गर्मी में पौधों को कैसे बचाएं ? – गर्मियों के मौसम में पौधों की देखभाल में पानी की बचत कैसे करें ? –
जून का तपता महीना, ऊपर से पानी की भारी किल्लत। ऐसे में बहुत से पौधे गर्मी की भेंट चढ़ जाते हैं खासकर वो पौधे जो गमलों में लगे होते हैं। इसी समस्या के मद्देनज़र इस बार हम आज आपको कुछ उपाय बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप गर्मी के मौसम में भी अपनी पेड़ पौधों को हरा-भरा रख सकते हैं। आइये जानते हैं कि गर्मी में पौधों को कैसे बचाएं ? – गर्मियों के मौसम में पौधों की देखभाल में पानी की बचत कैसे करें ?
पौधों को पानी देने का सही तरीका –
गर्मियों में पेड़ पौधे अक्सर अत्यधिक गर्मी के कारण झुलसने लगते हैं, गर्मियों के मौसम में कई कई-कई पौधों को दिन में दो दो बार पानी डालना पड़ता है। फिर भी उनमें पानी की कमी रहती है। हमारे घरों के आंगन और छतों में रखे गमले तो मानो झुलस से जाते हैं । आइये जानते हैं कि गर्मियों के मौसम में आपने पौधों को कैसे पानी दे जिससे वो हरे भरे रहें :-
- गर्मियों के मौसम में पौधों को नियमित रूप से पानी दें।
- गर्मियों के मौसम में पौधों को आवश्यकता अनुसार पानी दें , कई पौधों को दिन में दो बार पानी दें कईयों को एक बार ।
- गर्मियों में पौधों को सुबह या शाम को पानी दें जिससे पौधों कि जड़ों को नुक्सान न पहुंचे क्यूंकि धूप में जड़ें गर्म हो जाती हैं जिससे पानी डालने से उनके खराब होने कि संभावना रहती है ।
- पौधों में पाने सही मात्रा में पानी दें बड़ों को जयादा पानी और छोटे पौधों को काम पानी ।
- गमले में मिटटी एक इंच कम रखें जिससे पर्याप्त पानी आ सके ।
- पानी पाईप के बजाय हमेशा हजारे, सावर या मग्गे से दें ।
- पानी गमले या क्यारी में जायदा देर तक रुकना नहीं चाहिए ।
- गर्मी के मौसम में जायदा खाद का प्रयोग करें , अगर आवश्यकता हो तो गोबर खाद या जैविक खाद ही डालें वो भी कम मात्रा में, रासायनिक खाद का प्रयोग बिलकुल न करें ।
- पौधों कि जायदा कटाई छटाई न करें ।
- पौधों की जायदा गुड़ाई भी न करें अगर जरूरत हो तो निराई कर दें या कम गहरी गुड़ाई ही करें ।
- पौधों को पानी तब ही दें जम उनकी मिटटी ऊपर से कम से कम एक इंच तक सूख जाये ।
- पौधों को गर्मी से बचाने के लिए ग्रीन नेट के नीचे रखें ।
- जिन पौधों को धूप की ज्यादा जरूरत नहीं है उनको सीधी धूप में न रखें।
- पौधों की मिटटी को ढक के रखें ।
- गमलों को झुण्ड में रखें ।
- गर्मी के सीजन में सप्ताह में दो बार पौधों को पर पानी की फ़ौव्हार जरूर डालें , इससे पौधे अत्यधिक गर्मी में झुलसे गए नहीं।
पानी की बर्बादी को कैसे रोकें –
गर्मी के मौसम में भारत वर्ष में भी कई स्थानों पर पानी की बहुत किल्लत होने लगती है, इसलिए पानी का उपयोग बहुत समझदारी से किया जाना चाहिए। ऐसे अनेक उपाय हैं जो पौधों की पानी की जरूरत को नियंत्रित करते हैं। जैसे, प्रायः पौधों की सिंचाई करते समय हम काफी मात्रा में पानी बर्बाद कर देते हैं, जिसका हमें अहसास भी नहीं होता। अध्ययन से पता चला है कि आम तौर पर प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र या क्यारी को 2.5 सेमी जल प्रति सप्ताह चाहिए। यहां हम कुछ ऐसी विधियों का उल्लेख कर रहे हैं जिनसे पानी की बर्बादी रुक सके व पानी का अधिकतम उपयोग हो सके और हमारे पौधे भी गर्मी से बचे रहें :-
1- मल्चिंग विधि द्वारा –
मल्चिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसके प्रयोग से मिट्टी जल्दी से नहीं सूख पाती। नतीजतन, पौधों को पानी की आवश्यकता भी कम पड़ती है। मल्चिंग का अर्थ है ढंकना। इस तकनीक के अंतर्गत क्यारियों या गमलों की मिट्टी को सूखे पत्तों, गोबर की खाद, लकड़ी के सूखे बुरादे आदि से ढंक दिया जाता है। इससे मिट्टी पर सीधी धूप नहीं पड़ती और वह जल्दी से नहीं सूखती। सूखे पत्तों या गोबर की खाद के अलावा पुराने अखबारों और गत्तों की कतरनें भी इस काम के लिए काफी उपयोगी हैं। कम गहरी जड़ों वाले पौधों के चारों ओर बारीक बजरी या मोटी रेत भी बिछाई जा सकती है ताकि मिट्टी देर से सूखे । इसके लिए कम से कम चार इंच की परत ठीक रहती है।
2- पानी कि उचित मात्रा देकर –
जाहिर है, कि पौधों को पानी की जरूरत गर्मियों में अधिक होती है। जब तक गमलों की मिट्टी की ऊपरी एक इंच की परत में नमी रहती है, तब तक बहुत ज्यादा पानी देने की ज़रूरत नहीं पड़ती। प्रायः हम गर्मियों में सुबह-शाम थोड़ा-थोड़ा पानी देना काफी समझते हैं । यह एक गलत धारणा है जो गलत है । कम मात्रा में पानी देने से पौधों की जड़ें गहराई तक जाने के बजाए ऊपर ही फैलती रहती हैं और ऊपरी मिट्टी जल्द सूखने के कारण उन्हें जल्दी-जल्दी पानी की जरूरत होती है। भरपूर मात्रा में पानी देने से पानी अधिक गहराई तक जाता है और अधिक समय तक मिट्टी की नमी बनाए रखता है, इसलिए जब भी पानी दें, उचित मात्रा में ही दें।
3- ड्रिप इरिगेशन सिस्टम द्वारा –
गर्मियों में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम (टपक सिंचाई प्रणाली) या स्प्रिंकलर का प्रयोग किया जा सकता है। इससे पानी की खपत में कम से कम 40 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है। इन प्रणालियों से कम मात्रा में पानी की निकासी होती है, इसलिए सारा पानी इधर-उधर बहने के बजाय जहां जरूरी हो, वहीं मिट्टी में समा जाता है। यदि लॉन सूखा हो तो उसमें बहुत सारा पानी न दें। इससे पानी मिट्टी में समाने के बजाय व्यर्थ ही बह जाएगा। बेहतर होगा यदि लॉन में स्प्रिंकलर का इस्तेमाल किया जाए। इससे कम पानी में ही लॉन की बेहतर सिंचाई हो सकेगी। ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल आप गमलों में भी कर सकते हैं ।
गर्मी में पौधों को कैसे बचाएं ?
4- पौधों को ग्रुप में रखें –
गर्मियों में बड़े पेड़ों के नीचे मौसमी फूल लगा देने से मिट्टी पर सीधे धूप नहीं पड़ती और वह देर से सूखती है। इसी तरह गर्मियों में गमलों को एक साथ सटाकर रखने से भी पानी की बचत की जा सकती है। कम से कम तीन-चार दिन के अंतराल से पेड़ों के पत्तों पर पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। इससे वे झुलसने से बचे रहेंगे। गमलों में मिट्टी के ऊपर मॉस घास रख देने से भी पानी देर में सूखेगा। गमलों को जहां तक संभव हो दोपहर की धूप से बचाएं।
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