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जिंदगी जीने के लिए ...

Motivational

स्वामी विवेकानंद का युवा पीढ़ी को संदेश

स्वामी विवेकानंद का युवा पीढ़ी को संदेश – नौजवानों के नाम स्वामी विवेकानंद का एक खत

आज हम स्वामी विवेकानंद का देश की नयी पीढ़ी को लिखे गए एक पत्र के बारे में जानते हैं। आईये बात करते हैं स्वामी विवेकानंद का युवा पीढ़ी को संदेश के बारे में :- ” हे भाग्यशाली युवा, अपने महान कर्तव्य को पहचानो। इस अद्भुत सौभाग्य को महसूस करो। इस रोमांच को स्वीकार करो। ईश्वर […]

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मौत का डर कैसे दूर करें

मौत का डर कैसे दूर करें ? – मौत से मुकाबला

अक्सर ये देखा गया है कि हम पूरी तन्मयता से हमारी छोटी सी जिंदगी को जी नहीं पाते। हमारी अधूरी आकांक्षाएं मृत्यु को दुखदायी बनाती हैं , गर पूरी ताकत से जिंदगी जी जाए तो मृत्यु हममें से लेकर जाएगी क्या? अगर जन्म ईश्वर का उपहार है तो मृत्यु को महा उपहार माना जाना चाहिए।

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संतुष्टि क्यों नहीं है ?

संतुष्टि क्यों नहीं है ? – हमें संतुष्टि क्यों नहीं मिलती ?

आज कल एक सवाल अधिकत्तर लोगों के मन में  उठता है, कि मेरे पास धन है, सम्मान है, सम्पत्ति है  पर संतुष्टि क्यों नहीं है ? आईये इसका जवाब हम आगे इस लेख में ढूंढने कि कोशिश करते हैं और जानते हैं कि क्या कारण हैं कि हमें संतुष्टि क्यों नहीं मिलती ? अपने आप

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सुखी जीवन मंत्र

सुखी जीवन मंत्र – सफलता के 100 मूल मंत्र

आज कल की भाग दौड़ की जिंदगी में हर कोई किसी न किसी बात को लेकर परेशान रहता है, पैसे की अंधी और न रुकने वाली दौड़ में हर कोई शामिल है, इसका अंत कब और कहां होगा कोई नहीं जनता । आज हम बात करते हैं कि वो कौन कौन से  सुखी जीवन मंत्र

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निराशा को कैसे दूर करें

निराशा को कैसे दूर करें – कभी कभी अपने आप से भी छुट्टी लें

हर व्यक्ति को साल में कम से कम पैंसठ दिन अपने काम से छुट्टी मिलती है। हर व्यक्ति को, बड़े या छोटे को मानसिक तौर पर छुट्टी की दरकार रहती है। छुट्टियां करीब आते ही हमारी थकान बढ़ने लगती है, हम महसूस करते हैं कि हम बहुत थके हुए हैं। हम काम से बचने के

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उबाऊपन या ऊब किसे कहते हैं ?

उबाऊपन या ऊब किसे कहते हैं ? – बोरियत (Boredom) क्यों होती है ?

हम आप सब ने कभी न कभी  उबाऊपन या ऊब या  बोरियत  का सामना तो किया ही होगा । हम लोगों के जीवन में उबाऊपन ने कई बार घर किया होगा खाशकर इस लकडाउन में तो जरूर । ऊब या बोरियत को अंग्रेजी में Boredom कहते हैं। आज हम बात करते हैं कि  उबाऊपन या

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मनुष्य अपराधी क्यों बनता है ?

मनुष्य अपराधी क्यों बनता है ? – जिनके बचपन को कत्ल किया गया वो बन गए कातिल

मनुष्य अपराधी क्यों बनता है ? ये एक ऐसा सवाल है जो हम जो हम लोगों के मन में अक्सर आता है और हम लोगों को झकझोर कर रख देता है। चलिए आज इसी पर विस्तार से बात करते हैं और जानने का प्रयास करते हैं कि  मनुष्य अपराधी क्यों बनता है ?  और क्या

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बच्चों को मोबाइल और टीवी से नुकसान

बच्चों को मोबाइल और टीवी से नुकसान – क्या हम बच्चों को स्मार्ट बना रहे हैं या और कुछ ?

जिंदगी और जीवनशैली को बेहतर बनाने की कभी खत्म न होने वाली दौड़ में शामिल, हम अपने बच्चे को वह सब उपलब्ध कराने पर केंद्रित हैं जो यह सुनिश्चित करने में सहायक हो कि वह बाकी साथियों में पीछे नहीं हैं, और हमारा बच्चा अपने समय के साथ चलता आधुनिक बच्चा है। इस कोशिश में

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बचपन से दूर होते बच्चे

बचपन से दूर होते बच्चे – कहां गयी मासूमियत ?

आज का दौर उपभोक्तावाद का दौर है और आज दुनिया में हर चीज बिकाऊ है, या हर चीज को प्राप्त करने के लिए छीना-झपटी होती है। जिस चीज की कमी होती है, या जो चीज दुर्लभ हो जाती है, उसे आप या तो बहुत कीमत देकर प्राप्त करते हैं या छीना-झपटी, सीना-जोरी या चोरी से।

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अपने आप को कैसे परखें

अपने आप को कैसे परखें – स्वयं को समझना

हम दुनिया को तो अपने नजरिये से देख लेते हैं लेकिन अक्सर अपने आप को अंदर से नहीं झाँक पाते इसकी क्या वजह हैं ? आगे हम यह भी  जानने का प्रयास करते हैं कि हम अपने आप को कैसे परखें और  स्वयं को समझना क्या होता है ? इसे जाने के लिए हमें नीचे

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