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 William Shakespeare 

William Shakespeare – क्या विलियम शेक्सपियर ही असली सेक्स्पीयर थे ?

विलियम शेक्सपीयर अंग्रेज़ी के महान कवि, काव्यात्मकता के विद्वान नाटककार तथा एक अभिनेता  थे। William Shakespeare के नाटकों का लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चूका  है।  आज हम William Shakespeare  के बारे में विस्तार से जानते हैं ।

विलियम शेक्सपीयर का जन्म

 William Shakespeare  का जन्म 23 अप्रैल 1564  को स्ट्रैटफोर्ड आन एवन में हुआ था । शेक्सपीयर के पिता का नाम  जॉन शेक्सपियर, माता का नाम मैरी शेक्सपियर तथा पत्नी ऐनी हथावे थी । विलियम शेक्सपियर, जॉन शेक्सपियर, जो  चमड़े के व्यापारी थे और मैरी आरडेन की तीसरी संतान थे। विलियम शेक्सपियर की दो बड़ी बहनें, जोन और जुडिथ थी और उनके तीन छोटे भाई गिल्बर्ट, रिचर्ड और एडमंड थे। विलियम शेक्सपियर के जन्म से पहले ही, विलियम के  पिता एक सफल व्यापारी बन चुके थे। विल्यिम के पिता जान एक महापौर से मिलते जुलते अधिकारी और एक बेलीफ के रूप में आधिकारिक पदों पर भी रहे।

विलियम शेक्सपीयर की शिक्षा एवं प्रारंभिक जीवन

विलियम शेक्सपियर की  बाल्यकाल में  शिक्षा स्थानीय फ्री ग्रामर स्कूल में हुई थी । पिता की बढ़ती आर्थिक कठिनाइयों की वजह से शेक्सपियर को  स्कूल छोड़कर छोटे-मोटे धंधों में लग जाना पड़ा था । बाद में जीविका चलाने के लिए शेक्सपियर ने लंदन जाने का फैसला किया। इस फैसले को लेने  का एक दूसरा कारण कदाचित् चार्ल कोट के जमींदार सर टामस लूसी के बाग़ में  से हिरण की चोरी के कारण, कानूनी कार्यवाही के धार से शेक्सपियर को अपना जन्म स्थान छोड़ना पड़ा था ।

शेक्सपीयर का अंतिम समय

शेक्सपियर का विवाह सन् १५८२ में एन हैथावे से हुआ था। सन् १५८५ के करीब विलियम शेक्सपियर लंदन आ गए । शुरू के दिनों में शेक्सपियर ने एक रंगशाला में किसी छोटी-मोटी  नौकरी पर काम किया था, किंतु कुछ दिनों में ही शेक्सपियर लार्ड चेंबरलेन की कंपनी के एक सदस्य बन गए और लंदन की प्रमुख रंगशालाओं में समय -समय पर अभिनय के लिए नुक्क्ड़ नाटकों में भाग लेने लगे। ग्यारह वर्ष के अंतराल के बाद  सन् १५९६ में शेक्सपियर स्ट्रैटफोर्ड आन एवन लौटे। अब तक शेक्सपियर अपने परिवार की आर्थिक सिथित सुदृढ़ बना चुके थे । सन् १५९७ में  शेक्सपियर ने धीरे-धीरे अपना नव निर्माण एवं विस्तार किया। इसी भवन में सन् १६१० के बाद शेक्सपियर अपना अधिक से अधिक समय व्यतीत करने लगे और उन्होंने अपना अंतिम समय वहीं पर गुजरा तथा उसी जगह पर सन् १६१६ में William Shakespeare का देहांत हो गया ।

विलियम शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सृजनात्मक प्रतिभा थी इसके  साथ ही शेक्सपियर को कला के नियमों का भी बहुत अच्छा  ज्ञान था। प्रकृति से उन्हें मानो वरदान मिला हुआ था अत: उन्होंने जिसको भी  छू दिया वह सोना बन जाता था । शेक्सपियर की रचनाएँ  न केवल अंग्रेज जाति के लिए गौरव की वस्तु हैं वरन् पूरे विश्व की भी अमर विभूति हैं। उनकी कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी रहा था। जहाँ एक तरफ शेक्सपियर के  नाटकों तथा  कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवन दर्शन भी मिलता  है। विश्व साहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जाने वाले कवि विरले ही मिलते हैं।

क्या विलियम शेक्सपियर ही असली सेक्स्पीयर थे ?

क्या William Shakespeare ने ही ‘शेक्सपियर’ का सारा साहित्य लिखा है या किसी और ने ? यह प्रश्न डे वेरे  सोसाइटी नाम के एक साहित्यिक समूह का था जो ऑक्सफोर्ड की इस हस्ती, डे वेरै की 400 वीं जन्मशती मना रही थी। सोसाइटी का दावा था कि शेक्सपियर के नाम से जो विश्व प्रिसिद्ध 37 नाटक लिखे गए हैं वे वास्तव में डे वेरे ने लिखे हैं। कई साहित्य कारों ने इस महान लेखक की पहचान के बारे में अध्ययन किया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि हर एक ने शेक्सपियर के साहित्य का लेखक किसी और को बताने की चेष्टा की। उससे भी दिलचस्प यह कि सबने अलगअलग व्यक्तियों को शेक्सपियर होने का श्रेय दिया है।

अगर हम शब्दकोष की बात करें तो उसमे दो शब्द हैं ‘स्ट्रेटफोर्डियन्स’ और ‘ऑक्फोर्डियन्स’ । स्ट्रेटफोर्डियन्स यह तर्क देते हैं कि विलियम शेक्सपियर ही कवि लेखक और नाटककार थे जबकि ओक्सफोर्डियन्स का मानना है कि शेक्सपियर का साहित्य शेक्सपियर ने नहीं बल्कि एडवर्ड डे वेरे ने लिखा है । शेक्सपियर शब्द की स्पेलिंग को लेकर भी मतभेद है । “Shakspere” से अर्थ उस व्यक्ति से है जिसने स्ट्रेटफोर्ड ऑन एवोन नामक स्थान पर जन्म लिया, जबकि “Shakespeare.” वह व्यक्ति है जिसने नाटक और कविताएं लिखीं । केल्विन हॉफमेन ने इस संबंध में अर्द्ध शताब्दी पूर्व 1955 में पुस्तक लिखी। द मर्डर ऑफ द मैन हू वाज शेक्सपियर शीर्षक से लिखी इस पुस्तक को न्यूयार्क में ग्रोसेट एंड डनलप कंपनी ने प्रकाशित किया था।

उनसे पहले अनेक साहित्यकारों ने शेक्सपियर के साहित्य के लेखन का श्रेय अलग-अलग लोगों को दिया लेकिन केल्विन हॉफमेन ने अपनी पुस्तक में यह पाया कि सभी कम से कम एक बात से सहमत थे कि शेक्सपियर दरअसल में शेक्सपियर नहीं थे। अट्ठारह वर्ष की उम्र में हॉफमेन ने साहित्य पढ़ना शुरू कर दिया। खासकर शेक्सपियर का सारा साहित्य उन्होंने पढ़ डाला। फिर इस बात की खोजबीन करनी शुरू की कि शेक्सपियर के नाम से जो इतना सारा साहित्य मौजूद है उसका असली लेखक कौन है? क्या शेक्सपियर स्वयं या कोई और? इस काम में उन्होंने 19 साल लगाए।

कोलम्बिया विश्वविद्यालय में अपने अनुसंधान के कार्य के दौरान उन्होंने इंग्लैंड, फ्रांस, डेनमार्क तथा जर्मनी की यात्रा की साथ ही क्रिस्टोफर मार्लोव का भी बहुत सारा साहित्य पढ़ा और यहीं से उनके हाथ आश्चर्यजनक तथ्य लगे। अपनी यात्रा के अंत में वे एक बात से पूरी तरह आश्वस्त थे और वह यह कि शेक्सपियर का साहित्य नितान्त श्रेष्ठ तथा युगान्त कारी है और स्ट्रेटफोर्ड ऑन एवोन के निवासी शेक्सपियर ने इसे कभी नहीं लिखा।

विलियम शेक्सपियर को शेक्सपियर के साहित्य का लेखक नहीं मानने वाले लोग कोई कम प्रसिद्ध लोग नहीं थे। इनमें नाथेनल हेवथ्रोन, लॉड पाल्मेर्पन वाल्ट वाइटमेन, सरजार्ज ग्रीनवुड, मार्कट्वेन, प्रिंस बिसपार्क, ओलीवर वेन्डेल होम्स, सिग्मंड फ्रायड, जॉन ब्राइट , हेनरो जेम्स राल्फ वाल्डो एमर्सन, जॉन ग्रीन लीफ, वाइटर, तथा लार्ड पेन्जेन्टर शामिल थे। चार्ल्स डिकन्स ने कहा था , विलियम शेक्सपियर का जीवन एक रहस्य है। उनसे संबंधित हर दिन कुछ ऐसा नया पता लगता है कि मैं चकरा जाता हूँ। केल्विन हॉफमेन को यह प्रश्न तब तक बेचैन करता रहा जब तक कि उन्होंने इसका उत्तर नहीं ढूंढ लिया।

हॉफमेन ने मार्लोव की टेम्बरलेन, डॉ. फॉस्टस और द ज्यू ऑफ माल्टा पढ़ी और उसे लगा कि शेक्सपियर और मार्लोव के लेखन में गजब की समानता है। मार्लोव के टेम्बरलेन और शेक्सपियर के हेनरी चतुर्थ भाग द्वितीय में तो कुछ उदाहरण बिल्कुल समान थे। इसी प्रकार मार्लोव के डॉ. फॉस्टस और शेक्सपियर के ट्रोइलस एंड क्रिसिडो जिसमें हेलन ऑफ ट्राय की कहानी है, बहुत मिलता है। इन समानताओं ने हॉफमेन को और खोजबीन करने के लिए प्रेरित किया। दोनों लेखकों की मानसिकता एक जैसी थी। जबकि उनके तत्कालीन अन्य लेखकों की सोच एक अलग तरह की थी। उनका निष्कर्ष था कि इन दोनों लेखकों की मानसिकता व सोच में समानता इस कारण नहीं है कि वे दोनों एक ही काल की पैदाइश थे।

 William Shakespeare  का निधन 52 वर्ष की आयु में हुआ था और उनका बड़े सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया था। जबकि मार्लोव की हत्या उसी वक्त हो गयी थी जब वह 29 वर्ष का था। उसे किसी ने शराब पर या किसी स्त्री के कारण हुई कहा सुनी में चाकू मार दिया था। पर मार्लोव तथा शेक्सपियर के लेखन की समानता के कारण व अब तक एकत्रित सामग्री के कारण हॉफमेन की जिज्ञासा शांत नहीं हुई और वह इस तथ्य का पता लगाने में लग गए कि क्या वास्तव में मार्लोव की हत्या की गई थी। उन्नीस वर्षों की अपनी खोजबीन के प्रयासों के अंत में वह इस बात पर विश्वास कर सका कि कवि-नाटककार क्रिस्टोफर मार्लोव ही अजीबो गरीब तरीके से अपनी मौत के लिए स्वयं जिम्मेदार थे।

विलियम शेक्सपियर के बारे में तब तक लोगों को ज्यादा कुछ नहीं मालूम था जब तक वे 30 वर्ष के नहीं हो गए। बस सब इतना ही जानते हैं कि उनका जन्म 26 अप्रेल 1564 को स्ट्रेटफोर्ड ऑन एवोन में हुआ था तथा जब वे 18 वर्ष के थे तो उन्होंने 1582 में एनो हेथवे नामक स्त्री से विवाह किया था। वे फरवरी 1585 तक तीन बच्चों के पिता बन चुके थे, तब तक उनकी उम्र 21 वर्ष की हुई थी। तीस वर्ष की उम्र तक उन्होंने नया सृजनात्मक लेखन किया या नहीं, यह किसी को भी पता नहीं है।

तीस वर्ष की उम्र में उनकी पहली रचना के रूप में उनकी एक कविता वीनस एंड एडोनिस इसी शीर्षक की पुस्तक के मुख्य पृष्ठ पर बिना उनके नाम के प्रकाशित हुई थी। उन्होंने किस स्कूल में पढ़ाई की उनमें शिक्षक कौन थे, उन्होंने कौन सी पुस्तकें पढ़ीं, इस बारे में कुछ भी पता नहीं है। वे कभी ऑक्सफोर्ड या केम्ब्रिज विश्वविद्यालय नहीं गए। उन्हें किसी ने पढ़ाया हो, यह भी पता नहीं और उनके जमाने में उनके सहयोग के लिए न तो कोई व्याकरण थी, न कोई शब्दकोष और न ही कोई एनसाइक्लोपीडिया, तो क्या उन्होंने स्वयं ही अध्ययन किया? हॉफमेन कहते हैं कि ऐसा लगता नहीं है। इसके अलावा धन, अवसर या शिक्षा से वंचित एक दुकानदार का बेटा अचानक शानदार कविताएं और उच्च श्रेणी के नाटक कैसे लिखने लगा?

दूसरी तरफ क्रिस्टोफर मार्लोव का जन्म 1554 में हुआ और 15 वर्ष की उम्र में उसे सेंटरबरी में छात्र वृति मिली। उस उम्र में ही वह लेटिन भाषा में पढ़ने और कविताएं लिखने लगा था। उसके तीन सौ वर्ष बाद कवि स्वाइन ब्यूमने उसके बारे में लिखा है कि वे पहले अंग्रेज कवि थे , अंग्रेजी नाटकों के पिता तथा इंग्लिश लयबद्ध कविता के सृजक थे। वे इंग्लैंड में सबसे समृद्ध परिवारों में से एक में पले थे। 1560 में इंग्लैंड में ऐसा कानून था कि प्रत्येक विद्यार्थी को नाटकों में हिस्सा लेना पड़ता था। 1584 में उन्होंने मास्टर्स डिग्री लेने के लिए अपनी छात्रवृ ति के नवीन करण के लिए आवेदन किया। जो उन्हें जून 1587 में मिली। अचानक उन्हें मास्टर्स डिग्री लेने से रोक दिया गया और उन्हें भागना पड़ा। वो तो रानी ऐलिजा बेथ की जिससे वे बच सके।

हॉफमेन के अनुसंधान के अनुसार सर जासूसी व्यवस्था के प्रमुख सर फ्रांसिस वाल्सिंगम ने हस्तक्षेप किया वाल्सिंगम कला के संरक्षक थे और वे मार्लोव को पसंद करते थे। हो सकता है कि मार्लोव एलिजाबेथ के जासूसों के गुट में भी शामिल हो गए हों। वे किसी धर्म के अनुयायी नहीं थे। हॉफमेन ने अनुसंधान से यह तथ्य भी पता लगा कि आस्तिकों के आरोपों पर क्रिस्टोफर मार्लोव को गिरफ्तार कर लिया गया था और वही गिरफ्तारी बाद में उनकी हत्या का कारण बनी। 1836 में एक बिना नाम की हस्त लिखित नाटक की पांडु लिपि मिली जिसका शीर्षक था ‘द एथिरस्ट्स ट्रैजेडी।’ इसमें एक पात्र का नाम वोर्माल था। ऐसा प्रतीत होता है कि यह नाम मार्लोव के नाम को ही बिगाड़ कर रखा गया था। गौर करने वाली बात है कि शेक्सपियर ने अपने नाटक में एक गीत में लंगड़े पन की चर्चा की है और उसके नाटक का नायक भी लंगड़ा और आरितक था। मार्लोव के बारे में भी यह माना जाता है  कि वह बोलता बहुत था और धार्मिक व्यक्ति था।

केल्विन हॉफमेन के अनुसंधान ने उसे 1589 में उन हालातों से अवगत करा दिया जिनमें क्रिस्टोफर मार्लोव की वास्तव में मौत हुई थी। मार्लोव की हत्या कर दी गई थी और हत्यारे थॉमस वाटसन को छोड़ दिया गया। यह माना गया कि वाटसन ने अपरी आत्मरक्षा में मार्लोव की जान ली थी। हॉफमेन लिखते हैं कि “चार वर्ष बाद मार्लोव की मौत जिन परिस्थितियों में हुई थी वे उनके वाटसन के साथ हुए झगड़े की याद दिलाती हैं।” हॉफमेन का मानना था कि मार्लोव की हत्या नहीं की गई। बल्कि वे जीवित रहे उन्होंने वह सब साहित्य लिखा जिसे हम लोग शेक्सपियर का लिखा समझते है।

हॉफमेन कई सवाल उठाते हैं जिनका जवाब  शेक्सपियर के बारे में उपलब्ध अभी तक की जानकारी से नहीं मिलता है । जैसे शेक्सपियर ने पूरे लेखन काल के दौरान और क्या करते थे ? जब शेक्सपियर ने कालजयी रचनाओं का सृजन किया और वे उस समय बाजार में आई तो क्या किसी की प्रतिक्रिया उन पर उपलब्ध है ? उस समय प्रचलन था कि किसी लेखक या नाटककार  के निधन पर सभी लोग उसका शोक मनाया करते थे।  William Shakespeare  के निधन पर किसी ने शोक मनाया? किसी ने नहीं। इससे लगता है कि न तो शेक्सपियर नाम का कोई व्यक्ति कभी इस दुनियां में  जिया और न ही उसने कुछ लिखा था।

क्या William Shakespeare पढ़ा लिखा था ?

बरसों तक विशेषज्ञों में इस बात पर बहस चली कि शेक्सपियर ने जो इतने प्रसिद्ध नाटक लिखे क्या सचमुच उसमें ऐसे नाटक लिखने की योग्यता थी ? इस बहस का मुख्य मुद्दा शेक्सपियर की शैक्षणिक योग्यता कप लेकर था। कुछ शिक्षा शास्त्रियों का तर्क था कि शेक्सपियर के नाटकों का लेखक वही हो सकता है जो शिक्षा के तीस से अधिक विविध क्षेत्रों का ज्ञाता हो क्योंकि उसके नाटकों में कानून, चिकित्सा, सौम्य, रणनीति तथा मनोविज्ञान जैसे गूढ़ विषयों की विस्तृत चर्चा की गई थी। जबकि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि  William Shakespeare ने औपचारिक रूप से कोई उच्च शिक्षा ग्रहण की हो। फिर उसने जटिल विषय पर अपने नाटकों में लिखने लायक चिकित्सा विज्ञान का ज्ञान कहां से हासिल किया ?

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