यदि आप एक सामान्य नागरिक हैं, आपके पास नौकरी नहीं है, परंतु स्वयं का रोजगार है । चूकि आप नौकरी नहीं करते हैं, इसलिए आपको प्रोविडेंट फंड, पेंशन, ग्रेच्युटी इत्यादि का लाभ नहीं मिलेगा। सेवानिवृत्ति जैसी सुविधा भी नहीं मिलेगी । आपको तो हर हाल में पूरी जिंदगी काम करते रहना है सिवाय इसके कि मेरी संतानें मेरी देखभाल करें और बुढ़ापे में मेरा सहारा बनें। यह कथा और व्यथा हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की है। अगर ये सवाल आपके मन में भी है तो इसका जवाब जानने के लिए आपको इस लेख को पूरा पड़ना चाहिए और ये लेख पड़ने के बाद आप अच्छे से जान जायेंगे कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली क्या है ? – National Pension System in Hindi . इसके आलावा आपके मन से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली National Pension System को लेकर सभी सवालों के उत्तर मिल जायेंगे ।
भारत जैसे देश में करोड़ों लोग स्वयं रोजगार करके अपनी जीविका चलाते हैं। उनके लिए वृद्धावस्था या सेवानिवृत्ति के समय आर्थिक सुरक्षा जैसा कोई विकल्प नहीं होता, परंतु अब समय बदल रहा है। छोटे-छोटे परिवर्तनों के साथ देश और प्रजा प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रही है। अलबत्ता, अभी कुछ अधूरापन और कुछ कमियां जरूर हैं, परंतु हमेशा मात्र नकारात्मक की तरफ देखकर टिप्पणी करने से समाधान नहीं होता। देश में अनेक वस्तुओं को बेचने वाले-फेरी वाले, किसान, बढ़ई, लुहार, कुम्हार से लेकर अनेक प्रकार का स्वयं रोजगार करने वाले प्रत्येक सामान्य नागरिकों को थोड़ी-थोड़ी बचत के माध्यम से भविष्य में सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से पेंशन की सुविधा मिल सकती है।
सरकार ने लंबे विचार-विमर्श के बाद 1 मई, 2009 से नई पेंशन योजना लागू की थी जिसका नाम राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System) रखा गया संक्षेप में इसे ‘NPS’ कहते हैं । वर्तमान में देश की मात्र 15 प्रतिशत वर्किंग जनता को ही पेंशन का लाभ मिलता है बाकी 88 प्रतिशत लोग पेंशन से वंचित हैं । यह पेंशन किस प्रकार सृजित होगी, उसका निवेश कहां होगा, उसका संचालन कौन करेगा, इसमें कौन किस प्रकार हिस्सा ले सकेगा जैसी अनेक महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करेंगे। हालांकि अभी इस योजना में कुछ कमियां हो सकती हैं, इसलिए विशेषज्ञ आंख बंद करके इसे लागू करने के बजाय विचार-विमर्श करके आगे बढ़ने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य बचत योजनाओं के साथ इसकी तुलना भी जरूरी है। सबसे पहले इस योजना को जानने का प्रयास करते हैं
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System)
यह योजना केन्द्र सरकार की है। इसे सर्वप्रथम केन्द्र के कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल, 2004 से लागू किया गया था। इस तारीख के बाद केन्द्र की नौकरी में नियुक्त हुए तमाम कर्मचारियों पर यह आवश्यक रूप से लागू की गई है। इस स्कीम के तहत एक निश्चित राशि हर महीने पेंशन अकाउंट में जमा कराई जाती है, जो कि सेवानिवृत्ति के बाद प्रत्येक महीने पेंशन के रूप में कर्मचारियों को दी जाती है। यह योजना कई राज्य सरकारों ने लागू की है। सरकारी कर्मचारियों के लिए तो यह योजना है ही परंतु 1 मई, 2009 से सरकार ने नई पेंशन स्कीम देश के सभी नागरिकों के लिए शुरू की है ।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का हिस्सा कैसे बनें
इस पेंशन स्कीम में भाग लेने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को इन्कम टैक्स के पैन (पर्मानेंट अकाउंट नंबर) की तरह पर्मानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान) लेने की आवश्यकता होती है। इसका फार्म सरकार द्वारा निर्दिष्ट कार्यालयों से प्राप्त किया जा सकता है, जो हाल फिलहाल में कई बैंक हैं।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में न्यूनतम बचत
व्यक्ति को महीने में कम से कम 500 रुपए अर्थात् 6000 रुपए वार्षिक की बचत करनी होती है तभी वह इस योजना में शामिल हो सकता है।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की छोटी रकम से लाभ
सवाल छोटी रकम का नहीं। यह रकम लंबे समय तक जमा होते रहने पर सेवा निवृत्ति के समय बड़ी रकम बन जाती है। इस रकम पर सरकार के फंड मैनेजर आय सृजित करते रहेंगे। इस फंड का संचालन निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के फंड मैनेजरों को सौंपा गया है। इस प्रकार व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद जब तक वह जीवित रहेगा हर महीने एक निर्धारित रकम पेंशन के रूप में मिलती रहेगी।
पेंशन फंड की रकम का निवेश कहां होगा
इस रकम के निवेश के लिए खाताधारक को तीन विकल्प दिए जाएंगे। ये विकल्प है ‘ई’, ‘सी’ और ‘जी’ अर्थात् ई-इक्विटी, सी-कॉर्पोरेट बॉण्ड्स और जी-गवर्नमेंट सिक्योरिटीज। खाताधारक अपनी जोखिम लेने की शक्ति के आधार पर इनमें से किसी विकल्प को चुन सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो पेंशन फंड में जमा हुई रकम फंड मैनेजर इक्विटी या डेल्ट साधनों में या सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करेंगे, जिससे दीर्घावधि में उल्लेखनीय वृद्धि संभव हो सके। पेंशन योजना में शामिल व्यक्ति तीन विकल्पों में से कोई विकल्प चुन सकता है। एक स्कीम में फंड मैनेजर इसका निवेश मात्र सरकारी बॉण्ड में करता है, जबकि दूसरी योजना में फंड मैनेजर कॉर्पोरेट बॉण्ड और उसका कुछ हिस्सा इक्विटीज में निवेश करता है। इन दोनों फंडों में सुरक्षा का स्तर ऊंचा तथा जोखिम का स्तर नीचा रहता है, जबकि तीसरे प्रकार की स्कीम में इक्विटी में निवेश किया जाता है, वहां जोखिम की संभावना बढ़ जाती है।
खाताधारक एक से अधिक फंड मैनेजर की नियुक्ति भी कर सकता है तथा स्कीम में बदलाव भी कर सकता है। इस योजना में निश्चित प्रतिफल मिलने की गारंटी नहीं रहती, परंतु एक अनुमान के अनुसार 12 से 16 प्रतिशत सालाना प्रतिफल मिल सकता है। इक्विटी में ऊंची दर से प्रतिफल तो मिल सकता है, परंतु उसमें जोखिम भी ज्यादा होती है। इतना होने पर भी किसी भी योजना में इक्विटी में 50 प्रतिशत से अधिक निवेश नहीं किया जाता । कुछ लोगों का यह भी मत है कि सरकार को इस तरह की कोई शर्त नहीं रखनी चाहिए। यहां इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि इन फंडों का शेयर बाज़ार में निवेश होने से ब्लूचीप तथा आधार रूप से मजबूत कंपनियों के शेयरों में मजबूती रहेगी। विदेशों में अनेक पेंशन फंड हैं तथा उनके निवेश शेयर बाज़ार में होता रहता है। विदेशी फंडों की रकम तो भारतीय बाजार में वर्षों से आ रही है, परंतु अब स्थानीय पेंशन फंडों की रकम भी आएगी। वर्तमान में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के पेंशन फंड यूटीआई, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एलआईसी आदि संस्थाएं हैं।
निवास स्थान बदल लेने पर क्या होगा ?
राष्ट्रीय पेंशन योजना में ऐसी सुविधा है कि यदि कोई व्यक्ति दिल्ली में रहता है और यहीं पर उसका खाता भी हो और किसी कारणवश उसकी बदली कोलकत्ता या लखनऊ हो जाए तो भी कोई असुविधा नहीं होती। उसे मात्र एक आवेदन करके अपना पता बदलवाना होता है। पेंशन अकाउंट का रिकॉर्ड एक ही स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक के रूप में होता है। देश की अग्रणी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजटरी लि. (एनएसडीएल) को यह काम सौंपा गया है। यह सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी के रूप में काम करती है। पेंशन फंड के सभी अकाउंट यहां जमा रहते हैं और इसका स्टेटमेंट भी पेंशनधारकों को यहीं से जारी किया जाता है।
क्या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की स्कीम को बदल सकते हैं ?
पेंशन अकाउंट खुलवाते समय व्यक्ति ने जो विकल्प चुना था यदि वह चाहे तो दूसरी स्कीम में इसका ट्रांसफर ले सकता है। इसके लिए एनएवी (नेट एसेट वैल्यू) को आधार बनाया जाता है। स्कीम के अलावा पेंशन अकाउंटधारक फंड मैनेजर भी बदल सकता है।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के दौरान पेंशन धारक की मृत्यु हो जाने पर क्या होगा ?
पेंशन स्कीम धारक की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उसमें जमा रकम के आधार पर उसके परिवार को रकम निकालने या उससे पेंशन लेने का अधिकार रहता है ।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की फीस
पेशन अकाउट धारक को सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी को रिकॉर्ड रखने तथा पेंशन फेड मैनेजर को फंड प्रबंधित करने के लिए फीस चुकानी होती है, जो खातारधारक की सेविंग से काट ली जाती है । हालांकि यह फीस म्यूच्युअल फंडों द्वारा ली जाने वाली फीस के मुकाबले थोड़ी कम होती है। (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली क्या है ? – National Pension System in Hindi )
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की सुरक्षा
इसमें बचत कर्ताओं के धन का दुरुपयोग न हो इसके लिए नियमन तंत्र की रचना पहले ही की गई है। पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी इन सबका नियमन करती है। निवेश के मामले में भी इस प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों का पालन करना पड़ता है। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि पेंशन फंड का मामला लोगों की जीवन भर की बचत तथा वृद्धावस्था के समय जीविका चलाने से संबंधित है इसलिए यह काफी संवेदनशील हो जाता है। अतः इस मामले में सुरक्षा एवं नियम पालन के संबंध में काफी सावधानी बरती जाती है और ऐसी आशा भी है कि भविष्य में भी ऐसा ही होगा ।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का हिस्सा कैसे बनें ?
इस पेंशन योजना का लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति की उम्र 18 वर्ष से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए। यह व्यक्ति देशभर में फैले 285 हस्तियों के कार्यालयों के जरिये इस योजना में भाग ले सकता है, जो कई बैंकों द्वारा संचालित है। इनमें एसबीआई और उसकी सहयोगी बैंकों, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, सीटी बैंक, कोटक महिन्द्रा, इंडियन बैंक, आईडीबीआई बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, साउथ इंडियन बैंक, यूनियन बैंक तथा चार वित्तीय संस्थाओं जैसे कि एलआईसी, आईएलएफएल, यूटीआई और रिलायंस कैपिटल का समावेश है। इन सबको प्वॉइंट ऑफ प्रेजेन्स (पीओपी) के रूप में पहचाना जाता है। खाताधारक एक पीओपी से दूसरे पीओपी के पास स्थानांतरित हो सकता है।
(राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली क्या है ? – National Pension System in Hindi )
राष्ट्रीय पेंशन स्कीम में जमा रूपये निकालने की सुविधा
व्यक्ति 60 वर्ष का हो उससे पहले अपनी कुल बचत का 20 प्रतिशत रुपया निकाल सकता है, परंतु शेष 80 प्रतिशत में से कम से कम 40 प्रतिशत राशि की एन्युटी स्कीम किसी बीमा कंपनी से लेनी होगी। प्रत्येक व्यक्ति को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि पेंशन की रकम भविष्य के लिए, निवृत्ति के लिए तथा वृद्धावस्था के लिए हैं अतः इसमें से बीच में रकम निकालना टालना चाहिए।
क्या रुपया निकालते समय टैक्स देना पड़ेगा ?
यहां इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस योजना में रकम निकालते समय कर लगता है अर्थात् जब इसमें बचत के रूप में रकम जमा कराई जाती है उस समय यह कर मुक्त है, परंतु निकालते समय यह कर पात्र बन जाती है। चूंकि यह रकम निवृत्ति के समय के लिए है अतः पेंशन मिलते समय भी इस पर कर मुक्ति मिले यह प्रयास जारी हैं । वर्तमान में इस योजना में हिस्सा लेने वाले व्यक्ति को प्रति वर्ष लगभग 400 रु.का निर्धारित खर्च होता है। वास्तव में सरकार ने यह योजना सामान्य नागरिकों के लाभ के लिए बनाई है। छोटे-छोटे लोगों को इसका लाभ मिले इसके लिए एक निश्चित रकम तक मेंटीनेंस चार्ज सीमित रखना चाहिए अर्थात् ऊंची रकम पर अधिक चार्ज और छोटी रकम पर कम चार्ज जैसी व्यवस्था होनी चाहिए। इस स्कीम पर वार्षिक कितने प्रतिशत तक प्रतिफल मिलेगा यह जानने की लोगों को बहुत उत्सुकता है। ऐसा अनुमान है कि यह प्रतिफल 12 से 16 प्रतिशत तक हो सकता है।
राष्ट्रीय पेंशन स्कीम 2018
माह दिसंबर 2018 में भारतीय सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए थे ताकि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को निवेशकों के लिए और ज्यादा आकर्षक बनाया जा सके। वर्ष 2004 में जब भारत सरकार ने NPS को शुरू किया था उस समय पेंशन धारक को अपने मूल वेतन (बेसिक सैलरी) तथा महंगाई भत्ते का 10% का योगदान राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में करना होता था। परन्तु दिसंबर 2018 मे भारत सरकार ने इस योगदान को बढ़ाकर 14% तक कर दिया है तथा धारक का योगदान 10% रखा गया है। इस के पश्चात केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन में काफी इजाफा होगा।
दिसंबर 2018 में सरकार द्वारा अनुमोदित किये गए शंशोधन के बाद दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय टैक्स से संबंधित है। दिसंबर 2018 से पहले, NPS की परिपक्वता (मैच्यूरिटी) पर केंद्रीय कर्मचारी पेंशन फण्ड में जमा राशि का 60% ही निकाल सकते थे जिसमें 40% तक की राशि टैक्स फ्री होती थी और 20% धनराशि पर कर टैक्स लगता था । नए शंशोधन के बाद दिसंबर 2018 से पेंशन की 60% राशि को टैक्स फ्री कर दिया गया है।
इस स्कीम में दिसंबर 2018 से सरकार द्वारा तीसरा महत्वपूर्ण बदलाव इन्वेस्टमेंट को लेकर हुआ है । अब धारक को यह पूर्ण स्वतंत्रता है कि उनके द्वारा इस पेंशन स्कीम में डाला गया रुपया किस फण्ड में निवेश किया जाय । पेंशन स्कीम धारक वर्ष में एक बार पेंशन फण्ड या इक्विटी को अपनी मर्जी के अनुसार बदल सकते हैं ।
मुझे विश्वाश है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली क्या है ? – National Pension System in Hindi के संबंध में आपके सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे , कृपया कमेंट करें और शेयर करें, जिससे मेरा हौंसला बढ़ता रहे ।।
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