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हड्डियां योग से  कैसे मजबूत बनाएं ?

हड्डियां योग से  कैसे मजबूत बनाएं ? – How to make bones strong with yoga ?

 

हड्डियां योग से  कैसे मजबूत बनाएं ?

How to make bones strong with yoga ?

                                                                                                 भारतीय खान-पान और जीवन शैली से संबंधित हमारी आदतें कमजोर हड्डियों का मूल कारण हैं। हड्डियां न केवल हमारे शरीर को सहारा देती हैं बल्कि रक्त कोशिकाओं का निर्माण भी करती हैं, इस संबंध में आहार परिवर्तन युक्त यौगिक क्रियाएं आपको तात्कालिक और सकारात्मक फायदे दे सकती हैं। हड्डियां कमजोर होने के कई कारण हैं। जिनमें से एक है अत्यधिक आलसी जीवन शैली। हड्डियों पर अगर संबधित मासपेशियों का दबाव (व्यायाम और गतिविधियों के माध्यम से) नहीं पड़ता है तो हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। यहां तक कि शारीरिक रूप से चुस्त लोगों (जॉगर्स, वॉकर्स) जो अपने शरीर के एक हिस्से का इस्तेमाल करते हैं, के हाथों और कंधों की हड्डियों के भी क्षीण होने की संभावना हो सकती है खासतौर पर अगर वे व्यायाम के दौरान शरीर के इन हिस्सों को नजरअंदाज कर दें। आईये हम जानते हैं कि हड्डियां योग से  कैसे मजबूत बनाएं ? How to make bones strong with yoga?

 

हड्डियां कमजोर होने के मुख्य कारण :-

  •    मांसाहारी भोजन –

                                         मांसाहारी भोजन भी उतना ही नुकसान दायक होता है जितना कि वह शाकाहारी भोजन, जिसमें हरी सब्जियों (कैल्शियम जमाव व्यवस्था में सहायक विटामिन ‘के’ से भरपूर की  उपेक्षा की जाती है। अत्यधिक प्रोटीन युक्त आहार शरीर से कैल्शियम को बाहर निकाल देता है और यह तथ्य उस लोकप्रिय मान्यता के एकदम विपरीत है जिसके अनुसार रेड मीट के सेवन से आपकी हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसी प्रकार शाकाहारी भोजन में यदि विटामिन ‘के’ से हर सब्जियों को रोजाना शामिल न किया जाए तो हड्डियों को नुकसान पहुंचता है। जमा कैल्शियम भरपूर को व्यवस्थित करने के लिए विटामिन ‘के’ की जरूरत होती है। इसके अभाव में कैल्शियम धमनियों में जमने लगता है जो स्ट्रोक, प्लाक और आटिरिओसक्लिरोसिस को जन्म देता है।

  • अत्यधिक प्रोटीन युक्त भोजन व् दवाएं व अन्य कारण  –

                                                                                       अत्यधिक प्रोटीन युक्त भोजन के साथ साथ यहां तक कि कुछ चिकित्सकीय दवाओं का सेवन भी कैल्शियम के जमा होने को प्रभावित कर सकता है। इसमें कॉलेस्ट्राल को नियंत्रित्र करने वाली, थायरॉइड संबंधित बीमारियों का इलाज करने वाली सीजर और मूत्रवर्धक दवाएं शामिल हैं। उम्र का भी हड्डियों की से सीधा नाता है। बीस के बाद, विशेषकर चालीस पार करने पर हमारे द्रव्य में तेजी से कमी होने लगती है, इसे रोकने के लिए हमें आहार की भली-भांति जांच और व्यायाम की जरूरत होती रजोनिवृत्ति से गुजरने वाली महिलाएं विशेष रूप से इसका शिकार होती हैं, इनमें मूल अस्थिद्रव्य का एक-तिहाई हिस्सा तक कम हो जाता है। चाय का अत्यधिक सेवन, पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होना, शराब और धूम्रपान भी इसके लिए इतने ही जिम्मेदार हैं, जितना विटामिन ‘डी’ (सूर्य की रोशनी से मिलने वाला), मैग्नीशियम (ब्राउन राइस एवं हरी सब्जियों से) और कैल्शियम (नट्स, हरी सब्जियों आदि से) जैसे मुख्य तत्वों का अभाव। खराब आहार, अचानक और खतरनाक रूप से अस्थि क्षय को जन्म देता है। डायबिटीज, गुर्दा संबंधी समस्याएं तथा हाइपर-थायरॉइडिज्म फ्रैक्चर्स से जुड़े होते हैं जो कि कमजोर अस्थि द्रव्य का परिणाम होता है।

                                                   अंतरिक्ष यात्रा के दौरान, गुरुत्वाकर्षण बल के अभाव में अंतरिक्ष यात्री भी अस्थि क्षय का अनुभव करते हैं। हाल में मिली यह जानकारी हमें योग के अंतर्गत दिए जाने वाले प्रतिरोधी प्रशिक्षण के महत्व को समझने के लिए मजबूर करती है। योग में इस प्रकार की प्रतिरोधक शक्ति का निर्माण करने के लिए मशीनों की जरूरत नहीं होती इसके लिए आप गुरुत्वाकर्षण का प्रतिरोध कर रहे शरीर के दबाव का उपयोग करते हैं।

 

योग के द्वारा हड्डियों को कैसे मजबूत करें :-

                                                                                              कुछ समान्य ध्यान लगाने वाली समान्य मुन्दराओं के अलावा यह तथ्य सभी आसनों के लिए सच है । इनमें ऊष्ट्रासन (ऊंट), धनु (धनुष), भुजंगासन (कोबरा), शलभासन (टिड्डी), पर्वोत्तासन (तख्ता), जैसे पीछे की ओर झुकने वाले आसन विशिष्ट महत्व रखते हैं। धरती के गुरुत्वाकर्षण बल का प्रतिरोध करने वाले आसनों में आगे की ओर झुककर किए जाने वाले आसन है। पर्वतामा (पर्वत या उल्टा वी), वीरभद्रासन (सैनिक), डंडासन (छड़ी), ऊर्ध्वमुख श्वानासन (आगे की ओर देखता हुआ कुत्ता), जो हड्डियों को मजबूत बनाने में समर्थ हैं, लेकिन कुछ साधारण आसनों जैसे ताड़ासन (ताड़ का पेड़), त्रिकाया ताड़ासन (झुका हुआ ताड़), त्रिकोणायक (त्रिभुज) और इसके विभिन्न प्रकारों को यदि स्थिरता के साथ करना सीखें तो इनका भी समान प्रभाव देखा जा सकता है, जिससे ये आसन और भी चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं।

                                   ये यौगिक मुद्राए उम्र के साथ के साथ प्राकृतिक रूप से हड्डियों के सिकुड़ने के कारण लंबाई को कम होने से भी रोकती है। शुरुआत हम सरल उपचारात्मक योगाभ्यास से कर सकते हैं जब तक कि हमारा शरीर व्यायाम का आदी न हो जाए, लेकिन उसके बाद हृष्ट-पुष्ट सेहत का सच्चा लाभ हमें अपनी साधना को अधिक तीव्र करना सीखना होगा। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा शरीर छह सप्ताह के अंदर शारीरिक व्यायाम का आदी हो जाता है और इसका वास्तविक लाभ पाने के लिए इसकी प्रबलता को धीरे-धीरे बढ़ाया जाना चाहिए। इस प्रकार का हल्का सकारात्मक तनाव हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। 

                                 यौगिक प्राणायाम हमारे उपापचय को उत्तेजित करके हमारी सहायता करते हैं ।  इस संदर्भ में कपालभाति और भास्त्रिका जैसे उद्दीपक योगासन बहुत महत्व रखते हैं। इससे अस्थि घनत्व के लिए जरूरी अवशोषण भी प्रभावित होता है। हालांकि अक्सर हमारे शरीर को सही भोजन मिलने पर भी इसका फायदा नहीं मिल पाता क्योंकि कमजोर उदर के कारण उपापचय तंत्र सुस्त पड़ जाता है। अग्नि सार जैसे अभ्यास हमारे तंत्र को नवजीवन प्रदान करने में सक्षम माने जाते हैं। षटकर्म सहित अन्य यौगिक क्रियाएं हमारे शरीर को अम्ल के जमाव से छुटकारा दिलाती हैं, जो ऑर्थराइटिस के दर्द और कैल्शियम की कमी का मुख्य कारण है।

                                   संतुलनकारी यौगिक क्रियाएं सूक्ष्म मसिल तंत्रिकाओं पर प्रभाव डालती है और शारीरिक संतुलन को पुनः स्थापित करती हैं, जिससे बुजुर्गों में गिरने से होने वाले फ्रैक्चर्स को बचाया जा सकता है। ऐसा पाया गया है कि तनाव हमारे शरीर के अम्ल-क्षारीय संतुलन को बिगाड़ सकता है। ज्यादा मात्रा में अम्ल युक्त पदार्थ कैल्शियम को बाहर कर देते हैं, जिससे हड्डियों को नुकसान पहुंचता है।

                                    नियमित योग साधना न सिर्फ हमारी हड्डियों को प्रत्यक्ष रूप से फायदा भी गर्दन के साथ पहुंचाती है बल्कि हमें तनाव मुक्त करके अप्रत्यक्ष रूप से भी फायदा देती है।  यह उस तनाव में कमी करती है जो, हड्डियों के नुकसान को बढ़ावा देता है । जो कि एक ऐसी समस्या है जिसके बारे में  हमें मुश्किल से जानकारी होती है, इसलिए हड्डियों की मजबूती के लिए अपनाई जाने वाली किसी भी क्रिया में नियमित ध्यान को शामिल करना बेहद जरूरी  है।  कमजोर हड्डियों को कंधार आसन से बहुत फायदा मिलता है , आइये आगे हम कंधार आसन के बारे में जानते हैं ।                                                      

कंधार आसन –

                                  गुरुत्वाकर्षण विरोधी आसनों में हड्डियों को मजबूती प्रदान करने की क्षमता पाई जाती है। यह आसन सीखने में बहुत सरल है फिर भी इसमें सेहत और मजबूती प्रदान करने की शक्तिशाली योग्यता मौजूद है। इस अभ्यास को आपको उल्टी मुद्राओं के साथ करना होगा। इसे करने के बाद इसका उल्टा आसन जरूर करें जिसमें गर्दन बाहर की ओर खुलती हो, ठीक वैसे जैसे मत्स्य आसन किया जाता है।

निर्देश :–   1- उल्टे लेट जाएं। 2-  पैरों को घुटनों तक मोड़ें और पंजों को नितम्बों के नजदीक लाएं। 3- दोनों एड़ियों को हाथों से कसकर पकड़ लें। 4-  सांस लें। 5-नितम्बों को जितना ऊपर उठा सकें उतना उठाएं। 6- ठोड़ी, हंसली के मध्य गर्दन के नीचे के हिस्से को छूनी चाहिए। 7- आराम से जितनी देर तक इस मुद्रा में रह सकते हों रहें, सांस लेते रहें। 8- आराम करें। आप इस अभ्यास को नितम्बों को 10-15 बार ऊपर और नीचे की ओर ले जाते हुए जल्दी-जल्दी कर सकते हैं या फिर आधे मिनट या अधिक समय के लिए इस मुद्रा में रह सकते हैं।

ध्यान रखें :–  लम्बे समय तक मुद्रा में रहते हुए नितम्बों को ढीला न करें। सुनिश्चित करें कि ठोड़ी मजबूती से चिपकी हो

बचें :- पाचन नली में दर्द की स्थिति में या जलन होने पर इस आसन को करने से बचें।

लाभ :–  इसका गुरुत्वाकर्षण विरोधी दबाव हमारे शरीर के सभी  मुख्य  मांसल अंगों के लिए कारगर साबित होता है । जिसमें सम्पूर्ण मांसल-कंकालीय तंत्र पर असर पड़ता है। यह श्वसन संबंधी समस्याओं से भी निजात दिलाता है। गर्दन की कसरत से थायरॉइड और पैरा थायरॉइड संबंधित रोगों में राहत मिलती है, जिससे उपापचय (हड्डियों की सेहत के लिए जरूरी पोषक तत्वों के अवशोषण को सही रखने में सहायक) और कैल्शियम एवं मैग्नीशियम का अवशोषण दुरुस्त रहता है। यह कमर दर्द से छुटकारा दिलाता है, रीढ़ हड्डी की मरम्मत करता है, वसा में कमी करता है, पैरों जांघों और नितम्बों को छरहरा रखता है। यूरो जेनिटल सिस्टम पर प्रभाव डालता है और हार्मोनल समस्याओं का उपचार करने में सहायता प्रदान करता है। 

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