“यदि हम हर व्यक्ति की आंख का हर आंसू पोंछ डालें तब यह जिंदगी मुस्कुराएगी, चहकेगी, खिल उठेगी और महकेगी।” यह बात किसी साधारण व्यक्ति ने नहीं कही थी वरन जवाहर लाल नेहरू ने कही थी, जो भारत की आजादी के नेता एवं प्रथम प्रधानमंत्री थे, ने उस व्यक्ति के बारे में कही थी जो हमारी पीढ़ी का सबसे बड़ा और प्रमुख आदमी था यानी महात्मा गांधी। अब तो महात्मा गांधी केवल भारत के राष्ट्रपिता नहीं रहे वरन संयुक्त राष्ट्र संघ ने उनके जन्म दिन अर्थात् प्रत्येक 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस घोषित करके उन्हें संसार भर का मार्गदर्शक घोषित कर दिया है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से अहिंसा का अर्थ क्या होता है ? और महात्मा गांधी की नजरों में आजादी के मायने क्या हैं इस पर बात करते हैं ।
महात्मा गांधी के लिए आजादी के मायने
महात्मा गांधी ने कहा था कि “आजादी का एक ही अर्थ है कि हम अर्थात् वे लोग जो आजादी के लिए लड़ रहे हैं और जिन्हें आजादी अपनी जान से प्यारी है वे यह समझें कि हमें हर आंख में आया हुआ हर एक आंसू पोंछ डालना है और हर आदमी को भोजन, मकान, शिक्षा, चिकित्सा इत्यादि सुविधाएं देनी है।” हमने हर साल आजादी की वर्षगांठ तो मनाई और हम आजादी के 75 वें वर्ष में भी प्रवेश कर रहे हैं , परंतु यह कहां हुआ ? आज जिस उदार वाद का नाम लिया जाता है वह और कुछ नहीं केवल पूंजीवाद है और उसने भारत तथा संसार भर के उन पूंजीपतियों को जिनमें धन इकट्ठा करने की लालसा है एवं सामर्थ्य भी है धन दिया है, परंतु भारत के आम आदमी को उस उदारवाद ने कुछ नहीं दिया।
आज धनपति के पास वे सुख हैं जो उस व्यक्ति को नष्ट करने के लिए काफी हैं अर्थात यह अर्थव्यवस्था धनपति और गरीब के बीच की खाई को गहरा करती है, परंतु धनपति की कोई सेवा नहीं कर पाती, क्योंकि जैसा महात्मा गांधी ने कहा था कि “धनपति अपने आध्यात्मिक मूल्य को समझने के लिए समय और शक्ति ही नहीं बचा पाता। वह विलासिता में डूबा रहता है और उसका ध्यान अधिक से अधिक धन कमाने तथा अपने आप पर खर्च करने की ओर लगा रहता है।” इस कार्य में उसने पढ़े-लिखे लोगों को लगा लिया है और वे भी रोजगार प्राप्त करने की दृष्टि से उस व्यवस्था में शामिल हो गए हैं। यह मध्यम वर्ग धीरे-धीरे धन पति वर्ग में शामिल होता जा रहा है। आम आदमी के साथ इस मध्यम वर्ग का कोई संबंध नहीं रहा है, तुलना भी नहीं है। हर आंख के हर आंसू को पोंछने की बात हवा में उड़ गई। जीवन के बुनियादी साधन भी आम आदमी के पास नहीं हैं।
अहिंसा और हिंसा का मतलब
महात्मा गांधी के जन्मदिन को अहिंसा दिवस तो मना लिया जाएगा, परंतु क्या हम अहिंसा का अर्थ समझा है ? क्या हम जानते हैं कि अहिंसा का अर्थ क्या होता है ? अहिंसा का अर्थ समझने से पहले हर हिंसा का अर्थ समझना होगा। वह है दूसरे का शोषण और अपने असंतुलित पोषण। अहिंसा का वास्तविक अर्थ बहुत गहरा और हमें यह समझ लेना है कि संसार के किसी भी मनुष्य साथ यदि अन्याय होता है, उसका शोषण होता है, उसे पोषण के साधनों से वंचित किया जाता है और वह अपने दुख से रो उठता है, उसके दुख में कोई मनुष्य साथ नहीं देता है एवं वह अकेला पड़ गया है, तब अहिंसा कहां रही? यह तो हिंसा है और यही हिंसा है। हम पशु क्रूरता की बात करते हैं तथा यह चर्चा करते हैं कि बैंगन खाना हिंसा है अथवा अहिंसा। यह तो बहुत नीचे की बात है, असली बात तो मनुष्य के साथ हमारा व्यवहार है । यह मनुष्य सार्वभौम मनुष्य है। यही लोकतंत्र का मर्म है और लोकतंत्र का धर्म भी है। लोकतंत्र क्यों आया? क्या केवल इसलिए आया कि हम प्रत्येक वयस्क मनुष्य को मताधिकार दे दें?
बेलगाम अफसरशाही व व बेलगाम नेता
क्या आज अमेरिका अथवा भारत का कोई राष्ट्रपति उसी तरह जीता है, उसी तरह का कपड़ा पहनता है, उसी तरह का खाना खाता है, उसी तरह के मकान में रहता है जिसमें उस देश का कोई भी आम आदमी रहता है? यों तो राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री, या वे लोग जो लोक सेवक कहे जाते हैं, आम आदमी के नौकर हैं अर्थात् उससे प्राप्त होने वाले धन रूपी राजस्व में से वेतन प्राप्त करते हैं। पहली बात तो यह है कि क्या उनके वेतन आम आदमी के बराबर हैं और क्या वे वास्तव में नौकर हैं? या वे मालिक बन गए हैं। हमें अपने आपको धोखे में नहीं रखना चाहिए। आज समय अधिकारों की बात करने का नहीं है वरन आवश्यकता इस बात की है कि हम मनुष्य के कर्तव्यों को गिनाएं, विशेष तौर पर लोकसेवकों के, राजनीतिज्ञों के और उन लोगों के कर्तव्य जिन्हें देश के और दुनिया के संचालन का जिम्मा इस आम आदमी ने दे दिया है। आज भारत जैसे गणतंत्र में जनता की खून पसीने की कमाई का मोटा पैसा अफसरशाही और नेताओं की तन्खाहों में लुटाया जा रहा है जबकि आम आदमी की हालत सुधरने की बजाय दिनों दिन और भी खराब होती जा रहे है।
लोकतंत्र या मजाक
चुने जाने का क्या अर्थ है ? महात्मा गांधी कभी चुने नहीं गए, लेकिन वह आदमी झोपड़े में रहता था। लंगोटी बांधता था और आम आदमी को आजाद कराना चाहता था यानी अपमान से आजाद, भीख से आजाद, आवश्यकता से आजाद और पूरी तरह से आजाद । यही हर-हर महादेव का अर्थ है। इसका अर्थ यह है कि महादेव जो हमारे सारे संकटों को दूर कर देते हैं वे हमारे सारे कष्टों का हरण अर्थात् निवारण कर देंगे। यही आशा हमें आम आदमी से करनी है कि आम आदमी का समाज, आदमी के कष्टों का निवारण करके उसके हर आंख के हर आंसू को पोंछ डालेगा। यही जीने का अर्थ है।
अंतर्राष्ट्रीय गांधी
फ्रांस के दार्शनिक रोम्या रोलां की पत्नी ने उनकी मृत्यु के बाद उनकी जनवरी से नवंबर, 1930 की डायरी भेंट की थी। यह डायरी अप्रकाशित थी। इस डायरी में कहा गया है कि ब्रिटेन के एक युवा शांतिवादी ने उनको एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि वह गांधी की सेवा जीवन भर करना चाहेगा, क्योंकि यद्यपि वह यरवदा जेल में बंदी है, परंतु उसकी आत्मा सर्वत्र है और वह सबका मार्गदर्शन कर रही है। रोम्या रोलां ने गांधी जी की शांति को मनुष्य मात्र की शांति कहा है और वह शांति संसार की सच्ची शांति है। रोम्या रोला जीवनभर गांधीजी और भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन के समर्थक रहे और उनका विचार है कि वे संसार में सच्ची शांति स्थापित करने के लिए गांधी जी को सबसे बड़ा मनुष्य मानते हैं। उनकी यह बात संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी स्वीकार की है। रोम्या रोला ने ब्रिटिश नौ सेनापति की पुत्री मिस स्लेड को गांधीजी के बारे में बताया था। यही मिस स्लेड आगे जाकर गाधीजी की सच्ची शिष्य बनी और मीरा बेन कहलाईं। वास्तव में गांधी जी की सा मनुष्य मात्र की शाति है और विश्व की सच्ची शांति है।
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