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ईश्वर का स्वरूप

ईश्वर का स्वरूप – ईश्वर की प्रार्थना कैसे करें ?

म सभी  किसी  किसी रूप में ईश्वर को मानते हैं या यूं कह लीजिये कि ईश्वर कि शक्ति को स्वीकार करते हैं वो चाहे प्रकृति के रूप में हो या किसी अन्य रूप में  हम लोगों का ईश्वर को मानने का ढंग अलग अलग हो सकता है हम जितने भी बड़े नास्तिक हों लेकिन किसी न किसी रूप में ईश्वर को मानते जरूर हैं । आईये इस लेख में हम जानते हैं कि ईश्वर का स्वरूप क्या है और हम  ईश्वर की प्रार्थना कैसे करें ?

अध्यात्म का अर्थ

ध्यात्म का अर्थ होता है, स्वयं के लिए संतुलन स्थापित करना, दुनिया में अपनी स्थिति और अस्तित्व की समझ रखना। इसका अर्थ है, मूल्य तंत्र को परिभाषित करना, यानी कि एक ऐसा तरीका अपनाना, जिससे आप अपनी जिंदगी शांतिपूर्वक, रचनात्मक और प्रभावशाली ढंग से जी पाएं । व्यक्ति के लिए दुनिया बेहद तनाव पूर्ण और अस्थायित्व से भरी हो सकती है, इसलिए ऐसी स्थितियों से सामंजस्य बिठाने के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र का होना बेहद जरूरी है।

मैं परिस्थितियों को धैर्य से देखता हूं। मुझे लगता है कि जिंदगी ने मुझे अपनी जरूरतों से बहुत ज्यादा दिया खासतौर पर मैंने चाहा उससे कहीं ज्यादा और मेरी काबिलियत से भी कहीं ज्यादा, इसलिए इस संतुलन को बरकरार रख पाना बेहद महत्वपूर्ण है और मैं इसका अभ्यास करने की कोशिश करता हूं। मूल्य तंत्र इस संतुलन की नींव होता है। इसे में एक दिन नहीं बल्कि सालों का समय लगता है। मैंने भी इसे सालों में तैयार किया है।                                                           ईश्वर का स्वरूप

जिंदगी के अनुभव

ज़िंदगी के अनुभव और प्रतिबिंब अपने आपमें प्रेरणा होते हैं और ये मूल्य तंत्र की बुनियाद को मजबूत बनाते हैं उदाहरण के लिए मान लीजिये जब आप 10-12 साल के रहे हों तो आपके पापा का स्थानांतरण शहर से बाहर हो गया हो  और ऐसे में आपको अपने रिश्तेदार व उनके परिवार के साथ वहीं रहना पड़ा। इस घटना से आपमें  यही सोच पनपेगी  कि आपकी  वजह से आपके  रिश्तेदारों को परेशानी नहीं होनी चाहिए और आपको हर हालत में सहयोग करना सीखना चाहिए। ज़िंदगी के वे पल अपने आपमें अद्भुत थे।

ईश्वर का रूप कैसा है ?

मैं ईश्वर को अनाकार रूप में देखता हूं और मुझे लगता में है कि ईश्वर को सुकून और फायदे पहुंचाने वाली छवि के रूप में रचने और देखने के बजाय जो कुछ उसने दिया है, उसके लिए हमें उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए, इसलिए चुनौतियों के दौर या मुश्किल पलों में मैं सोचता हूं कि ये वक्त भी निकल जाएगा। उस स्तर पर मेरा विश्वास यही होता है कि मैं जो कुछ भी करूं वह सही हो । वक्त के साथ निश्चित तौर पर मैं उस बिंदु पर पहुंच जाऊँगा जब मुश्किलें दूर होंगी और दुबारा उन  स्थितियों से मिलने की संभावनाएं कम होंगी । यह समझ मुझे अपने संतुलन से मिलती है।

जीवन का उद्देश्य

ज़िंदगी में उद्देश्य होना बेहद जरूरी है। खुशी का मतलब भी यही है, ज़िंदगी में उद्देश्य निर्धारित करना और लगातार उन्हें पूरा करना । उद्देश्य से आपको सुबह उठने और काम करने की एक वजह मिलेगी। सोचिए कि अगर हमारे पास कोई मकसद न हो तो ऐसी ज़िंदगी किस दिशा में जाएगी। यह न केवल एक सार्थक ज़िंदगी के लिए जरूरी है, बल्कि व्यक्तिगत आत्मविश्वास के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। ऐसे में उद्देश्य निर्धारित करना, उसे समझना और उसे सही दिशा में ले जाना हर एक की प्राथमिकता होनी चाहिए।

मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि जीवन में उद्देश्य का होना मेरी संतुष्टि, खुशी और मेरे स्थायित्व के स्तर में बड़ा बदलाव लाया है। इसने मुझे एक बेहतर व्यक्ति बनाया है और मैं ऐसा महसूस करता हूं कि मैं अब एक ऐसी अवस्था में हूं जहां मुझे अपनी विशिष्ट स्थिति का फायदा हर संभव से दुनिया में प्रभावी कामों को करने के लिए करना चाहिए। अध्यात्म यहां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैसे तो यह काफी कुछ मेरे कामों और गतिविधियों से हो जाता है, लेकिन जब बड़े स्तर पर लोगों के हित मेरे काम से जुड़े होते हैं मैं सोचता हूं अध्यात्म हमें निष्पक्ष रूप से सोचने में मदद करता है।                                                                     ईश्वर का स्वरूप

जीवन में बदलाव लाएं

मेरे पास बहुत सी चीजों में बदलाव लाने का अवसर है, इसलिए मैं इस बारे में गहराई पूर्वक सोचता हूं और ऐसा करना मुझे बेहद संतुष्टि देता है, लेकिन साथ ही मैं लगातार आत्मविश्लेषण करता रहता हूं कि मेरी भूमिका क्या है, मैं अपने में कैसे परिवर्तन ला सकता हूं और कैसे निष्पक्ष रह सकता हूं। हालांकि इस आध्यात्मिक समझ को विकसित होने में लंबा वक्त लगा है, लेकिन इसके परिणाम बेहतरीन हैं। आप स्वयं के साथ-साथ दूसरों से भी एक परिपक्व सोच व समझ के साथ जुड़ते हैं। आप महसूस करते हैं कि एकाग्र होना कितना महत्वपूर्ण है और यह भी समझते हैं कि यह जीवन के सभी पहलुओं को कितना प्रभावित करता है।

ईश्वर से कैसे जुड़ें

ईश्वर से जुड़ने के लिए सभी कोई न कोई माध्यम या जरिया अपनाते हैं। मैं भी उनसे अलग नहीं हूं। मैं हर दिन कुछ देर प्रार्थना करता हूं। अपने आराध्य को भी मानता हूँ। हालांकि रोजाना पूजा-पाठ में बहुत वक्त नहीं दे पाता, लेकिन मूल  मंत्र का जाप जरूर करता हूं। मैं गुरद्वारे बहुत नहीं जाता कभी कभी जाना होता है साल में एक आध बार, लेकिन जब भी मुझे कुछ पल मिलते हैं तो ईश्वर से जरूर बात करता हूं। इस बात से इनकार नहीं करूंगा कि मैं पारम्परिक अर्थों में धार्मिक नहीं हूं, लेकिन मैं आध्यात्मिक हूं।                             ईश्वर का स्वरूप

मैं अलौकिक शक्ति में यकीन करता हूं। ज़िंदगी के अनुभव, इस यकीन को और भी पुख्ता बनाते हैं। उदाहरण के लिए सफलता को हासिल करने के लिए बुद्धिमत्ता और कड़ी मेहनत दोनों ही जरूरी तत्व हैं, लेकिन भाग्य और किस्मत की अपनी निश्चित भूमिका है। केवल समझदार या बुद्धिमान होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि सही समय पर, सही जगह पर होना महत्वपूर्ण होता है। मैं असाधारण रूप से भाग्यशाली रहा हूं और इसे अलौकिक शक्ति की देन मानता हूं। भाग्य के साथ सही मूल्यों का तालमेल बेहतर भविष्य की पुष्टि करता है। वास्तविकता में जिंदगी में मूल्यों की सही संपत्ति आपके पास होना बेहद जरूरी है। हर वक्त नैतिक होना, लोगों के साथ निष्पक्ष होना, मूलभूत ईमानदारी का अभ्यास, षड्यंत्रों से बचना, मिसाल पेश करना कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनमें मैं यकीन करता हूं और अभ्यास करता हूं ।।

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