हर व्यक्ति को साल में कम से कम पैंसठ दिन अपने काम से छुट्टी मिलती है। हर व्यक्ति को, बड़े या छोटे को मानसिक तौर पर छुट्टी की दरकार रहती है। छुट्टियां करीब आते ही हमारी थकान बढ़ने लगती है, हम महसूस करते हैं कि हम बहुत थके हुए हैं। हम काम से बचने के लिए छुट्टी चाहते हैं, क्योंकि हम काम से ऊब जाते हैं। ये उकताहट काम की अधिकता से है या नीरसता से या हमारे रुझान के अभाव से है, ये महत्वपूर्ण प्रश्न है। जब काम अधिक होता है तो काम के बोझ तले हम दब जाते हैं। छटपटाहट में आराम तलाशते हैं, स्ट्रेस में जीते हैं और जिंदगी से निराश हो जाते हैं। आगे जानते हैं कि हम अपने जीवन में पंप चुकी निराशा को कैसे दूर करें या कर सकते हैं ।
निराशा के मुख्य कारण
स्ट्रेस, थकान, चिंता हमारे मन से पैदा होती है। काल्पनिक डर हमें चिंता करने को मजबूर करते हैं। पढ़ने से फेल होने की कल्पना करना, नौकरी शुरू करने से पहले कुछ गलत होने की कल्पना करना, अपने परिवार वालों के साथ होने पर उनके न होने का डर महसूस करना हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा है। यही हमें थका देता है। यही हमारी ऊर्जा निचोड़ देता है। क्यों न हम प्रयास करें वर्तमान में जीने का यानी जिस क्षण में हैं, उसी में रहें, उसी में बहें। क्यों न उस पल को जो बीत रहा है, उसे बिताएं, काटे नहीं। जो वक्त कटता है वो हमारी ऊर्जा, आशा की उपजाऊ मिट्टी को भी काट कर साथ ले जाता है। जो वक्त बीतता है, वो हमारी ऊर्जा को और रससिक्त करता है।
हमारे पहले नौकरी में एक ही काम, एक ही तरह से हर एक दिन करते रहना भी हमें नीरस कर देता है। ऊब कर हम परिवर्तन तलाशते हैं, हम कुछ चेंज करना चाहते हैं। कभी-कभी हम वो काम करते हैं जो हम करना नहीं चाहते। हम जीविको पार्जन के लिए कोई भी काम करने लगते हैं और हमारा मन थकने लगता है। मन को बहलाने के लिए हम रचनात्मकता तलाशते हैं, हम क्रिएटिविटी चाहते हैं। इसको हम नीचे दी गयी कहानी से समझने की कोशिश करते हैं । (निराशा को कैसे दूर करें)
एक लोहार था अपनी जिंदगी से दुखी। एक दिन वह बोला ‘’काश मैं किसी पहाड़ पर एक पत्थर होता तो इतना काम नहीं करना पड़ता, अच्छी हवा चलती, पेड़ों की छाया होती”। ईश्वर ने भी सुन ली, उसे पत्थर बना दिया । तभी एक पत्थर काटने वाला आया और उसी पत्थर बने लोहार पर कुदाल चलाने लगा। पत्थर चिल्लाया, ‘काश मैं ये पत्थर काटने वाला होता।” ईश्वर ने फिर से उसकी सुन ली और उसे पत्थर काटने वाला बना दिया, पर वह गर्मी में पत्थर काटते-काटते जल्दी ही थक गया, गर्मी से बेहाल हो गया और बोला ”ये सूर्य सभी को गर्मी देता है, काश मैं सूर्य होता’। अब बगवान ने उस महाशय को महाशय सूर्य बना दिया । पर उसने मह्शूश किया कि सूरज सबसे गर्म था , तो वह बोला ”नहीं, नहीं, मुझे चंद्रमा बना दो, वो शीतल है”। भगवान ने फिर उस लोहार को चंद्रमा बना दिया, वो फिर दुखी हुआ और भगवान से बोलै कि ”सूरज की गर्मी हर समय मझ पर पड़ती है। काश मैं लोहार ही होता”।
निराशा को कैसे पहचानें
जब हम लोग निराश होते हैं तो अक्सर उनका मन किसी भी काम में नहीं लगता है , वह हमेशा गुम-शुम से रहने लगते हैं । ऐसे लोगों का मन किसी से बात करने का, किसी से मिलने-जुलने का नही करता है ऐसा देखा गया है कि निराशा से घिर चुके लोग अक्सर अकेले रहने लगते हैं । उनके मन में अक्सर नकारात्मक विचार उत्तपन्न होने लगते हैं। उन्हें हर वक्त लगता है कि उनकी जिंदगी बेकार है। कोई भी उनके साथ नहीं है। उन्हें किसी पे भरोसा नहीं रहता है , ऐसे लोग यह भी सोचते हैं कि साड़ी दुनिया मतलबी है और मतलब से ही एक दुसरे से बात चीत करती है, किसी के काम आती है । (निराशा को कैसे दूर करें)
इसके अतिरिक्त ऐसे लोगों में भूख न लगना या ज़्यादा खाना खाना, हर वक्त आत्महत्या कर लेने का विचार मन में आना या आत्महत्या करने का प्रयास करना, नींद ना आना, ज्यादा नींद का आना, थकान, चिड़ चिड़ापन ना पाचन सम्बन्धी समस्यायें भी हो सकती हैं। इस प्रकार से हम किसी के जीवन में आ चुकी निराशा को अच्छे से पहचान सकते हैं ।
निराशा को आशा में कैसे बदलें
हमें निराशा को आशा में बदलने के लिए अपने काम के तरीकों में बदलाव करना चाहिए। आप अपने काम के ढंग में नई ऊर्जा भरिये। हम रोज कार्य क्षेत्र या कार्य भार या रिश्ते नहीं बदल सकते पर अपने तरीके जरूर बदल सकते हैं। अभी कुछ वर्ष पहले आई फ्लेक्स नामक सॉफ्टवेयर कंपनी ने अपने कर्मचारियों को अपने ऑफिस के अनुभवों पर फिल्म बनाने को कहा। उनके विभिन्न ऑफिसों से लोगों ने पचास लघु फिल्में बनाईं और उन्हें अलग-अलग अवसरों पर दिखाया गया। कर्मचारी इस अनूठे प्रयोग से बहुत खुश और संतुष्ट हुए। सन 2000 में फिनलैंड के हेलसिंकी शहर में शुरू हुआ मोमो ( मोबाइल मंडे) अभियान भी कर्मचारियों में लोकप्रिय है। जहां पर टेलीकॉम, मीडिया क्षेत्र के लोग विभिन्न नई तकनीकों, आविष्कारों पर चर्चा करते हैं। हर प्रतिभागी अपने विचार को तय सीमा में प्रस्तुत करता है, ज्यादा बोलने पर श्रोता छोटी बॉलें उस पर उछालने लगते हैं।
मन निराश हो तो क्या करें
तनाव घटाने के लिए, दिन चर्या की नीरसता को परिवर्तित करने के लिए व रचनात्मकता तराशने के लिए हमें छुट्टियो की जरूरत होती है। आजकल छुट्टियां कॉमर्शियल ब्रेक की तरह कार्यक्रम से ज्यादा जरूरी हो गई हैं। हम छुट्टियों की कामना पूरे मन से करते हैं। शायद हमारे एक भगवान तो हिंदुस्तानी लोगों की छुट्टियां सेंक्शन करने की प्रार्थनाएं सुनने में ही व्यस्त रहते होंगे। पर सवाल उठता है, छुट्टी किससे ? क्या सिर्फ अपने काम से छुट्टी मिल जाना काफी है ? क्या बच्चे की पढ़ाई से छुट्टी, डॉक्टर की मरीज से छुट्टी, अफसर की ऑफिस से छुट्टी काफी है? क्या इस छुट्टी से हम जो चाहते हैं, हमें मिल जाता है ? हमें चाहिए छुट्टी खुद से, भूत के प्रेत से, भविष्य के डर से, ताकि हम वर्तमान को जी सकें।
जैसे हम छुट्टी लेते हैं घर की सफाई करने के लिए, बगीचे में कटाई-छंटाई के लिए, वैसे ही हमें छुट्टी लेनी चाहिए मन की सफाई के लिए, दिमाग में उगी खर पतवार हटाने के लिए। जैसे हम अपने घर का कूड़ेदान रोज साफ करते हैं, वैसे ही रोज रात को सोने से पहले अपने दिन भर के क्रिया कलापों के बारे में सोचें। जो चीजें हमारे लिए कुछ अच्छा नहीं कर सकती, उन्हें दिमाग दान से निकाल दीजिए ताकि दिमाग कूड़ेदान नहीं बनें। जब हमें कोई बुरा-भला कहता है, हमारी निंदा करता है, हमें तकलीफ पहुचाता है, हम उसे याद कर कर के परेशान होते रहते हैं। बंद कीजिए ये जुगाली और अनुपयोगी विचारों को बाहर फेंक दीजिए। रोज दिमाग को छुट्टी दीजिए और पूरे दिन की निराशा वादी, कड़वी सोच बाहर फेंक दीजिए। आप हर हफ्ते दिमाग को छुट्टी दीजिए ताकि वो खुद का निष्पक्षता से निरीक्षण कर सके। हर महीने छुट्टी लीजिए ताकि अपने व्यक्तित्व में से घृणा, गुस्से, कड़वाहट को घटा सकें तथा कुछ प्रसन्नता, हंसी, सहजता जोड़ सके। हर साल छुटटी लीजिए और तराशिए नए स्वयं को अपने आप को । (निराशा को कैसे दूर करें)
निराशा दूर करने के 12 आसान उपाय
अगर आप पूरी तरह से निराशा से गिर चुके हैं और तनाव ग्रस्त हो गए हैं तथा आप सच में निराशा से बाहर निकलना चाहते हैं तो ऊपर दिए टिप्स के साथ- साथ आपको ये सरल उपाय भी आजमाने चाहिए –
1. अपनी सोच को बदल कर
निराश होने की सबसे बड़ी वजह होती है बार-बार दिमाग में नकारात्मक विचारों का आते रहना। किये गए एक शोध में खुलासा हुआ है कि तनावग्रस्त लोग अपनी उपलब्धियों, गुणों और अपनी प्रतिभा को अपने आप ही धीरे धीरे ख़त्म कर देते हैं। इसलिए आपके निराश होने की चाहे कोई भी वजह हो, आपको हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। क्योंकि सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति बड़ी-बड़ी मुश्किलों से भी बड़ी आसानी से बाहर आ जाते हैं। इस प्रकार से आप अपनी नकारत्मक सोच को सकरात्मक सोच में बदलकर आपने आप को निराशा से आसानी बाहर निकाल सकते हैं । इसलिए आप “मैं ये काम नहीं कर सकता ” अथवा “ये चीज मेरी किस्मत में नहीं है ” के बजाय सकारात्मक तरीके से अपने आप से कहें कि ”मैं ये कर सकता हूँ ” और “मैं इस काम को कर लूँगा” जैसे सकारत्मक विचार मन में लाएं ।
2- अपने बीते अच्छे दिनों के बारे में सोच कर
आप निराशा से मुक्ति पाने के लिए तनाव देने वाली पुरानी बातों के बारे में ना सोचकर, अपने अच्छे कार्यो, बीते हुए अच्छे समय, अच्छी यादों के बारे में सोचें। आप स्कूल या कालेज में अपने दोस्तों के साथ बिताये पल, अपने लवर के साथ बिताये गए पल, या परिवार के साथ बिताये गए अच्छे पल, या किसी टूर या पिकनिक पर बिताये गए याद गार लम्हों के बारे में जरूर सोचें। खाली वक्त में आप अपने दोस्तों, परिवार वालो के दिए हुए उपहारों को देखें, अपनी डायरी, अपने संदेश या पुरानी चिठीयां जिसमें अच्छे अनुभव लिखें हों पढ़ें, इनसे आपका मन हल्का होगा और आप रिलैक्स महसूस कर पाएंगे ।
3. निराश करने वाली बातों को भूल जाइये
कभी कभी हमारे जीवन में ऐसा कुछ घट चुका होता है जिसे सोच कर हम परेशान हो जाते हैं । इनमें से एक या दो बात ही हमको सबसे ज्यादा परेशान करती हैं ऐसे में जब हम सकरात्मक सोच रखकर सोचते हैं तो हम पाते हैं कि उन बातों का कोई मतलब ही नहीं था। हमेशा कुछ बातें हमारे वश में नहीं होती हैं और कुछ बातो की वजह से हम बेवजह से टेंसन ले लेते हैं।इसलिए जो बातें आपको सबसे ज्यादा परेशान करती हैं, उनको हमेशा के लिए ही भूल जाइये , क्योंकि बुरी यादों को भूल जाने से हमारे दिमाग का बहुत सा बोझ कम हो जाता है। जिससे हम कुछ रिलैक्स महसूस करने लगते हैं। (निराशा को कैसे दूर करें)
4. अपना मनोरंजन करें
आप अपने आप को निराशा से बाहर निकालने के लिए अपनी पसंद के गाने सुन सकते हैं, अपनी पसंद की कोई फिल्म देख सकते हैं। आगे सम्भव हो तो आप कोई कमेडी फिल्म को देखें, आप अच्छे जोक्स पढ़ सकते हैं , आपको जिन लोगो से बात करना अच्छा लगता हैं उनसे बात करें, परिवार या दोस्तों के साथ कहीं घूमने या पिकनिक पर जाने या फिल्म देखने या किसी अच्छे रेस्टोरेंट में खाना खाने का प्लान बनायें या कुछ फनी ऐक्टिविटी करें। ऐसा करने से आप अपने माहौल को बदल कर अपने आप को तनाव से दूर कर पाएंगे ।
5. अपने आप को हमेशा व्यस्त रखें
आप अपने आप को कभी अकेला ना रहने दें। क्योंकि व्यक्ति को अकेले में ही सबसे ज्यादा नकारात्मक विचार आते हैं। इसके आलावा आप कभी भी खाली ना बैठे, क्योंकि ‘खाली दिमाग, शैतान का घर होता है’। इसलिये आप अपने आपको किसी ना किसी काम में हमेशा ही व्यस्त रखें। जो आपको अच्छा लगता हो आप वो काम करें, अच्छी किताबें पढ़ सकते हैं , इंटरनेट सफरिंग कर सकते हैं, या दोस्तों से चैट कर सकते हैं, अपने घर पर या ऑफिस में अपने दोस्तों से गप्पे लड़ाएं, और कुछ ना करने को हो तो आपने घर के काम करें जैसे पोधों को पानी दें, वाहन को स्सफ करें , कमरा साफ़ करें , मतलब हमेशा कुछ ना कुछ करते रहिये।
6. दूसरों को माफ़ करना सीखें
जीवन में कई बार यदि कोई आपके साथ कुछ गलत करता है या आपके साथ कोई धोखा करता है या कोई आपका नुकसान कर देता है या किसी भी प्रकार से आपके भरोसे को तोड़ देता है या फिर आपको कभी किसी के प्यार में बेवफाई मिली है, तो जाहिर सी बात आपको इन सभी बातों से भी दुःख होता ही है और कभी कभी तो बहुत दुःख होता है जिससे हमारे जीवन में निराशा घर कर जाते है और हम उल्टा-पुल्टा सोचने लगते हैं । लेकिन अगर आप ऐसे लोगों के बारे में ज्यादा सोचेंगे तो इससे आपका खुद अपना ही नुकशान होगा और आप बे मतलब ही परेशान होंगे और उस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसका सबसे सरल उपाय है की आप उसको माफ़ कर दें क्यूंकि उसके कर्मो का फल तो उसे भगवान जरुर दे देगा । वो गलत है इसलिए उसने आपके साथ ऐसा गलत किया होगा । लेकिन आप गलत नहीं हैं इसलिए उसे हमेशा के लिए माफ़ करते हुए उसे अपने दिलो दिमाग से हमेशा के लिए निकाल दें। इसके बाद आप महशूस करेंगे कि इससे आप को एक अलग सी शांति और सुकून मिल रही है । ऐसा करने से आप जल्द ही निराशा से बाहर निकल जायेंगे । (निराशा को कैसे दूर करें)
7. भरपूर नींद लें
कम नींद लेने से हमारा शरीर थका-थका सा रहने लगता है, हमारे शरीर में उर्जा की कमी महसूस होने लगती है, जिससे हमारा मन भारी-भारी सा रहने लगता है और हमारा किसी भी काम में दिल नही लगता है। और ऐसे में हम आसानी से तनाव के शिकार हो जाते हैं। इसलिए आप हर रोज कम से कम 6 से 8 घंटे की भरपूर नींद जरूर लें। भरपूर नींद लेने से आपके शरीर को एक नयी उर्जा मिलेगी जिससे आपको ताजगी का एहसास होगा, आपका मन हल्का और शांत रहेगा, जो आपकी निराशा और तनाव को कम करने में भरपूर मदद करेगा ।
8. नशाखोरी से दूर रहें।
अक्सर देखने में आता है कि लोग निराशा या तनाव में नशा करने की आदत डाल लेते हैं और वह सोचते हैं कि नशा उनके तनाव को दूर कर देगा, जब्कि वास्तव में ऐसा नहीं होता है। किसी भी तरह का नशा आपकी परिस्तिथियों को नहीं बदल सकता है और न ही आपकी समस्याओं को कम ही कर सकता हैऔर न ही आपके किसी तनाव या टेंसन को दूर या कम ही कर सकता है हाँ इससे थोड़ी देर के लिए नशे की हालत में आप शुकून जरूर महशूस करते हैं, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम गलत होते हैं । आप रात को नशा करके आप तो सो सकते हैं पर अगली सुबह वही समस्यायें, वही परिस्तिथियाँ आपके सामने फिर से अपना सर उठा लेंगी।
लगातार नशा करने से आपकी समस्यायें कम होने कि बजाय और बढ़ जाती हैं और धीरे धीरे परिस्तिथियाँ और बदतर होने लगती हैं इससे आपके अन्दर एक गलत आदत और बढ़ जाती है जो आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा, आपके स्वास्थय और आपके परिवार के लिए भी बहुत हानि कारक साबित होती है। नशा करने के बाद पीड़ित व्यक्ति को और ज्यादा निराशा होने लगती है उसके दिमाग में और ज्यादा नकारात्मक विचार आने लगते हैं। कभी – कभी वह नशे कि हालत में कोई गलत कदम भी उठा सकता है। इसलिए मेरी सलाह है कि ऐसी परिसथितियों में आपको नशे से सदा दूर रहना चाहिए ।
9. अपनी तुलना किसी से न करें
आप कभी भी अपने आपकी कि तुलना किसी अन्य से न करें। आप दूसरो के रहन-सहन, दूसरों की अमीरी, उनके शौंक देखकर कतई ईर्ष्या ना करें और न ही कभी वो चीजें आपके पास नहीं हैं इस कारण से अपनी किस्मत को दोष ही दें। दर असल आप किसी भी क्षेत्र में देख लें, चाहे एजुकेशन हो या धन दौलत हो या और कुछ सभी को इन चीजों को हासिल करने के लिए बहुत ही मेहनत करनी पड़ती है। अगर किसी के पास ये चीजें आप से ज्यादा हैं तो इसका सीधा सा मतलब यह है कि उसने वहाँ तक पहुँचने के लिए आपसे ज्यादा मेहनत की होगी। इसलिए आप कभी भी किसी से भी अपनी तुलना न करें और उस चीज को पाने के लिए सकारात्मक सोच के साथ साथ और अधिक मेहनत करते रहें और जो चीजें वर्तमान में आपके पास हैं उनसे संतुष्ट रहे और खुदा का शुक्र करें के ये चीजें उसने आपको बक्शी हैं वर्ण ऐसे कितने लोग हैं कि जिनके पास आप वाली चीजें भी नहीं होंगी ।
10. व्यायाम जरूर करें
अगर हो सके तो आप रोजाना सुबह सुबह घूमने जरूर जाएँ , योग करें, व्यायाम करें आप तैराकी, साइकिलिंग या दौड़ भी सकते हैं। सुबह उठ कर घूमने जाने से हमें ताजा हवा मिलती है, व्यायाम करने से माँसपेशियों में उत्तेजना आती है जिससे हमारे अन्दर एक नयी उर्जा का संचार होता है जिससे हमारे आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है और फालतू बातों से हमारा ध्यान हटाता है। और इससे हम तनाव से मुक्त होने लगते हैं। (निराशा को कैसे दूर करें)
11. अच्छी किताबें किस्से पढ़ें
अक्सर देखा गया है कि अच्छी किताबें पड़ने से या अच्छी किताबों से अच्छे किस्से पड़ने से मन से नकरतामक विचार निकल जाते हैं और उनसे प्रेरणा लेकर मन में अच्छे अच्छे विचार आने लगते हैं। याद रखें किताबें आपकी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं और मुसीबत में तो और भी जायदा इसीलिए तनाव को कम करने के लिए अच्छी किताबे पढ़ें ।
12. नकारात्मक लोगों से दूर रहें
अक्सर देखने में आया है कि आप जैसे लोगों के बीच हमेशा रहते हैं , आपका स्वभाव भी वैसा ही होने लगता है। वो एक कहावत है न कि खरबूजा खरबूजे को देख कर रंग बदलता है। इसलिए आग आप नेगेटिव सोच के लोगों के साथ ज्यादा उठे बैठेंगे तो आप के मन में भी नाकारतक सोच घर कर जाएगी और इससे आप धीरे धीरे तनाव ग्रस्त हो जायेंगे । इसलिए आप हमेशा सकारात्मक सोच के लोगों के साथ ही दोस्ती करें और अपनी सोच को पाजटिव रखें और तनाव से मुक्त रहें ।।
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