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टैरो कार्ड

टैरो कार्ड – Tarot card reading in Hindi

टैरो कार्ड (Tarot card)  मामूली पत्ते नहीं होते। उन्हें एक खास अध्यात्मिक भाव के साथ भविष्यवाणी के लिए काम में लिया जाता है। भविष्य बताने वाली तमाम विधाओं में टैरो इन दिनों तेजी से लोगों को आकर्षित कर रहा है। पिछले 10 वर्षों में टैरो कार्ड पढ़ने वालों की संख्या पचास गुणा बढ़ी है। ‘मिस्टिक इंडिया’ नामक संगठन के अनुसार 1995 में पूरे देश में करीब सात सौ टैरो रीडर थीं अब दिल्ली में ही उनकी संख्या 1200 के आसपास है। दुनिया भर में तीन हजार तरह के टैरो कार्ड प्रचलित हैं और आए दिन नए-नए कार्ड इनमें शामिल होते जा रहे हैं। आज कल  वे लोग भी इस विद्या की मदद ले रहे हैं जो ईश्वर में या किसी दैविक सत्ता में विश्वास नहीं करते हैं।

टैरो कार्ड कैसे काम करता है?

ज्योतिष या तो कर्मकांड में सिमट गया है या किताब तक ही रह गया है। जब कि टैरो प्रयोग कर्मी है। इसका हर विद्यार्थी अपने अनुभवों से सीखता है और जातक की आंतरिक स्थिति को समझकर व्याख्या देता है। टैरो के जानकारों का कहना है, कि सभी लोग टैरो की एक ही विधि इस्तेमाल करते हैं। अठहत्तर कार्डों की एक श्रृंखला जिनमें बाइस मेजर अरकाना और छप्पन माइनर अरकाना होते हैं। अरकाना का अर्थ है रहस्य। मेजर अरकाना व्यक्ति और परिवेश की गहन आंतरिक स्थिति उजागर करते हैं और माइनर बाहरी स्थितियों की।

टैरो कार्ड का इस्तेमाल

पहली बार हाथ में लेने पर टैरो कार्ड जितना पेचीदा नजर आते हैं, हकीकत में इन्हें पढ़ना उतना जटिल नहीं है। टैरो पढ़ने में सबसे महत्वपूर्ण है कि आप उनमें विश्वास रखें और उन्हें वक्त दें। अभ्यास इन्हें पढ़ना और आसान बनाता है। धीरे-धीरे कार्ड आपके दोस्त बन जाएंगे और आप सहज ही स्वाभविक रूप से प्रत्येक कार्ड का अर्थ समझने लगेंगे। बाजार में अलग अलग तरह के टैरो डेक उपलब्ध हैं। इनमें से आप अपनी समझ और सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं ।

परंपरागत जैसे राइडर-वेट, मार्सेलिस या विसकॉन्टी-स्फोर्जा डेक या किसी विषय से जुड़े तत्कालीन डेक जैसे विक्का, आर्थरियन लिजेंड या जानवरों के कार्ड के बीच चुनाव कर सकते हैं। अगर आपकी टैरो से शुरुआती दोस्ती है तो आसान शुरुआत के लिए परंपरागत डेक उपयुक्त रहेगा ताकि आप बिना संबंधित विषय या चित्रों से भ्रमित हुए कार्ड के परंपरागत अर्थ को समझ सकें। सिर्फ इसलिए किसी विशेष डेक का चुनाव मत कीजिए क्योंकि आपका दोस्त उसे इस्तेमाल करता है। सबसे अच्छा डेक वही है जिसे इस्तेमाल करना आपके लिए आरामदायक हो । हालांकि अभ्यास होने के बाद कुछ सालों बाद इसे बदला जा सकता है।

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टैरो कार्ड का इतिहास

टैरो कार्ड का इतिहास रोचक है। खेल के पत्तों से शुरू होकर ये कब भाग्य भविष्य बताने वाली विद्या के आधार बन गए, कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। पंद्रहवीं शताब्दी में इटली के राजा-महाराजाओं के यहां समय बिताने के लिए पत्तों का खेल चलता रहा। वहीं से टैरो का जन्म हुआ। गुह्य विद्या के तौर पर इसे महत्व देने वाले टैरो रीडर कुछ अलग धारणा रखते हैं। उनके अनुसार यह विद्या मिश्र और इटली की धार्मिक परंपराओं से निकली है। किसी जमाने में इसका उपयोग मनुष्य के आत्मिक विकास के लिए होता था। एक स्तर पर यह व्यक्ति को दिव्य शक्तियों से संबंध स्थापित करने में सक्षम भी बनाती थी। परंपरा आदि अपनी इन स्थापनाओं के पक्ष में कोई ब्यौरा नहीं दे पाते।

ऐसे लोग भी हैं जो टैरो का उद्भव बौद्ध और भारतीय परंपराओं में तलाशते मानना है कि टैरो हो न हो हमारे यहां प्रचलित दस महा विधाओं में से एक हैं। कुछ इतिहास कारों का मानना है कि टैरो न तो हमारे यहाँ प्रचलित 10 महा विद्याओं में से एक  ‘तारा’ की देन है । बहरहाल ज्यादा प्रमाण इस स्थापना के पक्ष में है कि टैरो कार्ड मध्य युग में पुनर्जागरण के समय से कुछ पहले आकार ले चुके थे। इनका उपयोग धर्म युद्धों की रणनीति तय करने के लिए किया जाता था।

युद्ध मनोरंजन और धार्मिक उपचारों के मिले-जुले प्रयोगों में पहले ये धीरे लुप्त हो गए अठारहवीं शताब्दी तक धार्मिक उपचार ही मुख्य हो गए। इसी बीच इटली में टैरो कार्ड से भविष्य पढ़ा जाने लगा। फ्रांस की राज्य क्रांति में हिस्सा ले चुके और बाद में संत हो गए एलीटें या इटेइला ने भाग्य बताने की दृष्टि से टैरो कार्ड के डिजाइन तैयार किए।  एनीएस्टर, क्राउली, मेरी एनेल नारमंड, एंटोनी गेबलीन आदि ने इन डिजाइनों की प्रति और उनकी व्याख्याओं का विस्तार किया।

वर्तमान में टैरो कार्ड

इन दिनों जिन कार्डों का उपयोग किया जाता है उनका स्वरूप 1950 के आसपास निश्चित हुआ सीमा मिधा के अनुसार जो लोग टैरो कार्ड से भविष्य को समझने में यकीन नहीं करते वे आदमी का मन समझने की कोशिश करते हैं। कार्ल युंग ने टैरो में आए प्रतीकों से अपने रोगियों को समझने के सफल प्रयोग किए हैं इन प्रतीकों सपनों की भाषा मिलाकर देखा जाता है। कार्ल युग मनोवैज्ञानिक थे और उन्होंने मेजर और माइनर अरकाना की स्वार्ड्स, पेंटेकल्स, कप्स और वेंडस के बिंबों से भी मन के नियम परिभाषित किए।

बीसवीं शताब्दी टैरो में कार्ड के मनोवैज्ञानिक उपयोग धारा कुछ ही समय चलकर पिछड़ गई शेष रह गई उनकी गुह्य व्याख्या अब उसका वहीं स्वरूप लोकप्रिय हो रहा है। मजे की बात यह है कि टैरो रीडर खुद उसके आधार पर सटीक भविष्यवाणी करने का दावा नहीं करते। उनके अनुसार ‘टैरो कार्ड यह बताने के लिए नहीं है कि आपका कल या आने वाला समय कैसे बीतेगा? इससे सिर्फ इतना जाना जा सकता कि समय और ब्रह्मांड के विस्तार में आप कहां खड़े हैं।’ इस निरूपण को दोहराने के बाद हर टैरो रीडर सामान्य ज्योतिषियों की तरह भविष्य बांचने लगता है।

टैरो कार्ड और ज्योतिष

टैरो यों ज्योतिष से अलग और विलक्षण होने का दावा करता है पर कुछ लोग इसे ज्योतिष के साथ मिलाकर देखती हैं उनके अनुसार टैरो के साथ कुंडली भी देखी जाए तो ज्यादा अच्छे परिणाम आते हैं। कुछ  यह जरूरी नहीं समझते, उनके अनुसार ज्योतिष का लाभ उठाने के लिए आस्तिक होना और उसके बताए उपाय करना जरूरी है। टैरो में ऐसी कोई शर्त नहीं है।यकीन हो या न हो वह अपना फलित बताना ही है। न केवल बताता है बल्कि सचेत भी करता है। पर इन दिनों ज्योतिष, टैरो से पिछड़ता प्रतीत होता है। शायद इसलिए कि ज्योतिष के क्षेत्र में पिछले बारह साल से कोई नई खोज नहीं हुई है। वह पुरानी भाषा और मुहावरों में ही उलझकर रह गया है। यह सही है कि टैरो कार्ड ताजगी का अहसास कराता है। तकनीक, भाषा और वातावरण की दृष्टि से यह विद्या प्रश्न कर्ता को देर तक उत्सुक बनाए रखती है। ऊबने नहीं देती।

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टैरो कार्ड में महिलाओं का बोलबाला

टैरो रीडिंग में महिलाओं का बोलबाला है। अभी तक कोई पुरुष रीडर विख्यात नहीं हुआ। कोई पाबंदी नहीं है कि पुरुष टैरो नहीं पढ़ सकते। महिलाओं में समर्पण की भावना प्रधान होती है, इसलिए चेतना के उच्च स्तर पर उनका संपर्क आसानी से हो जाता है। टैरो प्रयोग और कुछ नहीं चेतना के उच्च स्तर या अतिमानस का प्रसाद है वहां तक पहुंचने में पुरुष का बुद्धि या तर्क प्रधान व्यक्तित्व बाधक बनता है।

इंटरनेट में टैरोकार्ड

अब टैरों वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। कुछ प्रश्नों का मुफ्त जवाब और सदस्यता लेने के बाद नियमित परामर्श का वायदा करती हुई टैरो रीडर ई-मेल से भी समाधान सुझाने लगी हैं। इस तरह की करीब कई  सौ वेबसाइट नेट पर हैं। फोन पर भी टैरो रीडर की सेवाएं उपलब्ध हैं।

टैरोरीडर कि फीस

रीडर से संपर्क करने या समय लेने से पहले अपनी जेब संभालना न भूलें। परामर्श के लिए अच्छी खासी फीस देना होती है। डेढ़ हजार से दस हजार रुपए तक कोई भी रकम। यह टैरो रीडर की स्थिति और आपकी हैसियत के अनुसार तय होगी। इसके बाद आपको जो परामर्श मिलता है उसे माने या नहीं माने, यह आप पर निर्भर है।

टैरो कार्ड का मनोविश्लेषण  में प्रयोग

कार्ल युंग पहले मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने टैरो कार्ड को मनोविश्लेषण में काम में लिया। वे मानते थे कि इन पत्तों पर बनी आकृतियां मनुष्य के मूल स्वभाव को प्रतिबिंबित करती हैं। किसी मनोरोगी को यदि कार्ड चुनने को कहा जाए तो वह अपने मन की प्रकृति के अनुरूप व्यवहार करेगा। इससे उसकी मनःस्थिति जानने में मदद मिलती है। आपके अवचेतन के बीज गणित की तरह इसे समझा जा सकता है। नए समय में जो थैरेपी आई हैं उनमें एक पद्धति टैरो का उपयोग भी करती है। टी. एस. इलियट की कविता द वेस्ट लैन्ड में टैरो के प्रतीकों का इस्तेमाल खोजा जा सकता है।

दरअसल कई उपन्यासकारों और रहस्यवादी चिन्तकों के लिए टैरो बहुत अच्छे साधन सिद्ध हुए हैं। इसके विरोधी भी इसकी मनोवैज्ञानिक शैली को गंभीरता से लेते हैं। टैरो रीडिंग एक कला है और रहस्यमय शक्तियों के सम्पर्क की बात से इसमें खास तरह का चमत्कारी तत्व शामिल हो जाता है। टैरो कार्ड पढ़ने वाले पहले परमतत्व से प्राप्त अदृश्य आमंत्रित करते हैं। पूरी तरह निर्मल मन का सामने रखते हैं। प्रश्न पूछने वाला कार्ड प्रकाश को शुद्धि के लिए करते हुए कार्ड निकालकर देता है। इनका विश्लेषण प्रतीकों के आधार पर करके समस्याओं पर मशविरा दिया जाता है।

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टैरो कार्ड और रेशम के कपड़े में संबध

अक्सर पूछा जाता है कि टैरो रीडर को क्या कार्ड रेशम के कपड़े में लपेट कर रखना जरूरी है? विशेषज्ञ इसका उत्तर नहीं में देते हैं। रेशम के कपड़े में लपेटना एक खास तरह का अनुष्ठान जैसा अनुभव देता है इसलिए कई लोग रेशम के कपड़े में इन्हें रखते हैं लेकिन सबसे अच्छा है उसी पैकेट में रखना जिसमें उन्हें खरीदकर लाया गया है। नए टैरो रीडर्स को सलाह दी जाती है कि वह एक एक पत्ते की खासियत से वाकिफ हो और धीरे-धीरे उन्हें अपना दोस्त बनाए। अपनी अध्यात्मिक शक्ति को पराशक्ति के साथ जोड़ने का प्रयास करे और शुद्ध मन से पत्तों के साथ पेश आए।

टैरो कार्ड एक व्यवसाय के रूप में

जैसे-जैसे एक ग्लोबल समाज बन रहा है वैसे वैसे नई शैलियों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। यह अज़ीब विडम्बना है कि वैज्ञानिक उपकरण तथा तकनीकी विकास के साथ भविष्य वाणियों की नई-नई तकनीकें स्थान बनाती जा रही है। टैरो अपने रहस्यमय तौर तरीकों की वजह से एकदम नया लगता है। नाम राशि से दैनिक भविष्य फल देखने वालों को जब बोरियत होने लगी तो नए पन की मांग ने टैरो रीडर नामक नए सितारे गढ़ना शुरु कर दिए। फिलहाल लगभग टैरो रीडर एक महत्वपूर्ण रूप में लिए जाते हैं। नौजवान टैरो रीडर रुद्रा कभी  डीजे का काम करते थे किन्तु उन्होंने विशेष वेशभूषा और शैली के साथ टैरो रीडिंग शुरू की  स्वाभाविक है कि टैरो नए जमाने का लोकप्रिय व्यवसाय भी बन रहा है।

टैरो कार्ड का विरोध

टैरो कार्ड लोकप्रिय बाद में हुए विरोध और आलोचना का विषय पहले ही बन गए। इटली में जिन दिनों टैरो प्रचलन में आ रहा था वहां के आर्थोडोक्स धर्म ने तत्काल जबर्दस्त विरोध किया था। उसके अनुसार टैरो शैतान की ईजाद है, जिसे उसने मनुष्य को बहकाने के लिए रचा है। अमेरिका में ‘द सेवन हंड्रेड क्लब’ और ‘फोकस ऑन द फैमिली’ जैसे संगठनों ने भी इसे गुमराह करने वाली साजिश करार दिया था। इन संगठनों के अनुसार टैरो कार्ड अपने पास रखना भी बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ है।

पुरातन पंथी लोगों के अलावा ताश खेलने वालों ने भी टैरो का विरोध किया। जान स्टेनफोर्ड ने इस विषय पर तीन पुस्तकें लिख डाली और कहा कि पत्तों के दिव्यी करण से ताश के खेल को नुकसान होगा। इटली में लोगों ने एक संगठन भी बनाया। ब्रिटेन में कुछ सेकुलर संगठनों ने टैरो रीडिंग को ज्योतिष हस्तरेखा और अंक विद्या जैसे उपायों की तरह अंध विश्वासपूर्ण बताया। भारत में सनातन धर्म सभा ने टैरो को भारतीय ज्योतिष पर पश्चिम का हमला बताया है। ऋषिकेश स्वामी अगोचरानंद ने भारतीय धर्म परंपरा में विश्वास रखने वालों से अपील की है कि वे टैरो से बचें।।

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