https://zindagiblog.com/zindagiblog.com
जिंदगी जीने के लिए ...
Fiona Loudon Biography in Hindi

Fiona Loudon Biography in Hindi – फ़िओना लाउडन एक माँ

ह कहानी है फिओना लाउडन की है , जिसका जन्म  5 मई 1968 को इंग्लैंड के एक ग्रामीण इलाके में हुआ था। उसने जब जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उसे लगा कि उसकी मां उसके ऊपर बेवजह प्रतिबंध लगाती जा रही है और तब उसने अपनी जिंदगी का अब तक का सबसे बड़ा फैसला लिया । वह अपने माता-पिता का घर छोड़ कर अलग रहने लगी। उसने बिना किसी प्रतिबंध वाली स्वतंत्र जिंदगी का चयन किया था, लेकिन अब वह यह भूल गई थी कि जवानी एक उफान पर आई नदी के समान होती है और अगर बांध बनाकर उस पर समय रहते प्रतिबंध न लगाया जाए तो वह तबाही के मंजर में तब्दील हो जाती है। आगे हम विस्तार से Fiona Loudon Biography in Hindi  एवं फ़िओना लाउडन एक माँ  के रूप में जानते हैं ।

फ़िओना लाउडन की की बेटी स्कारलेट

यह कहानी है फिओना की 16 साल की  बेटी स्कारलेट की जो पैदा ही एक  ऐसे  परिवार में हुई थी, जहां कभी किसी नदी पर बांध नहीं बनाया गया था और जब उसने होश  संभाला तो उसके सामने आजाद जिंदगी की एक ऐसी किताब रख दी गयी थी, जिसमे किसी भी बात की मुमानियत नहीं होती और जहां लड़खड़ाते कदमो को सँभालने के लिए माता पिता के  हाथ नहीं बढ़ते । गिरो और संभलो और संभलना न भी चाहो तो फिर एक ऐसे गर्त में समा जाओ, जहां से कभी कोई बाहर नहीं आता ….!  स्कारलेट की लाश पुलिस को गोवा के अंजूना समुद्र तट पर नग्नावस्था में बरामद हुई थी, लेकिन, पहले बारी है फिओना की कहानी की !

फ़िओना लाउडन की कहानी

माता-पिता का घर छोड़ने के बाद उसे केवल अपने सिर पर एक अदद छत ढूंढ़ने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी, क्योंकि यह उसका सौभाग्य ही था कि वह एक ऐसे देश में पैदा हुई थी, जहां एक इंसान की जिंदगी पालने से लेकर कब्र तक आर्थिक रूप से पूरी तरह सुरक्षित होती है और जहां सोशल सिक्योरिटी के नाम पर फिओना जैसे व्यक्ति निकम्मेपन की हद तक पहुंच जाते हैं । यह बात नहीं है कि इंग्लैंड के समाज के लोग आसमान छूने के लिए जद्दोजहद नहीं करते, लेकिन यह बात केवल महत्वकांछी लोगो पर ही लागू होती है ।

संबंधों की जो नींव परिवार में पड़ती है, फिओना उससे वंचित ही रह गई थी और इसलिए उसके मन में परिवार बनाने या फिर उसे संभाल कर रखने की कामना कभी पैदा ही नहीं हुई। अपने 43 वर्ष के जीवन में उसने एक के बाद दूसरा, कुल पांच जीवन-साथी बदले और इस दौरान उसने नौ बच्चे भी पैदा किए। इसी बीच उसे एक साल की जेल भी काटनी पड़ी, फिओना का कहना है कि अपनी एक सहेली को यौन शोषण से बचाने के लिए उसे अपने ही बॉस पर छुरे से हमला करना पड़ा था। डेवोन के निकट एक गांव में फिओना की अपनी जमीन है, जिस पर उसने रहने के लिए एक झोपड़ी जैसी बना रखी थी । उसी में 11 लोगों का यह परिवार रहता आया था। वे अपने खेत में फल तथा सब्जियां खुद उगा लेते थे। इसके अलावा उन्होंने कुछ मुर्गियां भी पाल रखी थीं। पानी के लिए उन्होंने एक बोरवेल बना रखा था और जेनरेटर की मदद से वे उससे पानी निकालते थे।                      Fiona Loudon Biography in Hindi

फिओना के बच्चों की उम्र 5 से 20 साल के बीच थी, इनमें स्कारलेट तीसरे नंबर की थी। बच्चों की जो भी पढ़ाई हुई थी, वह घर पर ही फिओना के खाली समय में होती थी, लेकिन पिछले साल स्कारलेट ने एक धर्मार्थ मिशन स्कूल  में दाखिला ले लिया था, जिसमें कुल 22 लड़के-लड़कियां पढ़ते थे। 11 लोगों का यह परिवार, जिसमें फिओना का 47 वर्षीय वर्तमान पुरुष मित्र रॉब क्लार्क  शामिल है (रॉब को छोड़ कर) कभी इंग्लैंड से बाहर नहीं गया था, अतः उन सबने नवम्बर के महीने में क्रिसमस की सौगात के रूप में गोवा जाने का कार्यक्रम बनाया। उन्होंने अपना एक टट्टू बेच दिया, इसके अलावा सरकार से भी उन्हें लगभग एक सौ पौण्ड (लगभग आठ हजार रुपए) हर हफ्ते सोशल सिक्योरिटी के मिलते थे, जो गोवा में छुट्टियां बिताने के लिए काफी थे। रॉब क्लार्क पहले भी गोवा हो आया था और वह जानता था कि वहां कम से कम पैसे में अधिक से अधिक समय मौज-मस्ती में बिताया जा सकता था। इस यात्रा में फिओना का सबसे बड़ा 20 वर्षीय बेटा हलोरन किसी कारण से शामिल नहीं हो पाया था। स्कारलेट को अपने मिशन स्कूल से गोवा जाने के लिए छुट्टियां मिलने में कोई परेशानी नहीं हुई, क्योंकि इस स्कूल का उद्देश्य परीक्षाएं पास करवाना नहीं था, वरन् वह अपने छात्रों को शिक्षा, व्यावहारिक जीवन, कलात्मकता तथा अध्यात्म के बीच एक संतुलन’ बैठाना सिखा रहा था।                                           Fiona Loudon Biography in Hindi

यहां पर यह उल्लेखनीय है कि खुले वातावरण में जीवनयापन की हिमायती फिओना के बच्चे कम उम्र में ही शराब पीने लगे थे। स्कारलेट भी इसका अपवाद नहीं थी और अपने ही गांव के एक हमउम्र लड़के से उसकी गहरी दोस्ती हो गई थी। जैसा कि बाद में फिओना ने स्वयं स्वीकार किया कि स्कारलेट का यह रिश्ता हर बन्धन को तोड़ चुका था। गोवा में यह परिवार समुद्र तट पर ही दो ताड़ के पेड़ों पर हैमक (चादर का झूला) डालकर अपनी रातें बिताने लगा। सवेरे जब वे लोग सोकर उठते थे समुद्र के स्वच्छ निर्मल जल में डॉलफिन छलांग लगाकर उनका स्वागत करती थीं। वे सभी गोवा के प्राकृतिक सौन्दर्य पर मंत्रमुग्ध हो गए थे। लेकिन, गोवा अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ सेक्स और मादक द्रव्यों के साथ भी बहुत घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रूसी तथा इजरायली लोगों ने गोवा के अंजूना जैसे समुद्र तटों को वेश्यावृत्ति तथा ड्रग-व्यापार का गढ़ बना लिया है और उनकी ये गतिविधियां बिना किसी रोक-टोक के सालों से चलती आ रही हैं। पुलिस और प्रशासन इस सबमें बराबर का भागीदार है और उसकी निस्तब्धता केवल तभी टूटती है, जब कोई स्कारलेट इस सबका बेबस शिकार हो जाती है। और उसके बाद भी वे केवल लीपा-पोती में लग जाते हैं और कभी असली मुजरिम के गिरेबान पर अपने हाथ डालने की भूल नहीं करते।

फिओना परिवार अपने गोवा प्रवास का भरपूर आनंद उठाना चाहता था, अतः उन्होंने अपना इंग्लैंड लौटने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया और एक- दो महीना और भारत में ही व्यतीत करने का कार्यक्रम बना लिया। इस यात्रा के दौरान स्कारलेट की दोस्ती एक स्थानीय गाइड जूलिओ से हो गई। हालांकि जूलिओ की अपनी एक प्रेमिका थी और स्कारलेट का भी लंदन में एक प्रेमी था, इसके बावजूद उनकी दोस्ती इस कदर परवान चढ़ी कि स्कारलेट जूलिओ के ही घर पर एक ही कमरे तथा बिस्तर पर सोने लगी। इसी दौरान फिओना पूरे परिवार के साथ कर्नाटक जाना चाहती थी, लेकिन स्कारलेट इसके लिए कतई तैयार नहीं थी। वह जूलिओ के साथ गोवा में ही रहना चाहती थी। जूलिओ भी अकेली स्कारलेट की पूरी जिम्मेदारी लेने को तैयार था, अतः मजबूरन फिओना को अपनी बेटी को जूलिओ की देखरेख में छोड़कर शेष परिवार के साथ कर्नाटक जाना पड़ा। गोवा में अकेली रहकर स्कारलेट जूलिओ के लिए पर्यटक जुटाने का काम करने लगी और जब जूलिओ पर्यटकों को घुमाने ले जाता तो वह भी उसके साथ जाने लगी। इस तरह इस नए दोस्त के साथ उसका समय अच्छी तरह कट रहा था।

और फिर अचानक एक दिन फिओना को जूलिओ का फोन आता है। जूलिओ ‘आवाज कुछ घबराई हुई थी । वह उससे तुरंत गोवा लौटने का आग्रह करता है। वह जूलिओ की घबराई हुई आवाज सुनकर डर जाती है और उससे पूछती है, ‘मेरी स्कारलेट को तो कुछ नहीं हुआ? वह तो ठीक है ना?’ जूलिओ ने बहुत डरते-डरते केवल इतना ही कहा- ‘इस बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता। बस आप जल्दी लौट आएं।’ जूलिओ की बात सुनकर फिओना को आभास हो गया कि उसकी बेटी अब जिंदा नहीं है। वह तुरंत सपरिवार गोवा लौट आई थी। बाद में उसे पता चला कि उसकी बेटी की लाश नग्नावस्था में समुद्रतट पर पाई गई थी। पुलिस अपने लीपा-पोती के काम में लग गई थी। उसका कहना था कि स्कारलेट ने मादक पदार्थों के साथसाथ वोदका शराब का सेवन भी किया था, जिसकी वजह से वह समुद्र के किनारे बेहोश होकर गिर गई और फिर रात को समुद्र की लहरों ने उसी तट पर उसकी जल-समाधि बना दी। न जाने किस तरह डॉक्टर ने भी अपनी डॉक्टरी जांच-पड़ताल में पुलिस के कथन का समर्थन कर दिया।                            Fiona Loudon Biography in Hindi

देर से ही सही, तब तक फिओना का मातृत्व पूरी तरह जाग्रत हो चुका था। जिन भावनात्मक रिश्तों को अपनी बेलगाम स्वतंत्र जीवन शैली से वह लगातार नकारती आ रही थी, उन्हीं रिश्तों की हूक उसके दिल को बेचैन करने लगी थी। वह जानती थी कि पुलिस गलत बयान दे रही है और उसकी बेटी की मौत डूबने से नहीं हुई थी वरन् उसके साथ बलात्कार करने के बाद किसी ने उसकी हत्या कर दी थी। फिर क्या था, एक मां का दुख अब पूरी व्यवस्था के खिलाफ खड़े होकर अपनी बेटी के हत्यारों से बदला लेने की भावना में परिवर्तित हो चुका था। उसकी इस भावना ने पुलिस को दोबारा स्कारलेट की डॉक्टरी जांच करवाने के लिए बाध्य कर दिया, जिसमें डॉक्टर ने स्वीकार किया कि बलात्कार के बाद उसकी हत्या की गई थी।

न केवल भारत में, वरन् इंग्लैंड में भी कुछ लोगों ने फिओना की जीवन शैली और स्कारलेट के कम उम्र में ही बनाए गए यौन संबंधों को इस पूरे काण्ड के लिए जिम्मेदार ठहराकर अनजाने में ही भ्रष्ट राजनीतिज्ञों, प्रशासन तंत्र तथा नाकारा पुलिस के कुकर्मों पर पर्दा डालने का काम किया है। एक तरह से यह हमारी दोहरी मानसिकता का ही परिचायक है। क्या संभ्रांत परिवारों के रईसजादों के कुकर्मों के लिए कभी किसी ने उनके माता-पिता के व्यक्तिगत जीवन की तरफ अंगुली उठाई है? कुछ समय पहले पूना के एक फार्म हाउस में नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए जिस पार्टी का आयोजन किया गया था, उसमें शरीक होने वाले अधिकांश गिरफ्तार नवयुवक तथा नवयुवतियां भी तथाकथित अच्छे परिवारों से ही थीं। यहां बात अपराध की है और यह कि इस घिनौने अपराध के लिए अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। अपनी बेटी को खोने के बाद शायद फिओना भी यह बात भलीभांति समझ गई होगी कि जीवन एक धधकते चूल्हे की तरह होता है, बिना पारिवारिक नियंत्रण के अक्सर बच्चे उसमें अपने हाथ जला बैठते हैं और कभी-कभी स्कारलेट की तरह वे अपना जीवन भी गंवा देते हैं।                    Fiona Loudon Biography in Hindi

ये भी पड़े –

हाईजेक (Hijack) किसे कहते हैं – फ्रेस्को (fresco) के बारे में जानते हैं

 

 

 

सत्य के कितने सिद्धांत हैं – सच को परखने के सिद्धांत

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *