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Eid al-adha – बकरीद मुबारक

द-उल-अजहा, (Eid al-adha) जिसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण ईस्लामी त्योहार है जो पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह ईस्लामी कैलेंडर के धुल हिज्जा माह के दसवें दिन को मनाया जाता है। बकरीद का मतलब होता है ‘बकरे की बलि’। इस त्योहार में मुसलमान भेड़ों और बकरों की क़ुरबानी करते हैं और अल्लाह की ख़ुशी का प्रदर्शन करते हैं। यह त्योहार ईब्राहीम (अब्राहम) की क़ुरबानी को याद करता है, जब उन्होंने अपने बेटे इस्माईल (इस्माइल) को अल्लाह के लिए अपनी निश्चित क़ुरबानी की थी। इस लेख में हम बकरीद के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और इसका महत्व, प्रक्रिया, और सामाजिक महत्व को समझेंगे।

Eid al-adha बकरीद का महत्व

बकरीद ईस्लामी संप्रदाय में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुसलमानों की भक्ति और निष्ठा को प्रकट करता है। इस त्योहार में लोग अल्लाह की ख़ुशी के लिए अपनी संपत्ति की क़ुरबानी देते हैं और उसके बाद बांटवारे करके गरीबों और जरूरतमंद लोगों के साथ खाना बांटते हैं। यह त्योहार जाती, मजहब, और समाज के बंधनों को छोड़कर सभी लोगों को एकजुट करता है।

इसके साथ ही, बकरीद Eid al-adha मनाने का अर्थ है कि हमें अपनी शिक्षा, सम्पत्ति, और आदर्शों को छोड़कर दूसरों की सहायता करनी चाहिए। यह त्योहार हमें इंसानियत, सद्भाव, और सहानुभूति की महत्वता बताता है। बकरीद के दौरान, लोग अपने घरों में दरिद्र और ग़रीब लोगों को खाना खिलाते हैं, धर्मशाला और मस्जिदों में खाना बांटते हैं, और दान और ज़कात के रूप में धन और आवश्यकताओं की सहायता करते हैं।

Eid al-adha बकरीद की प्रक्रिया

बकरीद के दिन, मुसलमान घरेलू रिवाज़ों और अनुशासनों के साथ आदर्श प्रक्रिया का पालन करते हैं। पहले, लोग नमाज़ के लिए मस्जिद जाते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं। फिर, बलि के लिए एक बकरा चुना जाता है, जिसे क़ुरबानी के लिए तैयार किया जाता है। बकरा का चुनाव विशेष महत्व रखता है, और इसे ध्यानपूर्वक और विवेकपूर्वक किया जाता है। बकरीद के दिन, भेड़ों और बकरों को तैयार किया जाता है और उन्हें सुंदरता से सजाया जाता है। इसके बाद, बकरा के गले पर चमड़ी का एक बांधन बांधा जाता है, ताकि वह आसानी से पहचाना जा सके।

इसके बाद, एक मुसल्लीम (मुसलमान पुरोहित) उसकी क़ुरबानी के लिए तैयार होता है। वह ख़ुदा के नाम पर दुआएँ पढ़ता है और फिर बकरे की क़ुरबानी करता है। बकरे की क़ुरबानी के बाद, इसे बांटवारे की व्यवस्था की जाती है। इसका मतलब है कि भेड़ों और बकरों का मांस और अन्य भोजन वस्त्रों के साथ गरीबों, पड़ोसियों, और संगठनों में बांटा जाता है। यह अल्लाह की राह में दान करने का एक तरीका है और इससे सभी लोगों को भागीदारी मिलती है। बकरीद के दिन, लोग भी अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों, और पड़ोसियों को खाना खिलाते हैं और एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं। यह सभी लोगों को एकजुट करके खुशियों की भावना प्रदान करता है और समाज के भाईचारे को स्थापित करता है।

Eid al-adha बकरीद का सामाजिक महत्व

बकरीद एक महत्वपूर्ण सामाजिक और आध्यात्मिक त्योहार है जो मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को प्रकट करता है। यह एक अवसर है जब लोग धार्मिक आदर्शों और उच्चतम मानवीय मूल्यों की ओर ध्यान देते हैं। बकरीद के दौरान लोग दान करते हैं, सद्भाव और संघर्ष की भावना को जीवंत करते हैं, और ग़रीबों के साथ वितरण करते हैं। इससे लोगों के बीच समरसता, भाईचारा, और समझौता बढ़ता है। इसके अलावा, बकरीद Eid al-adha एक अवसर है जब लोग भोजन का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे के साथ आपसी तालमेल बनाते हैं। इस दिन, लोग अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं, खुशियों को बांटते हैं, और आपसी रिश्तों को मजबूत करते हैं। यह त्योहार समाज को उत्साह और प्रेम की भावना से भर देता है और साथ ही अन्य धार्मिक समुदायों के साथ विश्वासों के सम्मेलन को भी प्रोत्साहित करता है।

बकरीद Eid al-adha एक महत्वपूर्ण ईस्लामी त्योहार है जो दिखाता है कि धार्मिकता, भाईचारा, और सेवा सभी मानवीय मूल्यों का महत्व है। यह एक अवसर है जब मुसलमान समुदाय अपनी आदर्शों को अपने जीवन में अंकित करते हैं और सामाजिक संगठन में भागीदारी करते हैं। इस त्योहार के माध्यम से, एक धार्मिक, सामाजिक, और मानवीय संदेश सभी को समझाया जाता है कि हमें दूसरों की सहायता करनी चाहिए और सबका साथ देना चाहिए। यह हमें भाईचारा, सद्भाव, और समरसता की महत्वता याद दिलाता है और हमें एक बेहतर और संवेदनशील समाज की दिशा में अग्रसर करता है ।।

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