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 Shoulder exercises

Shoulder exercises – कंधों की एक्सरसाइज कैसे करें?

कंधे हमारे शरीर का अहम अंग होते हैं। इनका स्वस्थ रहना अत्यंत जरूरी है, बढ़ती उम्र के साथ -साथ कंधो में अनेक बीमारियां पनपने लगती हैं । हमारे कंधे अक्सर जाम हो जाते हैं और उनमें दर्द रहने लगता है।  बिना स्वस्थ कंधों के हमें बहुत सी परेशानियां उठानी पढ़ती हैं। हमें अपने जीवन में अन्य व्यायाम के साथ साथ कन्धों की कसरत भी करनी चाहिए जिससे हमारे कंधे हमेशा स्वस्थ रहें। आज इस लेख के माध्यम से हम जानते हैं कि Shoulder exercises – कंधों की एक्सरसाइज कैसे करें?

कसरत (योग) के लाभ

ज्यादातर लोग इस बात से पूरी तरह आश्वस्त नहीं रहते कि योग वास्तविकता में हृष्टपुष्ट कर सकता है, खासतौर पर भुजाओं जैसे नाजुक हिस्से को, लेकिन केवल योग ही बांहों को सबसे शक्तिशाली व्यायाम देता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि योग में भुजाओं को मजबूती देने वाली ज्यादातर क्रियाओं में गुरुत्वाकर्षण प्रतिरोधकता का इस्तेमाल होता है ये मुद्राएं आपके शारीरिक वजन का इस्तेमाल आपकी भुजाओं की मजबूती के लिए भी करती हैं । निसंदेह यह भारी मैटेलिक डंबबेल्स से भी अधिक कारगर होता है। ज्यादातर अन्य व्यायामों में भी कलाइयों का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं होता। नीचे दी गई मुद्राओं से कलाई वह पहला हिस्सा है जिसे मजबूती मिलती है । हालांकि यह हमारे शरीर का सबसे उपेक्षित हिस्सा है और साथ ही वह हिस्सा भी है जिसके लिए महिलाओं को सबसे ज्यादा क्षति उठानी पड़ती है।

कुछ नुस्खे:-

  • अगर आपकी कलाइयां कमजोर हैं तो पहले दीवार के विपरीत कुछ सरल पुश अप्स से अपनी भुजाओं को मजबूत बनाएं। आप नमस्ते मुद्रा में सीने के पास अपनी हथेलियों को जोड़कर एक दूसरे की ओर ताकत पूर्वक दबाव डालते हुए कलाइयों को मजबूत बना सकते हैं। इस अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाएं । अन्य शुरुआती क्रियाओं में सेतु आसन को शामिल करें।
  • हमारे कंधों पर सबसे ज्यादा वजन पड़ता है और सबसे कम उनका व्यायाम होता है और चोट लगने पर इन्हें ठीक होने में भी सबसे ज्यादा वक्त लगता है। यह भी रोचक है कि चीनी चिकित्सा में कमजोर कंधों को सभी बीमारियों का प्रवेश बिंदु माना जाता है। मर्म मालिश और एक्यूप्रेशर की संबंधित पद्धतियों में सभी प्रमुख ऊर्जा चैनल कंधों के ऊपर आपस में मिलते हैं, इसलिए भुजाओं का व्यायाम इन शक्तिशाली चैनलों में ऊर्जा के नियमित प्रवाह को सुनिश्चित करता है। ऊपरी भुजा समेत ऊपरी पृष्ठ पर मांसपेशियों का संयोजन श्वास के साथ जुड़ा होता है। एक सिकुड़ा या अकड़ा हुआ ऊपरी धड़ भी श्वास में रुकावट पैदा करता है। इससे हमारा मिजाज भी प्रभावित होता है और गुस्से व निराशा के बीच जूझता है।
  • अक्सर हम अपनी भुजाओं का व्यायाम नहीं करते, इसलिए उनकी कसरत नियमित अभ्यास की मांग करती है। कम से कम एक दिन छोड़कर एक दिन तो यह व्यायाम करना चाहिए।
  • शुरुआत में मूलभूत लेकिन मुश्किल मुद्राएं जैसे गोमुखासन, गरुड़ासन, ताडासन, त्रिकाया ताडासन और प्रणामासन शामिल हैं। आगे चलकर आप सेतुआसन, अधोमुख श्वानासन, उर्ध्वमुख श्वानासन, व्याघ्रासन आदि कर सकते हैं। एक बार जब आप इन आसनों को आसानी से करने लगें तो मांसपेशियों को चुनौती देने के लिए उलटाव मुद्राओं जैसे शीर्षासन, वृश्चिकासन अभ्यास कर सकते हैं।                                                     Shoulder exercises
  • योग में भुजा संतुलक दिमाग को सक्रिय रूप से व्यस्त रखते हैं। इस श्रेणी की कुछ मुद्राएं एकपद भुजंगासन, मयूरासन, बकासन, काकासन, एकपद बकासन, हंसासन आदि हैं। यह तंत्रिकीय सामंजस्य आपके अभ्यास को उच्च स्तर पर पहुंचा देता है, जहां आपकी सिर्फ भुजाएं ही नहीं बल्कि संवदेनशील तंत्रिकीय संयोजन भी अभ्यास को दिमाग से जोड देता है जो कि सक्रिय रूप से इसमें शामिल होता है। यह दिमाग को सचेत बनाता है और दिमाग के दोनों गोलार्धौ (ताकि हम भावनात्मक संतुलन प्राप्त कर सकें) में समन्वय करता है, बोध क्षमता में सुधार लाता है और तंत्रिकीय समन्वय को बेहतर बनाता है।

लोलासन

लोलासन कन्धों के लिए बेहद फायदेमंद आसन होता है इसे निम्न प्रकार से कर सकते हैं :-

इसे करना तभी संभव है जब आप कमल आसन कर पाने में सक्षम हों। कमल मुद्रा में बैठें, पैर एक दूसरे से क्रॉस हों। हथेलियों को जमीन पर शरीर के पास ही टिकाएं। सांस अंदर लेते हुए पूरे शरीर को इस तरह ऊपर उठाएं कि यह दोनों भुजाओं के बल पर जमीन से कुछ इंच ऊपर उठ जाए और पूरा शरीर केवल हथेलियों पर टिका रहे। आगे और पीछे की ओर झूलें। श्वास को सामान्य होने दें। कुछ हफ्तों के बाद इस मुद्रा की अवधि बढ़ा दें ताकि आप 10 से 30 बार झूल पाएं।                                         Shoulder exercises

लोलासन के फायदे

भुजा की शक्ति और मजबूती के लिए यह सबसे सहज और बेहतर मुद्रा है। इससे भुजा को अच्छी मजबूती मिलेगी। साथ ही पूरे शरीर की क्षमताओं में बढ़ोतरी होती है। यह शर्मीलेपन से भी निजात दिलाती है।

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