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छाया में बागवानी कैसे करें ?

छाया में बागवानी कैसे करें ? – How to do shade Gardening ?

हम लोग शहरों में या गाँवों में बागवानी का शौंक रखते हैं लेकिन घरों में पर्याप्त जगह न होने के कारण अक्सर हम छाया में ही बगीचा या पौधे लगा देते हैं लेकिन छाया होने के कारण वो पौधे अक्सर सूख जाते हैं । ऐसे बहुत से पौधे हैं जो कम धूप में भी अच्छी तरह पनप सकते हैं। सावन के महीने में इन्हें लगाकर आप अपनी बगिया को हरा-भरा बना सकते हैं। आये जानते हैं कि हम  छाया में बागवानी कैसे करें ? – How to do shade Gardening ?

छाया वाले पौधे

आजकल एक ओर बहुत से घरों में छाया नसीब नहीं होती तो दूसरी ओर कई घरों में छोटी सी बगिया के लिए जगह तो होती है पर वहां धूप नहीं आती। मसलन, अगर बगिया उत्तर दिशा में है तो धूप काफी कम समय के लिए उपलब्ध होगी। ऐसे में सभी किस्म के पौधे लगाना संभव नहीं होता। अधिकतर पौधे ऐसे होते हैं जिन्हें दिन में कम से कम चार-पांच घंटे के लिए सीधी धूप चाहिए। इसी तरह अधिकतर मौसमी फूल ऐसे होते हैं जिन्हें रोज़ काफी देर तक सीधी धूप चाहिए। गुलाब, गुलदाउदी जैसे झाड़ीदार पौधों को भी लंबे समय के लिए सीधी धूप चाहिए, इसलिए यदि आपके घर में धूप के दर्शन कुछ ही समय के लिए होते हों तो बगिया के लिए पौधों के चयन में सावधानी बरतनी होगी।

यों तो छाया के लिए उपयुक्त हाउस-प्लांट्स की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे यह देखना होगा कि जितनी धूप बगिया में आती है, वह सीधी आती है या छनकर । याद रखें, छाया में पनपने वाले पौधों को देखभाल की भी काफी जरूरत होती है। गहन छाया वाले स्थानों के लिए उपयुक्त पौधे हाउस प्लान्ट्स में एग्लोनिमा, मनी-प्लान्ट, फिलोडेन्ड्रॉन, स्पेथिफाइलम (पीस लिली), आइवी (हेडरा), शफलेरा, मॉन्स्टेरा, फाइकस प्युमिला, सेन्सीवेरा, फाइकस नुडा, फाइकस बेन्जामिना, अनेक किस्म के पाम (विशेषकर चेमोडोरा, फीनिक्स आदि), क्लोरोफाइटम, ओफियोपोगन, यूनिमस, ट्रान्सडेन्टिया, जेबरिना, लॉनिसेरा, कोलियस आदि व कन्दीय पौधों में एकिमिनेस, कैलेडियम, जेफरेन्थस जैसे पौधे व मौसमी फूलों में सदाबहार, मिमुलस, साल्विया व सिनेरेरिया जैसे पौधे गहन छायादार स्थानों के लिए उपयुक्त रहते हैं।

छनी हुई धूप वाले स्थानों वाले पौधे

छनी हुई धूप वाले स्थानों के लिए उपयुक्त पौधे  ऊपर बताए गए अधिकतर पौधों के अतिरिक्त अनेक प्रकार की लिली जैसे डे लिली, स्पाइडर लिली, एमरेन्थस लिली, ईस्टर लिली, जेफरेन्थस, ग्लोरी लिली, ग्लॉक्सिीनिया, बिगोनिया जैसे कन्दीय पौधे, पेन्ज़ी,. पिटूनिया, डिजिटेलिस, मिमुलस जैसे मौसमी फूल, पिपरोमिया, एलुमिनियम प्लांट, फर्न जैसे हाउस प्लांट, सदाबहार, इम्पेशेन्स, जैकोबिना जैसे झाड़ीदार पौधे ऐसे हैं जो छनी हुई धूप वाले स्थान पर लगाए जा सकते हैं।

आंशिक छाया वाले पौधे

आंशिक छाया वाले स्थान वे होते हैं जहां सुबह या शाम को सीधी धूप पड़ती हो जबकि बाकी समय छाया रहती हो । ऐसे स्थानों के लिए डे लिली, एमरेन्थस, डेफोडिल, आइरिस, नर्गिस, फ्रीज़िया, स्पेरेक्सिस जैसे कन्दीय पौधे, मनी प्लांट, बिगोनिया वैक्स, सीडम, कैलेन्चो, अनेक किस्म के सेकुलेंट, फर्न, अनेक किस्म के कैक्टस जैसे ईस्टर कैक्टस, क्रिसमस कैक्टस, यूफोरबिया, यूकेरिस, और हाउस प्लांट्स में कई प्रकार के बांस, बेलोपेरोन, सदाबहार, इम्पेशेंस, एक्जोरा, मुसन्डा, जैसे फूलदार झाड़ियां, व मौसमी फूलों में पेंजी, पिटूनिया, जीनिया, लोबेलिया, टोरेनिया, मिमुलस, कोनवोलुलस, गुडेशिया जैसे फूल व सजावटी पौधों में क्रोटन, ड्रेसिना, पाम, रबड़ प्लांट, मनी , जैसे पौधे आंशिक छाया वाले स्थानों के लिए उपयुक्त रहते हैं। कोनवोलुस, मनीप्लांट, आइवी, लोनिसेरा, मॉन्सटेरा व फिलोडेन्ड्रॉन बेलदार पौधे हैं और उन्हें दीवार के सहारे ऊपर चढ़ाया जा सकता है।

छाया वाले पौधों की  देखभाल

अक्सर लोग समझते हैं कि छाया में लगाए गए पौधों की देखभाल नहीं करनी पड़ती। यह धारणा मिथ्या है। हां, यह सच है कि एक बार पौधों के स्थापित हो जाने पर अपेक्षाकृत कम देखभाल की जरूरत होती है। छाया दार स्थान में अगर पौधे गमलों में हैं तो रोज़ या हर तीसरे दिन मौसमानुसार पानी देने की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा गमलों के लिए मिट्टी का मिश्रण भी ठीक रहना चाहिए ताकि न तो गमलों में पानी ठहरे और न ही तुरंत ही सूख जाए । गमलों के लिए एक भाग बढ़िया किस्म की दोमट मिट्टी, दो भाग मोटी रेत, दो भाग गोबर की सड़ी हुई खाद व एक भाग पत्तियों की खाद को बराबर मिला लें। प्रति गमले में एक मुट्ठी नीम की खली, एक चम्मच स्टेरेलाइजड बोनमील व एक चम्मच सूक्ष्म तत्व (एग्रोमिन या प्लांटोजन) भी मिला लें।

क्यारियों में पौधे लगाने के लिए भी दो-दो फुट मिट्टी खुदवाकर बाहर निकलवा लें। इसके बाद आधी मिट्टी अलग कर लें। बाकी बची मिट्टी में बराबर मात्रा में गोबर की सड़ी हुई खाद मिला लें। मिश्रण तैयार है। मौसम के अनुसार बीच-बीच में रोगोर और मैलाथियोन नामक कीटनाशकों का भी प्रयोग प्रति लीटर जल में दो मिलीलीटर की दर से छिड़काव के जरिए करने से कीटों के प्रकोप से बचा जा सकता है। इसके अलावा बरसात के दिनों में या फिर फरवरी के महीने में कटाई-छंटाई भी करते रहना चाहिए।                                       (छाया में बागवानी कैसे करें ?)

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