छत पर गार्डनिंग कैसे करें ? – How to do terrace gardening in Hindi ?
आज कल शहरी क्षेत्रों में जमीन सिकुड़ती जा रही है । ऐसे में बागवानी के लिए जगह की कमी का अनुभव हो रहा है और घरों या पलेटों की छतों पर बागवानी का प्रचलन बढ़ता जा रहा है । छतों पर बागवानी के लिए कुछ ख़ास बातों का हमें ध्यान रखना होगा । आज कल शहरी जिंदगी में छोटे होते जा रहे घरों में आंगन या लॉन की कमी होने के कारण छतों पर बागवानी करना एक आसान विक्लप उभर कर सामने आया है । छ्त पर फूलों के साथ साथ हम सब्जी एवं फल भी उगा कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं । आइये जानते हैं कि हम छत पर गार्डनिंग कैसे करें ? – How to do terrace gardening in Hindi ?
छत को सीलन को बचाएं –
सबसे पहले हमें छतों से पानी को लीकेज न हो, यह सुनिश्चित करने के उपाय करने होंगे क्यूंकि पौधों से निकलने वाला पानी अगर छत पर जमा हुआ तो वो घर की छत को खराब कर सकता है । गमलों की पेंदी और छत के बीच पानी जमा होकर इस समस्या को और बड़ा सकता है । आजकल इस प्रकार के रसायन बाजार में उपलब्ध हैं जिनसे छतों की सीलन पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है । इनमें पिडोलाइट कंपनी के कई उत्पाद हैं । इसके अलावा छत पर पानी की उचित निकासी का प्रबंध करना भी आवश्यक है । अगर आपका बजट थोड़ा ज्यादा हो तो आप गमलों को रखने के लिए लोहे के या किसी अन्य धातु के स्टैंड का प्रयोग कर सकते हैं । स्टैंड का प्रयोग करने से पानी छत पर नहीं रुकेगा और हवा तथा घूप लगने के कारण छत पर गिरने वाला पानी जल्द सूख जायेगा जिससे सीलन नहीं होगी इसके आलावा साफ़ सफाई भी अच्छी तरह से हो सकेगी ।
पौधे हल्के गमलों में उगाएं –
छतों पर गमलों में पौधे आराम से उगाए जा सकते हैं । बल्कि छत पर पौधे उगाने का सबसे अच्छा तरीका गमले ही होते हैं । छतों पर गमले सीमेंट के बजाय प्लास्टिक या मिट्टी के हो तो छतों पर भार कम पड़ता है। गमलों के नीचे अगर पानी की निकासी के लिए टे हो तो बेहतर होता है । आप छोटे पौधों के लिए छोटे गमले व् बड़े पौधों के लिए बड़े गमले ही इस्तेमाल करें । छोटे पौधों के लिए एक दम से बड़े गमले प्रयोग न करें बल्कि पौधे जैसे जैसे बड़े होते जाएँ वैसे वैसे उनका गमला बड़ा करते जाएँ ।
गमलो मे मिट्टी का मिश्रण –
छतों पर रखे जाने वाले गमलों की मिट्टी जितनी हल्की हो, उतना अच्छा होता है । एक भाग दोमट मिट्टी, दो भाग गोबर की सड़ी हुई खाद, एक भाग रेत और आधा भाग नीम की खली का मिश्रण उत्तम रहता है। आजकल बाजार में वर्मी कम्पोस्ट और कोको-पीट भी उपलब्ध हैं । मिट्टी व रेत की मात्रा आधी करके उनके बदले कोकोपीट व वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग किया जा सकता है । इससे मृदा मिश्रण और हल्का हो जाएगा ।
पौधों का चयन –
पौधों का चयन करते समय ये ध्यान रखें कि किसी अच्छी नरसरी से ही पौधो को खरीदें और ऐसे पौधे ही खरीदे जो आपके यहां मौसम में अच्छे से ग्रो कर सकें । पौधे खरीदते वक्त ध्यान रहे कि वो तंदरुस्त और हरे भरे हों उनकी जड़ें स्वस्थ हों ।
उपयुक्त पोधे –
छत पर सीधी धूप पड़ती है, इसलिए ऐसे पौधों का चयन करें जो कड़ी धूप झेल सकते हैं । निम्न प्रकार के पौधे आसानी से छतों पर उगाए जा सकते हैं । कैक्टस व सेक्युलेंट (गूदेदार) पौधे, लेंटाना, फाइकस, बुगेनवीलिया, क्लोरफाइटम, ट्रेडेस्केन्टिया, जैबीना आदि ऐसे पौधे हैं जो आसानी से उगाए जा सकते हैं और नियमित सिंचाई की जिनकी आवश्यकता भी कम होती है । इसके आलावा आप बैंगन, केला, लौकी, पपीता , मिर्चा जैसी सीजन वाली सब्जी व् फलों के पौधे भी ऊगा सकते हैं ।
छत पर सब्जिया प्लास्टिक के कनस्तरों में सब्जियां आसानी से उगाई जा सकती हैं । सर्दियों के मौसम की सब्जियों में धनिया, पोदीना, प्याज, लहसुन, सलाद पत्ता, मूली, पालक, मेथी आसानी से कनस्तरों में उगाई जा सकती हैं । गर्मियों की सब्जियों में करेला, ग्वार, तोरी व लौकी की फसलें उगाई जा सकती हैं । पर गर्मियों की सब्जियों के लिए बड़े आकार के कनस्तरों की आवश्यकता होगी ।
पौधों के रोपने की विधि –
जब भी पौधे नरसरी से ले कर आये आप उन्हें तुरंत न रोपें बल्कि एक दो दिन बाद ही गमले में लगाएं । पौधा लगाने से पहले पौधे की किस्म व् आकार के अनुसार गमले के साइज का चयन करें उसके बाद गमले के नीचे एक सुराख करके उसके ऊपर किसी टूटे गमले के टुकड़े को रख दें इससे पानी के साथ मिटटी बाहर नहीं निकलेगी । इसके बाद ऊपर दिए गए तरीके के अनुसार मिटटी का मिश्रण तैयार कर लें और पौधे को आराम से बैग से निकाल कर इस प्रकार से गमले में लगाएं जिससे पुरानी व सख्त मिटटी पौधे की जड़ों से भी हट जाए और जड़ों को भी कोई नुक्सान न पहुंचे । गमले में मिटटी एक दो इंच कम ही डालें और पौधा लगाने के बाद गमले में पानी अच्छी तरह से भर दें । हो सके तो पौधो को शाम के वक्त ही लगाएं और एक दो दिन लगाए हुए पौधे को छाया में ही रहने दें इससे वो अच्छी तरह से ग्रो करेगा । दो दिन बाद पौधे को उसकी नश्ल के अनुसार उपयुक्त स्थान पर रख दें । अगर आप सब्जी के बीज बोना चाहते हैं तो मिटटी में उचित नमी होनी चाहिए ।
नियमित सिंचाईं –
छत पर लगे पौधों में नियमित सिंचाई करते रहें और पौधों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ही पानी दें न कम न ज्यादा । ध्यान रहे पौधों में पानी तब ही डालें जब मिटटी सूख जाए जायदा पानी से भी पौधों की जड़ें गल जाती है । पानी को शावर से ही डालें और गर्मियों में हफ्ते में दो बार और शर्दियों में हफ्ते में एक बार पौधों की पतियों को पानी से नहला दें इससे पौधे स्वस्थ रहेंगे ।
मौसम से बचाव –
छत पर खुला व पक्का स्थान होने के कारण पौधों का मौसम की मार से बचाव करना बहुत जरूरी है । गर्मियों की तेज धूप से बचाने के लिए ग्रीनरी का इस्तेमाल करें और शर्दियों में ठण्ड से खराब होने वाले पौधों को शाये में रख दें । बरसात के मौसम में जायदा बरसात से पौधों का बचाएं ।
उर्वरक व कीटनाशक का प्रयोग –
समय समय पर लगाए गए पौधो की देखभाल करना बहुत जरूरी है । माह में एक बार सड़े हुए गोबर की खाद या केचुआ खाद मात्रा अनुसार अवश्य दें । इसके साथ ही साथ हर एक माह बाद डी एपी व एनपी के 19:19:19 का प्रयोग करें । जड़ों का मजबूत बनाने के लिए एस्पीन नमक का प्रयोग करें । पौधों का कीड़ों के प्रकोप से बचाने के लिए नीम तेल या किसी अच्छे कीटनाशक रासायन का छिड़काव करें व जड़ों में नीम खली डालें । इसके आलावा पौधों को फंगस से बचाने के लिए किसी अच्छे फंगीसाइड पाउडर का इस्तेमाल करें ।
निराई, गुड़ाई व कटाई –
मांह में एक बार गमलों की जड़ें बचाते हुए छी तरह से गमले की मिटटी की एक इंच तक गुड़ाई करें और मिटटी को बारीक करते हुए खरपतवार को निकाल दें । इसके बाद उर्वरक व फंगीसाईड मात्रा अनुसार डाल दें और अगले दिन या एक दिन बाद पानी देदें । अगर आप शाम के वक्त गुड़ाई करें तो अच्छा रहेगा । जिस प्रकार हम अपने बालों की कटिंग न करें तो उनकी शेप खराब हो जाती है ठीक इसी प्रकार से पौधों की कटिंग करना जरूरी है जिससे उनकी शेप अच्छी रहे और उनका आकार जायदा बड़ा न हो । आवश्यकता अनुसार साल में एक बार पौधों की हार्ड कटिंग जरूर करें और समय समय पर ट्रिमिंग भी करते रहें । पर ध्यान रहे कटिंग अत्यधिक गर्मी व् अत्यधिक ठण्ड में न करें । कटिंग का सबसे अच्छा मौसम 15 जून से 30 सितंबर या फरवरी मार्च का महीना होता है ।
छत पर लॉन –
यों तो छत पर लॉन का प्रचलन अभी कम है पर धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है । छत पर लॉन के लिए छत में पानी की निकासी, लीकेज न हो इसका प्रबंध और भार सह सकने की छत की क्षमता का ध्यान रखना आवश्यक है । लॉन में बहुत ही नियमित सिंचाई की आवश्यकता होगी, इस बात को ध्यान में रखकर ही छत पर लॉन लगाने का फैसला करें । लॉन का आकार छोटा ही रखें । छत पर लॉन के लिए दो-दो ईंट की बाउंड्री चिन दें । पानी की निकासी के लिए जगह छोड दें । उसके बीच में काली टरपोलीन की चादर बिछाएं । एक भाग रेत, आधा भाग मिट्टी, आधा भाग नीम की खली व दो भाग कोकोपीट के मिश्रण को नियत स्थान पर बिछा दें । इसमें दूब घास की जड़ों को दो-दो इंच की दूरी पर रोप दें । नियमित रूप से सिंचाई करे इसके लिए अगस्त, सितम्बर या फरवरी के महीने श्रेष्ठ रहते हैं ।।
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