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झिझक या शर्मीलापन कैसे दूर करें ?

झिझक या शर्मीलापन कैसे दूर करें ? – संकोच दूर करने के आसान उपाय

क्या आप बहुत शर्मीले हैं, आपका स्वभाव बहुत संकोची है या आप बहुत झिझक महशूस करते हैं ? अगर ईनमसे कोई भी लक्षण आपमें हैं तो फिर ये आर्टिकिल आपके लिए ही है। दरअसल हद से ज्यादा शरमाना या झिझकना भी कई मौकों पर  हमारी इमेज खराब कर देता है। अगर हमारा  स्वभाव ही हमारी सफलता और संबंधों में रोड़ा बनने लगे, तो फिर स्वंय को बदलने की जरूरत है। आगे जानिए, झिझक या शर्मीलापन कैसे दूर करें ? – संकोच दूर करने के आसान उपाय।

शर्मीलापन क्या कोई बीमारी है ?

अधिकतर लोग शर्मीलेपन  (Shyness) या झिझक (Diffidence) को शरीर-विज्ञान संबंधी समस्या नहीं मानते, सिवाय उनके जो इससे अत्यधिक पीड़ित हैं। चिकित्सा शास्त्र अपने चरम पर शर्मीलेपन का निदान व्यक्तित्व को हानि पहुंचाने वाले ऐसे विकार के रूप में करता है, जिसके इर्द-गिर्द अनेक समस्याएं घूमती हैं। इन समस्याओं में डिप्रेशन, ऑबसेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर और ऐगॅरफ़ोबिया (सार्वजनिक या भीड़ वाले स्थानों पर घबराहट होना) शामिल हैं।

बहुत से लोग अनजाने में शर्मीलेपन को ‘स्टेज फ्राइट’ के रूप में पोषित करते रहते हैं। अपने संकोची स्वभाव के कारण वे जीवन में मिलने वाले बहुत से अवसरों से कतरा कर निकल जाते हैं। केवल हमारे प्राचीन योगियों ने ही शर्मीलेपन को एक ऐसी शारीरिक समस्या के रूप में पहचाना जिसके अपने शारीरिक लक्षण होते हैं। उन्होंने पाया कि शारीरिक व्यायाम और आसनों की सहायता से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

झिझक या शर्मीलापन योग से कैसे दूर करने के उपाय

शर्मीलेपन या झिझक की समस्या से ग्रस्त लोगों को यह जानकर राहत मिलेगी कि वे भी इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। शर्मीलेपन से छुटकारा दिलवाने वाली अधिकतर आधुनिक वर्कशॉप्स मस्तिष्क-नियंत्रण की बात करती हैं, पर योग इसे अपेक्षाकृत अधिक उन्नत थैरेपी मानता है। मस्तिष्क-नियंत्रण वाली कार्यशालाएं पूरी तरह सफल नहीं हो पातीं, क्योंकि वहां उपचार की शुरुआत ही मस्तिष्क से की जाती है। यह उन लोगों को विचलित कर देता है, जो यह मानते हैं कि मस्तिष्क का कोई निश्चित रूप नहीं है और उसे पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता, लेकिन शरीर पर कुछ हद तक नियंत्रण अवश्य स्थापित किया जा सकता है। यह धारणा ठीक भी है। यही वजह है कि डर और शर्मीलापन दूर भगाने की यौगिक विधि शरीर से शुरू होती है।

शर्मीलेपन या झिझक को दूर करने वाली प्रमुख योग मुद्राएं

शर्मीलेपन की सर्वाधिक लोकप्रिय यौगिक विधि में संतुलनकारी मुद्राएं शामिल हैं। इनमें खड़े रहने वाली अधिकतर संतुलनकारी मुद्राएं जैसे ताड़ासन (अपने सभी प्रकारों सहित), वक्रासन (अपने सभी प्रकारों सहित), नटराज मुद्राएं, इसके अलावा हाथों की संतुलनकारी मुद्राएं जैसे काकासन, बकासन, तिथिभान, मयूरासन, अधोमुख वक्रासन और नवकासन प्रभावशाली और तुरंत प्रभाव छोड़ने वाली हैं। बेचैनी के उपचार में लाभदायक कूर्मासन, गर्भासन और गर्भ पिण्डासन जैसी उन्नत मुद्राएं भी शर्मीलेपन के इलाज में कारगर हैं। ये सभी आसन एड्रीनल ग्रंथि (जिसे शर्मीले लोगों में अत्यधिक काम करना पड़ता है) को प्रभावित कर उसे फिर से सामान्य बनाते हैं।                                  (झिझक या शर्मीलापन कैसे दूर करें ?)

शर्मीलेपन या झिझक को दूर करने वाली योग थेरेपी

1-  प्राणायाम

योग थेरेपी का अगला चरण प्राणायाम है जो मस्तिष्क के बाएं अर्ध गोलाकार हिस्से, पेरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम और सेरेबेलम को प्रभावित करता है। इसमें भ्रामरी, उज्जयी, शीतली और शीतकारी प्राणायाम शामिल हैं। वॉइस बॉक्स को सशक्त रूप से प्रभावित करने वाले ये प्राणायाम आवाज़ अच्छी बनाने के लिए जाने जाते हैं। शरीर की सबसे शक्तिशाली नस वेगस, जो शरीर के बहुत-से अंगों और तंत्रों से होकर गुज़रती है, हमारी आवाज़ से प्रभावित होती है। इस तरह योग इस एक सूत्र से शरीर के उन सभी तंत्रों तक पहुंच जाता है जो शर्मीलेपन और डर के कारण अस्त-व्यस्त हैं। ये सभी अभ्यास अत्यंत प्रभावी हैं और डर से पीड़ित लोगों के लिए मलहम का काम करते हैं।

2- नाद योग

नाद योग में माहेश्वर स्त्रोत (यह संस्कृत के सभी 52 स्वरों का संकलन है) टंग-ट्विस्टर का काम करता है। इसका इस्तेमाल हकलाने वाले या अत्यंत संकोची स्वभाव के लोगों के लिए थैरेपी के रूप में भी किया जाता है। यह विचारों को स्पष्टता भी प्रदान करता है जो अक्सर अत्यधिक डर या शर्मीलेपन के कारण प्रभावित होती है।

3- सेरेबेलम

प्रश्न यह है कि किसी मानसिक समस्या का उपचार शारीरिक माध्यम से किस हद तक किया जा सकता है? खड़े रहकर किए जाने वाले आसनों का सबसे अधिक प्रभाव हमारे नर्वस सिस्टम के संतुलनकारी तंत्र पर पड़ता है। इसमें सेरेबेलम बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसका लोहा अब आधुनिक चिकित्सा-विज्ञान भी मान रहा है। सेरेबेलम, यह देखने के अलावा कि हम कैसे चलते-फिरते हैं, हमारे शरीर को थामे रखकर शरीर को गुरुत्वाकर्षण के बल के विपरीत संतुलित रहने में सहायता करता है। इसका मतलब है कि एक मज़बूत सेरेबेलम हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है। हम लोगों के साथ कैसे बात करते हैं, किन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, यह हमें किसी परिस्थिति को व्यापक दृष्टिकोण से समझने में मदद करता है ताकि हम चीज़ों को सतही तौर पर न देखें। शर्मीले लोग अपने डर को बहुत बड़ा मानते हैं। दरअसल, अधिकतर लोग अपने डर को पहचानते हैं, बल्कि प्रदर्शन से पहले होने वाली घबराहट ही उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में सहायता करती है। अंतर केवल इतना है कि वे अपने डर का ठीक तरह से प्रबंधन कर लेते हैं, जबकि शर्मीले लोगों में डर ही उनका प्रबंधक बन जाता है।

4- योग निद्रा और  अंतर मौन

योग बाद के चरणों में मस्तिष्क-नियंत्रण वाले अभ्यास जैसे योग निद्रा, अंतर मौन आदि काम में लेता है। अंतर मौन डर और बेचैनी पर काबू पाने में विशेष रूप से कारगर है। योग निद्रा में आप स्वयं को आत्मविश्वास से भरपूर एक अलग ही व्यक्तित्व के रूप में देखते हैं। यह आपकी अवचेतन में दर्ज आत्मविश्वासी छवि को संगठित कर आपको फिर से शक्तिशाली और अच्छा महसूस करवाता है।                                                                                      (झिझक या शर्मीलापन कैसे दूर करें ?

एकपद प्रणामासन कैसे करें

आप सीधे खड़े हो जाएं। डग मगाने का डर हो तो शुरू-शुरू में दीवार के सहारे खड़े हो सकते हैं। कुछ दिनों या हफ्तों के बाद आप बिना सहारे यह आसन कर सकेंगे। दाएं पैर को घुटने से मोड़कर बाहर की ओर फैलाएं। दाएं तलवे को जितना ऊंचा संभव हो उतना, बाईं जांघ पर रखें। दोनों हथेलियों को नमस्कार की मुद्रा में छाती पर रखें। संभव हो तो हाथ छाती पर न रखकर इसी मुद्रा में सिर से ऊपर रखें। सामान्य रूप से सांस लेते हुए जितनी देर संभव हो इसी मुद्रा में रहें। अब बायां पैर मोड़कर यही प्रक्रिया दोहराएं। आसन असरदार साबित हो, इसके लिए दोनों पैरों के साथ यह प्रक्रिया कम से कम एक मिनट के लिए अवश्य करें।

एकपद प्रणामासन के लाभ

एकपद प्रणामासन मस्तिष्क को शांत बनाता है। शरीर को संतुलित कर मस्तिष्क को संतुलन का पाठ पढ़ाता है और किसी भी चीज़ को सही दृष्टिकोण से समझने में मदद करता है। बहुत सी थैरेपीज़ में काम में लिया जाने वाला यह आसन पोस्चर सुधारने में भी मदद करता है।

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