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नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें

नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें – अपना भविष्य कैसे बनाएं

म में से हर किसी को जीवन में सफल होना होता है इसके लिए हम लोग प्रयास भी करते रहते हैं आज हम जानते हैं कि  नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें और हम  अपना भविष्य कैसे बनाएं ।

जॉब हंटर बनें

आप नौकरी की तलाश में हैं या वर्तमान में आप किसी फर्म में काम कर रहे हैं लेकिन फिर भी आपका मन एक परफेक्ट नौकरी की तलाश में रहता है। देखा जाए तो यह स्थिति हर नौकरी करने वालों के साथ है। अक्सर लोग अच्छे काम की तलाश में रहते हैं और उसके बारे में बात भी करते रहते हैं। ताकि वहां जाकर वे अपनी पूरी प्रतिभा के साथ काम कर सकें, लेकिन इसी दौरान वे अपनी नौकरी में भी इस कदर उलझे रहते हैं कि उन्हें कोई दूसरा रास्ता भी नजर नहीं आता। उन्हें समझ में नहीं आता कि और कहां प्रयास किया जा सकता है? वह परफेक्ट नौकरी है तो सही लेकिन कौन सी है और कहां है इस बारे में नहीं पता।                                (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 

कई बार लोग जल्दीबाज़ी में ऐसे काम में हाथ डाल देते हैं, जो उनके लिए परेशानी का सबब बन जाती है। दर असल लोग परफेक्ट या उपयुक्त जॉब को अच्छी खासी तन्ख्वाह, आराम दायक ऑफिस, अच्छी-अच्छी जगहों की सैर के अवसर और बहुत सारी छुट्टियों के दायरे में बांध देते हैं, लेकिन इसके बावजूद जब उनमें काम को लेकर तनाव रहता है तो वे फिर परफेक्ट को नए ढंग से परिभाषित करने लगते हैं। और उनकी यह उधेड़-बुन चलती रहती है, जबकि सच्चाई यह है कि कोई भी नौकरी एक व्यक्ति के लिए परफेक्ट हो सकती है, तो जरूरी नहीं कि वह दूसरों के लिए भी परफेक्ट जॉब हो। इसके साथ ही परफेक्ट जॉब वही होता है जो उसे करने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व को पूर्णतः प्रतिबिम्बित करता हो। आप क्या हैं और क्या करते हैं? इसे एक प्रक्रिया में रखते हुए अपने लिए ऐसा परफेक्ट जॉब न सिर्फ तलाश सकते हैं, बल्कि खुद ऐसा जॉब गढ़ भी सकते हैं।

यह प्रक्रिया आपको आपकी प्रतिभा, ज़ज्बे और मूल्यों को लेकर स्पष्टता लाने में सहायक होगी। आप आत्मावलोकन करते हुए यह जान सकेंगे कि आप किस काम को बेहतर तरीके से कर सकते हैं, आपकी रुचि किस क्षेत्र में है। इन बातों को पैमाना मानते हुए ऐसे काम के बारे में स्पष्ट राय विकसित करना ही परफेक्ट जॉब का सही रास्ता है। किसी भी क्षेत्र में कैरियर शुरू करने से पूर्व दृढ़ इच्छा शक्ति तथा व्यक्ति की मनोवृत्ति उसके लक्ष्य प्राप्ति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। अभी तक जितने भी सफल कर्मचारी हुए हैं, उन्हें जॉब हंटर कहना गलत नहीं होगा। एक बार जब प्रख्यात कैरियर सलाहकार से पूछा गया कि किस प्रकार सफलतापूर्वक क्षेत्र की तलाश की जा सकती है तो उनका कहना था कि उन्होंने अपने 20 वर्ष के कार्यकाल में सैकड़ों जॉब हंटर्स का अध्ययन किया है, जिसमें उन्होंने पाया कि वे लोग एक सुनिश्चित धारणा से युक्त होते हैं तथा उसी के अनुरूप व्यवहार करते हैं प्रभावी जॉब हंटर बनने के लिए ये धारणाएं विकसित करें : –

  • आप उन लोगों को खोज लेंगे, जिन्हें आपकी जरूरत है।
  • एक अच्छी नौकरी प्राप्त करेंगे जहां योग्यता प्रदर्शित करने का भरपूर अवसर मिलेगा।
  • बड़ी निपुणता से अपनी क्षमता का प्रदर्शन करेंगे और आपका भविष्य उज्ज्वल है।

यह सोच व्यक्ति में उसको उसके कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है। आम तौर पर लोगों में इस भावना की कमी देखी जाती है, जबकि एक अच्छा जॉब हंटर हमेशा अपने आपको प्रोत्साहित करता है। किसी एक बात को लेकर कुंठित होने की जगह आप अपनी योग्यता के अनुरूप अपने कैरियर के सार्थक बिन्दुओं पर विचार करें।

अपना नेटवर्क मजबूत करें

सिर्फ जॉब हंटर बनने से सफलता नहीं मिलती इसके साथ आपको संपर्क सूत्रों का सही इस्तेमाल यानी नेटवर्किंग भी आना चाहिए। साक्षात्कार में पहुंचने के बाद यह आप पर निर्भर करता है कि नियोक्ता इस बात से सहमत हो कि आपमें एक अच्छे कर्मचारी की सभी योग्यताएं हैं और आप संस्थान के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। । इन गुणों को विकसित कर आप जल्दी ही एक अच्छी नौकरी अपने नाम कर सकते हैं, लेकिन नौकरी की जानकारी देने या साक्षात्कार का अवसर दिलवाने में आपके सम्पर्क बहुत हद तक सहयोगी साबित हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर एक व्यक्ति कंपनी में नौकरी करना चाहता था। जब उसने इस कम्पनी का विज्ञापन देखा तो अपने सम्पर्क के द्वारा उसने अपना रेज्यूमे उस कम्पनी के प्रबंधक को दे दिया। उसने उन लोगों को भी पछाड़ दिया, जो उससे कहीं ज्यादा योग्य थे। इसका कारण समय पर की गई नेटवर्किंग तकनीक का उपयोग था। इस कम्पनी के नियोक्ता का जवाब था कि वह किसी और व्यक्ति के पीछे क्यों भागे जब उसे सही इंसान आसानी से मिल गया है। इसलिए –

  • जिस व्यक्ति से नौकरी खोजने में सहयोग लें उसे यह भी बताएं कि आपको कैसी नौकरी चाहिए।
  • अगर किसी विशेष संस्थान में नौकरी पाने के इच्छुक हैं तो उस संस्थान से जुड़े किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क साधना चाहिए, जो आपके लिए रास्ता बना सके, लेकिन गलत रास्तों से नहीं।                                                            (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 
  • समय के पहले ही अपना नेटवर्क ढूंढ़ने की कोशिश करें। कुछ लोग उस समय चौकन्ने होते हैं, जब कंपनी जॉब के लिए विज्ञापन निकालती है या जब उनके पास नौकरी नहीं रह जाती। दरअसल यह एक लंबी प्रक्रिया होती है। अगर आप लगातार संस्थान या कंपनी के उचित व्यक्ति से संपर्क बनाए रखकर इस प्रक्रिया के शुरू होने के पहले ही संपर्क बना लेते हैं तो आप विज्ञापन निकलने के पहले ही नौकरी पा सकते हैं या नौकरी छूटने के बाद भी आपको लम्बे समय तक भटकना नहीं पड़ेगा।
  • हर दिन दो व्यक्तियों से संपर्क बनाने की कोशिश करें, जितने ज्यादा लोगों से मिलेंगे उतने ही जॉब मिलने की संभावना होगी। मसलन दोस्त, इंडस्ट्री लीडर और अच्छे बड़े नियोक्ता आदि। दो लोगों से मिलने का मतलब सप्ताह में 10 लोगों और महीने में चालीस नए लोगों से मिल सकते हैं।
  • नेटवर्किंग के दौरान स्वयं को जोशीला, उत्साहित प्रस्तुत करें, लेकिन उसमें स्वार्थी न बनें।
  • याद रखें नेटवर्किंग का उद्देश्य नौकरी की गारंटी नहीं बल्कि जानकारी प्राप्त करना है। जानकारी प्राप्त करने से नौकरी मिलने के आसार बढ़ जाते हैं।
  • बात यही खत्म नहीं होती अपने सम्पर्कों को कभी टूटने मत दीजिए या नौकरी मिल जाने के बाद भी नेटवर्क को ढीला मत छोड़िए। यदि आप अलग-अलग शहर में हैं तो मेल, फोन या फिर पत्राचार से संपर्क बना सकते हैं।
  • वह व्यक्ति जिसके संपर्क के द्वारा आप नौकरी प्राप्त करने में सफल रहे हैं। आपको उसका आभारी होना चाहिए।

कवरिंग लैटर भेंजे

नेटवर्किंग से मिली सूचना के आदार पर अपने रेज्यूमे को मेल, फैक्स या किसी अन्य तरीके से भेज सकते हैं, लेकिन उसके साथ आप आवरण पत्र भी जरूर भेजें। आवरण पत्र वह दस्तावेज होता है, जिसमें दी गई जानकारियां किसी को न सिर्फ रेज्यूमे को समझने में मदद करती हैं, वरन संस्थान से आपके संबंधों को भी एक अच्छी शुरुआत देती है। आवरण पत्र सिर्फ पत्र ही नहीं है दर असल यह आपकी पर्सनालिटी का एम्बेसेडर (दूत) है –

  • आवरण पत्र (कवरिंग लैटर) इतना प्रभावी होना चाहिए कि नेटवर्किंग से मिली सूचना के आधार पर अपने पढ़ने वाला आप में रुचि लेना प्रारंभ कर दे।
  • कवरिंग लैटर को पढ़ने वाला दरअसल एक दर्शक की तरह होता है। इसे तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इंटरव्यू लेने वाला आपसे यह जानना चाहता है कि आप उसकी कंपनी के लिए कितने उपयोगी साबित हो सकते हैं ?
  • आवरण पत्र बनाते समय सबसे पहले आपके परिचय से संबंधित एक पैरा होना चाहिए, जो आपके बारे में दिलचस्पी पैदा करे। दूसरा पैरा आपकी योग्यता के बारे में हो, जो आपकी क्षमता और बुद्धिजीवी होने का परिचय दे।
  • अपनी पढ़ाई से संबंधित जानकारी एवं अन्य अनुभवों संक्षेप में वर्णन करें।
  • जो करने जा रहे हैं उसका जिक्र भी करें। सराहना करते हुए दो वाक्य लिखें।
  • पत्र को फर्स्ट पर्सन में लिखें। उक्ति या उपवाक्य का प्रयोग भी करें।
  • कोशिश करें कि विज्ञापन में निकले पदों के अनुसार कवरिंग लैटर तैयार करें।
  • इसमें अपनी क्वालीफिकेशन का जिक्र भी उसी क्रम में करें, जिससे इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति आप में रुचि ले सके।
  • अपने कवरिंग लैटर में संक्षिप्त रूप से अपनी क्षमताओं और रुचियों को उजागर करें।
  • कंपनी की प्रकृति के अनुसार अपने कवरिंग लैटर की शुरुआत और कंटेन्ट बदलते रहिए।
  • कंपनी की वेबसाइट और ब्रोशर का गहन अध्ययन करें।
  • कंपनी के विश्वसनीय कर्मचारी से बातचीत करके इस तथ्य का आकलन करें कि उस कंपनी में किस तरह का रवैया अपेक्षित है। उसके अनुसार ही तय करें कि आपका लैटर फॉर्मल होना चाहिए या पर्सनल।
  • पत्र को सावधानी से लिखें। जरूरत होने पर उसे फिर से लिखने की कोशिश करें।                                                 (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 
  • पैरा कभी भी छह से ज्यादा लाइन का नहीं होना चाहिए। अपने पत्र में उस व्यक्ति का जिक्र जरूर करिए जिसके द्वारा संस्था से संपर्क हुआ।
  •  पत्र में यह बताने का प्रयास कीजिए कि आप उस कंपनी के लिए कितने उपयोगी साबित हो सकते हैं।

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 रेज्यूमे की रचना करें

व्यक्तिगत साक्षात्कार से पहले नियोक्ता से परिचय करवाने का काम रेज्यूमे का है। हम यह भी कह सकते हैं कि यह उन अवसरों के द्वार खोलता है बारे में आप नहीं जानते हैं –

  • रेज्यूमे को तैयार करते समय अपने शब्दों का प्रयोग करें।
  • किसी और से रेज्यूमे तैयार करने की स्थिति में इस बात का ख्याल रखें कि वह आपकी क्षमताओं को स्पष्ट करे।
  • कोशिश करें कि शुरुआत में अपने बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दें। कम महत्व की चीजें बीच में लिखें।
  • काम तथा पूर्व अनुभव की सूची तैयार कीजिए जो कि आपके लिए काफी हद तक मददगार साबित होगी।
  • अपने प्रमुख कार्य अलग लिखें तथा आपके द्वारा कौन सी समस्याओं का समाधान हुआ है उसका ब्यौरा भी जरूर दें। जिस कंपनी में आप काम कर रहे उस कंपनी में उस समस्या को हल करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए तथा उसका क्या परिणाम निकला है इसका ब्यौरा जरूर लिखें।
  • भाषा सरल, साफ, संक्षिप्त, वास्तविक हो।
  • रेज्यूमे फॉर्मेट का भी ध्यान रखें। आमतौर पर रेज्यूमे दो तरीके से तैयार किए जाते हैं। पहला कार्यात्मक (chronological) और दूसरा कालक्रम के अनुसार (functional)। फंक्शनल रेज्यूमे का उपयोग अफसरों द्वारा तथा इंटरव्यू लेने वालों के लिए किया जाता है। कार्यात्मक (chronological) रेज्यूमे वे होते हैं जो अधिकतर आपके कौशल पर जोर देते हैं तथा उस समय काम आते हैं, जब आपको अपना कैरियर बदलना हो।
  • रेज़्यूमे इतना साफ और सटीक होना चाहिए कि नियोक्ता को अपनी हर बात का जवाब आपके रेज्यूमे से ही मिल जाए जैसे ‘मैं तुम्हें काम पर क्यों नियुक्त करूं’।
  • रेज्यूमे पूरी तरह से सच पर आधारित होना चाहिए। आजकल विभिन्न कंपनियां रेज्यूमे की सत्यता की जांच प्राथमिक स्तर पर करवाती हैं, इसलिए अगर आप गलत जानकारी देंगे तो बाजार में इमेज खराब होगी। मुख्य बातों को मोटे अक्षरों में लिखें। याद रखिए आपका रेज्यूमे काम दिलाने का एक प्रमुख जरिया है।
  • रेज्यूमे में टेलीफोन नंबर, ईमेल, फैक्स नंबर के साथ संपर्क के लिए पता भी लिखें।
  • रेज्यूमे इतना साफ और सटीक होना चाहिए कि नियोक्ता को अपनी हर बात का आपके रेज्यूमे से ही मिल जाए जैसे मैं तुम्हें काम पर क्यों नियुक्त करूं’।

                                                                    (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 

अपने आप को अपडेट रखें

किसी से मिलने जाएं तो पहले से ही योजना बना लें। घर से ही सारी तैयारी कर के जाएं। जिस कंपनी में जा रहे हैं, उसके बारे में पूरी जानकारी पहले से प्राप्त कर लें –

  • पहले से ही सोच-विचार कर लें कि उस व्यक्ति से मिलकर क्या कहना चाहेंगे?  जैसे कि आपकी योग्यता के द्वारा संस्थान को क्या फायदा हो सकता है? उस व्यक्ति को भविष्य की योजनाओं को बताने के अलावा कुछ ऐसा भी बताइए जो आपकी कार्यकुशलता को भी उजागर करे।
  • सिर्फ कोर्स की किताबें पढ़ने से काम नहीं चलता आपको सामान्य ज्ञान के लिए दैनिक और साप्ताहिक पत्र-पत्रिकाओं को गंभीरता से पढ़ना चाहिए। यदि टीवी पर चैनल चुनना हो तो जानकारी देने वाले जैसे डिस्कवरी या नेशनल ज्योग्राफिक और अच्छे न्यूज चैनल चुनें। ये आपकी भाषा भी सुधारेंगे और ज्ञान भी अर्जित होगा।
  • रिजनल एसेंट की जगह यूनिवर्सल एसेंट विकसित करने की कोशिश करें।

पॉवर ड्रेसिंग पर ध्यान दें

योग्यताओं को निखारने के बाद बारी आती है अपने व्यक्तित्व को निखारने की, जिससे व्यक्तिगत योग्यता स्पष्ट रूप से उभर आए। इसमें आपकी मदद कपड़े कर सकते हैं। कपड़े ही एक मात्र चीज हैं, जो पहली नजर में आपके व्यक्तिव की कहानी कहते हैं। व्यक्ति के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने में उसका पहनावा, उसकी योग्यता जैसी कुछ छोटी- छोटी बातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। आज के इस प्रतिस्पर्धी वातावरण में योग्यता के साथ व्यक्ति का पहनावा भी देखा जाता है। इसलिए –

  • आपका पहनावा व्यवसाय के अनुरूप होना चाहिए।
  • मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यावसायिक स्तर पर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तीन क्षेत्रों में आपका कुशल होना जरूरी है- पहला, आपकी उपस्थिति, जिसके अंतर्गत आपका पहनावा, शारीरिक भाषा और चेहरे के हाव भाव आते हैं। बोलना यानी कि बोलते वक्त आवाज़ में आत्मविश्वास की झलक होनी चाहिए और तीसरा शब्दकोश यानी आपकी भाषा की सरलता, सटीकता और सभ्यता। इन सबमें ज्यादा व जल्दी प्रभावी दिखना डालता है। पहनावे से मात्र 30 सैकंड  में ही आपके व्यवहार, निर्णय लेने की क्षमता, काम के प्रति आपकी सजगता और व्यावसायिक मूल्यों की समझ का अंदाज हो जाता है।
  • आजकल के कार्यस्थलों पर जो व्यावसायिक प्रवृति चल रही है उन पर भी गौर करें यानी बालों से लेकर परफ्यूम तक। जैसे कि अगर डॉट कॉम कम्पनी के लिए काम कर रहे हैं तो आप में जोश और उत्साह दिखना चाहिए, लेकिन अगर किसी कानून संबंधी कंपनी में काम कर रहे हैं तो हाथ पर लगा टेटू आपके व्यक्तित्व को धूमिल ही करेगा।
  • पॉवर ड्रेसिंग यानी असरदार पोशाक चुनने के लिए आपको अपने शरीर के अनुपात का ध्यान रखना होगा। शारीरिक लंबाई, शरीर की मोटाई और कंधों के अनुपात के साथ सूट कट का भी ध्यान रखें।                                                               (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 

कम्यूनिकेशन की कला विकसित करें

विशेषज्ञों के अनुसार बातचीत के दौरान केवल 30 से 35 प्रतिशत शब्द ही दूसरों तक पहुंचते हैं, इसलिए आपके चेहरे के हाव-भाव व चाल-ढाल से आपके व्यक्तित्व का ज्यादा पता चलता है। आपके व्यक्तित्व में विश्वास झलकना चाहिए –

  • सही समय पर गर्मजोशी के साथ मिलाया गया एक हाथ आपका पूरा जीवन बदल सकता है। जिंदगी में हम अनुमानतया तीन करोड़ बार अपनी उंगलियां खोलते-बंद करते हैं।
  • जब भी आप अपने सामने वाले व्यक्ति से हाथ मिलाएं तो सीधा तन कर खड़े हों और उनकी आंखों में आंखें डाले रहें। इससे आपके अंदर का साहस, कर्मठता, आत्मविश्वास और निडरता का अंदाजा सामने वाले को होगा और आपका काम आसान हो जाएगा
  • अगर हाथ मिलाते हुए आपको अहसास हो कि साक्षात्कारकर्ता ने हाथ ढीले छोड़े हुए हैं तो भी गर्मजोशी से उनका हाथ थामें। दरअसल आप उन्हें अपनी उन भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक जानकारियों से अवगत करा रहे होते हैं जो बातचीत के जरिए नहीं दी जा सकतीं।
  • आपके द्वारा कही गई बात सामने वाले को समझ नहीं आई या किसी तरह की गलतफहमी हो गई हो तो इसका मतलब यही है कि आप अपनी बात को सही ढंग से रख नहीं पाए। यही कम्यूनिकेशन कला का मूल सिद्धांत है। इस कला में माहिर होने के लिए जरूरी है कि आप बोलने का बहुत अच्छा अभ्यास करें। शब्दों के मूल उच्चारण तथा सही उतार चढ़ाव पर अधिकार पाएं। जरूरत हो तो स्वर प्रवाह के लिए प्रशिक्षण भी लें।
  • अनुचित या अनावश्यक शब्दों का इस्तेमाल न करें। अति हर चीज़ की बुरी होती है, इसलिए अधिक बोलने से ज्यादा गुणात्मक शब्द बोलने का प्रयास करें।
  • नजरें नीची करके बात करना दूसरे की बात को अनदेखा करने या उसे महत्व नहीं देने का संकेत है। निश्चित ही आप नहीं चाहेंगे कि कोई भी आपको गंभीरता से न ले।
  • यह भी ध्यान रखें कि आपको साक्षात्कारकर्ता की आंखों में सौम्यता, शिष्टता और दृढ़तापूर्वक झांकना है ताकि आप उन्हें अपने अंदर की भावनाओं और इच्छाओं को देखने का मौका दें, ऐसा करते समय उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि आप उन्हें घूर रहे हैं, बल्कि आपकी आंखों में आत्मविश्वास की चमक होनी चाहिए।
  • बोलते वक्त आपकी शारीरिक मुद्राएं बहुत कुछ कह सकती हैं। आपके भीतर आत्मविश्वास है या नहीं यह भी आपकी मुद्राओं से पता चलता है। जब आप दूसरे से बात कर रहे हों या कहीं वक्ता हों तब हाथों से ये काम न करें तो अच्छा होगा। किसी के समक्ष बोलते हुए उंगलियों से हथेली को रगड़ना, बटन, पेन, रबर बैंड या सिक्कों से खेलना, अपने बाल या मुंह को छूना, टेबल या कुर्सी को थपथपाना, कुर्सी की पीठ को या कागज के पन्नों को या माइक्रोफोन को जोर से भींचना या शरीर के किसी अंग को खुजलाना।

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इंटरव्यू को ठीक से निपटाएं

नेटवर्किंग, दक्षता, रेज्यूमे और कवरिंग लैटर के बाद भी अगर इंटरव्यू में सफलता न मिले तो सारी मशक्कत पर पानी फिर जाता है। कुछ छोटी-छोटी सी बातें इंटरव्यू के चक्रव्यूह को तोड़ने में मददगार साबित हो सकती हैं। जैसे –

  • इंटरव्यू से पूर्व स्वयं को निश्चिंत और सरल अवस्था में लाने का प्रयास करें। यह एक ऐसी क्रिया है जो टेनिस खिलाड़ी, बॉस्केटबॉल खिलाड़ी व ओलिंपिक स्केटर भी करते हैं। इसमें मस्तिष्क में आने वाले नकारात्मक विचारों को दबाने का प्रयास किया जाता है। कहने का मतलब पिछली असफलताओं को भूल जाएं और आज के पलों को जिएं।
  • कार्य का प्रदर्शन सहजता व स्वाभाविकता से करें।
  • इंटरव्यू लेने वाले को सभी जानकारी सही दें।
  • तैयारी के लिए अपने दोस्त के साथ रिहर्सल कर सकते हैं।
  • पूछे जाने वाले प्रश्नों के पीछे होने वाले प्रश्नों को जानें। हो सकता है कि इंटरव्यू लेने वाला उलझा दे। ऐसे समय में उत्तर पूरा देने की कोशिश करें।
  • पारिवारिक प्रश्नों के उत्तर भी सावधानी से दें। हो सकता है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों के जिक्र से नौकरी हाथ से निकल जाए।
  • नौकरी खोने के डर को छुपाए रखें।                                                               (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 
  • इंटरव्यू के समय पूछे जाने वाले प्रश्नों को ध्यान से सुनें और सटीक जवाब दें।
  • उम्मीदवार से हर इंटरव्यू में यही पूछा जाता है कि ‘हम आपको क्यों चुनें’। इसका उत्तर आसानी से दें। पहले उपलब्धियां बताएं और फिर क्षमताओं को विस्तार और प्रभावी ढंग से रखें।
  • वार्तालाप को संस्थान की कठिनाइयों पर केन्द्रित करें और उन जरूरतों को पूरा करने के उपाय बताएं, जिनके बारे में ध्यान नहीं दिया गया है। इस दौरान अपनी क्षमताओं का सही प्रयोग करने से आप सबका ध्यान अपनी तरफ केंद्रित कर सकते हैं।
  • तनख्वाह से संबंधित प्रश्नों में चतुराई से काम लें। इंटरव्यू लेने वाले के जाल में मत फंसिए। काम के निर्धारण को पूछकर अपनी तनख्वाह नंबरों में बताएं। इंटरव्यू देते समय बहस न करें। किसी के बारे में कोई टिप्पणी न करें।

धन्यवाद पत्र लिखें

धन्यवाद पत्र ऐसा प्रभावशाली माध्यम है जिसका प्रयोग अभ्यर्थी को अन्य प्रतियोगी की तुलना में विशिष्टता प्रदान करता है इससे चयन कर्ता के ऊपर सकारात्मक प्रभाव छोड़ सकते हैं –

  • पत्र को चयनकर्ता को भेजने में ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। अमूमन इंटरव्यू होने के 48 घंटे के अंदर-अंदर धन्यवाद पत्र भेज दिया जाना चाहिए।
  • जब भी धन्यवाद पत्र भेजें उसे कभी भी सामान्य रूप से जैसे निदेशक कार्मिक आदि शीर्षक न देकर व्यक्तिगत शीर्षक देना चाहिए जिसमें जिसे धन्यवाद दे रहे हैं उसका नाम होना चाहिए।
  • यदि किसी नौकरी का प्रस्ताव आपको दिया जा चुका है और आप किसी कारण वश उस नौकरी को नहीं करना चाहते हों तो प्रस्तावक या नियोक्ता को शिष्टतापूर्वक, सकारात्मक धन्यवाद पत्र भेजें जो कि आपके लिए उस संस्थान में भविष्य के द्वार को खुले रखने में सहायक सिद्ध होगा।
  • यदि किसी कारणवश आपका चयन नहीं किया जाता है तो आप अपने आपको उस पद के लिए बुलाए जाने के लिए चयनकर्ता को अपना आभार प्रकट कर धन्यवाद पत्र भेज सकते हैं जो कि आपकी उस फर्म में कार्य करने की इच्छा को लगातार प्रकट करता रहेगा।

नौकरी के शुरुआती दिन

नया जॉब और शुरुआत के 60 दिन, यही वो समय है जब आपको अपनी योग्यता की छाप छोड़नी होती है। । इस समय को जॉब हनीमून पीरियड भी कहा गया है। काम करने वाले से यह उम्मीद की जाती है कि वह इस समय में अपने आपको सिद्ध कर दिखा दे कि वह कंपनी के लिए बहुत महत्व पूर्ण है। मुश्किल हालात में भी हर सवाल का आज के समय में जवाब है। जॉब हनीमून में खरा उतरने के लिए बस कुछ एहतियात भरे कदम उठाएं।

  • झिझक छोड़ें।अक्सर यह देखा गया है कि नई जगह में हम स्वयं को एक दायरे में बांध लेते हैं कि कोई हमें नोट न करे, लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान खुद हमें ही होता है, इसलिए 95 प्रतिशत लोग अपनी नौकरी खो देते हैं और अपने आस-पास के परिवेश में ढल नहीं पाते हैं। इस समस्या का सीधा संबंध योग्यता से नहीं होता। आप अपनी संस्था में जितने लोकप्रिय होंगे उतने ही ज्यादा नए जगह के हौवा से उभर पाने में कामयाब होंगे।
  • कोशिश करें कि अपनी एक टीम बनाएं और अधिक से अधिक रिश्ते जोड़ें।
  • नई नौकरी में बॉस से मिलना फायदेमंद रहता है यह सोच गलत है। बातचीत के लिए बुलाए जाने का इंतजार न करें, बल्कि स्वयं उनसे मुलाकात करने के विषय ढूंढ़े। कहने का तात्पर्य काम से संबंधित किसी योजना को लेकर मिल सकते हैं। बॉस भी आपके इस रवैए से खुश होंगे , इसके साथ ही आपको अपनी गलतियां भी पता चलेंगी। इसका एक फायदा यह भी है कि इससे आप यह भी जान सकेंगे कि आखिर कंपनी और आपका बॉस क्या चाहता है?
  • हनीमून पीरियड में कुछ अलग करने का प्रयास करें, जिससे आपका बॉस यह महसूस कर सके कि आप में कुछ हुनर है।
  • लोगों से जुड़ें कंपनी में काम के दौरान यह कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा लोगों से जान पहचान हो सके। इसका फायदा यह होगा कि आप लोगों की मदद से कंपनी के वर्क कल्चर को समझ सकेंगे।
  • कई आदतें ऐसी होती हैं, जिनसे पीछा जल्दी नहीं छूटता है। काम के समय भी ये आदतें मुसीबत पैदा करती हैं। आपकी कोशिश होनी चाहिए कि समय और माहौल के तौर-तरीकों के अनुसार अपने आप को ढाल सकें।

कामयाबी के बाद क्या करें

हमेशा अपने भरोसे रहिए। यहां तक कि आप किसी बड़ी कंपनी में काम कर रहे तब भी निश्चिंत होने की जरूरत नहीं है। अगर आपने अपनी जिंदगी में अपने स्थायी से लगने वाले कैरियर को ही सब कुछ समझ लिया तो जिस दिन आप कैरियर से अलग कर दिए जाएंगे उस दिन आप बहुत दुःखी होंगे –

  • कुछ कामों के लिए कुछ लोग ही अच्छे रहते हैं। आप में कुछ विशेष योग्यताएं होती हैं जो आपको किसी पद के लिए उपयुक्त बनाती हैं और किसी के लिए अनुपयुक्त। अपनी योग्यता और स्वभाव का ध्यान रखिये।
  • जॉब हमेशा अल्प अवधि का होता है। आपका वर्तमान जॉब कभी भी खत्म हो सकता है। भले ही आप उस कंपनी के मालिक हो इसलिए अल्प अवधि के लिए सोचिए। कभी यह मत मानिए कि जो काम आप कर रहे हैं वह हमेशा रहने वाला है। किसी कैरियर सलाहकार ने एक व्यक्ति से कहा कि आपको हर सुबह यह सोचकर उठना चाहिए कि आप बेरोजगार हैं। आपको भी ऐसा ही सोचना चाहिए। हर सुबह यही सोचकर उठे कि मैं बेरोजगार हूं तब आपको अपनी वर्तमान नौकरी भी अच्छी लगेगी और आप यह सोचने को विवश होंगे कि आपका अगला कदम क्या होगा।
  • हमेशा एक वैकल्पिक नौकरी के बारे में योजना रखें। नौकरी की दौरान भी रेज्यूमे अपडेट करते रहें। यह इस बात का सबूत है कि आप अभी भी फील्ड में सक्रिय हैं।
  • आप आज जो कुछ करते हैं उसी से आपका भविष्य बनता है, जितना आप व्यवहार कुशल होंगे उतना ही आप जॉब में सफल होंगे। असल में आप जो नतीजा देते हैं उसी का महत्व है। फुटबॉल के खेल में फारवर्ड खिलाड़ी ही ज्यादातर गोल करते हैं और उन्हें ही अक्सर लोक प्रियता मिलती है इसलिए हमेशा ध्यान रखें कि हर दिन कुछ ऐसा करें जो ठोस हो और जिसे आंका जा सके और एक बात और अपनी उपलब्धियों का रिकॉर्ड लिखकर रखना चाहिए हो सकता है कि बाद में आप भूल जाएं।
  • अगर आपका जॉब छूट गया हो तो आप ये समझिए कि नए जॉब के लिए आपने अस्सी प्रतिशत तो तैयारी कर रखी है। यह बिल्कुल सही है कि आपकी प्रतिष्ठा, परिणाम, व्यवहारकुशलता, योग्यता, मित्रता, सहयोग की आपकी भावनाएं यह सब काम आती हैं। अगर आपने ऐसा कुछ किया है और आपने अपने पुराने जॉब में लोगों से अच्छा व्यवहार किया है और अपने काम में आप कुशल हैं तो तय मानिए कि बाजार में आपकी मांग रहेगी और आपको जल्दी ही नया जॉब मिल जाएगा। अपने लिए खुद ही जगह तलाशिए, गुंजाइश ढूंढ़िए। आपके कैरियर के साथ-साथ यह सब भी जरूरी हैं।
  • कभी अपने आपको बेरोजगार न रहने दें। यहां तक कि एक दिन के लिए भी नहीं। अगर आपके पास कोई जॉब नहीं है तो कुछ घंटे खुद काम कीजिए, किसी अस्थायी या छोटी एजेन्सी में अंश कालिक काम कर लीजिए या अपने किसी मित्र की कंपनी में मदद ही कर दीजिए। घर में बैठे रहने के बेरोजगारी ऐसी मानसिक बजाय कुछ भी कीजिए, क्योंकि अवस्था है, जिससे आपको बचना चाहिए।                                                        (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 
  • हर सफल इंसान की सफलता के पीछे उसकी कड़ी मेहनत और लगन तो होती ही है, उससे ज्यादा जरूरी उसका ‘टाइम मैनेजमेंट’ होता है। अगर किसी भी व्यक्ति को सफलता का ‘स्वाद’ चखना है, तो उसे समय के चक्र को अपने हाथ में रखना होगा नहीं तो समय तो निकलेगा ही सफलता से भी कोसों दूर चला जाएगा। एक तरीके से देखा जाए तो टाइम मैनेजमेंट का हर इंसान की जिंदगी में बड़ा महत्व है, जिसे समझना बहुत जरूरी है। अक्सर लोग भागदौड़ में रहते हैं? कार्यस्थल पर जल्दी पहुंचते हैं और देर तक रुकते हैं ? शनिवार और रविवार को भी काम पर रहते हैं ? लगातार थकान और चिड़चिड़ापन महसूस करते रहते हैं? विशेषज्ञ कहते हैं कि अक्सर हड़बड़ी में काम करने का सही तरीका आते हुए भी हम गलतियां कर देते हैं। इसका कारण है लोगों में समय को मैनेज करने की क्षमता नहीं होना, इसलिए समय को मैनेज करना उतना ही जरूरी है, जितनी ज़िंदगी में सफलता। टाइम मैनेजमेंट के सूत्रों को अपनाकर काम का तनाव कम कर सकते हैं बल्कि निजी जिंदगी में भी संतुलन ला सकते हैं।
  • हर काम योजनाबद्ध रूप से करना टाइम मैनेजमेंट की पहली शर्त है।
  • सिर्फ बड़ी-बड़ी योजनाएं ही न बनाएं, बल्कि उन्हें लागू भी करें और उन पर कायम भी रहें।
  • योजनाएं वास्तविकता से दूर न हो।
  • योजना के प्रति विस्तृत नजरिया अपनाएं। जिसमें परिवार, दोस्तों, शौक, मनोरंजन, वर्जिश और घूमने-फिरने के लिए समय हो।
  • फुरसत के पल समय की बर्बादी नहीं होते, बल्कि पहले से निर्धारित आराम का समय आपको चीजों को तरतीब में रखने और आपकी कार्यक्षमता को बढ़ाने में मददगार होता है।
  • अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित करें और उनके महत्व तथा अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए उन्हें क्रम में रखें। सबसे महत्वपूर्ण काम को सबसे पहले हाथ में लें, उसके बाद दूसरे नम्बर को और इस तरह कम महत्व के काम की ओर बढ़ते जाएं।
  • न कहना भी एक योग्यता है, इसके अभाव में आप बहुत ज्यादा जिम्मेदारियां ओढ़ते चले जाते हैं और इस कारण आपकी सोची-समझी योजनाएं धराशायी हो जाती हैं।
  • समय के साथ काम करने वाले जल्दी ही अपनी जगह बना लेते हैं। काम समय के अंदर तो करें, लेकिन जल्द बाजी में नहीं। समय पर काम होने से आपको गलतियां सुधारने का समय मिलेगा।
  • आपने अपने पुराने जॉब में लोगों से अच्छा व्यवहार किया है और अपने काम में आप कुशल हैं तो तय मानिए कि बाजार में आपकी मांग रहेगी और आपको जल्दी ही नया जॉब मिल जाएगा।

                                                                    आपका भविष्य आपके हाथ में है। अगर आपने इसे योजनाबद्ध तरीके से बनाया है और उसी के अनुरूप काम किया है तो आपको खुशहाल जिंदगी जीने और सफल व्यक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता। नई शुरुआत के लिए कभी भी देर नहीं होती।

कुछ सफल व्यक्तियों के विचार

1- एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व राष्ट्रपति – “मैं कहता हूं कि असफलता को भूलकर अपनी नियति और ऊर्जा को पहचानो। उसी पथ का निर्माण करो, जिसके लिए तुम बने हो। मंजिल तुम्हारे कदम चूमेगी। सपने जरूर देखें और उन सपनों को साकार करने की तीव्र चाह अपने अंदर पैदा करें और जुट जाएं अपने ख्वाबों को साकार करने में । मेहनत व दिल सेकिया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता।”
2- अरिंदम चौधरी, मैनेजमेंट गुरु, मोटिवेटर – “जीवन में किसी भी काम के लिए अपने अंदर जुनून होना बहुत जरूरी है। प्रेरणा के लिए दूसरों पर निर्भर होकर कामयाबी कभी नहीं हासिल हो सकती। कामयाबी हासिल करनी है तो हमेशा कैलकुलेटेड रिस्क ही लेनी होगी। खुशी की तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए। आप लक्ष्य का अर्थ अपने लिए बनाएं, आदर्श को छूना और फिर उसे पीछे छोड़ना है।”
3- भरत ठाकुर, योग गुरु –  “पुराने नियमों के आधार पर सिर्फ खोज की जा सकती है, आविष्कार नहीं होते। साहस करके आपको अपने खुद के प्रयोग करने होंगे। परंपरा से बंधकर आप साहसी नहीं बन सकते। आमतौर पर तर्क और ज्ञान के आधार पर ही सभी चीजों को देखते हैं, लेकिन इसमें यदि रचनात्मकता जोड़ दी जाए तो कामयाबी हासिल हो सकती है।”
4- आर.ए. माशेलकर, वैज्ञानिक – “आपको जितनी जिम्मेदारी दी जाए, उससे कुछ ज्यादा नतीजे देने की सोचिए। फुटपाथ पर सोया आदमी भी अपने अंदर एक बेशकीमती चीज़ छुपाए है, इसलिए एक लीडर को जिन लोगों के साथ काम करना है, कम से कम उनके अंदर की उस चीज़ को पहचानना होगा। दुनिया मुफ्त में कुछ नहीं देती। सफलता जैसी बेशकीमती चीज़ तो बिल्कुल नहीं।”

5- अक्षत सिंघल, सिस्टम इंजीनियर – “सफलता का सचमुच कोई रहस्य नहीं है। जीवन में सिर्फ दो चीज़े महत्वपूर्ण है-सीमाओं में रहकर सपने साकार करें और उत्साह के साथ अनुशासन को निभाएं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने की आदत न पालें। बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करेंगे तभी आप में ‘स्किल’ आते हैं।”
6- रामगोपाल वर्मा, मशहूर फिल्म निर्देशक – “मन में निराशा का भाव न आने दें। प्रयोग जरूर करें। प्रयोग व्यक्ति को हमेशा अच्छा व अलग हटकर काम करने के लिए प्रेरित करता है। कहते हैं कि सफलता के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन मैं उसे एन्जॉय करता हूं। कोई सुबह उठकर यह तय करे कि आज उसे क्या करना है और रात तक सभी काम पूरे कर ले तो वह दुनिया का सफल आदमी है।”

7- मुजफ्फर अली, फिल्म निर्माता – “जो भी करें सादगी और ईमानदारी के साथ करें। यह न सिर्फ आपके काम के तरीके में होनी चाहिए बल्कि व्यवहार और व्यक्तित्व में भी होनी चाहिए। विचार करें कि जो काम आप करने जा रहे हैं, उस काम का आपके आस-पास, समाज व आपके देश पर क्या फिल्मकार, फैशन डिजाइनर असर पड़ेगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके काम से आपको और आपके अपनों को शर्मिंदा होना पड़े।”
8- किरण बेदी, प्रथम महिला आईपीएस – “जिंदगी का हर पल हमको कुछ न कुछ सिखाती है। यदि निरंतर कुछ नया नहीं सीखेंगे, तो जल्दी ही बेकार साबित हो जाएंगे। यदि आप अपने कैरियर को ही अपना सर्वस्व मान बैठे हैं तो अब भी संभल जाइए। जो लोग खुद से और दूसरों से जरूरत से ज्यादा काम लेते हैं, वे बर्नआउट झेलते हैं। काम हो या आराम, अति हर चीज की खराब होती है।”                                                          (नौकरी में बेहतर भविष्य के लिए क्या करें) 

9- जसपाल राणा, निशानेबाज – “काम या किसी भी प्रोफेशन में ईमानदारी बहुत जरूरी है। एक और बात वह यह कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में संगत का बहुत प्रभाव पड़ता है। दोस्ती ऐसी चीज है जो अगर अच्छे लोगों से की जाए तो आपका भविष्य बनाने में मदद करेगी और अच्छे लोगों से नहीं तो आपको और आपके जीवन को बरबाद कर सकती है।”
10- श्यामक डावर, कोरियोग्राफर – “आजकल सभी प्रोफेशन में नए फार्मूलों की जरूरत पड़ती है इसलिए अपने दिमाग को खुला छोड़ दें, सभी बंदिशों से आजाद कर दें, जिससे जो कुछ भी काम आप करेंगे वह बेहतरीन होगा। प्रेरणा तो लेनी चाहिए पर उसे पूरी तरह से नकल करने में समझदारी नहीं है। अगर उस काम को अपनी पूरी कल्पना शक्ति लगाकर करें तो कुछ हटकर भी निकल सकता है।”

11- शिव खेड़ा, न्यू एज गुरु – ” ‘पेन’ और ‘गेन’ को अपना मंत्र मानो। जितना ‘पेन’ यानि ‘दर्द’ सहोगे उतना ‘गेन’ यानी प्राप्ति होगी। आप जिन मान्यताओं पर जीते हैं उनसे ही प्रेरणा का जन्म होता है। यह मान्यताएं आपको जिम्मेवारी स्वीकारने व सुखी जीवन जीने में मदद करती हैं। ऐसे लोग न केवल अच्छे प्रोफेशनल बनते हैं बल्कि बेहतर इंसान भी होते हैं।”

12- विकास मलकानी – “जिंदगी की एबीसी में ‘ए’ का मतलब है- अवेयरनेस (जागरुकता), ‘बी’ का मतलब है बिलीफ (विश्वास), ‘सी’ का मतलब है- च्वाइस (रुचि), ‘डी’ का मतलब है डिटैचमेंट (तटस्थता) और ‘ई’ का मतलब है एंज्वाइमेंट (आनंद)। सफलता अंदर से बाहर का सफर तय करती है, न कि बाहर से अंदर का। उनके प्रख्यात न्यू एज गुरु मंत्र पढ़िए, कि कोई आपको हरा नहीं सकता।”

 

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