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संतुष्टि

संतुष्टि – Satisfaction , टूरिस्ट – Camper , प्रतिज्ञा – The pledge (लघु कथाएं )

संतुष्टि – Satisfaction , टूरिस्ट – Camper , प्रतिज्ञा – The pledge (लघु कथाएं ) 

ज हम आपको तीन प्रेरक लघु कथायें  सुनाते हैं, आशा है कि आपको पसंद आयेंगी, चलिए शुरू करते हैं !  हम संतुष्टि – Satisfaction , टूरिस्ट – Camper , प्रतिज्ञा – The pledge कहानियों  के बारे में  जानते है 

 

संतुष्टि – Satisfaction  (लघुकथा) :-

दूल्हा बेचने वाले एक स्टोर में होली के मौके पर सेल लगी और सेल में सबसे अच्छा पति
चुनने वाली लड़की को फ्लैट खरीदने पर साठ प्रतिशत तक की छूट देने की घोषणा की गई,
स्टोर छह मंजिल का था। छूट की ये शर्त थी कि हर मंजिल पर अलग-अलग तरह के दूल्हे
मिलेंगे। एक मंजिल पर जाने के बाद कोई लडकी वापस उस मंजिल पर नहीं लौट सकती थी
और एक बार ही खरीददारी का मौका दिया जा रहा था। आखिरी मंजिल के बाद बाहर
निकलने का रास्ता था। एक लड़की शॉपिंग सेंटर में सही दूल्हे की तलाश में पहुंची। जब
वह पहली मंजिल पर पहुंची तो वहां बोर्ड पर लिखा था …..इन लड़कों के पास नौकरी है।
लड़की ने बोर्ड पढ़ा और पढ़ने के बाद सोचा कि चलो ये तो मेरे पिछले बॉयफ्रेंड से तो बेहतर
हैं, लेकिन आगे देखने में हर्ज ही क्या है। वह दूसरी मंजिल की ओर बढ़ी। उस मंजिल पर
लिखा था, इन लड़कों के पास नौकरी है और ये बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। लड़की को
डील पसन्द आई, लेकिन उसने सोचा कि क्यों न आगे चलकर देखा जाए। अब वो तीसरी
मंजिल पर थी। यहां लिखा था ….इन लड़कों के पास नौकरी है, ये बच्चों को बहुत प्यार करते
हैं और अच्छे दिखते हैं। लड़की ने सोचा चलो चौथी मंजिल पर भी देख लिया जाए। चौथी
मंजिल पर लिखा था …इन लड़कों के पास नौकरी है, बच्चों से प्यार करते हैं, अच्छे दिखते
हैं और घर के काम में पूरा हाथ बंटाते हैं। लड़की ने सोचा मुझे एक मंजिल और देख लेना
चाहिए। पांचवीं मंजिल पर लिखा था ….इन लड़कों के पास नौकरी है, अच्छे दिखते हैं, बच्चों
को बहुत प्यार करते हैं, घर के काम में हाथ बंटाते हैं और पत्नी का कहना मानते हैं। अब तो
लड़की छठी मंजिल भी देखने को उतावली थी। वहां पहुंचकर उसने पढ़ा ….आप इस मंजिल
पर आने वाली 7978953026 वीं ग्राहक हैं। इस मंजिल पर कोई लड़का नहीं है और ये
फ्लोर साबित करता है कि आपको संतुष्ट करना असंभव है।

टूरिस्ट – Camper   (लघुकथा)

 

होली की मस्ती में भंग के नशे में चूर यमदूत मनमोहन शर्मा की जगह मनमोहन
वर्मा को ऊपर ले गए। चित्रगुप्त ने जब रिकॉर्ड देखा तब इस गलती का पता चला।
चित्रगुप्त ने हुक्म दिया ‘ ‘इसे वापस पृथ्वी पर भेजो और मनमोहन शर्मा को वापस
लाओ।’  इससे पहले कि यमदूत मनमोहन वर्मा को वापस पृथ्वी पर लाते, उसने
चित्रगुप्त से प्रार्थना की कि जब मैं आ ही गया हूं तो मुझे स्वर्ग-नरक की सैर ही करा
दीजिए।  चित्रगुप्त ने यमदूतों की गलती के बदले इतनी सी प्रार्थना बतौर स्पेशल केस
समझकर मंजूर कर ली। यमदूत पहले मनमोहन वर्मा को स्वर्गलोक की सैर कराने ले गए। उसने
देखा, वहां सब कुछ शांत है, साधु महात्मा आंख बंद किए तपस्या कर रहे हैं, कोई
रौनक नहीं। फिर उसे नरक ले जाया गया वहां उसने देखा, ऐश हो रही है, सभी होली
के रंगों में सराबोर हो रहे हैं। भांग के नशे  में सभी झूम रहे हैं। परियां फाग उत्सव मना
रही हैं और नाच-गाना कर रही हैं। मनमोहन यह सब देखकर बड़ा खुश हुआ।
पृथ्वी पर लौटने से पहले उसने इच्छा व्यक्त की कि असली मृत्यु पर उसे नरक ही भेजा
जाए। चित्रगुप्त ने लाख समझाया, पर वह नहीं माना। पृथ्वी पर लौटने के बाद
मनमोहन की अंतिम इच्छा के मुताबिक मरने के बाद उसे नरक भेजा गया। पर यह
क्या ! इस बार वहां तेल खौल रहा था, लोग रो रहे थे, सब बदला हुआ। उसने यमदूत से
उसका कारण पूछा। तो यमदूत ने कहा ‘मनमोहन, तब तुम टूरिस्ट थे।’

प्रतिज्ञा – The pledge (लघुकथा)

क डरपोक को किसी ने सीख दी कि इंसान को पानी में तैरना जरूर आना चाहिए। पता
नहीं जिंदगी में कब क्या परिस्थिति आ खड़ी हो। यह बात डरपोक के दिल में बैठ गई।
उसने पक्का फैसला कर लिया कि तैरना सीखकर रहूंगा। हिम्मत कर वह एक दिन
तालाब पर पहुंचा। कई लोगों को उसने मछली की तरह पानी में तैरते देखा। वह
घुटने तक पानी में गया। अचानक उसका पैर फिसला और वह गहराई की तरफ जाने
लगा। पानी मुंह के अंदर भरने लगा। बड़ी मुश्किल से लोगों ने उसे डूबने से बचाया।
बाहर आकर डरपोक ने मन ही मन प्रतिज्ञा की- ‘अब जब तक पूरी तरह तैरना नहीं
आएगा पानी में पैर तक नहीं रखूगा।’

 

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