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बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें ?

बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें ? – बरसाती मौसम में चमेली की देखभाल

गर आपको भी मेरी तरह बगीचा या पौधे लगाने का शौंक है तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है  आईये अन्ते हैं कि बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें ? – बरसाती मौसम में चमेली की देखभाल कैसे की जाती है ।

बरसाती मौसम में खासकर अगस्त के  महीने में  पौधों की देखभाल करना बेहद जरूरी होता है । यह महीना नए पौधों की सार-संभाल के लिए भी जरूरी होता है। बरसात में  बगिया की सार-संभाल करना बेहद जरूरी होता है। इस मौसम में गमलों व क्यारियों में पानी की निकासी सुनिश्चित करना, देशी झाड़ियों की कांट-छांट करने का काम तो होता ही है, साथ ही गुलदाउदी, डहेलिया, देशी गुलाब आदि की कटिंग करके उन्हें शक्ल देने का होता है। बरसात का महीना होने के कारण, इस दौरान वायु में काफी नमी होती है और कलमों (कटिंग) में जड़ें आसानी से फूटने लगती हैं।

इस दौरान बगिया में खरपतवार भी खूब निकलती है और नियमित रूप से उनका निकाला जाना आवश्यक भी होता है। कंदों में रजनीगंधा, कैलेडियम, कुरकुमा के बल्ब इस महीने भी लगा सकते हैं। बरसाती फूलों की क्यारियों से खरपतवार निकालने और उनमें उर्वरक डालने का काम, यदि नए पौधे लगाएं तो उनकी विशेष देखभाल का काम इस मौसम में करना पौधों के लिए अच्छा रहता है। यदि नए पौधे न लगाएं हों तो बुगेनवीलिया, एक्ज़ोरा, बिगनोनिया, मुसंडा. चमेली, रातरानी, सावनी, चांदनी, लताओं के नए पौधे, देशी गुलाब की कलमें इस मौसम में लगाने पर खूब खिलती हैं और वातावरण को खुशनुमा बना देती हैं।

बरसात के मौसम में किचन गार्डन  की देखभाल

आपने अगस्त में किचन  गार्डन में गोभी व गाजर के बीज आपने क्यारियों में डालना शुरू ही कर दिए होंगे। सेम व ग्वार के बीज भी डालने का काम पूरा कर लें। फलों में आम, अमरूद, नींबू, संतरा, लीची, जामुन, करोंदा, कटहल जैसे पेड़ बरसात में लगाना अच्छा रहता है। आप बरसाती मौसम में सब्जियों में अधिक ध्यान बगीचे की देख-रेख में दें। खरपतवार को नियमित रूप से निकालते रहें। रस्सी या दीवार के सहारे बेलदार सब्जियों के पौधों को सहारा दें। फूलगोभी, पत्तागोभी, बैंगन, टमाटर व मिर्च के बीज तसलों में घरों के भीतर बोना भी अच्छा रहता है। सलाद पत्ता, पालक, चुकन्दर, सेम व मूली की बुआई भी कर सकते हैं। कीटों में इंडियों के प्रकोप से पौधों को बचाना जरूरी हो जाता है, इसके लिए साइपरमेथरिन-10 कीटनाशक को प्रति लीटर पानी में दो मिलीलीटर डालकर पौधों पर छिड़काव करें।                          ( बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें ? – बरसाती मौसम में चमेली की देखभाल)

चमेली का पौधा

आज कल एक ओर जहाँ हमारे देश में आयातित पौधों का चलन बढ़ता जा रहा है, वहीं विदेशों में स्वदेशी एक पौधों का चलन चरम पर है। हमारे देश में अनेक देशी झाड़ियां ऐसी हैं जिनके न केवल फूल सुंदर होते हैं बल्कि सुगंध भी बहुत भाने वाली होती है। पर न जाने क्यों इनका प्रचलन इधर कुछ कम हुआ ये देशी झाड़ियां बारिश के मौसम में खूब खिलती हैं और खूब महकती भी हैं। इनमें चमेली और हार श्रृंगार के पौधे प्रमुख व अधिक लोकप्रिय हैं। अन्य लोकप्रिय देशी झाड़ियों में रातरानी, दिन का राजा, मोतिया, मोगरा, चंपा और कनक चंपा प्रमुख हैं। चमेली व अन्य झाड़ियों की देखभाल व उगाने की विधि समान है, इसलिए यहां पर हम विशेष रूप से चमेली की ही बात करेंगे।

मोटे तौर पर जब देश के अधिकतर भाग में जब पानी बरस रहा होता है, तब बगिया में भी चमेली की खुशबू की बरसात हो रही होती है। यही बात बाकी देशी फूलों के बारे में भी कही जा सकती है, चाहे वह रात की रानी हो या हार शृंगार की बगिया देशी फूलों की ठेठ देशी सुगंध से महक उठती है। चमेली की अनेक किस्में हैं, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल की हैं। इनमें से कुछ यहां बहुतायत में पाई जाती हैं इनमे से पँडिफ्लोरम (शाही चमेली),जैस्मिनम सैम्बाक (मोतिया व मोगरा)  जैस्मिनम ऑरिकुलेटम (जूही) प्रमुख हैं। इसके अलावा देश में जैस्मिनम ह्यमिले (पीली चमेली), जैस्मिनम एंगुस्टीफोलियम, जैस्मिनम पैनिकुलेटम (चीनी जूही), जैस्मिनम फ्लोरिडम (स्वर्ण जूही), जैस्मिनम प्यूबेसेंस (कुंद) व जैस्मिनम आर्बोरेसेंस (नाभ मल्लिका) भी काफी लोकप्रिय व आसानी से उपलब्ध होने वाली किस्में हैं।

बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें ?

चमेली के पौधे की किस्में

शाही चमेली (जैस्मिनम ग्रैंडिफ्लोरा) के फूल काफी बड़े व सफेद रंग के होते हैं। यह पौधा हिमालय के अपेक्षाकृत गर्म क्षेत्रों से आया है। इसका आकार बेल नुमा होता है। देश के अधिकतर हिस्से में शाही चमेली मार्च से लेकर जून- जुलाई तक खिलती है। जैस्मिनम सैम्बाक प्रजाति की सिंगल फूल वाली किस्में अरबी जैस्मीन या हजारा बेला कहलाती है, जबकि डबल फूल वाली किस्मों को हिंदी भाषी क्षेत्रों में बेला, मोतिया या मोगरा कहा जाता है। यूं तो मोगरा पूर्वी व दक्षिण भारत में सारे साल खिलता है, पर मध्य व उत्तर भारत में ग्रीष्म व वर्षा ऋतु में विशेष रूप से फूलों से लदा रहता है। मोगरा काफी सुगंध देने वाला पौधा होता  है।

दक्षिणी राज्यों में इसकी खेती कट फ्लावर के रूप में की जाती है। भारत में इसकी कई नई किस्में हाल के वर्षों में विकसित की गई हैं। जैस्मिनम ऑरिकुलेटम (जूही) एक बेल है और इसे बढ़ने के लिए बगिया की दीवार, ट्रेलिस या फिर पेड़ पर डाल दिया जाता है। जूही में भी सिंगल व डबल किस्में होती हैं। जूही के फूल भी सफेद ही होते हैं और अप्रैल से लेकर जुलाई के अंत तक रहते हैं। इसके फूल मोगरे के फूल से कुछ छोटे होते हैं पर समूह में खिलते हैं। इसकी खुशबू भी मोगरे या चमेली की अन्य प्रजातियों के मुकाबले अधिक होती है।

जैस्मिनम ह्यूमिले (पीली चमेली) कश्मीर, हिमाचल, उत्तरांचल की पहाड़ियों में विशेष रूप से बहुतायत में दिखाई देती है। इसके फूल छोटे व पीले रंग के होते हैं।  पहले बताई  गई किस्यों की तरह यह गर्म जलवायु में नहीं बल्कि ठंडे हिमालयी क्षेत्र में उगने वाला पेड़ है। इसके लिए दोमट किस्म की मिट्टी अच्छी रहती है। यदि बगिया में मिट्टी चिकनी हो तो एक भाग मिट्टी में दो भाग रेत व दो भाग गोबर की खाद मिलाकर ही पौधों में डालें।                                       (बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें ? – बरसाती मौसम में चमेली की देखभाल)

चमेली के पौधे की बरसात के मौसम में देखभाल

जुलाई या अगस्त के महीने में चमेली की नई कलमें लगाई जा सकती हैं। इसके अलावा अगस्त में पहले से तैयार पौधों का रोपण भी किया जा सकता है। कलम के लिए एक साल पुरानी व पेंसिल जितनी मोटी पांच-छह इंच लंबी लकड़ी ठीक रहती है। सभी किस्मों की छंटाई के बाद उन्हें उर्वरकों की खुराक दी जानी चाहिए। इसके अलावा आप चाहें तो रोज मिक्स भी डाल सकते हैं। साथ ही एक टोकरी भर गोबर की खाद भी प्रति पौधे की दर से मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। इसके तुरंत बाद अच्छी सिंचाई करें। उवर्रकों की एक-एक खुराक जुलाई और अगस्त के महीने में दी जानी चाहिए और छोटे पौधों के लिए उवर्रकों की मात्रा घटा दें ।।

(बरसात के मौसम में पौधों की देखभाल कैसे करें ? – बरसाती मौसम में चमेली की देखभाल)

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