आज उन 25 सवालों पर जो युवा अक्सर पूछते हैं पर चर्चा करते हैं और उनके जवाब भी प्रस्तुत किये जा रहे हैं, इन जवाबों में एक निहित भावना यह है कि मम्मी और पापा मिलकर इन्हें पढ़ें। यदि उन्होंने अपने बेटे-बेटियों के साथ पढ़ लिया तो वे आपकी उम्मीदों का एक नया झरोखा खोल देंगे। क्योंकि, हर सवाल का जवाब वे ही हैं। आगे जानते हैं युवाओं के 25 सवाल – आपके बच्चों के सवाल और उनके जवाब ।
सवाल 1 – मुझे रात में देर तक पढ़ना अच्छा लगता है। उस समय मैं पूरी एकाग्रचित होकर पढ़ता हूं, लेकिन पापा अधिकतर इस बात नाराज़ होते हैं। उनके अनुसार सुबह उठकर पढ़ना ज्यादा अच्छा रहता है। हम दोनों के बीच इसे लेकर तनाव बना रहता है।
उत्तर – ऐसा लगता है कि आपने पापा के साथ संवाद का रास्ता नहीं खोजा है। आमतौर पर यह धारणा है कि सुबह उठकर पढ़ना ज्यादा अच्छा होता है। आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक यानी शरीर की घड़ी की अपनी प्रकृति भी है। यदि आपको ऐसा लगता है कि देर रात बेहतर पढ़ाई हो सकती है और आप पढ़ाई के घंटों में कोई कटौती नहीं कर रहे तो कोशिश कीजिए कि पापा आपकी बात को समझ जाएं। सुबह देर तक सोना ठीक नहीं होता। उनका डर यह हो सकता है कि आप देर तक जागेंगे तो देर से उठेंगे और इस तरह सारा क्रम ही बदल देंगे। दोनों बातों पर आपको उन्हें संतुष्ट करना होगा।
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सवाल 2 – मैं ग्यारहवीं कक्षा में हूं और पी.एम.टी की तैयारी कर रहा हूं। दिन भर मैं स्कूल के अलावा पांच ट्यूशन जाता हूं और जी-जान से पढ़ाई में लगा हूं। फिर भी मेरे पापा संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें मेरी दोस्ती को लेकर शिकायतें हैं।
उत्तर – माता-पिता अपने बच्चों के वातावरण के प्रति बहुत संवेदन शील होते हैं। यदि उन्हें लगता है कि आपकी मित्र मंडली अच्छी नहीं है और आपके जी-जान से पढ़ाई करने के नतीजे भी खराब निकल सकते हैं तो उनकी चिंता स्वाभाविक है। आप अपने दोस्तों की निरपेक्ष ढंग से पड़ताल कीजिए। अपने पापा के विचारों पर ध्यान दीजिए। दोनों को वास्तविकता के तराजू पर तौलिए। अपने आप उत्तर निकल आएगा। इसमें कोई शक नहीं कि आप जी-जान से मेहनत कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि परिवार तक इस संदेश को पहुंचने में कोई कमी हो रही है। दोस्ती के मामले में स्थिति स्पष्ट करना लाभ ही पहुंचाएगा।
सवाल 3 – मेरी नई-नई शादी हुई है, मुझे नौकरी के लिए दूसरे शहर जाना है। मैं अपनी पत्नी को साथ लेकर जाना चाहता हूं, लेकिन मेरे माता-पिता को भी उसकी जरूरत है।
उत्तर – माता-पिता की जरूरत को गंभीरता से सोचकर देखिए। आज के समय रोजगार के लिए दूरदराज के शहरों में जाना जरूरी होता जा रहा है। नए-नए एकल परिवार बनते हैं। जिन घरों में एक बच्चा हो वहां माता-पिता स्वाभाविक रूप से चाहते हैं कि बच्चा हमेशा साथ ही रहे। माता-पिता को यदि वास्तव में जरूरत है तो आपको राह खोजनी चाहिए। आप किस सीमा तक माता-पिता के साथ अपने विचार बांट सकते हैं यह बात सोचकर देखिए। यदि दोनों पक्ष भावनाएं समझ जाएंगे तो समस्या आसान हो जाएगी। वे आपके साथ भी जा सकते हैं। यदि परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं तो आपको समुचित व्यवस्थाएं भी देखनी होंगी। आपकी पत्नी भी इस निर्णय में मददगार हो सकती है। (युवाओं के 25 सवाल)
सवाल 4 – जब कभी मैं थोड़े ट्रेंडी कपड़े (शॉर्ट स्कर्ट, टॉप, जींस, कैप्री आदि) पहनती हूं तो मम्मी तुरंत टोक देती हैं। मैं अपने मनपसंद स्टाइलिश कपडे नहीं पहन पाती।
उत्तर – मम्मी टोकेंगी। हर मां या पिता अपने आदर्शों के अनुकूल आचरण करता है। आप जिन कपड़ों को ट्रेंडी समझती हैं वे उनकी दृष्टि में अश्लील या अभद्र हो सकते हैं। उम्र की स्वाभाविक प्रकृति के अनुरूप आपको ये चीजें अभी परेशान करने वाली लगेंगी, लेकिन जब आप बड़ी होंगी तब इस तथ्य की सच्चाई जान पाएंगी। इसमें कोई अफसोस की बात नहीं है कि आप स्टाइलिश कपड़े नहीं पहन पातीं। स्टाइलिश का अर्थ सिर्फ वही नहीं होता जो फैशन शो या फिल्मों के प्रचार पर आधारित होता है। सादगी और सहजता बड़े मूल्य हैं। मम्मी की भावनाओं को समझते हुए जब आप अपनी बात उन तक पहुंचा देंगी तो वे भी बहुत सी पाबंदियां हटा लेंगी। आपको तार्किक होना पड़ेगा और मन की इच्छाओं को पूरा करने के लिए संवाद का पुल बनाना होगा। (युवाओं के 25 सवाल)
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सवाल 5 – मैं एक छोटे कस्बे में पला-बढ़ा हूं। हालांकि तीन साल पहले एमबीए करने के लिए मैं शहर आ गया था। इन दिनों बहुत से इंटरव्यू दिए हैं, लेकिन अधिकतर नौकरियां मुंबई, बेंगलूर और चेन्नई जैसे शहरों में हैं। मेट्रो शहर को लेकर मेरे भीतर बहुत झिझक है। हालांकि अवसर भी वहीं है।
उत्तर – छोटे कस्बों में रोजगार अपेक्षाकृत कम हैं। हालांकि यह बिल्कुल आवश्यक नहीं कि बड़ी जगहों से ही शानदार भविष्य वाले बच्चे निकलकर आएं । कई मशहूर लोगों की परवरिश सामान्य कस्बों में हुई, पढ़ाई सामान्य स्कूलों में हुई। वास्तविक शक्ति इसमें निहित है कि आपका अपने उद्देश्य के प्रति समर्पण कितना है। एमबीए की डिग्री लेने के लिए भी आपको थोड़े बड़े शहर आना पड़ा। आपने पाया होगा कि यहां आने में भी पहली बार झिझक तथा भय रहा होगा जो देखते ही देखते मिट गया। मेट्रो भी इसी देश और धरती के हैं। यदि आप सफलता के लिए तैयार हैं तो बिना झिझक के निर्णय लें। मेट्रो की विपरीत परिस्थितियां देखते ही देखते अनुकूल लगने लगेंगी।
सवाल 6 – पापा को मेरा कोई काम पसंद नहीं आता। इसकी वजह से वे बातबात पर मुझसे उलझ जाते हैं। ऐसा क्या करूं कि हम दोनों में अच्छी समझ हो ?
उत्तर – एक सूची बनाइए कि किन-किन बातों पर आप और पापा उलझते हैं। पूरी सूची बन जाए तो उसका विश्लेषण कीजिए। आपको लगेगा कि इनमें से 55 प्रतिशत बातें बेवजह हैं। इन्हें आप अपने स्तर पर खत्म कर सकते हैं। अब आधे से भी कम यानी सिर्फ 45 प्रतिशत समस्या रह जाती है। जब एक प्रयास से आधी से ज्यादा समस्या सुलझाई जा सकती है तो सोच लीजिए कि बाकी समस्याओं के लिए कितने प्रयास लगेंगे। यदि आप यही सूची पापा के पास ले जाने में सफल हुए तो 55 प्रतिशत उधर से निकल जाएंगी। यह समझ विकसित होते ही उलझन बचती ही नहीं। फिर भी यदि लगता है कि पापा हमेशा नापसंद करेंगे तो आपको दूसरी तरफ जाकर यह सोचना चाहिए कि वे कौन सी चीजें पसंद करते हैं। यह सूची भी छोटी नहीं निकलने वाली।
सवाल 7 – मैं एक मध्यम वर्ग परिवार से हूं। अक्सर जब मैं अपने कॉलेज के युप ग्रुप के बीच होता हूं तो हर महीने घर से मिलने वाली पॉकेट मनी कम लगती है। कभी-कभी दोस्तों के बीच पैसे को लेकर शर्मिंदा भी होना पड़ता है। (युवाओं के 25 सवाल)
उत्तर – अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवारों में बेटे इसी तरह सोचते हैं। आप अपने आसपास का माहौल ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि पॉकेट मनी ऐसी कोई चीज़ नहीं है कि उसकी कमी को लेकर शर्मिंदा हुआ जाए। जो धनी परिवारों के बच्चे हैं उनके पास हो सकता है आवश्यकता से अधिक पॉकेट मनी हो, लेकिन आवश्यक नहीं कि वे आपकी तरह प्रतिभावान या सोच-समझ वाले हों। आपको अपने सुरक्षित भविष्य, पारिवारिक जिम्मेदारियां, भावी योजनाएं आदि पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। पॉकेट मनी एक तात्कालिक चीज़ है। आप पाएंगे कि कई बच्चों के पास मामूली पॉकेट मनी भी नहीं होती। कई बच्चे पार्ट टाइम जॉब करके अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाते हैं। असली चीज़ है भविष्य। इसे बनाएंगे तो आपके पास पॉकेट भी होगी और मनी भी।
सवाल 8 – मेरे सारे दोस्त स्मोकिंग करने के लिए उकसाते हैं और नहीं करने पर ग्रुप से बाहर निकालने की धमकी देते हैं। मैं उनके साथ दोस्ती तो रखना चाहता हूं, लेकिन स्मोकिंग से बचना चाहता हूं। (युवाओं के 25 सवाल)
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उत्तर – ऐसा ग्रुप किस काम का जो आपकी भावनाओं की परवाह भी नहीं करता। ऐसे दोस्तों से दूर रहना ज्यादा ठीक है जो आपकी इच्छा का सम्मान करने की बजाय धमकी देते हैं। दृढ़ता से अपनी बात रखिए। वे आपको चाहते हैं तो मान जाएंगे। अक्सर मित्रमंडली को लेकर इस तरह की दुविधा होती है। आप अपने समूह को छोड़ना नहीं चाहते क्योंकि उसमें भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करते हैं। आपको लगता है कि सिगरेट पीने वाले ही सही दोस्त तो अच्छे हैं। यह बात सिगरेट से आगे भी पहुंच सकती है। चूंकि आप कोई चीज़ नहीं पसंद करते अतः आपका अधिकार है कि उसे न अपनाएं। बुरी चीजों का दबाव बनाना भावनात्मक ब्लैकमेल है। आपको इसके विरुद्ध मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए। अच्छे होंगे तो दोस्त और भी मिलेंगे।
सवाल 9 – मुझे हमेशा यह लगता है कि पापा-मम्मी मेरे भाई के कैरियर के प्रति ज्यादा सजग हैं। मैं जब भी किसी प्रोफेशनल कोर्स के बारे में या उसके लिए बाहर जाने की बात करती हूं, वे उत्साहित नहीं नजर आते। (युवाओं के 25 सवाल)
उत्तर – कई परिवारों में लड़कों को लेकर ज्यादा आशा लगाई जाती है। यह माना जाता है कि वे अगर बेहतर भविष्य बना लें तो परिवार के लिए अच्छा होगा। लड़की दूसरे घर जाएगी इसलिए उसकी प्राथमिकता दूसरी होगी। हालांकि अब यह मान्यता बदल रही है। आप घर में बिना तनाव बनाए अपनी इच्छाओं को प्रकट करने की कोशिश कीजिए। वे उत्साहित न हों तब भी अपने आपको उद्देश्य के प्रति सजग रखिए। दृढ़ता, स्पष्टता और माता-पिता के प्रति सम्मान तीनों का संतुलन आपको अवश्य अवसर देगा। निरुत्साहित न हों, बल्कि रास्ता खोजने के लिए प्रवृत्त हों। यह भी हो सकता है कि घर वाले आपकी भावनाओं के विपरीत न सोचते हों, सिर्फ ऐसा प्रतीत हो रहा हो। बात स्पष्ट होगी, रास्ते खुलेंगे।
सवाल 10 – मेरे सभी दोस्तों के पास मोबाइल फोन है। हालांकि मुझे इसकी खास जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी मैं खरीदना चाहता हूं। पापा इसके लिए मना कर रहे हैं। मुझे क्या करना चाहिए ?
उत्तर – जब आपको जरूरत नहीं है तो आप क्यों खरीदना चाहते हैं? शायद सिर्फ इसलिए कि आपके भीतर बाकी दोस्तों की बराबरी करने की भावना प्रबल हो रही है। पापा का मना करना और आपकी जरूरत दोनों ही इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि मोबाइल अनावश्यक है। जब आप दोनों बातें जानते हैं तो असमंजस कैसा? मोबाइल, कार, बाइक जैसे कई आकर्षण इन दिनों चलन में हैं। ऊर्जा और उत्साह की उम्र में इन चीजों के प्रति युवा निश्चित रूप से आकर्षित होते हैं। यदि सीमा से बाहर जाकर अनावश्यक प्रतिस्पर्धा को अपना लिया जाए तो वह परिवार और स्वयं दोनों के लिए नुकसानदेह होती है। आपको भविष्य देखना चाहिए। क्या आप अपने पैरों पर खड़े होने का इंतजार नहीं कर सकते ?
सवाल 11 – मेरा कद छोटा है और देखने में काफी अनाकर्षक हूं। मुझे लगता है कि मैं किसी भी इंटरव्यू में असफल रहूंगा।
उत्तर – कद से कोई फर्क नहीं पड़ता। अनाकर्षक होना आपने कैसे जाना ? दरअसल यह आपके भीतर की भावना है। अपने आपके बारे में कम करके सोचना या बाकी लोगों से तुलना करना आपको हानि पहुंचाता है। क्या आपने देखा है कि आकर्षण से जुड़े उद्योग फिल्म में भी सब एक जैसे चेहरे वाले हैं ? छोटे बड़े, दुबले या मोटे प्राकृतिक रूप से होते हैं। सौन्दर्य की परिभाषा दौर के चलन से नाप कर मान ली जाती है। सबसे पहले यह आत्म विश्वास बनाएं कि आपके कद के और आप से भी ज्यादा कथित रूप से अनाकर्षक लोग हैं जो सफलता और सम्मान के साथ आगे बढ़े हैं। इंटरव्यू में सफलता आपके एटीट्यूड और प्रतिभा पर निर्भर है। इसकी ओर ध्यान दीजिए। आप अवश्य सफल होंगे।
सवाल 12 – मैं विदेश में नौकरी करना चाहता हूं। लेकिन मेरी मंगेतर यहीं रहकर अपना कैरियर चाहती है। (युवाओं के 25 सवाल)
उत्तर – यह एक व्यक्तिगत समस्या है। दोनों के कारण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। विदेश में और देश में कैरियर बनाना इच्छा तथा अवसरों पर निर्भर है। आप दोनों यदि एक दूसरे को समझते हैं तो तर्क तथा प्रेम के पैमाने आपकी बहुत मदद करेंगे। आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं ? कैरियर या सुंदर जीवन । यदि सुंदर जीवन के लिए दोनों मिलकर सोचेंगे तो कैरियर पीछे-पीछे चलता नजर आएगा। कैरियर सिर्फ आपके उद्देश्य में मदद के लिए है पर उद्देश्य की पहचान आपको मिलकर करनी होगी। कई बार पहली दृष्टि में कोई तालमेल नहीं बैठ पाता। उद्देश्य में टकराहट होती है। यह टकराहट बढ़ जाती है, यदि दोनों के अहंकार आड़े आ जाएं। वैचारिक साझा बनाइए। यह सर्वश्रेष्ट विकल्प है।
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सवाल 13 – इंटरनेट के लिए फ्रीलांसिंग करने के लिए क्या कोई पैसा मिलता है। यदि हां तो इसके लिए क्या प्रक्रिया है ? (युवाओं के 25 सवाल)
उत्तर – भारत में इंटरनेट के लिए फ्रीलांसिंग इतनी विकसित नहीं हुई है। विदेशी वेबसाइटों के लिए अवसर हैं। प्रत्येक वेबसाइट की अपनी प्रक्रिया होती है। कुछ व्यावसायिक वेबसाइट असाइनमेंट के आधार पर भुगतान करती हैं। स्तंभ लेखन, समाचार अथवा वेबसाइट के विषय के अनुरूप सहायक कंटेंट पूर्व स्वीकृति के आधार पर लिए जाते हैं। ऐसे कार्यों के लिए उनके नियमानुसार भुगतान भी होता है। आपको अपने अनुकूल अवसर इंटरनेट पर आवश्यक खोज करने से मिल सकते हैं। कुछ साइट ऐसे हैं जो फ्रीलांस लेखकों को रजिस्टर करते हैं। इसमें आपको अपनी योग्यताओं का विवरण देना होता है। अनुवाद आदि के काम बहुत ज्यादा मिलते हैं। यदि सही नियोक्ता तक आप पहुंच जाते हैं तो काम और आसान हो जाता है।
सवाल 14 – मैंने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की है। सभी विषयों का परिणाम बेहद अच्छा रहा है, लेकिन अब समझ में नहीं आ रहा कि किस विषय में स्पेशलाइजेशन करूं?
उत्तर – यह समस्या आम तौर पर सभी युवाओं के साथ होती है। सामान्यतः मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में हायर सैकंडरी के बाद जाया जा सकता है। स्नातक विद्यार्थी विभिन्न व्यवसायों में जा सकते हैं। बैंक, शिक्षा, प्रशासन सहित बहुत से महत्व पूर्ण क्षेत्र उनके लिए हैं। आपको अपने प्रिय विषय की पहचान करना चाहिए। उस विषय के अवसरों को जानना-समझना चाहिए। परिणाम हर विषय में अच्छा हो सकता है, लेकिन मनपसंद विषय एक ही होता है। आप आत्मनिरीक्षण करेंगे तो सही फैसला ले सकेंगे। आमतौर पर कई विद्यार्थी सभी विषयों में अच्छे होते हैं, लेकिन उनका एक पसंदीदा विषय अवश्य होता है। इच्छा के विरुद्ध क्षेत्र में जाना सफल होने के बावजूद संतोष जनक नहीं रहता। (युवाओं के 25 सवाल)
सवाल 15- मेरी गर्लफ्रेंड मेरे सारे दोस्तों के साथ काफी खुलकर मिलती है और यह मुझे अच्छा नहीं लगता। क्या मुझे उससे दोस्ती तोड़ देनी चाहिए ?
उत्तर – क्या आपने कभी अपनी दोस्त के सामने यह समस्या रखी है ? कुछ लोगों का स्वभाव खुला होता है। हो सकता है आपको यह पसंद न हो। बेहतर होगा कि तनाव बिंदु आने से पहले अपनी मित्र को अपनी भावनाओं से अवगत करा दें। यदि उसे आपकी बात पसंद नहीं है तो मित्रता अपने आप समाप्त हो जाएगी। आपको दोस्ती तोड़ने का फैसला लेने से पहले दोस्ती के बचाव का एक अवसर जरूर निकालना चाहिए। दर असल जिन्हें आप करीबी दोस्त समझते हैं वे सामान्य परिचय क्षेत्र में आने वाले चेहरे भी हो सकते हैं। प्रेम और अधिकार बहुत बारीक चीजें हैं। हो सकता है आपकी कथित मित्र को सभी के साथ समान व्यवहार करना हो, लेकिन आप स्वयं को उनसे ऊपर मान रहे हों।
सवाल 16 – मैं डिस्को जाने का शौकीन हं. लेकिन मेरी पत्नी को ये माहौल रास नहीं आता। इस कारण हम दोनों में अक्सर तनाव रहता है। मुझे उसे किस प्रकार समझाना चाहिए ?
उत्तर – पहले तय कीजिए कि आप घर की शांति चाहते हैं या डिस्को का सुकून । यदी पत्नी को आपका यह शौक पसंद नहीं है तो समझाने की कोई भी कोशिश आपको कमजोर ही करेगी। आप दोनों मन को खुश रखने के साझा उपाय भी तो ढूंढ़ सकते हैं। क्या आपने अपनी पत्नी से पूछा है कि वे फुर्सत का समय कहां बिताना चाहेंगी ? सिर्फ अपनी ही नहीं दूसरी तरफ से भी सोचिए। अकसर पुरुष सोचते हैं कि उनके आनंद मनाने के तरीके उनकी पत्नी पर भी लागू होने चाहिए। शराब पीने अथवा मित्र मंडली के साथ घर में महफिल जमाने के शौकीन युवा पति इसे समझ नहीं पाते कि उनकी नई-नई शुरू हुई जिंदगी में दूसरा पक्ष भी खुश है या नहीं ? (युवाओं के 25 सवाल)
सवाल 17- अक्सर ऐसा होता है कि जॉब टाइम के बाद घर पहुंचने में देर हो जाती है और मम्मी-पापा काम के दबाव को समझने की जगह मुझसे नाराज़ रहते हैं। मैं किस तरह से ज़िंदगी में संतुलन बनाऊं ?
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उत्तर – आपको अपने मम्मी-पापा के साथ एक समझ विकसित करनी होगी। उन्हें विश्वास में लेना होगा कि आपकी देरी आपकी इच्छा नहीं, बल्कि काम की जरूरत है। यदि आपको गंभीरता पूर्वक लगता है कि भविष्य के लिए जॉब को ज्यादा टाइम देना आवश्यक है तो इस गंभीरता को उन तक पहुंचाइए। अपनी मेहनत जारी रखिए। परिणाम अपने आप सभी को उत्तर देंगे। यह समस्या आज कल युवा काम काजी दंपतियों में भी देखने में आती है। काम का समय भिन्न-भिन्न होता है। काम की जरूरतें अलग होती हैं। पारंपरिक 10 से 5 बजे वाली नौकरियां अब बहुत सीमित हैं। इन वास्तविकताओं को अपने परिवार तक सहज ढंग से पहुंचाना ही संतुलन बना सकता है।
सवाल 18 – मैंने 12वीं क्लास पास कर ली है। मेरी ज्यादातर सहेलियां ब्यूटी पार्लर जाती हैं, लेकिन जब भी मैं पार्लर जाने की सोचती हूं, कॉन्शियस हो जाती हूं । हालांकि चाहती हूं कि मैं भी सुंदर दिखू । (युवाओं के 25 सवाल)
उत्तर – जिस उम्र में आप हैं, यह आकर्षण स्वाभाविक है। सुंदर दिखने के लिए ब्यूटी पार्लर एक साधन मात्र है। इसमें बहुत कॉन्शियस होने की बात नहीं है। कभी न कभी तो हर चीज़ पहली बार होती है। आप एक बार जाकर देख लें। परिवार के सदस्यों, खासतौर पर मम्मी को विश्वास में लेकर अपनी बात कहें। ब्यूटी पार्लर कोई विशेष योग्यता प्राप्त करने की जगह नहीं है कि आप घबराएं। यह सहज है और कई बार गैरजरूरी भी। घबराहट वहां होनी चाहिए जहां आपको कोई निर्णय लेना हो। यहां आपको बिल चुकाना है और सेवाएं लेनी हैं। इस हिसाब से आप ब्यूटी पार्लर वालों से ऊपर हैं। एक बार जाने के बाद उसके उपयोगी या अनुपयोगी होने पर अपने आप फैसला हो जाएगा।
सवाल 19 – अपनी हमउम्र सहेलियों से खूबसूरत होने के बावजूद मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है जिसकी वजह से मेरे मन में हीन भावना बन गई है। इस तनाव से कैसे निकलूं।
उत्तर – यह अचरज की बात है कि आप पर बिना किसी अच्छी वजह के तनाव हावी हो रहा है। लगता है आप अपने आसपास के वातावरण से अपने मानक निर्धारित कर रही हैं। ये मानक ऐसे हैं जिनका वास्तव में कोई अर्थ नहीं है। जो आपकी भावनाओं को समझे, विश्वस्त हो, तकलीफ में मददगार हो वही दोस्त होता है। ब्वॉयफ्रेंड होना किसी योग्यता की निशानी नहीं है। सुंदरता का तो इससे कोई लेना-देना ही नहीं। यह तनाव बेकार है। आपकी अपनी प्राथमिकताएं हैं। आपका अपना भविष्य है। उस पर ध्यान दीजिए। तनाव सुरक्षित भविष्य और वास्तविक संतोष की दिशा तय करने का होना चाहिए, ऐसी सामान्य बातों का नहीं।
बच्चों के कैरियर बनाने में आपकी की भूमिका – Your role in making children’s career.
सवाल 20 – हॉस्टल में मेरा रूम मेट कमरे को काफी फैला देता है। मुझे सफाई पसंद है और इस बात को लेकर हमारे बीच कई बार बहस हो चुकी है। अब मैं रूम चेंज करने की सोच रहा हूं। क्या यह सही निर्णय है ?
उत्तर – यदि स्थिति वाकई सीमा के पार हो चुकी है तो रूम चेंज करने का निर्णय सही है। बहस यदि बार बार हो तो धीरे-धीरे संघर्ष में बदल जाती है। यदि दोनों में समन्वय है तो सामान फैलाने और सफाई के बीच सुलह हो सकती है। ऐसा तभी संभव है जब आपकी मित्रता घनिष्ठ हो। ऐसा लगता है कि आप और आपके साथी के बीच सिर्फ सामान्य रिश्ता है। दोनों एक दूसरे की भावनाओं का आदर नहीं करते । सामान फैलाने ही नहीं बाकी बातों में भी आपके बीच मतभेद हो सकते हैं। रूम चेंज करने पर दूसरा साथी आपके मन का मिलेगा इस बात का विश्वास यदि है तो उत्तर आप ही तय कर लीजिए।
सवाल 21 – मेरे दोस्त मोबाइल पर अक्सर पोर्न मैसेज भेजा करते हैं, लेकिन ऐसे मैसेज मुझे तनाव देते हैं।
उत्तर – उन्हें सख्ती से मना कीजिए। यदि आपके मोबाइल में यह सुविधा है कि चुने हुए नंबरों से आए कॉल या संदेश रिजेक्ट कर सके तो उसका उपयोग कीजिए। मैसेज भेजने वालों के साथ इस किस्म के मैसेज पर कोई चर्चा मत कीजिए। यदि वे कोशिश करें तो भी खारिज कर दीजिए। उन्हें लगना चाहिए कि आप ऐसी चीज़ों का नोटिस ही नहीं लेते। यदि आप उनसे टीका-टिप्पणी में उलझेंगे तो वे प्रोत्साहित होंगे। दोचार बार आपका रवैया सख्त रहा तो उनका रोमांच भी खत्म हो जाएगा। वे आपको अपने दायरे से खुद-ब-खुद अलग मानने लगेंगे। किसी की मानसिक विकृति आपके लिए कष्ट का कारण नहीं बनना चाहिए। यदि अपरिचित नंबर से आपको ऐसा मैसेज मिलता है तो मोबाइल कंपनी को शिकायत की जा सकती है और पुलिस में भी मामला दर्ज कराया जा सकता है। (युवाओं के 25 सवाल)
सवाल 22 – मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं और इस वर्ष 11वीं कक्षा में हूं और कोई भी सामाजिक समारोह होता है तो पापा-मम्मी चाहते हैं कि मैं भी उसमें शामिल होऊं, जबकि मैं वहां ऊब जाता हूं और घर पर रुकना चाहता हूं।
उत्तर – आप भीड़ भाड़ से अलग रहना चाहते हैं। मम्मी-पापा आपको सामाजिक तौर पर परिचित कराना चाहते हैं। वे सोचते होंगे कि आप नाते रिश्तेदारों से नहीं मिलेंगे तो कैसे चलेगा। हो सकता है कि आपका अकेले रहना उन्हें असामान्य लगता हो। आपकी ऊब गलत नहीं है, आपके स्वभाव का हिस्सा है। एकाकी और संवेदनशील होना बुरा नहीं है। चूंकि आप अभी बड़े हो रहे हैं, इसलिए द्वंद्व ज्यादा है। जरूरत के मुताबिक थोड़ा मिलना-जुलना सामाजिक आवश्यकता है। इसके लिए मन को तैयार करें। जब आप बड़े हो जाएंगे और स्वयं फैसले ले सकेंगे तब मनोनुकूल चयन की सुविधा आपकी होगी।
सवाल 23 – मैं अपने परिवार में ऐसे लोगों को आते-जाते देखती हूं जो बड़े व्यवसायी, अधिकारी या सम्मानित लोग हैं, लेकिन भ्रष्टाचार में उनकी भूमिका रहती है। मेरे पिता एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। वे कई सरकारी फैसलों को कराने में सक्षम हैं। मुझे लगता है कि कुछ चीजें अच्छी नहीं होती। मम्मी भी दबी जुबान से शिकायत करती हैं। क्या मुझे दो टूक कहना चाहिए ?
उत्तर – यह समस्या अक्सर नैतिक आदर्शों वाले युवाओं में आती है। कई बच्चे परिवार के ऐसे वातावरण में ढल जाते हैं। दुनिया दारी और व्यावहारिकता जैसे शब्द सबको बदल देते हैं। आपके मन में यह विचार आया है तो स्वागत योग्य है। आप अपने कथन की सच्चाई पर संदेह मत कीजिए। जब आप सक्षम हो जाएं तो अपनी राह चुन सकती हैं। फिलहाल कोशिश कीजिए कि अपनी सीमाओं के बावजूद वह राह बनाने में लग सकें।
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सवाल 24 – मैं परिस्थितियों से बहुत खिन्न हूं। आत्महत्या करना चाहता हूं। इस स्थिति से कैसे निकलूं ? (युवाओं के 25 सवाल)
उत्तर – आप सोच लीजिए कि आपके मरने से किसका फायदा होने वाला है ? आपका तो बिल्कुल नहीं ! आपकी वजह से जिन लोगों ने उम्मीदें लगा रखी होंगी उनका भी नुक्सान ही होगा। हो सकता है, आपके मन में भविष्य का अर्थ अंधकार मात्र रह गया हो। हो सकता है, आप सोचते हों कि आपकी किसी को जरूरत नहीं है। हो सकता है, आप सोचते हों कि आप शारीरिक-मानसिक या आर्थिक रूप से बोझ हैं। हो सकता है, असफलता के डर आपको कमजोर कर रहे हों। सभी कारणों को लिख लीजिए। आप देखेंगे कि आत्महत्या की बजाय जी कर आप कई अच्छे-बुरे काम कर सकते हैं। दोनों की संभावनाएं 50-50 प्रतिशत हैं। आत्म हत्या सिर्फ बुरा काम ही होगा। तो फिर आप क्यों चाहेंगे कि सिर्फ एक और वह भी 100 प्रतिशत बुरा काम करें?
सवाल 25 – क्या प्रेम विवाह हमेशा असफल होते हैं ? मैं प्रेम करती हूं पर डर है कि शादी के बाद पता नहीं क्या हो ?
उत्तर – दोस्ती, आकर्षण और प्रेम में फर्क करना आजकल थोड़ा मुश्किल होता जा रहा है प्रेम में समर्पण सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है। विवाह किसी भी किस्म के हों असफल हो सकते हैं। प्रेम विवाह में यह बात खुलकर आती है, क्योंकि आम तौर पर परिजन इसके विरुद्ध होते हैं। अरेंज्ड मैरिज में दो परिवार मिलकर शादी को बनाए रखने की कोशिश करते हैं जो कि बाहरी है। भीतर के तनाव प्रेम से ही हल होते हैं। इस दृष्टि से प्रेम विवाह ज्यादा विश्वास और संकल्प चाहते हैं। डिस्को, डेटिंग या क्लब आज कल तात्कालिक आकर्षण के चिह्नों में बदलते जा रहे हैं। इसकी उत्तेजना से हटकर गंभीरता से से फैसले लिए जाएं तो सही होंगे। प्रेम विवाह हमेशा असफल नहीं होते और मां-बाप द्वारा करवाई गई शादी हमेशा सफल नहीं होती। भविष्य से डरने की बजाय प्रेम की शक्ति पर भरोसा हो तो जिम्मेदारी के साथ यह कदम उठाया जा सकता है ।।
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