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10 Next generation green technology in Hindi

10 Next generation green technology in Hindi – 10 अगली पीढ़ी की हरित प्रौद्योगिकी

रिन्युएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी जैसे पवन और सौर ऊर्जा अमेरिका में बिजली पाने के लिए स्रोत के रूप में तेजी से विकसित हो रही है। साथ ही इसने लोगों के बीच अपनी उपयोगिता को लेकर बड़ी तेजी से विश्वास पैदा किया है। यही वजह है हरी ताकत कहलाने वाली यह शक्ति आर्थिक मंदी के दबाव से भी बेअसर है। अगर वास्तविकता में हम अपने आप को कृत्रिम संसाधनों के दबाव से बाहर निकालना चाहते हैं तो हमें नए युग की तकनीकी को बहुत जल्दी अपनाना होगा। आगे हम जानते हैं, 10 Next generation green technology in Hindi – 10 अगली पीढ़ी की हरित प्रौद्योगिकी क्या है ?

1- सांद्रित सौर ऊर्जा

जब हम सौर ऊर्जा के बारे में सोचते हैं तो सिलिकॉन पैनल का ख्याल दिमाग में आता है, जो कि सूर्य की किरणों को प्रत्यक्ष रूप से बिजली में बदलता है, लेकिन इसके लिए एक और सरल तरीका है जिसमें बड़े शीशों का इस्तेमाल सूर्य की गर्मी को केंद्रित करने के लिए किया जाता है। इससे उत्पन्न होने वाली भाप टर्बाइन को चला सकती है। सांद्रित सौर ऊर्जा के फायदे हैं कि जनउपयोगी सेवाएं ऐसे कॉमर्शियल प्लांट्स का निर्माण कर सकती हैं, जिनमें फॉसिल फ्यूल चालित प्लांट्स का स्थान लेने की क्षमता हो। कैलिफोर्निया के मोजेव रेगिस्तान में 354 मेगावॉट सोलर एनर्जी जनरेटिंग सिस्टम प्लांट दुनिया का सबसे बड़ा सोलर इंस्टॉलेशन है।

2-  ज्वारीय ऊर्जा

ज्वारीय ऊर्जा कोई नया विषय नहीं है। पवन चक्की, हवा की भौतिक ऊर्जा को बिजली में बदल सकती है, उसी तरह ज्वारीय टर्बाइन समुद्र की गति के साथ ऐसा कर सकते हैं। ज्वारीय धाराएं बेहद उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं। इससे जुड़े प्रयोग जारी हैं। वेरडेंट पावर न्यूयॉर्क शहर की ईस्ट नदी में सफल कोशिश कर चुकी है और ब्रिटेन की मरीन करंट टर्बाइंस 10.5 एमवी के प्रोजेक्ट की तैयारी कर रही है।

3- स्मार्ट ग्रिड

स्मार्ट ग्रिड एक ऐसी तकनीकी है, जिससे ऊर्जा की बचत और कार्बन उत्सर्जन में कमी की जा सकती है। इलेक्ट्रिकल ग्रिड को इंटरनेट के साथ जोड़ा जाता है। इंटेलीजेंट नेटवर्ल्ड इलेक्ट्रिकल मीटर्स इस बात का पता लगा सकते हैं कि हम कितनी बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं और अधिकतम बेहतर परिणामों के साथ अपने आप ही दरों व इस्तेमाल करने के तरीकों को व्यवस्थित कर देता है। इस दिशा में काम जारी है और एक्सल जैसी जन उपयोगी सेवाएं अमेरिका के शहरों में टेस्ट प्रोजेक्ट शुरू कर चुकी हैं।

4- ऑफशोर विडफार्म

विंड टर्बाइन को समुद्री तट से दूर पानी में व्यवस्थित करना, विशाल जगह और शक्तिशाली हवा के फायदे दे सकता है। बहुत सी जन उपयोगी सेवाएं इस पद्धति को काम में ले रही हैं। खासतौर पर यूरोप में जहां खुले मैदानों की कमी है। डेनमार्क के उत्तरी समुद्र में ऑफशोर विंडफार्म शुरू हो चुके हैं और अब ये बाल्टिक समुद्र में पाए जाते हैं।

5-  शैवाल जैव ईंधन

शैवाल जैसे जीव कार्बन पोषित होते हैं और तेल उत्पन्न करते हैं जिसका उपयोग ईंधन बनाने के लिए किया जाता है। शैवाल को बायोरिएक्टर कहलाने वाले प्लास्टिक टैंक में व्यर्थ भूमि पर उगाया जा सकता है। बेहतर शैवाल कुशलता से जैव ईंधन का निर्माण करते हैं।

6- सीसीएस

पर्यावरण वैज्ञानिक उस दिन का सपना देख रहे हैं। जब पूरी बिजली सूर्य, हवा, पानी और अन्य वास्तविक रिन्युएबल रिसोर्सेज से मिलेगी, लेकिन सच्चाई यह है कि कोयला जैसे जीवाश्मीय ईंधन हमारे ऊर्जा तंत्र में गहराई से व्याप्त हैं और हमें वर्षों तक इनका इस्तेमाल करना होगा। इसका अर्थ है हमें वह तरीका खोजना होगा, जिससे जीवाश्मीय ईंधन से मुक्त होने वाली कार्बन को किफायती तरीके से कैद किया जा सके और इसे जमीन में अलग किया जा सके। वर्तमान में कोई भी यूटिलिटी स्केल कार्बन कैप्चर एंड सिक्वेशन (सीसीएस) प्रोजेक्ट नहीं है और कई प्रकार की तकनीकी चुनौतियां भी यहां मौजूद हैं। कई प्रायोगिक योजनाओं पर काम जारी है। स्वीडिश यूटिलिटी वाटेनफाल ने एक 30 एमवी पायलेट प्लांट शुरू किया है, जो कि कोयले से जलने वाले कार्बन को कैद कर सकता है। हालांकि संग्रहित सामग्री को रखने के लिए कंपनी को जगह नहीं मिली है।    (10 Next generation green technology in Hindi)

7- जिओथर्मल

जिओथर्मल की ऊर्जा का इस्तेमाल बिजली बनाने में किया जाता है। धरती की सतह के नीचे निश्चित हिस्सों में मौजूद गर्म पानी को भाप में बदलकर उस भाप का इस्तेमाल विद्युत टर्बाइन को चलाने में किया जाता है। वर्तमान में जिओथर्मल का इस्तेमाल उन देशों में किया जाता है, जिनमें असाधारण रूप से सक्रिय ज्वालामुखीय सतह होती है जैसे आइसलैंड जहां देश की चौथाई से ज्यादा बिजली जिओथर्मल संसाधनों से प्राप्त होती है।

8- लीथियम आयन बैट्री

जैसे-जैसे हम गैसोलिन और दूसरे फॉसिल फ्यूल से दूरी बना रहे हैं, वैसे-वैसे बैट्री तकनीकी उतनी ही महत्वपूर्ण होती जा रही है। पिछले सालों में लीथियम आयन बैट्रीज (छोटी और बेहतर वजन ऊर्जा अनुपात में होती हैं।) आपके लैपटॉप, आईपॉड और सेलफोन में इस्तेमाल होने लगी है। यह उम्मीद है कि यह तकनीकी इलेक्ट्रिकल कार को वास्तविकता में बदलने की शुरुआत करेगी। टेस्ला मोटर्स के सभी इलेक्ट्रिक वाहन 7000 लीथियम आयन सेल्स पर दौड़ते हैं जबकि जनरल मोटर की प्लग इन कार वोल्ट में 400 पाउंड लीथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल होगा। हालांकि यह बहुत सस्ती नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि जब वोल्ट जैसे उत्पाद लोगों की पहुंच में आ जाएंगे तो इसकी कीमत में भी कटौती होगी।

9- सीएसपीवी

सीएसपीवी प्लांट्स सोलर पीवी पैनल्स पर सूर्य की रोशनी को एकत्रित करने के लिए शीशों और लेंस का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें उत्पन्न की जाने वाली बिजली की मात्रा बढ़ती है। यह सौर ऊर्जा को बढ़ाने का सस्ता तरीका है। बहुत से महंगे पीवी पैनल्स को उत्पन्न करने की बजाय बिजली की उतनी ही मात्रा को संबंधित शीशों की मदद से उत्पन्न किया जा सकता है।

10- न्यूक्लियर फ्यूजन

1952 में मार्शल द्वीप पर गिरे पहले हाइड्रोजन बम के समय से वैज्ञानिक न्यूक्लियर क्षमताओं को खोज रहे हैं। दशकों के शोधों के बाद भी वे ऐसा फ्युजन रिएक्शन उत्पन्न नहीं कर पाए हैं जिसका इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि यह बदल सकता है। इंटरनेशनल थर्मो न्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर का निर्माण शुरू हो चुका है और 15 मिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट जो कि चुंबकीय क्षेत्रों पर निर्भर करता है, फ्यूजन की स्थितियों के लिए तैयार किया जाएगा। यह योजना 2018 में शुरू होगी।

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