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मैनेजमेंट मंत्र

मैनेजमेंट मंत्र – अपने व्यवसाय में कैसे सफल बनें

मैं आपको एक मैनेजमेंट मंत्र बताता हूं जो आपके लिए प्रकाश स्तंभ का काम करेगा। वह आपके सफर को काफी सुरक्षित बना देगा, साथ ही आप अपनी मंजिल तक भी सफलता पूर्वक पहुंच जाएंगे। और आप जान भी जायेंगे कि आप अपने व्यवसाय में कैसे सफल बनें इस मंत्र को ध्यान से पढ़ें :–

100             A    T     T     I      T    U   D

                   01   20  20  09   20  21   04

  +

100             D      I       S        C        I         P         L         I          N        E

                     4      9      19      3         9       16       12       9         14        5

=

100           REDUCSES         S        T       R     E       S       S

                                                  19      20     18   05    19     19

अब हम आसान भाषा में इसको विस्तार से समझते हैं  :–

एटिट्यूड (Attitude)

जीवन में ऐसा बहुत कम होता है कि किसी व्यक्ति को किसी क्षेत्र में 100 में से 100 अंक मिलें इसलिए अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास करें। एक बार यह आपका दृष्टिकोण (एटिट्यूड) बन जाए तो अंततः सफलता मिल ही जाएगी।

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डिसिप्लिन (Discipline)

एक बार फिर, 100 में से 100 आदर्श स्थिति होगी, लेकिन यह हमेशा संभव नहीं। इसे अपना लक्ष्य बनाने से पहले एक बात अच्छी तरह समझ लें कि सितारों को लक्ष्य बनाने पर वे तो आपको नहीं मिलेंगे, लेकिन तब ऐसा भी नहीं होगा कि आपको धूल-मिट्टी मिले-। अनुशासन का पहला शत्रु लालच, लालच और लालच है।

स्ट्रेस (Stress)

यह सच है कि स्वयं आपके सिवा और कोई भी आपको तनाव नहीं दे सकता । यह बात मैं अपने शोध के आधार पर कह रहा हूं। आजकल के तकिया कलाम कि जीवन तनावों से भरा हुआ है, का इस्तेमाल न करें। नहीं! जब आप सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हैं और अनुशासन (लक्ष्मण रेखा) में रहते हैं तो आपका तनाव कम होता है। सीधी सी बात है। स्व-प्रबंधन की इस शानदार अवधारणा को समझने के लिए आपको पीएच. डी. करने की जरूरत नहीं है। सहज बुद्धि और थोड़ी समझदारी से ही काम चल जाएगा, लेकिन अगर आप पंचतंत्र की कछुए और खरगोश वाली कहानी याद करें तो पाएंगे कि हममें से अधिकतर लोग खरगोश बनना चाहते हैं। चलिए, अब उस कहानी का अगला हिस्सा बताता हूं। उम्मीद है यह स्व-प्रबंधन के मामले में आपके लिए प्रकाश स्तंभ साबित होगा।                                                                  (मैनेजमेंट मंत्र)

कछुए और खरगोश की कहानी

कछुए और खरगोश की कहानी अगली  कहानी संक्षेप में इस प्रकार से है :-
(हमेशा याद रखें : कहानी पैसा बनाती है जबकि तथ्य कुछ बताते हैं) कछुआ और खरगोश की कहानी में कछुआ जीतता है और खरगोश अपने अति आत्मविश्वास के कारण हार जाता है। (पुरानी कहानी में सबक था, कि ‘धीरे और निरंतर चलने वाले की जीत होती है।’) इसके बाद  रात को खरगोश को खुद पर शर्म आती है और वह प्रतियोगिता को एक बार फिर से करवाने की गुजारिश करता है। कछुआ सहमत हो जाता है। इस बार जीत खरगोश की होती है जो कि सहज सी बात है।

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एक दूसरे का सहयोग करें

इस बार कछुआ शर्मिंदा महसूस नहीं करता क्योंकि वह अपने मज़बूत और कमज़ोर पक्षों के बारे में जानता है, लेकिन अब वह हाशिए से हटकर सोचने लगता है और एक रचनात्मक योजना बनाता है। वह खरगोश से दूसरी दौड़ के लिए कहता है जिसका मार्ग वह खुद तय करेगा। अति आत्मविश्वास से भरा खरगोश सहमत हो जाता है। वे दौड़ना शुरू करते हैं। खरगोश तेज़ी से दौड़ता है, लेकिन कुछ देर बाद अटक जाता है क्योंकि रास्ते में एक नदी है और खरगोश तैर नहीं सकता। कछुआ कुछ देर बाद पहुंचता है पानी में जाता है और धीरे-धीरे मंज़िल तक पहुंच जाता है।

पराजित खरगोश उसी रास्ते पर एक बार फिर दौड़ लगाने की प्रार्थना करता है, लेकिन एक नई रूपरेखा के साथ। वह सुझाव देता है कि जमीन पर रहते समय कछुआ खरगोश की पीठ पर जबकि पानी में होने पर खरगोश कछुए की पीठ पर बैठे। वे बिल्कुल ऐसा ही करते हैं और पहले से बहुत कम समय में दौड़ खत्म कर लेते हैं और जल्दी ही प्रतिस्पर्धियों की जगह एक दूसरे का सहयोग करने वाले अच्छे दोस्त बन जाते हैं।                                                                (मैनेजमेंट मंत्र)

इस नई कहानी का बड़ा सबक है, ‘लोगों के साथ सहयोग करना सीखें क्योंकि ऐसा करने पर आप पहले से ज़्यादा तेज़ गति से दूर तक तो पहुंचेंगे ही, साथ ही सफर का मज़ा भी उठा सकेंगे।’ सहयोग यानी एकसाथ काम करना यह शब्द नए युग का मंत्र है और एक बार इसे समझ लेने और अमल में लाना सीख लेने पर यह आपको जीत का स्वाद देने वाला अवसर बन सकता है। प्रिय युवा साथियों, इसी नज़रिए के साथ इसके बारे में सोचिए, आप दुनिया फ़तह कर लेंगे।

स्वंय का प्रबंधन करें

चलिए, अब मैं आपको शोले का वह संवाद याद दिलाता हूं जिससे सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं: हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं…खैर, ‘तब’ यह खूब चला लेकिन अब बिल्कुल नहीं चलेगा। आज, हर दिन दुनिया बदल रही है है। कृपया बदलते समय के अनुसार ही अपने मस्तिष्क की ‘फ्लॉपियां’ भी बदलें। जीवन में प्राथमिकताएं तय करने में स्व-प्रबंधन की किताबें आपकी बहुत मदद करेंगी और आप समय-प्रबंधन के साथ-साथ अपनी दिशा और दृष्टि पर भी ज्यादा कुशलता और असर के साथ ध्यान केंद्रित कर सकेंगे। साधारण सी बात है। कछुए के इस दृष्टिकोण कि धीरे और निरंतर चलना चाहिए, लेकिन समझदारी के साथ भरपूर मेहनत करनी चाहिए और सभी के साथ, खासकर अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ पूरा सहयोग करना चाहिए, को अपनाते हुए ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करें।                                                                            (मैनेजमेंट मंत्र)                                                    

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने सैम पित्रोदा को ज्ञान आयोग का अध्यक्ष बनाया था। सैम पित्रोदा एक बढ़ई के बेटे हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध रखते थे । उन्होंने स्व-प्रबंधन का यह गुर अपनाया, लेकिन आरक्षण शब्द का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि एक बार इसका इस्तेमाल करने पर आप अपनी ही नज़रों में अपनी इज्जत खो बैठते हैं। मेरा यह विचार निजी अनुभव पर आधारित है, इसलिए आपको विश्वास रखना चाहिए कि भारत में बहुत से अवसर हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी भी एक साधारण परिवार से संबंध रखते हैं। इन दोनों ही लोगों ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की और यही आपकी भी प्राथमिकता होनी चाहिए। दृष्टिकोण पहली, अनुशासन दूसरी, तनाव कम करना तीसरी और ज्यादा से ज्यादा शिक्षा प्राप्त  करना चौथी प्राथमिकता होनी चाहिए।

अपने काम को प्रेम करें

लेकिन पहले यह पता लगाइए कि कौन सा काम आपको सबसे ज्यादा प्रिय है, फिर उस काम से प्रेम करना सीखिए जो आप कर रहे हैं (पांचवीं प्राथमिकता) : आज और यहां तक कि कल के भारत में भी जो क्षेत्र तेज़ी से उभर रहा है वह है, इंट्रेप्रेन्युअरशिप या उद्यमशीलता यानी स्वयं का काम अथवा व्यवसाय करना।                                                                (मैनेजमेंट मंत्र)

घड़ी विकास चक्र – घड़ी का इतिहास, Clock history in hindi –

अब मैं आपको निरमा की कहानी बताता हूं जो आपके लिए प्रेरक साबित होगी। करसनभाई पटेल ने 1960 में एक केमिकल फैक्ट्री में काम करते हुए अपने प्रोवरबियल गैरेज में कपड़े धोने का साबुन बनाना और सप्ताहांतों पर उसे स्थानीय इलाकों में अपनी साइकिल पर ले जाकर बेचना शुरू किया। विक्रय शैली साधारण थी (ऐसी जो आपको आई आई एम, अहमदाबाद नहीं सिखाई जाती) पॉलीथिन में मिलने वाला उनका एक किलो साबुन 4 रुपए का था। तब फैंसी कार्टन में मिलने वाले हिंदुस्तान लीवर के सर्फ की कीमत 16 रुपए प्रति किलो थी। ‘मेरा साबुन आजमाकर देखें अगर आपको पसंद नहीं आया तो मैं उसे वापस ले लूंगा। एक फैंसी कार्टन के लिए आप 12 रुपए अतिरिक्त क्यों देना चाहते हैं।’ इसका असर हुआ। यह ‘फॉर्मूला’ दुनिया में हर जगह काम करता है। यह एक प्रेरक ‘लोककथा’ है, लेकिन साथ ही भारतीय उद्यमशीलता की शानदार कहानी भी है।

जीवन के उतार चढ़ावों को स्वीकार करना सीखें

दुनियाभर के ऐसे सफल लोगों की कहानी पढ़ें और उन्हें अपने मन दर्पण में संजो लें। मीडिया में जो कुछ भी छपता है, उसे पूरी रुचि के साथ पढ़ें प्रतिदिन। राहुल गांधी और राहुल बजाज में आपको एक ही पेज पर मिल जाएंगे। कुछ मामलों में जिंदगी आपको दूसरा मौका नहीं देती। जीवन सांप सीढ़ी के उसी खेल की तरह है जिसे हम अपने बचपन में खेला करते थे। मैं तो आज भी  इसे खेलता हूं। इस खेल में ’99’ के अंक पर एक बड़ा सांप देखकर 6 जो आपको सीधे ‘6’ पर ले आता है, ठीक है-छोटी-मोटी गलतियां (सांप) हो जाती हैं, लेकिन आपको जीवन में ‘सीढ़ियां’ भी मिलती हैं। ठीक कोई मिल गया अंदाज़ में, जैसे मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी और सोनिया गांधी को मनमोहन सिंह मिले थे ।

अच्छे दोस्त चुनें

याद रखें, आप अपने माता-पिता को तो नहीं चुन सकते, लेकिन अपने दोस्त ज़रूर चुन सकते हैं। जैसे, अर्जुन ने ‘सारथी’ के रूप में श्रीकृष्ण को चुना और सफलता पाई। युधिष्ठिर ने पांसा खुद फेंका (उन्हें खेलने का लालच आ गया था)। अगर वे ‘चिंतनशील कछुए’ की तरह सोचते तो इस ‘ काम के लिए कृष्ण को नामित कर सकते थे जबकि दुर्योधन ने अपनी ओर का खेल शकुनि से खिलवाया था।                                                                (मैनेजमेंट मंत्र)

काम को प्राथमिकता दें

दूसरे शब्दों में, 360 डिग्री शिक्षा और ज्ञान जुटाएं और उसका इस्तेमाल भी करें। आज हर व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र’ है लेकिन आपको 5 से 9 और 24x7x365 काम करना पड़ेगा और एक चुस्त युवा बनने के लिए काम करने का सही तरीका है, सोचना : पूछना : करना। चलिए, कुछ विस्तार से बताता हूं। 24 घंटे और सातों दिन सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक वही काम करें जो आपको पसंद है ! इसका मतलब सुबह 5 बजे से ही काम में जुट जाना नहीं है। इसका मतलब सिर्फ इतना है कि अपना काम प्राथमिकता के अनुसार करें यानी केवल आवश्यक काम करें और बेकार के कामों में वक्त बर्बाद न करें।                                                                (मैनेजमेंट मंत्र)

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भावनाओं को नियंत्रण में रखें

अनुशासन यानी अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखने का सूत्र है, परिस्थितियों का प्रत्युत्तर दें, लेकिन प्रतिक्रिया व्यक्त न करें। यह सरल नहीं है, लेकिन यह आपसे किसने कहा कि जीवन सरल है? जीवन अधिकतर स्वयं द्वारा रची हुई समस्याओं और अवसरों से भरा हुआ है और ये समस्याएं तभी पीछा छोड़ती हैं जब राम नाम सत्य है वाली स्थिति आती है। जीवन न्यायसंगत नहीं है। यह दुनिया न्यायसंगत नहीं है। जब आप लोगों को केवल अपनी नज़र से देखते हैं तो वे न्यायसंगत नहीं होते, गॉड जी न्यायसंगत नहीं हैं। आपके माता-पिता न्यायसंगत नहीं हैं। बॉस भी न्यायसंगत नहीं हैं। आपके दोस्त न्यायसंगत नहीं हैं। ऐसा उन लोगों के साथ होता है जो यह मानते हैं कि दुनिया के लोग जीवित रहने के लिए उनके ऋणी हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं है। हैनरी फोर्ड ने बिल्कुल सही कहा था – ‘यहां तक कि एक चूजे को भी मिट्टी में से कीड़े निकालने से पहले उसे बार-बार खुरचना पड़ता है।’

कामयाब लोगों का अनुसरण करें

आज, युवाओं को नरेश गोयल जैसे व्यक्ति से सीख लेनी चाहिए जिसने पटियाला से बी.कॉम. करने के बाद 300 रुपए प्रतिमाह के वेतन पर एक कैशियर के रूप में अपना करिअर शुरू किया था। आज वे सहारा एयरलाइंस सहित जेट एयरलाइंस के मालिक हैं।  पेशे भी घुड़दौड़ या शेयर बाज़ार की तरह ही ‘पांसे का खेल’ हैं। मैं कुंबले से प्रेरणा लेने की सलाह दूंगा जो पेशे से इंजीनियर जबकि व्यक्तिगत के क्रिकेटर हैं। क्या आप जानते हैं, अमिताभ बच्चन कोलकाता में एग्जीक्यूटिव थे। उन्होंने बॉलीवुड जाने का जोखिम उठाया, लेकिन उनकी वैकल्पिक योजना थी कि अगर वे किसी काम में सफल नहीं हुए तो कम से कम ‘टैक्सी ड्राइवर’ तो बन ही जाएंगे! ऐसा ही दिलीप कुमार के साथ भी था जिनकी योजना थी कि अगर उन्हें फिल्मिस्तान से ‘निकाल’ दिया गया तो वे दादर रेलवे स्टेशन पर चाय की थड़ी लगा लेंगे ।                                                                (मैनेजमेंट मंत्र)

किरण मजूमदार शाह ने केवल 10,000 रुपए में एक गैराज से शुरुआत की थी और आज उनकी संपत्ति की कीमत 5000 करोड़ रुपए से ज़्यादा है। इसके अलावा, अगले 10-20 वर्षों में उनके सबसे धनी भारतीय बन जाने की संभावना है! उन्होंने अपने पिता की सलाह मानी और सफल हुईं, उन्होंने अपनी शादी स्थगित कर दी, ऑस्ट्रेलिया में अच्छी शिक्षा प्राप्त की और दुनिया की पहली महिला बन गईं जो ब्रूअरी मास्टर (मद्य-निर्माण में कुशल) हैं, इसलिए अपने माता-पिता की बात यह समझते हुए सुनें कि भले ही वे ‘आउट ऑफ फैशन’ हों, लेकिन उनके पास अनुभवों से प्राप्त अक्लमंदी है। कल्पना चावला करनाल की रहने वाली थीं और एक छोटे कस्बे से ऊपर और ऊपर उठती हुई वे अंतरिक्ष तक जा पहुंची।

हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने की ललक रखें

जब न्यूटन ने सेबों को ऊपर जाने की बजाय नीचे गिरते देखा तब तक उनका मस्तिष्क गुरुत्वाकर्षण का नियम खोज निकालने के लिए तैयार था (उनके पास 30 वर्ष से ज़्यादा का वैज्ञानिक ज्ञान था)। हमेशा याद रखें कि जब आप मूर्खतापूर्ण सवाल करते हैं तो बुद्धिमत्तापूर्ण जवाब पाते हैं, जैसा कि न्यूटन ने स्वयं से पूछा था कि “सेब ऊपर क्यों नहीं जाते” ।

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ख़राब अनुभवों को अवसर में बदलना सीखें

चलिए, अब गांधीजी की बात करते हैं जो एक आम वकील थे और काम के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए थे। वहां उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था और ट्रेन इंस्पेक्टर ने उन्हें ‘कुली’ पुकारा था (ब्रिटिश काल के भारत को कभी न भूलें जबकि क्लबों के साइनबोर्ड्स पर लिखा होता था भारतीय और कुत्तों को अंदर आने की इजाजत नहीं है) क्योंकि वे भारतीय थे। लेकिन इस घटना को उन्होंने अपमान के रूप में लेने की बजाय विचार उत्प्रेरक के रूप में लिया और फिर जो भी कुछ हुआ, वह इतिहास बन चुका है।

उन्होंने बंदूक नहीं उठाई क्योंकि वे कल्पना कर सकते थे कि ‘प्रतियोगी’ के पास 10,000 बंदूकें होंगी, इसलिए उन्होंने हाशिए से हटकर सोचा और ‘लड़ने’ के सरल तरीके ‘ईजाद’ किए और अगले 30-40 वर्ष में जीते भी। उनकी दांडी-यात्रा उनकी प्रतिभा और कौशल का प्रतीक थी। उन्होंने नमक कानून को बहुत ही रचनात्मक तरीके से तोड़ा। उन्हें दांडी पहुंचने में 24 दिन लगे और इस अवधि के दौरान दुनिया गांधीजी के बारे में बहुत कुछ जानने लगी। संचार ही उनका हथियार था। वे अपनी कलम, वाक्-कौशल और साधारण वेशभूषा के साथ दुनिया के सर्वोत्तम संचारक साबित हुए। उनके साथ 1,00,000 से ज़्यादा लोग इस काम में शामिल थे और याद रखिए गांधीजी उन्हें टी.ए./डी.ए. नहीं दे रहे थे! इस लिए दोस्तों अपने जीवन में कामयाब होना है तो ये नियम याद रखें :–                                                                (मैनेजमेंट मंत्र)

  • सीखें: सीखें: सीखेंः सीखें: सीखेंः सीखें और सीखें ।
  • जो भी काम करें, उससे प्रेम करना सीखें ।
  • धैर्यः धैर्यः धैर्यः धैर्यः धैर्यः धैर्य और धैर्य ।
  • केवल स्वयं से प्रतिस्पर्धा रखें और स्वयं से ही अपनी तुलना करें। मैं दोहराता हूं, केवल स्वयं से प्रतिस्पर्धा रखें और स्वयं से ही अपनी तुलना करें।
  • अर्जुन और कृष्ण जैसे अच्छे मित्र ही बनाएं। 
  • अगले वर्ष में आप खुद को ऊपर आसमान से देख रहें होंगें ।।

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