनाकर उसका प्रयोग करें। उबटन को संपूर्ण शरीर पर लगाकर पंद्रह मिनट तक उसे लगाने के पश्चात पानी से अच्छी तरह रगड़ कर साफ कर लें। हल्दी त्वचा के रंग को निखारती है। बेसन त्वचा को स्निग्ध बनाता है। प्राचीन काल में स्नान के लिए कई प्रकार के उबटनों का प्रयोग होता था। भोजन के तुरंत बाद तथा व्यायाम के तत्काल बाद स्नान नहीं करना चाहिए। किसी भी शारीरिक श्रम के बाद एकाध घंटा रुक कर ही स्नान करना चाहिए। स्नान के लिए हर मौसम में प्रात:काल का समय ही सबसे अच्छा होता है। ठंड की ऋतु में स्नान करने का स्थान, जहां हवा न आ सके, वहां हो, तो अच्छा है। (ड्राई स्किन (Dry Skin) के लिए घरेलू उपाय)
खून की कमी से त्वचा का रूखापन
हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं, जहां चारों तरफ सौंदर्य का बोलबाला है। चाहे स्त्री हो या पुरुष, प्रत्येक व्यक्ति अधिक सुंदर दिखना चाहता है। सुंदरता का आंकलन चेहरे की सुंदरता से किया जाता है। यदि चेहरे की त्वचा रूखी हो, कील-मुंहासों, झाइयों से भरी हो, तब मन कुंठा ग्रस्त हो जाता है तथा व्यक्ति में हीन भावना से ग्रसित हो जाता है, किंतु आयुर्वेद चिकित्सा से चेहरे की त्वचा का रूखापन, कील-मुंहासों से छुटकारा मिल सकता है। खून की कमी होने से त्वचा रूखी-सूखी हो जाती है, इसलिए खून की कमी की समुचित चिकित्सा करनी चाहिए।
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